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Home » Biography » चन्द्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi

चन्द्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi

Last Modified: January 3, 2023 by बिजय कुमार 2 Comments

चन्द्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय

इस लेख में आप चन्द्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi हिन्दी में पढ़ेंगे। इस लेख में आप उनका जीवन परिचय, मुख्य देशभक्ति कार्य, मृत्यु के विषय में पूरी जानकारी जानेंगे।

Table of Content

Toggle
  • चन्द्रशेखर आज़ाद का परिचय Introduction of Chandra Shekhar Azad in Hindi
  • चन्द्रशेखर जन्म व प्रारम्भिक जीवन Chandra Shekhar birth and Early life in Hindi
  • चन्द्रशेखर आज़ाद का क्रांतिकारी जीवन Revolutionary Life of Chandrashekhar Azad in Hindi
  • चन्द्रशेखर आज़ाद के नारे Slogans of Chandra Shekhar Azad in Hindi
  • काकोरी कांड में चन्द्रशेखर आज़ाद का योगदान Contribution of Chandra Shekhar Azad in Kakori incident in Hindi
  • चंद्रशेखर आजाद की मुखबिरी किसने की थी? Who was the informer of Chandra Shekhar Azad in Hindi?
  • चन्द्रशेखर आज़ाद की मृत्यु कहाँ और कैसे हुई? Where and How did Chandrashekhar Azad Died in Hindi?

चन्द्रशेखर आज़ाद का परिचय Introduction of Chandra Shekhar Azad in Hindi

ब्रिटिश गवर्नमेंट के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भाग रहा है, जो कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।

जब अंग्रेजों के समक्ष हर कोई विवश हो गया था, तब पूरे ब्रिटिश गवर्नमेंट को चुनौती देने के लिए भारत के वीर पुत्रों ने सामने आकर हिंदुस्तान को स्वतंत्र कराने के लिए प्रण लिया था।

भारत माता के इस पवित्र माटी पर जन्मे इन महापुरुषों ने हिंदुस्तान की काया पलट करके रख दी। ऐसे ही एक महान क्रांतिकारी और प्रखर व्यक्तित्व के धनी चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों को धूल चटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। चंद्रशेखर पहले ऐसे क्रांतिकारी थे, जिन्हें अंग्रेज जीते जी कभी भी नहीं पकड़ पाए थे।

सभी युवाओं और देश प्रेमियों के लिए बलिदान और संघर्ष की मशाल चंद्रशेखर आजाद ने एक उचित और उत्साह से भरे देश भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन दिया है।

महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चेहरा माना जाता है। देश को आजादी दिलाने का ऐसा पागलपन चंद्रशेखर आजाद को चढ़ा था, जिससे उन्होंने भारत का एक नया इतिहास रच डाला है।

चन्द्रशेखर जन्म व प्रारम्भिक जीवन Chandra Shekhar birth and Early life in Hindi

भारतीय आंदोलन के एक प्रमुख दावेदार चंद्रशेखर आजाद का जन्म मध्य प्रदेश के एक छोटे से भाबरा गांव में हुआ था।

आज के समय में अलीराजपुर जिले में आया चंद्रशेखर आजाद का जन्म स्थल आजाद नगर से जाना जाता है। इनका जन्म 23 जुलाई सन 1906 को एक उच्च ब्राह्मण परिवार में हुआ था। चंद्रशेखर का  पूरा नाम पंडित चंद्रशेखर सीताराम तिवारी था।

चंद्रशेखर के पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी और माता का नाम जगरानी देवी तिवारी। चंद्रशेखर के जन्म के पहले उनके पिता पंडित सीताराम जी उन्नाव जिला के बैसवारा में रहते थे।

किसी आपातकालीन परिस्थिति के कारण वे मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले में आकर बस गए और वहीं नौकरी करने लगे। चंद्रशेखर का पूरा जीवन भाबरा गांव में ही बीता था।

भाबरा गांव एक आदिवासी बाहुल्य स्थान था, जहां भील प्रजा निवास करती थी। चंद्रशेखर ने भील बच्चों के साथ मिलकर वहां के स्थानीय खेल धनुष बाण को बहुत खेला था, जिसके कारण उन्हें तीरंदाजी में भी अच्छा अनुभव हो गया था। बचपन से ही चंद्रशेखर एक साहसी और निडर बालक थे।

देश प्रेम की भावना बचपन से ही चंद्रशेखर के ह्रदय में समाहित थी। चंद्रशेखर ने अंग्रेजों का अत्याचार बचपन से ही देखा था, जिसके कारण उनके मन में अंग्रेजों के प्रति बहुत  घृणा थी।

