पोंगल त्यौहार पर निबंध Essay on Pongal Festival in Hindi

इस लेख में पोंगल त्यौहार पर निबंध (Essay on Pongal Festival in Hindi) स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए लिखा गया है। इस लेख में पोंगल पर्व से जुड़े विभिन्न मुद्दों को शामिल किया गया है।

पोंगल त्यौहार पर निबंध Essay on Pongal Festival in Hindi

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जो अपनी विविधता के लिए जाना जाता है। जिस प्रकार की अनोखी विविधता में एकता इस देश में है, वह दुनिया के किसी भी देश में नहीं। रहन-सहन, रीति-रिवाजों इत्यादि से लेकर त्यौहारों तक पूरे देश में विभिन्नता है, जो हिंदुस्तान खूबसूरती है।

पोंगल त्यौहार क्या है? What is Pongal Festival in Hindi?

एक राज्य में मनाए जाने वाले त्योहारों को पूरे देश में मनाया तो जाता है, लेकिन उसके रिती रिवाज और नाम में बदलाव आ जाता है। यदि दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध त्योहार पोंगल की बात करें, तो यह देश के लगभग सभी राज्यों में मनाया जाता है। 

पोंगल का अन्य प्रसिद्ध नाम मकर संक्रांति भी है। अन्य राज्यों में पोंगल के त्योहारों को उत्तरायण, लौहड़ी, माघी, खिचड़ी, माघ बिहू इत्यादि के नाम से पहचाना जाता है।

पोंगल का इतिहास हजारों साल पुराना है। दक्षिण भारत में पोंगल के त्यौहार को बहुत महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। यह दिन किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिसके कारण इसे फसलों का त्योहार भी कहा जाता है। विशेषकर दक्षिण भारत में तमिल समुदाय के लोगों के लिए पोंगल का त्यौहार बहुत खास होता है।

उत्तर भारत में जिस तरह नए वर्ष की शुरुआत चैत्र प्रतिपदा से होती है, उसी तरह पोंगल को दक्षिण भारत का नववर्ष का शुरुआत माना जाता है। पोंगल कुल चार दिनों का उत्सव होता है, जब बहुत सारे धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन करके इस उत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

पोंगल त्यौहार क्यों मनाया जाता है? Why is Pongal Festival Celebrated in Hindi

तमिल में पोंगल का अर्थ होता है, उफान अथवा उबालना। पोंगल त्यौहार के साथ कई प्राचीन मान्यताएं जुड़ी हैं।

प्राचीन काल में चोल वंश के राजा कुलोत्तुंग प्रथम द्वारा द्वारा निर्मित विष्णु भगवान के वीरराघव मंदिर के शिलालेखों पर पोंगल त्योहार का वर्णन मिलता है। ऐसे कई साक्ष्य हैं, जिन्हें पोंगल के इतिहास के रूप में संभाल कर रखा गया है।

इस त्यौहार के पीछे एक पौराणिक मान्यता भगवान श्री कृष्ण से संबंधित है। ऐसा माना जाता है, कि जब इंद्र को अपने पद का घमंड हो गया था, तब स्वयं को वे तीनों लोकों का स्वामी समझने लगे थे। 

उस दौरान जब भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया तब तक इंद्रदेव का अभिमान सातवें आसमान पर पहुंच चुका था। श्री कृष्णा ने इंद्रदेव को सबक सिखाने के लिए गोवर्धन पूजा का आयोजन किया। 

इस गोवर्धन पूजा में एक विशाल पर्वत जिसका नाम गोवर्धन था, केवल उनकी ही पूजा की जानी थी। इंद्रदेव ने इस पूजा में स्वयं का अपमान समझा। उनका मानना था, कि देवों के राजा होने के पश्चात भी उनकी पूजा करने के बजाए एक पर्वत की पूजा की जा रही थी।

