50 श्रीमद्भगवद्गीता कर्म पर उपदेश Srimad Bhagavad Gita Karma Quotes in Hindi

श्रीमद्भगवद्गीता के अनमोल वचन/कोट्स/कथन Srimad Bhagavad Gita Karma Quotes in Hindi

क्या आप कर्म में विश्वास रकते हैं?
जानना चाहते है, भगवद गीता (श्रीमद्भगवद्गीता) में लिखे कर्म के अनमोल वचनों को अपने जीवन में कैसे उपयोग करें ?
क्या आप जीवन में कर्म के असली रहस्य को जानना चाहते हैं?

अगर हाँ, तो आप इस पोस्ट के द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता में लिखित कर्म से जुड़ें अनमोल वचनों(Srimad Bhagavad Gita Karma Quotes in Hindi) के बारे में जान सकते हैं और अपने जीवन में उनके अमल से सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

श्रीमद्भगवद्गीता हमारे प्राचीन भारत के अध्यात्मिक ज्ञान को दर्शाता है। कहा जाता है शब्द भगवद(Bhagavad) का मतलब है भगवान और गीता(Gita) का गीत यानि की भगवन का गाया हुआ गीत।

भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के समय कुरुक्षेत्र में भगवद गीता को अर्जुन के सामने समझाया था। भगवद गीता में कुल 700 संस्कृत छंद, 18 अध्यायों के भीतर निहित है जो की 3 बर्गों में विभाजित है, प्रत्येक में 6 अध्याय हैं।

इस जीवन में सफलता को पाने के लिए कर्म(Karma) ही सबसे पहला और बड़ा रास्ता है। भगवद गीता में Shri Krishna प्रभु नें कर्म जे जुड़ीं कुछ ऐसे अनमोल विचार और वचन को संसार के समक्ष रखा था, जो अगर मनुष्य अपने जीवन में अमल करे तो इस दुनिया की कोई शक्ति उसे किसी भी क्षेत्र में पराजित नहीं कर सकती।

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श्रीमद्भगवद्गीता के अनमोल वचन/कोट्स/कथन Srimad Bhagavad Gita Karma Quotes in Hindi by Shri Krishna

निचे हमने श्रीमद्भगवद्गीता के कुछ बहुत ही प्रमुक कर्म से जुड़ीं अनमोल वचनों को हिंदी में अनुवाद और वर्णन किया है : Below we have translated and described Srimad Bhagavad Gita Karma Quotes in Hindi

#1 It is better to live your own destiny imperfectly than to live an imitation of somebody else’s life with perfection.

किसी दुसरे के जीवन के साथ पूर्ण रूप से जीने से बेहतर है की हम अपने स्वयं के भाग्य के अनुसार अपूर्ण जियें।

विवरण: हमें अपने  जीवन में मेहनत करना चाहिए दूसरों के जीवन की उन्नति और सफलता को भूला कर अपने जीवन से नकारात्मक विचारों को दूर कर अपने भाग्य को उज्जवल बनाना चाहिए।

#2 A gift is pure when it is given from the heart to the right person at the right time and at the right place, and when we expect nothing in return

एक उपहार तभी अलसी और पवित्र है जब वह हृदय से किसी सही व्यक्ति को सही समय और सही जगह पर दिया जाये, और जब उपहार देने वाला व्यक्ति दिल में उस उपहार के बदले कुछ पाने की उम्मीद ना रखता हो।

विवरण: हमें इस जीवन में जो भी करना चाहिए सोच समझ कर करना चाहिए, और सही समय पर करना चाहिए। हमें समय और दुसरे लोगों दोनों को सम्मान देना चाहिए और दिल खोल कर उनका मदद करना चाहिए।

#3 No one who does good work will ever come to a bad end, either here or in the world to come

ऐसा कोई नहीं, जिसने भी इस संसार में अच्छा कर्म किया हो और उसका बुरा अंत हुआ है, चाहे इस काल(दुनिया) में हो या आने वाले काल में।

विवरण: कहा जाया है “कर्म ही धर्म है” इसलिए हमें कर्म करते जाना चाहिए फल अपने आप हमें मिलेगा। इस दुनिया में जितने भी लोग सफल हुए हैं सब लोग अपने कर्म के लिए ही हुए हैं। उन्होंने बिना कुछ सोचे समझे लोगों की नकारात्मक बातों को अपने से दूर रख कर अपने कार्यों को पूर्ण किया और आखरी में उन्हें सफलता प्राप्त हुई।

#4 Anyone who is steady in his determination for the advanced stage of spiritual realization can equally tolerate the onslaughts of distress and happiness is certainly a person eligible for liberation.