मात्र 14 वर्ष की आयु में चंद्रशेखर संस्कृत का अध्ययन करने के लिए बनारस विद्यापीठ गए थे। यहां उनकी मुलाकात कई ऐसे लोगों से हुई थी, जिनके ह्रदय में भी देश भक्ति की ज्वाला भड़कती थी।

उचित लोगों का साथ और नेतृत्व पाकर चंद्रशेखर आजाद ने आगे चलकर पूरी तरह स्वयं को देश के लिए न्योछावर कर दिया था।

चन्द्रशेखर आज़ाद का क्रांतिकारी जीवन Revolutionary Life of Chandrashekhar Azad in Hindi

जब चंद्रशेखर बनारस विद्यापीठ में संस्कृत की शिक्षा ग्रहण करने हेतु गए थे, तो उसी समय मोहनदास करमचंद गांधी द्वारा 1920 में अंग्रेजो के खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाया गया था।

उस समय चंद्रशेखर की आयु केवल 14 वर्ष की थी। अंग्रेजों के विरोध में धरना प्रदर्शन किया गया तो चंद्रशेखर भी बाकी युवाओं की ही तरफ उस आंदोलन में जुड़े।

लेकिन जब अंग्रेजी पुलिसकर्मियों द्वारा बालक चंद्रशेखर को बंधी बना लिया गया तो पुलिस द्वारा उनका नाम पूछे जाने पर उन्होंने अपना नाम ‘आजाद’, पिता का नाम ‘स्वाधीनता’ बताया। जब उनसे उनका निवास स्थल पूछा गया तो उन्होंने उत्तर में ‘जेलखाना’ कहा।

क्रूर अंग्रेजी सिपाहियों ने आंदोलन प्रदर्शन में पकड़े गए चंद्रशेखर आजाद को लगभग 15 कोडो की सजा सुनाई। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी एक बालक को 15 कोड़े देने की सजा का वर्णन किया है।

हर वार के साथ चंद्रशेखर की चमड़ी उधड़ रही थी, लेकिन फिर भी उन्होंने भारत माता की जय और वंदे मातरम का नारा लगाना बंद नहीं किया था।

इस घटना के बाद चंद्रशेखर ने यह प्रण ले लिया था, की मैं आजाद हूं और आजाद ही रहूंगा। इसके बाद अंग्रेजों ने कभी भी चंद्रशेखर आजाद को पकड़ नहीं पाया था।

1919 में घटे जलियांवाला बाग हत्याकांड ने चंद्रशेखर आजाद को अंदर से हिला कर रख दिया था। आजादी के लिए चंद्रशेखर के मन में जो ज्वाला थी, वह अब ज्वालामुखी का रूप ले चुकी थी।

चंद्रशेखर आजाद गांधी जी के सहयोगी थे, लेकिन जब गांधी जी द्वारा 1922 में ‘चौरी चौरा’ कांड के बाद असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया गया था तब चंद्रशेखर का गांधीजी के प्रति मोहभंग हो गया था। उसी समय आजाद के साथ ही बहुत सारे क्रांतिकारियों का भरोसा टूट चुका था।

राम प्रसाद बिस्मिल, योगेश चंद्र चटर्जी और सचिंद्र नाथ सान्याल के नेतृत्व में 1924 में एक क्रांतिकारी दल हिंदुस्तानी प्रजातांत्रिक संघ अथवा हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया गया, जिसमें चंद्रशेखर आजाद भी जुड़ गए थे।

लाठीचार्ज में मारे गए लाला लाजपत राय की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, खुदीराम बोस इत्यादि जैसे अनेकों क्रांतिकारियों ने योजनाएं बनाई थी।

एक बार 17 दिसंबर 1928 में लाहौर के पुलिस अधीक्षक के दफ्तर को पूरी तरह से घेर लिया गया था। जेपी सांडर्स को योजनाबद्ध तरीके से राजगुरु ने उसके मस्तक पर गोली दागी जिससे उसकी वही मौत हो गई।

ऐसा माना जाता है कि चंद्रशेखर आजाद रूप बदलने की कला अच्छे से जानते थे, जिसके कारण वे कभी भी पुलिस के हाथ नहीं लगे थे। अंग्रेजों ने केवल चंद्रशेखर आजाद की पहचान करने के लिए 500 से अधिक जासूसों को नौकरी पर रखा था, लेकिन फिर भी वे ऐसा करने में नाकामयाब रहे।

चंद्रशेखर आजाद को वीर भगत सिंह अपना गुरु मानते थे और उन्हीं के ही नेतृत्व में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली के सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट किया था। इस हमले में किसी को भी नुकसान नहीं हुआ था, केवल विरोध प्रदर्शन करने के लिए यह योजना बनाई गई थी।