फिर क्या था इंद्रदेव ने क्रोधित होकर मथुरा वासियों पर अपना कहर बरसा दिया और घनघोर काले बादलों और कड़कती बिजली को मथुरा पर बरसा कर चारों तरफ तबाही मचा दी। 

इंद्रदेव से मथुरा वासियों को बचाने के लिए बाल श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी नन्हीं उंगली पर उठा लिया। इंद्रदेव के अभिमान को बहुत धक्का लगा इसके बाद वे और भी उग्रता से तबाही मचाने लगे। लेकिन भगवान श्री कृष्ण के आगे किसकी चलनी थी। 

अंत में देवेंद्र को अपने किए पर पछतावा हुआ और वे धरती पर श्री कृष्ण से क्षमा मांगने पहुंच गए। जिसके बाद श्री कृष्ण ने उन्हें माफ कर दिया और मथुरा वासियों और मवेशियों के साथ पुनः कृषि का कार्य प्रारंभ कर दिया।

पोंगल त्योहार से जुड़ी दूसरी सुप्रसिद्ध कथा भगवान शिव और उनके सेवक बैल से संबंधित है। कहा जाता है, कि पृथ्वी लोक के कल्याण के लिए भगवान शिव ने बसवा अथवा बैल द्वारा एक संदेश भेजा था, जिसमें उन्होंने कहा की पृथ्वी पर जाकर सभी को यह संदेश दो की उन्हें रोज-रोज तेल से स्नान करना चाहिए तथा महीने में केवल एक बार भोजन करना चाहिए। 

किन्तु बसवा भगवान शिव का यह संदेश अच्छे से नहीं समझ पाया और इसके विपरीत संदेश पृथ्वी वासियों को दे दिया, कि महीने में एक बार तेल से स्नान करना चाहिए तथा प्रतिदिन भोजन करना चाहिए।

बसवा के इस भूल से शिव बड़े क्रोधित हुए और उन्होंने बैल को सदैव के लिए पृथ्वी लोक पर जाकर अन्न उपजाने अथवा खेती करने का आदेश दे दिया। इसके बाद से आज तक बैल जैसे मेहनती पशुओं की सहायता से खेती की जाती है।

पोंगल त्यौहार का महत्व Significance of Pongal Festival in Hindi

पोंगल का त्यौहार सीधे सूर्य से संबंधित है। यह त्यौहार ऐसे समय में पड़ता है, जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है। जिसके बाद से फसलों की उपज बहुत अच्छी हो जाती है। 

खासकर किसानों के लिए पोंगल का त्यौहार बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस दिन सभी किसान कृषि में सहयोग करने वाले पशुओं को पूजते हैं और फसलों की कटाई के खुशी में जश्न मनाते हैं।

इसके अतिरिक्त पोंगल का संबंध देवताओं से भी माना जाता है। हर साल जनवरी के महीने में पोंगल का त्यौहार 4 दिनों तक मनाया जाता है। पोंगल का त्योहार तमिलनाडु के साथ ही केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक इत्यादि में बेहद प्रसिद्ध त्योहार है। 

भारतीय संस्कृति में गायों को भगवान का दर्जा दिया जाता है, जिसके कारण पोंगल त्योहार के दिन कृषि में सहायक गाय और अन्य पशुओं को प्रसाद चढ़ाकर उनकी सेवा की जाती है।

इस दिन परंपरागत घर में विशेष प्रकार की पूजा-पाठ और अनुष्ठानों को किया जाता है। पोंगल का यह त्यौहार जीवन में प्रकाश का आगमन माना जाता है, जब धरती के साथ-साथ लोगों के जीवन में भी कई महत्वपूर्ण बदलाव होते हैं। 

पोंगल त्योहार को नव वर्ष के रूप में देखा जाता है। नव वर्ष सदैव ही अपने साथ सकारात्मक भावना और एक नई शुरुआत लेकर आता है। सभी लोग मिलकर अपने अंदर की बुराइयों का त्याग करने की प्रतिज्ञा करते हैं।