जो भी मनुष्य अपने जीवन अध्यात्मिक ज्ञान के चरणों के लिए दृढ़ संकल्पों में स्थिर है, वह सामान रूप से संकटों के आक्रमण को सहन कर सकते हैं, और निश्चित रूप से यह व्यक्ति खुशियाँ और मुक्ति पाने का पात्र है।

विवरण: अगर आप अपने लक्ष्य को पाने के लिए दृढ़ सकल्प ले लेते हैं और दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं तो आपके रास्ते में जितने भी संकट/मुश्किलें आयें, आप उनको पार कर जायेंगे।

#5 The happiness which comes from long practice, which leads to the end of suffering, which at first is like poison, but at last like nectar – this kind of happiness arises from the serenity of one’s own mind.

जो खुशियाँ बहुत लम्बे समय के परिश्रम और सिखने से मिलती है, जो दुख से अंत दिलाता है, जो पहले विष के सामान होता है, परन्तु बाद में अमृत के जैसा होता है – इस तरह की खुशियाँ मन की शांति से जागृत होतीं हैं।

विवरण: जब कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य पर सफलता प्राप्त कर लेता है, तो उसके जीवन के सभी दुख अपने आप ख़त्म हो जाते हैं, जीवन में नया उमंग और खुशियाँ भर जाती हैं।

#6 The peace of God is with them whose mind and soul are in harmony, who are free from desire and wrath, who know their own soul.

भगवान या परमात्मा की शांति उनके साथ होती है जिसके मन और आत्मा में एकता/सामंजस्य हो, जो इच्छा और क्रोध से मुक्त हो, जो अपने स्वयं/खुद के आत्मा को सही मायने में जानते हों।

विवरण: सही मायने में जो मनुष्य क्रोध से मुक्त होता है, और जिसके मन में एक जूट होने की इच्छा होती है, वह सच्चा होता है, भगवान हमेंशा उसके साथ होते हैं।

#7 Hell has three hates: lust, anger and greed.

नरक तिन चीजों से नफरत करता है: वासना, क्रोध और लोभ।

विवरण: परमात्मा कहते हैं ! जो भी मनुष्य अपने जीवन में नफरत की भावना, लोभ मोह माया, वासना रखते है उनके लिए नरक ही सही जगह होता है।

#8 You have the right to work, but never to the fruit of work. You should never engage in action for the sake of reward, nor should you long for inaction. Perform work in this world, Arjuna, as a man established within himself – without selfish attachments, and alike in success and defeat.”

आपको कर्म करने का अधिकार है, परन्तु फल पाने का नहीं। आपको इनाम या फल पाने के लिए किसी भी क्रिया में भाग नहीं लेना चाहिए, और ना ही आपको निष्क्रियता के लिए लम्बे समय तक करना चाहिए। इस दुनिया में कार्य करें, अर्जुन, एक ऐसे आदमी जिन्होंने अपने आपको स्वयं सफल बनाया, बिना किसी स्वार्थ के और चाहे सफलता हो या हार हमेशा एक जैसे।

विवरण: अगर हम फल की आशा में कार्य करेंगे तो ना हमारे कार्य सफल हो पाएंगे और ना ही हम अपने लक्ष्य तक पहुँच पाएंगे।

#9 The embodied soul is eternal in existence, indestructible, and infinite, only the material body is factually perishable, therefore fight O Arjuna.