चन्द्रशेखर आज़ाद के नारे Slogans of Chandra Shekhar Azad in Hindi

चंद्रशेखर आजाद जब मातृभूमि के लिए नारे लगाते थे, तो उनके एक-एक शब्द युवाओं के लिए गीत बन जाते थे और उसे हमेशा दोहराया जाता था। आजादी के लिए नारे लगाने पर उनके सुर में पूरा हिंदुस्तान एक सुर मिला कर गूंज उठता था।

दुश्मन की गोलियों का सामना हम करेंगे,
आजाद हैं आजाद ही रहेंगे।
चिंगारी आजादी की सुलगी मेरे जश्न में है,
इंकलाब की ज्वालाए लिपटी मेरे बदन में है,
मौत जहां जन्नत हो यह बात मेरे वतन में है,
कुर्बानी का जज्बा जिंदा मेरे कफन में है।

दूसरों को खुद से आगे बढ़ते हुए मत देखो। प्रतिदिन अपने खुद के कीर्तिमान तोड़ो, क्योंकि सफलता आपकी अपने आप से एक लड़ाई है।

काकोरी कांड में चन्द्रशेखर आज़ाद का योगदान Contribution of Chandra Shekhar Azad in Kakori incident in Hindi

स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध चलाए जा रहे आंदोलनों में हथियारों और अन्य चीजों की कमी पड़ रही थी। हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन के सभी क्रांतिकारियों द्वारा ब्रिटिश सरकार के खजाने को लूट लेने की रणनीति तैयार की गई थी।

राम प्रसाद बिस्मिल ने एक बैठक में भारत के खजाने को लूट कर ले जा रहे अंग्रेजी खजाना को लूटने का प्रस्ताव रखा था। सभी के सहमति के बाद इस घटना को अंजाम दिया गया था।

9 अगस्त 1924 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले में स्थित काकोरी रेलवे स्टेशन से चली 8 डाउन सहारनपुर लखनऊ पैसेंजर ट्रेन को लूटने के लिए चेन खींचकर  अशफाक उल्ला खान, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद और कई और क्रांतिकारी साथियों द्वारा खजाने पर धावा बोला गया था।

इस आक्रमण के पश्चात अशफाक उल्ला खान, राम प्रसाद बिस्मिल और राजेंद्र नाथ लाहिड़ी जैसे कुल 16 क्रांतिकारियों को सजा सुनाई गई थी।

कुछ मुख्य नेतृत्वकर्ता जैसे राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह इत्यादि को फांसी की सजा सुनाई गई थी। इस पूरे घटना में चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों के चंगुल से बच निकलने में पूरी तरह से कामयाब हुए थे।

काकोरी ट्रेन कांड कि यह लूट एक ऐतिहासिक रेल डकैती के रूप में याद की जाती है। जब इस घटना में क्रांतिकारियों को बंधी बनाया गया था, तो राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा गुनगुनाया हुआ ग़ज़ल रचना ‘सरफरोशी की तमन्ना’ जो सभी क्रांतिकारियों के लिए मंत्र बन गया था।

चंद्रशेखर आजाद की मुखबिरी किसने की थी? Who was the informer of Chandra Shekhar Azad in Hindi?

चंद्रशेखर आजाद के मृत्यु के पीछे एक बड़ा रहस्य छुपा हुआ है। चंद्रशेखर आजाद के मुखबिरी को लेकर समय-समय पर विवादास्पद मुद्दे उठते रहते हैं। 

लखनऊ के सीआईडी ऑफिस में आज भी चंद्रशेखर आजाद के मृत्यु के रहस्य की एक गोपनीय फाइल रखी हुई है। चंद्रशेखर आजाद के संदर्भ में इस गोपनीय फाइल में तत्कालीन अंग्रेज ऑफिसर नॉट वावर द्वारा कुछ बयान भी दर्ज किए गए हैं।

ऐसा माना जाता है, कि चंद्रशेखर आजाद के अंतिम समय में जब वे अल्फ्रेड पार्क में रुके थे, तभी भारत के किसी बड़े नेता ने अंग्रेजों को उनका पता बताया था।

यह बात खुद उस समय के अंग्रेजी ऑफिसर नॉट वावर द्वारा स्वीकार की गई है, कि जब वे रात्रि में अपने घर पर उपस्थित थे तभी उन्हें किसी का मैसेज आया जिसमें चंद्रशेखर आजाद को अल्फ्रेड पार्क में होने का दावा किया गया था।

कई लोगों का यह कहना है, कि वह बड़ा नेता और कोई नहीं बल्कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। चंद्रशेखर आजाद की आखिरी मुलाकात 1931 में झांसी के एक जेल में कैद गणेश शंकर विद्यार्थी से हुई थी।