दक्षिण भारत में मनाए जाने वाले पोंगल त्योहार को बहुत महत्व दिया जाता है। यहां बड़ी तादाद में खेती की जाती है। 

क्योंकि पोंगल को कृषि का त्यौहार भी कहा जाता है, इसलिए किसानों में इस दिन बहुत प्रसन्नता देखी जाती है। ऐसा माना जाता है, कि इस विशेष दिन पर ईश्वर उन्हें जीवन में तरक्की करने के लिए आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

पोंगल कब है? When is Pongal? 2023

पोंगल त्योहार हर साल मकर संक्रांति त्योहार के आसपास मनाया जाता है। यह पर्व लगभग 4 दिनों तक चलता है। पोंगल का मुख्य उत्सव पौष मास की प्रतिपदा को मनाया जाता है।

हर वर्ष जनवरी महीने में 14 या 15 तारीख को ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक पोंगल त्यौहार मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक इस साल पौष माह में 15 जनवरी रविवार के दिन से पोंगल त्योहार शुरू होगा और 18 जनवरी बुधवार तक मनाया जाएगा।

पोंगल त्यौहार कैसे मनाते हैं? How to Celebrate Pongal festival in Hindi

भारतीयों के साथ ही दुनिया के विभिन्न देशों में रहने वाले लोग पोंगल के त्यौहार को बड़े ही आनंद के साथ मनाते हैं। पोंगल का यह त्यौहार कुल 4 दिनों तक मनाया जाता है जिनमें- भोगी पोंगल, सूर्य पोंगल, मट्टू पोंगल और कनुम पोंगल का समावेश होता है।

भोगी पोंगल Bhogi Pongal

पोंगल का पहला दिन भोगी पोंगल कहलाता है। इस दिन विशेषकर वर्षा के राजा इंद्रदेव की पूजा की जाती है। फसलों के अच्छी उपज के लिए वर्षा की आवश्यकता होती है। 

लोगों का मानना है, कि यदि इंद्रदेव को प्रसन्न कर दिया जाए, तो अच्छी वर्षा के कारण पूरे साल फसलों की उपज बेहद अधिक और अच्छी होगी। क्योंकि देवेंद्र भोग विलास के देव माने जाते हैं, इसीलिए उन्हें प्रसन्न करने के लिए कई रिती रिवाज के साथ कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

इस दिन लोग अपने पुराने और बेकार चीजों को इकट्ठा करके जलाते हैं। भविष्य में आगे बढ़ने के लिए भूतकाल को पीछे छोड़ना जरूरी होता है, जिसके कारण तमिल लोग यह कार्यक्रम आयोजित करते हैं। 

इस विशेष दिन के अवसर पर भोगी पल्लू नामक समारोह आयोजित किया जाता है। इस दिन गायों और बैलों के सींग को नुकीला बनाकर उन्हें, तेल से नहलाया जाता है तथा चित्रकारी की जाती है। इस दिन सभी लोग प्रातः काल उठकर स्नान करने के पश्चात नए कपड़े पहनते हैं और भगवान की पूजा करते हैं।

सूर्य पोंगल Surya Pongal

सूर्य पोंगल यह पोंगल त्योहार का दूसरा दिन होता है, जिसे पेरूम पोंगल भी कहा जाता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि यह दिन भगवान सूर्य को अर्पित है। 

तमिल कैलेंडर के ताई माह का पहला दिन सूर्य पोंगल होता है, जिसे मकर संक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। 

सूर्य पोंगल के दिन सभी लोग अपने सगे संबंधियों के साथ मिलकर पारंपरिक रिवाज से मिट्टी के बर्तन में सूर्य के धूप के समक्ष तरह-तरह के पकवान तैयार करते हैं। इन बर्तनों के सजावट के लिए हल्दी के पौधे अथवा पुष्पों की माला का प्रयोग किया जाता है।