सन्निहित आत्मा के अनंत का अस्तित्व है, अविनाशी और अनंत है, केवल भौतिक शरीर तथ्यात्मक रूप से खराब है, इसलिए हे अर्जुन लड़ते रहो।

विवरण: हमारे अंतर मन की शक्ति और सोच ही असली है, बहार का शरीर मात्र एक काल्पनिक रूप है जो हमाको इस दुनिया में एक ढांचा देता है।

#10 The wise grieve neither for the living nor for the dead. There was never a time when you and I and all the kings gathered here have not existed and nor will there be a time when we will cease to exist.

बुद्दिमान व्यक्ति ना ही जीवित लोगों के लिए शोक मनाते हैं ना ही मृत व्यक्ति के लिए। ऐसा कोई समय नहीं था, जब तुम और मैं और सभी राजा यहाँ एकत्रित हुए हों, पर ना ही अस्तित्व में था और ना ही ऐसा कोई समय होगा जब हम अस्तित्व को समाप्त कर देंगे।

विवरण: जो चीज हमारे हाँथ में नहीं हैं उसके विषय में चिंता करके कोई फायदा नहीं।

#11 Set thy heart upon thy work, but never on its reward.

अपने कर्म पर अपना दिल लगायें, ना की उसके फल पर।

विवरण: इसके विषय में हमने पहले भी बताया जीवन में कर्म करके फल की आशा से जीवन में असफलता प्राप्त होती है ना की सफलता।

#12 Perform all work carefully, guided by compassion.

सभी काम धयान से करो, करुणा द्वारा निर्देशित किये हुए।

विवरण: दिल में दया की भावना रखना चाहिए, इससे मनुष्य का दरजा बढ़ता है।

#13 Asceticism is giving up selfish activities, as poets know, and the wise declare renunciation is giving up fruits of action.

जैसे की एक कवी जनता है, तप स्वार्थी गतिविधियों को छोड़ रहा है, और बुद्धिमान घोषित करता है, त्याग फल के कार्रवाई को छोड़ रहा है।

विवरण: जीवन से स्वार्थ को भूल कर त्याग भावना को लाना चाहिए।

#14 Performing the duty prescribed by (one’s own) nature, one incurreth no sin.

अपने कर्त्तव्य का पालन करना जो की प्रकृति द्वारा निर्धारित किया हुआ हो, वह कोई पाप नहीं है।

विवरण: अपनी सही जिम्मदारियों को करने में कोई झिजक नहीं होना चाहिए।

#15 Feelings of heat and cold, pleasure and pain, are caused by the contact of the senses with their objects. They come and they go, never lasting long. You must accept them.

गर्मी और सर्दी, खुशी और दर्द की भावनाएं, उनकी वस्तुओं के साथ होश से संपर्क के कारण होता है। वे आते हैं और चले जाते हैं, लम्बे समय तक बरक़रार नहीं रहते हैं। आपको उन्हें स्वीकार करना चाहिए।

विवरण: पिथ्वी में जिस प्रकार मौसम में परिवर्तन आता है उसी प्रकार जीवन में भी सुख-दुख आता जाता रहता है।

#16 I am the Atma abiding in the heart of all beings. I am also the beginning, the middle, and the end of all beings.

में आत्मा हूँ, जो सभी प्राणियों के हृदय/दिल से बंधा हुआ हूँ। मैं साथ ही शुरुवात हूँ, मध्य हूँ और समाप्त भी हूँ सभी प्राणियों का।

विवरण: भगवन कहते हैं वो सबके दिल में हैं, और हर समय सभी लोगों के साथ हूँ।

#17 I am Sama Veda among the Vedas; I am Indra among the Devas; I am the mind among the senses; I am the consciousness in living beings.

सभी वेदों में से मैं साम वेद हूँ, सभी देवों में से मैं इंद्र हूँ, सभी समझ और भावनाओं में से मैं मन हूँ, सभी जीवित प्राणियों में मैं चेतना हूँ।

विवरण: श्री कृष्णा प्रभु जी कहते हैं वे मनुष्य हो या देव गण सभी जगह मौजूद हैं।

#18 We behold what we are, and we are what we behold.

