ईद-ए मिलाद-उन-नबी निबंध Eid e Milad Un Nabi Essay in Hindi

इस लेख मे आप जानेंगे ईद-ए मिलाद-उन-नबी पर निबंध (Eid-e Milad-Un-Nabi Essay in Hindi)। साथ ही जानें इस त्योहार का महत्व, मौलिद, बारावफात, और उत्सव के विषय मे पूरी जानकारी। Milad-un-Nabi मिलाद उन नबी को बारावफात (Barawafat) या मव्लिद (Mawlid) भी कहा जाता है

ईद-ए मिलाद-उन-नबी Eid-e Milad-Un-Nabi Essay in Hindi

ईद-ए-मिलाद उन-नबी का पर्व इस्लाम धर्म के लोग पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) के जन्म दिन की ख़ुशी में मनाते हैं।

इस्लामिक कैलंडर के अनुसार पैगंबर मुहम्मद का जन्म दिन रबी’अल-अव्वल, तीसरे महीने में मनाया जाता है। मिलाद-उन-नबी का उत्सव 11वें सदी में फातिमी राजवंश या शाही घराने के समय से मनाया जा रहा है।

कहा जाता है पवित्र कुरान (Holy Kuran) के विषय में  पैगंबर मुहम्मद से पता चला था और उसी दिन को पवित्र पैगंबर का जन्म दिवस मनाया जाता है।

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मौलिद Maulid

Milad-un-Nabi मिलाद उन नबी के इस्लामिक पर्व को मौलिद Maulid भी कहते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) के जन्म की ख़ुशी में जो गीत गया जाता है उसे मौलूद कहा जाता है। मध्य युग के समय से यह माना जाता है कि मौलूद संगीत को सुनना ना सिर्फ संसारिक है बल्कि उस व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

बारावफात Barawafat

भारत में और कुछ उपमहादेशों में Milad-un-Nabi बहुत ही लोकप्रियता से बारावफात नाम से मनाया जाता है। बारावफात Barawafat का मतलब होता है वह बारह दिन जिसमें पैगंबर का तबियर ख़राब रहा और उनकी मृत्यु हुई थी। इसीलिए यह दिन मिलाद-उन-नबी मानाने वाले लोगों के लिए शोक और ख़ुशी दोनों प्रकार का दिन होता है।

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Milad-un-Nabi मिलाद उन नबी दो मुस्लिम समुदाय द्वारा मनाया जाता है – शिया मुस्लिम और सुन्नी मुस्लिम (Shia Muslims and Sunni Muslims)

Celebration of Milad-un-Nabi by Shia Muslims शिया मुसलमानों द्वारा मिलाद-उन-नबी का समारोह

शिया मुस्लिम समुदाय ईद त्यौहार को याद इसलिए करते हैं क्योंकि वे मानते हैं इसी दिन गाधिर-ए-खुम Gadhir-e-Khumm में पैगंबर मुहम्मद Prophet Muhammad ने हज़रत अली Hazrat Ali को अपने उत्तराधिकारी के रूप में चुना था।

यह अवसर हबिल्लाह Habillah को दर्शाता है यानि की एक चैन सिस्टम की इमामत जिसमें एक नए नेता की शुरुवात होती है। ईद-ए-मिलाद Eid-e-Milad (पैगंबर मुहम्मद का जन्म) और ईद-अल-गाधिर Eid-al-Gadhir (पैगंबर मुहम्मद का मृत्यु)दो ईएसआई चीजें हैं जो एक ही दिन में मानाये जाते हैं पर इनके मानाने का कारन अलग-अलग होता है।

 ईद-अल-गाधिर Eid-al-Gadhir

कहा जाता है इस दिन पैगंबर मुहम्मद के उत्तराधिकारी होने के कारण हज़रत अली को गधिर-ए-खुम (सीरिया और यमन के बीच एक मार्ग) में सभी आध्यात्मिक वस्तुएं और ज़िम्मेदारियाँ मिली थी इसीलिए इस दिन को याद किया जाता है।

इस दिन सभी विश्वासी एक जगह जमा हो कर प्रार्थना करते हैं और अल्लाह का शुर्क्रिया करते हैं जिन्होंने उनकी सुख-शांति और लोगों को सही दिशा दिखने के लिए पैगंबर मुहम्मद को धरती पर भेजा। लोग पवित्र पैगंबर के विषय में व्याख्यान और गायन सुनने जाते हैं और गरीब दिन-दुखी लोगों को मिठाइयाँ बांटी जाती हैं।

बोहरा मुस्लिम Bohra Muslim जो की शिया मुस्लिम समुदाय का एक हिस्सा है, वे भी यह 12 दिन मस्जिदों में रबी-उल-अव्वल को प्रार्थनाओं और गीत सुनते हैं।

Celebration of Milad-un-Nabi by Sunni Muslims सुन्नी मुसलमानों द्वारा मिलाद-उन-नबी का समारोह

प्रार्थना मस्जिदों में महीने भर के लिए किये जाते हैं। 12वें दिन सुन्नी मुश्लिम समुदाय के लोग पवित्र पैगंबर और उनके द्वारा दिए गए सही मार्ग और विचारों को याद करते हैं। इस दिन वे शोक नहीं मनाते हैं क्योंकि सुन्नी मुस्लिम यह विश्वास करते हैं कि 3 दिन से ज्यादा शोक मनाने से मृत्यु हुए व्यक्ति की आत्मा को ठेंस पहुँचता है।

भारत में, इस दिन मुस्लिम समुदाय पवित्र पैगंबर और इमाम हज़रत अली का नाम लेते हुए जलूस निकालते हैं। इन जुलूसों को फलों, फूलों और अच्छी झांकियों से सजाया जाता है।

इस दिन सबसे ज्यादा घरों में खीर Kheer बनाया जाता है। हलाकि सऊदी अरब में मुस्लिम नमाज़ पढ़ते हैं और घरों में तरह-तरह की मिठाइयाँ बनाते हैं और पैगंबर के महान शब्दों को याद करते हैं।

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