जिस जगह भोजन तैयार हो रहा हो, वहां चूल्हे के आसपास लंबे गन्नों के ठंडल रखे जाते हैं। रिवाजों के अनुसार पकवान तैयार करने के लिए बर्तन में दूध को उबाला जाता है और जब दूध पूरी तरह से गर्म हो जाए, तब उसमें ताजे चावल और मिठास के लिए चीनी डाला जाता है। 

जब यह पकवान बन कर तैयार हो जाता है और बर्तन से बाहर उबलने लगता है, तब पारंपरिक रूप से “संगगु” नमक शंख बजाया जाता है और अन्य लोग मिलकर ‘पोगालों पोंगल’ कहकर चिल्लाते हैं।

हमारी संस्कृति के अनुसार यदि बर्तनों में से दूध से बनी हुई कोई खाद्य सामग्री यदि उबल कर बहती है, तो इसे बहुत शुभ माना जाता है और आने वाले समय के लिए मंगलकारी भी कहा जाता है। 

तैयार किए गए इस प्रसाद को परिवार के साथ साथ आस-पड़ोस में साझा किया जाता है। यह प्रसाद ग्रहण करने से पहले लोग मवेशियों अथवा गाय भैंसों को प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं, जिसके बाद ही स्वयं ग्रहण करते हैं।

इस दिन सभी लोग अपने घरों को अच्छी तरह साफ-सुथरा करके आम और केले के पत्तों से सजाते हैं। घर की महिलाएं इस दिन प्रवेश द्वार पर रंगीन आटे की सहायता से सुंदर रंगोलियां भी बनाती है।

मट्टू पोंगल Mattu Pongal

पोंगल का तीसरा दिन मट्टू पोंगल कहलाता है। मट्टू का अर्थ होता है- मवेशी जिनमें गाय, भैंस और बैल इत्यादि का समावेश होता है। इस दिन तमिल हिंदू अपने पालतू मवेशियों को फूल मालाओं से सजाते हैं और उनके सिंहो पर सुंदर कला कृतियां बनाते हैं। 

इस दिन लोग बैलों और गायों को विशेष प्रकार का भोजन चढ़ाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। यह दिन विशेष कर कृषि में सहायक पशुओं के लिए होता है, जब लोग अपने मवेशियों को सजा कर उन्हें गुड़, शहद, हल्दी, फल इत्यादि का भोजन करवाते हैं।

मट्टू पोंगल के दिन पशुओं को नहला कर उनकी कृषि में सहायता के लिए धन्यवाद किया जाता है और उनकी पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन कई सामाजिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहते हैं। 

जल्लीकट्टू यह विश्व प्रसिद्ध कार्यक्रम होता है, जो इस प्रमुख त्योहार के दिन आयोजित किया जाता है। जल्लीकट्टू एक खेल होता है, जिसमें पशुओं को दौड़ाया जाता है। इस खेल को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते ही।

कनुम पोंगल Kanum Pongal

त्योहार का चौथा दिन कनुम पोंगल कहलाता है, जिसे कानू पोंगल कहकर भी संबोधित किया जाता है। कनुम का अर्थ होता है- यात्रा करना। यह दिन पारिवारिक मिलन का दिन होता है, जब सभी लोग आपस में मिलकर अपने रिश्ते को मजबूत करते हैं। 

\कनुम पोंगल के दिन ताजे गन्ने को काटकर खाने का पुराना रिवाज है। इस दिन सभी लोग अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं।

इस दिन गृहणियां और बालिकाएं अपने घरों के बाहर हल्दी के पौधे का बना हुआ पत्ता रखती हैं, जिस पर सूर्य पोंगल के दिन बनाया गया बचा हुआ प्रसाद पक्षियों के लिए रखा जाता है। यह पोंगल त्यौहार का आखरी दिन होता है, जब लोग आपसी सौहार्द और भाईचारा को और भी मजबूत करते हैं।