हम जो देखते/निहारते हैं वो हम है, और हम जो हैं हम उसी वस्तु को निहारते हैं। इसलिए जीवन में हमेशा अच्छी और सकारात्मक चीजों को देखें और सोचें।

विवरण: हमें हमेशा सकारात्मक चीजों को देखना चाहिए और सकारात्मक सोच रखना चाहिए क्योंकि यह हमारे अस्तित्व को लोगों के सामने व्यक्त करता है।

#19 It is Nature that causes all movement.

यह तो स्वभाव है जो की आंदोलन का कारण बनता है।

विवरण: लोगों का स्वाभाव, और चरित्र ही आंदोलन को बढ़ावा देता है।

#20 It is I who remain seated in the heart of all creatures as the inner controller of all; and it is I who am the source of memory, knowledge and the ratiocinativefaculty. Again, I am the only object worth knowing through the Vedas; I alone am the origin of Vedānta and the knower of the Vedas too.

वह मैं हूँ, जो सभी प्राणियों के दिल/ह्रदय में उनके नियंत्रण के रूप में बैठा हूँ; और वह मैं हूँ, स्मृति का स्रोत, ज्ञान और युक्तिबाद संबंधी. दोबारा, मैं ही अकेला वेदों को जानने का रास्ता हूँ, मैं ही हूँ जो वेदों का मूल रूप हूँ और वेदों का ज्ञाता हूँ।

विवरण: भगवान कहते हैं वह इस विश्व के हर एक मनुष्य के दिल को नियंत्रण करते हैं, और जीवन के सभी रहस्यों को ज्ञाता और सभी लीला के रचैयता भी हैं।

#21 The wise unify their consciousness and abandon attachment to the fruits of action.

बुद्धिमान अपनी चेतना को एकजुट करना चाहिए और फल के लिए इच्छा/लगाव छोड़ देना चाहिए।

#22 You have control over doing your respective duty, but no control or claim over the result. Fear of failure, from being emotionally attached to the fruit of work, is the greatest impediment to success because it robs efficiency by constantly disturbing the equanimity of mind.

आपका अपने ड्यूटी पर नियंत्रण है, परन्तु किसी परिणाम पर दावा करने का नियंत्रण नहीं। असफलता के डर से, किसी कार्य के फल से भावनात्मक रूप से जुड़े रहना, सफलता के लिए सबसे बड़ी बाधा है, क्योंकि यह लगातार कार्यकुशलता को परेशान कर के धैर्य को लूटता है।

विवरण: अगर आप कर्म के फल की चिंता करोगे तो डर पाओगे और यह आपका धैर्य, कुशलता में असुविधा खड़ी करता है।

#23 Pleasures conceived in the world of the senses have a beginning and an end and give birth to misery, Arjuna.

इन्द्रियों की दुनिया में कल्पना सुखों की एक शुरुवात है और अंत भी जो दुख को जन्म देता है, हे अर्जुन।

विवरण: जीवन में कल्पना करना छोड़ कर असली दुनिया पर नज़र डालना बहुत जरूरी है, क्योंकि कल्पना बाद में बहुत दुखदाई होती है।

#24 My dear Arjuna, only by undivided devotional service can I be understood as I am, standing before you, and can thus be seen directly. Only in this way can you enter into the mysteries of My understanding.

मेरे प्रिय अर्जुन, केवल अविभाजित भक्ति सेवा को में समझता हूँ, मैं आपसे पहले खड़ा हूँ, और इस प्रकार सीधे देख सकता हूँ। केवल इस तरह से ही आप मेरे मन के रहस्यों तक पहुँच सकते हो।

विवरण: परमात्मा की भक्ति से ही मनुष्य परमात्मा को समझ सकता है, और प्रभु के मान की बार जन सकता है।

#25 Out of many thousands among men, one may endeavor for perfection, and of those who have achieved perfection, hardly one knows Me in truth.

हजारों लोगों में से, कोई एक ही पूर्ण रूप से कोशिश/प्रयास कर सकता है, और वो जो पूर्णता पाने में सफल हो जाता है, मुश्किल से ही उनमे से कोई एक सच्चे मन से मुझे जनता हैं।

विवरण: सच्चे मन के व्यक्ति ही परमात्मा को सही रूप से जान सकते हैं।

#26 Selfish action imprisons the world. Act selflessly, without any thought of personal profit.

