अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस Essay on International Literacy Day in Hindi
2020 अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस (विश्व साक्षरता दिवस) Essay on International Literacy Day in Hindi
हर साल 8 सितंबर का दिन “अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस” के रूप में सम्पूर्ण विश्व में मनाया जाता है। यूनेस्को ने 17 नवंबर 1965 को 8 सितंबर का दिन “अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की थी। पहला “अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस” 8 सितंबर 1966 को मनाया गया था।
पूरी दुनिया में साक्षरता बढ़ाने के लिए इसे मनाया जाता है। आज भी विश्व में अनेक लोग निरक्षर है। वैश्विक निगरानी रिपोर्ट के अनुसार विश्व में 7750 लाख वयस्क अनपढ़ है। हर 5 में से 1 पुरुष निरक्षर है।
2/3 महिलाये अनपढ़ है। पूरी दुनिया में बहुत से बच्चे आज भी स्कूल नही जा रहे है। या तो उनके पास स्कूल नही है या माँ- बाप बच्चो को स्कूल नही भेज रहे है। कई बच्चे छोटी उम्र से पैसा कमाने में लग जाते है। इस दिवस का लक्ष्य हर बच्चो को पढ़ने के लिए स्कूल भेजना है।
2020 अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस Essay on International Literacy Day in Hindi
अफ़्रीकी देशो में साक्षरता बहुत कम है। विश्व के 10 सबसे कम साक्षर देश अफ्रीका में आते है। बुर्कीना फासो, दक्षिण सूडान, चाड, नाइजर, गीनिया, बेनिन, सियरा लिओन, इथोपिया, मोजाम्बिक, सेनेगल दुनिया के 10 सबसे कम साक्षरता वाले देश है।
मारगरेट एटवुड, पॉलो कोहेलहो, फिलीप डेलर्म, पॉल ऑस्टर, फिलीप क्लॉडेल, फैटेउ डियोम जैसे लेखकों ने विश्व में साक्षरता बढ़ाने के लिए अनेक लेख और किताबे लिखी है।
अनेक कम्पनियां अपने मुनाफे से गरीब देशो में स्कूल, कॉलेज बनवा रही है। बच्चो की पढ़ाई के लिए कॉपी, किताबे और जरूरी चीजे दान कर रही है। दानी संस्थाये, रोटरी क्लब, ब्लड बैक, राष्ट्रीय साक्षरता संस्थान बच्चो को पढ़ाने में मदद कर रही है।
एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए सभी का पढ़ा लिखा होना जरूरी है। अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2007 और 2008 की थीम थी “सभी के लिए शिक्षा”।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का लक्ष्य AIM OF INTERNATIONAL LITERACY DAY
इस दिवस को मनाने का लक्ष्य विश्व में सभी लोगो को शिक्षित करना है। बच्चे, वयस्क, महिलाओं और बूढों को साक्षर बनाना ही इसका लक्ष्य है। उनको अपने अधिकारों के बारे में जानकारी हो, अपने कर्तव्य की समझ हो।
जीवन जीने की सही कला पता हो, व्यस्क अपने बच्चों को पढ़ा सके, बच्चो को अच्छी शिक्षा और संस्कार दे सके। साक्षर होकर गरीबी को मिटा सके, बाल मृत्यु को कम कर सकें। अपराध और भ्रष्टाचार खत्म हो। पूरे विश्व में खुशहाली आये।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस कैसे मनाते है HOW TO CELEBRATE INTERNATIONAL LITERACY DAY
इस दिन ऐसी संस्थाओं को पुरस्कृत किया जाता है जो देश और दुनिया में लोगो को पढ़ाने का काम कर रही है। स्कूल, कालेजों में लेखन, व्याख्यान, भाषण, कविता, खेल, निबंध, चित्रकला, गीत, गोलमेज चर्चा, सेमीनार जैसे कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
हमारे प्रधानाचार्य और टीचर्स “अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस” पर भाषण देते है। “अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस” पर पोस्टर लगाये जाते है। न्यूज चैनेल के द्वारा इस दिवस पर खबरों का प्रसारण और प्रेस कांफेरेंस किया जाता है। टीवी पर इससे जुडी बातो पर कार्यक्रम दिखाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस से जुडी समस्याओं पर कार्यक्रम दिखाया जाता है।
भारत में साक्षरता के बढ़ते कदम GROWING LITERACY IN INDIA
“एषां न विद्या न तपो ना दानं, ज्ञानम न शीलम न गुणो न धर्म:
ते मृत्युलोके भूविभार भूता, मनुष्य रूपेण मृगाश्चरन्ति”
अर्थात जिस मनुष्य के पास ना तो विद्या है ना तप है और ना जो दान करना जानता है, न ज्ञान है न शील है न कोई गुण है न धर्म है वह व्यक्त्िा धरती पर बोझ के समान है और मृग की भांति विचरण करता फिरता है
विश्व साक्षरता रैकिंग में 234 देशो के बीच भारत का स्थान 168 वे नम्बर पर आता है। हमारे देश में सरकार द्वारा लोगो को साक्षर बनाने के लिए अनेक अभियान चलाये गये है। राजीव गांधी साक्षरता मिशन 1988, मिड डे मील योजना की शुरुवात 1995 में हुई, सर्व शिक्षा अभियान 2001- 2002 में शुरू किया गया, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना 2004 में शुरू हुई, प्रौढ़ शिक्षा योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना 2015 जैसी अनेक योजनाये सरकार ने शुरू की है।
2001 की जनगणना में पुरूष साक्षरता 75% प्रतिशत दर्ज की गई थी, जबकि महिला साक्षरता 53% प्रतिशत के अस्वीकार्य स्तर पर थी। 2011 की जनगणना से यह प्रकट होता है कि भारत ने साक्षरता में उल्लेखनीय प्रगति की है। भारत की साक्षरता दर 72.98 प्रतिशत है। पिछले दशक की समग्र साक्षरता दर में 8.14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह एक अच्छा संकेत है।
केरल (94%), लक्षद्वीप (91%) और मिजोरम (91%) सबसे अधिक की साक्षरता वाले राज्य बन गये है। मिजोरम, केरल, गोवा, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा महाराष्ट्र, सिक्किम मणिपुर, असम, और उत्तराखंड भारत के 10 सबसे अधिक साक्षर राज्य है।
जबकि उत्तर प्रदेश 24वे स्थान पर आता है। बिहार, राजस्थान, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, जम्मू कश्मीर और उड़ीसा भारत के निम्नतम साक्षर राज्य है।
निष्कर्ष CONCLUSION
हम सभी को “अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस” पूरे जोश और उल्लास के साथ मनाना चाहिये। शिक्षा के बिना कोई देश तरक्की नही कर सकता है। शिक्षा हमारे भीतर, देश और समाज में फैले अंधकार को दूर करती है। इसलिए सभी देशो को इस अंतर्राष्ट्रीय पर्व को मनाना चाहिये। भारत के लिए इस दिवस का महत्व और भी अधिक है क्यूंकि यहाँ अनेक बच्चे और वयस्क अनपढ़ है।
गरीबी, स्कूल में शौचालयों की कमी, लड़कियों से होनी वाली बलात्कार और छेड़छाड़ की घटनाये, जातिवाद, बेटियों की शिक्षा की तरफ माता- पिता की उदासीनता जैसे अनेक कारण है जिसकी वजह से आज देश शिक्षा में पीछे है। देश की सरकार और हर नागरिक का कर्तव्य है की व्यक्तिगत, सामुदायिक और समाज में साक्षरता बढ़ाने का अधिक से अधिक प्रयास करें।
Sir bhut axaa likha hai