पोंगल त्यौहार के प्रमुख पकवान और खान-पान Main dishes and food of Pongal festival in Hindi

पोंगल के पवित्र त्यौहार का महत्वपूर्ण हिस्सा इस दिन तैयार किए जाने वाले विशिष्ट प्रकार के व्यंजन इत्यादि होते हैं। इस दिन दूध को उबालकर उसमें गन्ने से बनी हुई चीनी डाला जाता है तथा प्रसाद तैयार करके पूरे समुदाय में बांटकर खाया जाता है।

त्योहार के इस अवसर पर विभिन्न प्रकार की स्वादिष्ट मिठाइयां तैयार की जाती हैं, जिनमें काजू, बादाम, इलायची इत्यादि मेवे को डालकर उसे और भी स्वादिष्ट बनाया जाता है। त्योहार पर मीठी खाद्य सामग्री बनाने का बहुत पुराना रिवाज भारत में चलता आया है, जिसके कारण इस त्यौहार के दिन भी मीठे व्यंजन तैयार किए जाते हैं।

पोंगल त्यौहार के प्रमुख पकवान और खान-पान Main dishes and food of Pongal festival in Hindi

इस दिन महिलाएं एक साथ मिलकर प्रसाद तैयार करती हैं, जिन्हें सूर्य की रोशनी के सामने बर्तन में बनाया जाता है। इन बर्तनों को विशेष प्रकार से आम और केले के पत्तों से सजाकर रखा जाता है तथा चूल्हे के चारों तरफ ताजे गन्ने रखे जाते हैं। 

देवी-देवता को समर्पित करने के पश्चात सभी लोग इन स्वादिष्ट पकवानों का लुफ्त उठाते हैं। पोंगल के त्योहार में महिलाएं कई बार शहर के मुख्य स्थल पर या किसी मंदिर के सामने जाकर सामाजिक कार्यक्रम के रूप में प्रसादी तैयार करती हैं, जिन्हें गुतिरेज कहा जाता है। 

यह फसलों का त्योहार है, इसीलिए सभी किसान मिलकर इस दिन अपनी फसलों को मंदिरों में चढ़ाते हैं और आने वाले समय के लिए मंगलकामनाएं करते हैं।

पोंगल त्यौहार पर 10 लाइन 10 Line on Pongal Festival in Hindi

  1. तमिल भाषा में पोंगल का अर्थ होता है- उफान अथवा उबालना।
  2. पोंगल त्यौहार दक्षिण भारत में सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है।
  3. पोंगल त्योहार कुल चार दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें पहला दिन भोगी पोंगल, दूसरा सूर्य पोंगल, तीसरा मट्टू पोंगल तथा चौथा कनुम पोंगल होता है।
  4. भारत के अन्य राज्यों में पोंगल को मकर संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है।
  5. यह त्यौहार फसलों की कटाई का त्यौहार होता है, जब सभी किसान अपने मवेशियों और देवी-देवताओं की पूजा करते हैं।
  6. जल्लीकट्टू का विश्व प्रसिद्ध खेल पोंगल के तीसरे दिन, मट्टू पोंगल के दिन आयोजित किया जाता है।
  7. भारत के बाद श्रीलंका में पोंगल का त्यौहार सबसे प्रसिद्ध त्योहारों है।
  8. तमिल सौर कैलेंडर के मुताबिक पोंगल त्योहार ताई महीने के प्रारंभ में मनाया जाता है।
  9. पोंगल त्योहार सनातन धर्म के सबसे प्राचीनतम त्योहारों में से एक है।
  10. पोंगल को फसल कटाई का त्योहार भी कहा जाता है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने हिन्दी में पोंगल त्यौहार पर निबंध (Essay on Pongal Festival in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो और जानकारी से भरपूर लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

1 thought on “पोंगल त्यौहार पर निबंध Essay on Pongal Festival in Hindi”

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.