स्वार्थ से भरा हुआ कार्य इस दुनिया को कैद में रख देगा। अपने जीवन से स्वार्थ को दूर रखें, बिना किसी व्यक्तिगत लाभ के।

#27 A yogi is greater than the ascetic, greater than the empiricist and greater than the fruitive worker. Therefore, O Arjuna, in all circumstances, be a yogi.

एक योगी, तपस्वी से बड़ा है, एक अनुभववादी और एक कार्य के फल की चिंता करने वाले व्यक्ति से भी अधिक. इसलिए, हे अर्जुन, सभी परिस्तिथियों में योगी बनो।

#28 For even if the greatest sinner worships me with all his soul, he must be considered righteous, because of his righteous will. And he shall soon become pure and reach everlasting peace. For this is my word of promise, that he who loves me shall not perish.

भले ही सबसे बड़ा पापी दिल से मेरी पूजा/तपस्या करे, वह अपने सही इच्छा की वजह से सही होता है। वह जल्द ही शुद्ध हो जाते हैं और चिरस्तायी/अनंत शांति प्राप्त करते हैं। इन शब्दों में मेरी प्रतिज्ञा है, जो मुझे प्रेम/प्यार करते हैं, वह कभी नष्ट नहीं होते।

#29 I am time, the destroyer of all; I have come to consume the world

मैं समय हूँ, सबका नाशक, मैं आया हूँ दुनिया को उपभोग करने के किये।

विवरण: भगवान कहते हैं मैंने इस दुनिया को बने है और मैं ही पाप का नाशक हूँ।

#30 The cause of the distress of a living entity is forgetfulness of his relationship with God.

एक जीवित इकाई/रहने वाले मनुष्यों, के संकट का कारण होता है भगवान/परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते को भुला देना।

विवरण: परमात्मा को जो अपने मन में हमेशा रखते हैं, संकट उनसे कोसों दूर रहता है

#31 Because materialists cannot understand Krisna spiritually, they are advised to concentrate the mind on physical things and try to see how Krisna is manifested by physical representations.

क्योंकि भौतिकवादी श्री कृष्ण के अध्यात्मिक बातों को समझ नहीं सकते हैं, उन्हें यह सलाह दी जाती है कि वे शारीरिक बातों पर अपना ध्यान केन्द्रित करें और देखने की कोशिश करें की कैसे श्री कृष्ण अपने शारीरिक अभ्यावेदन से प्रकट होते हैं।

#32 Lust, anger, and greed are the three doors to hell.

वासना, क्रोध और लालच नरक के तीन दरवाजे हैं।

#33 From anger, complete delusion arises, and from delusion bewilderment of memory. When memory is bewildered, intelligence is lost, and when intelligence is lost one falls down again into the material pool

क्रोध से पूरा भ्रम पैदा होता है, और भ्रम से चेतना में घबराहट।  अगर चेतना ही घबराया हुआ है, तो बुद्धि तो घटेगी ही, और जब बुद्धि में कमी आएगी तो एक के बाद एक गहरे खाई में जीवन डूबती नज़र आएगी।

विवरण: जीवन मैं कभी भी घुस्सा/क्रोध ना करें यह आपके जीवन के ध्वंस कर देगा।

#34 For man, mind is the cause of bondage and mind is the cause of liberation. Mind absorbed in sense objects is the cause of bondage, and mind detached from the sense objects is the cause of liberation.

आदमी/मनुष्य के लिए मन बंधन का कारण है और मन मुक्ति का कारण भी है। मन वस्तुओं की भावना में लीन रहे तो  बंधन का कारण है, और अगर मन वस्तुओं की भावना से अलग रहे तो वह मुक्ति का कारण है।

#35 There was never a time when I did not exist, nor you, nor any of these kings. Nor is there any future in which we shall cease to be.

ऐसा कोई समय नहीं था जब मेरा अस्तित्व ना हो, ना तुम, ना ही इनमे से कोई राजा। और ऐसा ना ही कोई भविष्य है जहाँ हमें कोई रोक सके।

#36 But for one who takes pleasure in the Self, whose human life is one of self-realization, and who is satisfied in the Self only, fully satiated – for him there is no duty.

