ऊष्मीय या थर्मल प्रदूषण पर निबंध Essay on Thermal Pollution in Hindi

ऊष्मीय या थर्मल प्रदूषण पर निबंध Essay on Thermal Pollution in Hindi

थर्मल प्रदूषण किसी भी प्रक्रिया से पानी की गुणवत्ता का क्षरण है जो परिवेश के तापमान को बढ़ाता है। जिससे तापमान में ब्रद्धि होती है।

  • (भंग ऑक्सीजन) Dissolved oxygenऑक्सीजन की आपूर्ति घट जाती है।
  • पारिस्थितिक तंत्र संरचना को प्रभावित करता है।

ऊष्मीय या थर्मल प्रदूषण पर निबंध Essay on Thermal Pollution in Hindi

स्रोत Sources

1. उद्योग Industrial

थर्मल प्रदूषण का एक सामान्य कारण बिजली संयंत्रों और औद्योगिक निर्माताओं द्वारा शीतलक(Coolant) के रूप में पानी का उपयोग करने से होता है:

  1. हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पॉवर प्लांट्स
  2. कोयला चालित विद्युत संयंत्र
  3. परमाणु ऊर्जा संयंत्रों
  4. बिजली, वस्त्र, कागज और लुगदी उद्योगों से औद्योगिक अपशिष्ट

2. शहरी अपवाह Urban runoff

गर्मियों के मौसम में, शहरी बहावों के छोटे जल स्रोतों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि पानी, बहुत गर्म हो कर पार्किंग के स्थलों, सड़कों और राहगीरों के लिए चलने वाले जगहों से होकर बहता है।

3. घरेलू सीवेज Domestic sewage

नगर सीवेज में भी आम तौर पर उच्च तापमान होता है जो नालियों के माध्यम से हो कर नदी और नेहरों में बहता है।

प्रभाव Effect

तापमान गर्म होने से जल में ऑक्सीजन की विलेयता कम हो जाती है और जिससे मछली के चयापचय में वृद्धि होती है। उष्णकटिबंधीय समुद्री जानवर आम तौर पर 2 से 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान में वृद्धि करने में असमर्थ होते हैं और अधिकांश स्पोंजेस, मोलस्क और क्रस्टेशियंस 370 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान में उनकी मृत्यु हो जाती हैं।

जब एक बिजली संयंत्र मरम्मत अथवा अन्य कारणों से खोला या बंद किया जाता है, तो इसकी वजह से मछलियां और अन्य तरह के जीवाणु जो की एक विशेष प्रकार के तापमान के आदि होते हैं, अचानक तापमान में हुई बढ़ोतरी से मर जाते हैं, इसे ‘थर्मल झटका’ (Thermal shock) कहा जाता है।

थर्मल प्रदुषण के कुछ मुख्य प्रभाव –

1. बड़ा हुआ तापमान आमतौर पर पानी में उपस्थित ऑक्सीजन (Dissolved oxygen) के स्तर को कम करता है। भंग ऑक्सीजन के स्तरों में कमी मछली और उभयचर जैसे जलीय जानवरों को नुकसान पहुंचा सकती है।

2. थर्मल प्रदूषण में जलीय जानवरों की एंजाइम गतिविधि के रूप में,चयापचय की दर बढ जाती है,परिणामतः जीवाश्म अल्प समय में ज्यादा खाद्य पदार्थ सेवन करने लगते हैं,जो की वे नहीं करते अगर पर्यावरण में बदलाव ना हुआ होता। चयापचयी की प्रक्रिया में बदलाव के कारण खाद्य पदार्थ में कमी होते जा रही है। ऑस्ट्रेलिया में,जहां कई नदियों में गर्म तापमान है वहां देशी मछली प्रजातियों का सफ़ाया हो चुका है,मैक्रो अकशेरुकी जीव भी काफी बदल गये है और वह अपनी शक्ति खो रहे है।

3.  बढ़े हुए चयापचय दर के कई कारण हो सकते हैं। इसी प्रकार वे मछलियां भी अपना घर बदल सकती हैं और वहां जा सकती है जहाँ सिर्फ उष्म जल हो जो की उनके रहने के अनुकूल हों। ऐसे में यह स्थिति अल्प अंतर में उपलब्ध संसाधनों के लिए होड़ की स्थिति पैदा करती है,उनसे ज्यादा अनुकूलित जीवाणुओं को लाभ होता है। इस कारण पुराने और नए पर्यावरण में उपलब्ध खाद्य पदार्थ की श्रृंखला में समझौता करना पड़ता है। यह स्थिति जैविक भिन्नता को कम कर सकती है।

4. जलाशयों में अप्राकृतिक रूप से ठंडे पानी की कमी , मछली के जनजीवन पर प्रभाव डाल सकती है। जो नदियों के मैक्रो अपिटेब्रेटिक जीवों, और नदी उत्पादकता को कम करते हैं।

5. विषाक्तता में वृद्धि बढ़ते तापमान पानी के भौतिक और रासायनिक गुणों को बदलता है। तापमान में 100 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि पोटेशियम साइनाइड के विषाक्त प्रभाव को दोगुना करता है।

6. प्रजनन के साथ हस्तक्षेप जैसे कई गतिविधियां, मछलियों में,  घोंसले का निर्माण, फसल, अंडे सेने, प्रवास और प्रजनन आदि। जो कि एक अनुकूल तापमान पर निर्भर करती हैं। ऐसे में सही तापमान ना होने के पर अंडे नष्ट हो जाते हैं।

7. बीमारी के लिए भेद्यता में वृद्धि कई रोगजनक सूक्ष्मजीवों की  उच्च तापमान के कारण ब्रद्धि होती है। पानी के तापमान में बदलाव मछली में बैक्टीरिया रोग का कारण बनता है।

8. विनाशकारी जीवों पर आक्रमण थर्मल प्रदूषण जीवों पर आक्रमण की अनुमति देता है, जो गर्म पानी और अत्यधिक विनाशकारी हैं। न्यू जर्सी के ओएस्टर क्रीक में जहाज की नदियों पर आक्रमण का सबसे अच्छा उदाहरण है।

9. कई प्लैक्टन, छोटी मछली और कीट लार्वा को कंडेनसर में ठंडा पानी के साथ आ जाते है ये थर्मल दवाव के कारण नष्ट हो जाती है।

कैसे नियंत्रित करें? How to control?

गर्म पानी संघनक से बाहर आए, तो उसे पहले शीतलन तालाब(cooling pond) या शीतलन स्तंभ(cooling tower) से गुजारकर ताप प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।

1. यह गर्मी हवा में बिखर जाती है और फिर पानी को नदी में छोड़ा जा सकता है या संयंत्र में ही शीतलन के लिए दोबारा प्रयोग किया जा सकता है। ताप प्रदूषण घटाने के दूसरे अनेक उपाय भी हैं। एक उपाय एक बड़े और छिछले तालाब का निर्माण करना है। गर्म पानी पंप के द्वारा तालाब में एक ओर से  छोड़ा जाता है और ठंडा पानी दूसरी ओर से निकाल लिया जाता है। गर्मी तालाब से निकलकर वायुमंडल में बिखर जाती है।

2. शीतलन स्तंभ का उपयोग एक और उपाय है। ऐसे ढाँचे तालाब से कम जगह घेरते हैं। यहाँ अधिकांश गर्मी वाष्पन के द्वारा स्थानांतरित होती है। संघनक से आनेवाला गर्म पानी नीचे ऊर्ध्व चादरों या अवरोधकों पर छिड़का जाता है और तब यह पानी पतली फिल्मों के रूप में नीचे आता है।

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