गणेश शंकर विद्यार्थी ने चंद्रशेखर आजाद को जवाहरलाल से मुलाकात लेने के लिए कहा था। जब चंद्रशेखर जवाहरलाल से मिलने के लिए आनंद भवन पहुंचे तो 27 फरवरी 1931 को नेहरू ने चंद्रशेखर से मिलने से इंकार कर दिया।

जवाहरलाल नेहरू ने ऐसा करने के पीछे यह कारण बताया था, कि चंद्रशेखर आजाद से मिलने के कारण ब्रिटिश हुकूमत कांग्रेस पार्टी से नाराज हो सकती है।

जैसा कि बताया गया है, कि ब्रिटिश हुकूमत के ऑफिसर्स चंद्रशेखर आजाद के बहरूपिया बनने के कारण इतने तंग आ गए थे, कि उन्हें पहचानने के लिए लगभग 500 से भी अधिक जासूसों को रखा था। उस समय इन जासूसों में कई गद्दार भारतीय भी शामिल हुआ करते थे।

हालांकि आज भी चंद्रशेखर आजाद की मुखबिरी किसने की थी इसका असल में पता नहीं लगाया जा सका है। लेकिन जिस गद्दार द्वारा यह देशद्रोह का कार्य किया गया था, उसे भारतवासी ना कभी भूल पाए थे, और ना कभी भूलेंगे।

चन्द्रशेखर आज़ाद की मृत्यु कहाँ और कैसे हुई? Where and How did Chandrashekhar Azad Died in Hindi?

चंद्रशेखर आजाद को पकड़ने के लिए अंग्रेजों ने लाख कोशिशें की थी लेकिन वह सभी आजाद के जीते जी कभी भी उन्हें पकड़ने में कामयाब नहीं हो पाए थे।

अगर कहा जाए तो चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु में कुछ भारतीय मुखबिरों का भी हाथ है। जब चंद्रशेखर आजाद के अल्फ्रेड पार्क में होने की सूचना अंग्रेजों को लगी थी, तो वे सभी फौरन पूरे तैयारी के साथ आकर अल्फ्रेड पार्क को चारों ओर से घेर लिया था।

27 फरवरी 1931 के दिन जब चंद्रशेखर आजाद और  सुखदेव अल्फ्रेड पार्क में आगे की योजना बनाने के लिए वार्तालाप कर रहे थे, तभी अचानक से चहल कदमी बढ़ी और उन्होंने पाया की पार्क को पूरी तरह से घेर लिया गया है।

चंद्रशेखर आजाद ने कैसे भी अंग्रेजों की आंख में धूल झोंक कर सुखदेव को वहां से भगाने में कामयाब हो गए थे। लेकिन आजाद वहां से भाग निकलने में असफल रहे। जब सिपाहियों द्वारा चंद्रशेखर आजाद को हथियार डाल देने और आत्मसमर्पण कर देने का प्रस्ताव रखा गया तो उन्होंने मना कर दिया।

आखरी समय में भी चंद्रशेखर ने अपना ‘आजाद हूं और आजाद ही रहूंगा’ का प्रण याद किया और अपनी बंदूक की गोलियों से कई अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया। चंद्रशेखर के द्वारा दागी गई 5 गोलियां एकदम निशाने पर जाकर लगी थी।

झड़प की प्रतिक्रिया में उनके जांग पर गोली लग गई थी। यह गोली जानवरों के लिए प्रयोग की जाती थी, लेकिन अंग्रेजों ने इसका प्रयोग आजाद को पकड़ने के लिए किया था।

गोली लगने के बाद आजाद की जांग खून से लथपथ  हो गई थी और वहां का चिथड़ा उड़ गया था। कैसे भी करके वह धीरे-धीरे सरक कर एक पेड़ के पीछे जाकर छुप गए।

जब चंद्रशेखर आजाद के सामने दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा तो उन्होंने अपने पिस्तौल में बचे एक गोली को स्वयं अपने सिर में मार लिया। इस प्रकार चंद्रशेखर आजाद ने अपना प्राण पूरा किया और मर कर भी एक अमर बलिदानी बन गए।

Filed Under: Biography Tagged With: 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर निबंध, गणतंत्र दिवस पर निबंध, गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस के नारे, भारतीय स्वतंत्रता दिवस का इतिहास, शहीद दिवस पर निबंध

About बिजय कुमार

नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

Reader Interactions

Comments

  1. Girjesh Kumar says

    October 13, 2020 at 2:49 pm

    Very nice Azad ji

    Reply
  2. Pankaj says

    June 29, 2021 at 7:01 pm

    The information given by you is very good and informative and the way you write is also good. Thank you for the information.

    Reply

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