वह जो अपने भीतर अपने स्वयं से खुश रहता है, जिसके मनुष्य जीवन एक आत्मज्ञान है, और जो अपने खुद से संतुष्ट हैं, पूरी तरीके से तृप्त है – उसके लिए जीवन में कोई कर्म नहीं हैं।

#37 Reshape yourself through the power of your will; never let yourself be degraded by self-will. The will is the only friend of the Self, and the will is the only enemy of the Self.

अपनी इच्छा शक्ति के माध्यम से अपने आपको नयी आकृति प्रदान करें। कभी भी स्वयं को अपन आत्म इच्छा से अपमानित न करें। इच्छा एक मात्र मित्र/दोस्त होता है स्वयं का, और इच्छा ही एक मात्र शत्रु है स्वयं का।

#38 The Supreme Personality of Godhead said: It is lust only, Arjuna, which is born of contact with the material mode of passion and later transformed into wrath, and which is the all-devouring sinful enemy of this world. PURPORT

देवत्व का परम व्यक्तित्व कहता है: यह सिर्फ वासना ही है, अर्जुन, जिसका जन्म चीजों के जुनून के साथ संपर्क होने के लिए हुआ है और बाद में यह क्रोध में तब्दील हो जाता है, और जो सभी इस दुनिया के भक्षण पापी दुश्मन है।

#39 Our mistake is in taking this for ultimate reality, like the dreamer thinking that nothing is real except his dream.

हमारी गलती अंतिम वास्तविकता के लिए यह ले जा रहा है, जैसे सपने देखने वाला यह सोचता है की उसके सपने के अलावा और कुछ भी सत्य नहीं है।

#40 We never really encounter the world; all we experience is our own nervous system.

हम कभी वास्तव में दुनिया की मुठभेड़ में घुसते, हम बस अनुभव करते हैं अपने तंत्रिता तंत्र को।

श्रीमद्भगवद्गीता The Bhagavat Gita

एक निवेदन: प्रिय मित्रों हम श्रीमद्भगवद्गीता के अनमोल वचनों को hindi में पूरी तरीके से अनुवाद करने में शक्षम नहीं हैं, किन्तु फिर भी हमने पूरा प्रयास किया है, अनजाने में हुए गलतियों के लिए क्षमा करियेगा और अपने सुझाव और विचार comment के माध्यम से हमें जरूर भेजें।

29 thoughts on “50 श्रीमद्भगवद्गीता कर्म पर उपदेश Srimad Bhagavad Gita Karma Quotes in Hindi”

    • Ek manushya ke sankato ka karan uske swayam aur Ishwar ke saath rishte ko bhula dena hota hai…

      Shama paap se badi hoti hai…Ishwar param dayalu hai isliye apne karmo ki shama mangte hue punaah dridh nishchayi hokar apne wade aur khud ke astitwa ki garima ko sthapit kar sakte hai aap…

      Hare Krishna!!!

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  1. श्री मदभगवदगीता जी जीवन को सफल बनाने की भगवान श्री कृष्ण जी द्वारा दी गयी किताब है इसके अंदर जो भी लिखा हुआ है जीवन को सफल बनाने के लिये है
    यह किताब सभी के लिये सम्मान है
    जय श्री कृष्णा जी

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  2. भगवान के दिए हुए इस गीत को पढ़कर अब मुझे समझ आ गया कि मेरा जीवन किस लिए हुआ है

    जय श्री कृष्णा

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  3. आपकी कोशिश प्रशंसनीय है। जितना जरूरी शरीर के लिए भोजन है उतना ही जरूरी मन और हृदय के लिए आध्यात्मिक ज्ञान है।

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  4. You explained bhagavad gita very well, means you explained such a easy language, so most of the people could understand easily. thank you so much.

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  5. Very nice tairfic line Ee line puri Tarah se Hamare life ko sukhmay bana degi aagar ham samjh le to .i agree with you
    Radhe Krishna, radhe Krishna, radhe Krishna

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