तमिलनाडू का जल्लीकट्टू त्यौहार Tamil Nadu Jallikattu Festival in Hindi

तमिलनाडू का जल्लीकट्टू त्यौहार Tamil Nadu Jallikattu Festival in Hindi

क्या आप जल्लीकट्टू त्यौहार के बारे में जानना चाहते हैं?
क्या आप जानना चाहते हैं, जल्लीकट्टू त्यौहार में लोगों के भीड़ में खतरनाक सांड को क्यों छोड़ दिया जाता है?

Image Source – Vinoth Chandar

तमिलनाडू का जल्लीकट्टू त्यौहार 2019 Tamil Nadu Jallikattu Festival in Hindi

तिमलनाडू का जल्लीकट्टू महोत्सव क्या है? What is Jallikattu Festival in Tamil Nadu Hindi

जल्लीकट्टू / सल्लिक्काट्टू (Jallikatu / Sallikkattu) तमिलनाडू का एक बहुत ही प्रसिद्ध त्यौहार है जो पोंगल त्यौहार का एक हिस्सा है और मट्टू पिंगल के दिन मनाया जाता है। इस त्यौहार को यरू थाज्हुव्य्थल और मंजू विराट्टू (Eru thazhuvuthal and Manju virattu) के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ होता है सांडों को पकड़ना।

बाद में इस पर्व का नाम Jallikattu पड़ा। Jalli + Kattu जो सोने और चांदी को दर्शाते हैं जिन्हें सांड के गलें में चारों ओर बाँधा जाता है।

यह महोत्सव तमिल नाडू में बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह एक बहुत ही रोचक पारंपरिक खेल त्यौहार है।

इस त्यौहार में कंगायम नसल (Kangayam breed) के सांड के सिंग में एकं झंडा बांध दिया जाता है और उस सांड को लोगों की भीड़ में छोड़ दिया जाता है। यह एक प्रतियोगिता के तौर पर खेला जाता जिसमें बहुत सारे प्रतियोगी भाग लेते हैं।

लोगों की भीड़ में सांड उत्तेजित हो जाता है और इधर उधर भागने लगता है। ऐसे में प्रतियोगियों का काम होता है सांड के पीठ पर ऊँचे स्थान को पकड़ कर उसके सिंग पर बांधे हुए झंडे को निकालना।

यह प्रतियोगिता में कभी-कभी लोगों को बहुत ज्यादा चोट भी लग जाती है पर यह त्यौहार तमिल नाडू के लोगों के दिल में बसा हुआ है। वो इसकी परवाह किये बिना इस त्यौहार को बहुत ही ख़ुशी के साथ मनाते हैं।

जल्लीकट्टू त्यौहार का इतिहास History of Jallikattu Festival in Hindi

आप तो जानते ही होंगे की सांड बहुत ही ताकतवर होते हैं और पौराणिक काल से ही इनका इस्तेमाल घरों और खेती के काम के लिए लोग कर रहे हैं। चाहे वो जमीन जोतना हो, गाडी खींचना हो या अन्य चीजों के लिए इनका मदद हमेशा लिया गया है।

सांड इतने ताकतवर होते हैं कि वो सिंह और शेर से भी लड़ कर उन्हें हरा सकते हैं। इसीलिए इतिहास के तमिल लोगों ने अपने ताकत और साहंस को दिखाने के लिए एक पारंपरिक खेल शुरू किया जिसे आज जल्ली कट्टु कहा जाता है।

सांड प्रतियोगिता तमिल नाडू में बहुत ही पौराणिक त्यौहार है। यह त्यौहार 400-100 ईसा पूर्व, मुल्लाई के समय से मनाया जा रहा है।

आज भी नाइ दिल्ली के राष्ट्रिय संग्रहालय में, सिन्धु घटी के कुछ चीजों में इसके छाप देखे गए हैं।

मदुरै में एक गुंफा चित्रकला प्राप्त हुआ जो मना गया है 2500 साल से भी पुराना है। उस खुदे हुए चित्र में एक मनुष्य एक सांड को सँभालने की कोशिश करते हुए दिख रहा है।

इन इतिहास के सबूतों से पता चलता है की जल्लीकट्टू, तमिलनाडु का कितना पौराणिक त्यौहार है।

2019 जल्लीकट्टू त्यौहार का विडियो देखे Jallikattu Festival Video

जल्लीकट्टू खेल के नियम Jallikattu Bull Sports Rules in Hindi

  • सांड को एक दरवाजे से छोड़ दिया जाता है। उस दरवाजे को वादी वसल (Vadi Vasal) कहा जाता है।
  • प्रतियोगियों का काम होता है सांड के पीठ पर ऊँचे स्थान को पकड़ कर उसके सिंग पर बांधे हुए झंडे को निकालना। कोई भी प्रतियोगी अगर सांड के गर्धन, सिंग या पूंछ को पकड़ कर सांड को रोकने की कोशिश करता है तो उसे इस प्रतियोगिता से बाहर निकाल दिया जाता है।
  • सांड के पीठ पकड़ने वाले को 30 सेकंड के लिए पकड़ कर रखना होता है या बैल के 15 फीट तक दौड़ने तक।
  • अगर प्रतियोगी सांड के ऊपर चढ़ नहीं पाते या चढ़ कर फिसल जाते हैं समय से पहले तो प्रतियोगी हार जाते हैं और सांड को विजेता मान लिया जाता है।
  • अगर प्रतियोगी सांड के 15 फीट जाने तक या 30 सेकंड तक उसके ऊपर बैठ जाता है तो उसे विजेता मान लिया जाता है।
  • एक समय एक ही प्रतियोगी को सांड के पीठ पर चढ़ना होता है। एक से अधिक लोग चढ़ने पर किसी को भी प्रतियोगी माना नहीं जाता है।
  • सांड को पीटना या मारना नियम के विरुद्ध है।

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