महाभारत की कहानियाँ हिन्दी में Mahabharat Stories in Hindi

इस लेख में पढ़ें महाभारत की कहानियाँ या मुख्य कथाएं हिन्दी में (Mahabharat Stories in Hindi). उदाहरण के लिए अर्जुन और चिड़िया की आंख, गीता उपदेश, भीष्म पितामह, महाभारत की स्टोरी।

महाभारत कथा क्या है? What is Mahabharat Story in Hindi?

महाभारत कथा प्राचीन भारत का रामायण के जैसा ही एक महाकाव्य है। महाभारत महाकाव्य का मूल रूप संस्कृत भाषा में है जिसे महाभारतम् कहा जाता है। इस महाकाव्य का नाम महाभारत इसलिए पड़ा क्योंकि इसमें भारत के प्राचीन इतिहास का सबसे बड़े युद्ध का वर्णन किया गया है जो कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था।  

महाभारत के दौरान ही  भगवान श्री कृष्ण ने गीता के उपदेश अर्जुन को दिए थे। महाभारत में पुरुषार्थ, दमयंती की  कथा, और साथ में रामायण का एक दूसरा रूप का वर्णन भी इसमें किया गया है।

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आईये शुरू करते हैं – महाभारत की अनसुनी कहानियां भाग में

महाभारत की कहानियाँ जो पूर्ण महाभारत की कथा को बताते हैं 11 Best Mahabharat Stories in Hindi…

1. अर्जुन और चिड़िया की आँख कहानी Arjun and the Bird’s Eye Story in Hindi

एक बार की बात है, द्रोणाचार्य को कौरव दुर्योधन मैं हमेशा अर्जुन का पक्ष लेने का प्रश्न उठाया। तब द्रोणाचार्य ने दुर्योधन के प्रश्न का जवाब देने के लिए सबसे एक परीक्षा लिया।  द्रोणाचार्य ने एक लकड़ी की चिड़िया को एक पेड़ की डाली पर रख दिया।

सबसे पहले द्रोणाचार्य ने जेष्ठ भाई युधिष्ठिर से प्रश्न किया – युधिष्ठिर तुम्हें पेड़ पर क्या दिखाई दे रहा है?  युधिष्ठिर ने उत्तर दिया – गुरु जी मुझे पेड़ पर वह लकड़ी की चिड़िया, टहनियां,  पत्ते और कुछ अन्य चिड़िया दिख रहे हैं।

तभी द्रोणाचार्य जी ने युधिष्ठिर को निशाना लगाने के लिए मना कर दिया। इसी प्रकार द्रोणाचार्य जी ने एक-एक करके सबसे एक ही प्रश्न पूछा कि उन्हें पेड़ पर क्या दिखाई दे रहा है?  परंतु किसी को फिर नजर आता तो किसी को डाली नजर आती या फिर किसी को पास में दूसरा पेड़।

जब द्रोणाचार्य मैं अर्जुन से प्रश्न किया – अर्जुन तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है?  तभी अर्जुन ने उत्तर दिया गुरु जी मुझे तो बस चिड़िया की आंख दिखाई दे रही है, सिर्फ आंख।  गुरुजी खुश हुए और उन्होंने अर्जुन को तीर चलाने के लिए कहा। अर्जुन ने धनुष से निशाना साधा और तीर छोड़ दिया।  तीर सीधा जा कर उस लकड़ी की चिड़िया की आंख में जाकर लगी।

2. एकलव्य की गुरु दक्षिणा कहानी Eklavya’s Guru Dakshina Story in Hindi

एकलव्य एक आदिवासि बालक था जो गुरु द्रोणाचार्य से तीरंदाजी सीखना चाहता था। परन्तु एकलव्य छोटी जाती होने के कारन गुरु द्रोणाचार्य ने तीरंदाजी सिखाने से मना कर दिया। परन्तु एकलव्य किसी भी प्रकार से तीरंदाजी सीखना चाहता था इसलिए उसने द्रोणाचार्य की प्रेरणा के रूप में एक मिटटी की मूर्ति स्थापित की और दूर से गुरु द्रोणाचार्य को देख कर तीरंदाजी सिखने लगा।

बाद में एकलव्य, अर्जुन से भी बेहतरीन तीरंदाज बन गए। जब गुरु द्रोणाचार्य को इसके विषय में पता चला तो उन्होंने गुरु दक्षिणा के रूप में एकलव्य का अंगूठा काटने को कहा। एकलव्य इतना महान था की यह जानते हुए भी की अंगूठा काटने पर वह जीवन में और धनुष का उपयोग नहीं कर पायगा उसने अपने अंगूठे को गुरु दक्षिणा के रूप में काट दिया।

3. द्रौपदी विवाह की कहानी Story of Draupadi Marriage in Hindi

द्रुपद अपनी बेटी द्रोपदी का विवाह अर्जुन से करवाना चाहते थे परंतु जब उन्हें पता चला की वारणावत में पांचों पांडवों की मृत्यु हो गई है तो उन्होंने द्रोपदी को दूसरे पति का चुनाव करने के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन किया।

प्रतियोगिता में एक कुएं में एक मछली को छोड़ दिया गया था और प्रतियोगिता के अनुसार एक दूसरे प्रतिबिंब में उस मछली को देख कर निशाना लगाना था। प्रतियोगिता में बहुत बड़े-बड़े राजा महाराज आए थे परंतु सभी इस कार्य में असफल रहे। जब कर्ण ने कोशिश करना चाहा तो द्रोपदी ने कोशिश करने से पहले ही से कर्ण से विवाह करने से इंकार कर दिया और कहां मैं एक सारथी के पुत्र से विवाह नहीं करूंगी।

तभी पांचो पांडव ब्राह्मण के रूप में वहां पहुंचे और अर्जुन नेप्रतिबिंब में देखते हुए मछली को तीर से मारा और प्रतियोगिता को जीत लिया। उसके बाद द्रोपदी का विवाह अर्जुन से हो गया।  जब वह पांचो पांडव घर अपनी माता कुंती के पास पहुंचे तो उन्होंनेकहां की अर्जुन  को एक प्रतियोगिता में एक फल कीप्राप्ति हुई है।  यह सुनकर कुंती ने उत्तर दिया जो भी फल है सभी भाई समान भागों में बांट लो।  ऐसा होने के कारण ही द्रोपदी के पांचों पांडवों की पत्नी के रूप में माना जाता है।

पढ़ें: रामायण सीता हरण की पूर्ण कथा

4. अभिमन्यु और चक्रव्यूह की कहानी Story of Abhimanyu and Chakravyuh in Hindi

अभिमन्यु धनुर्धारी अर्जुन के पुत्र और भगवान श्री कृष्ण के भतीजे थे। महाभारत के अनुसार जब अभिमन्यु अपनी  माता की कोख में थे तभी उन्होंने अपने पिता अर्जुन से चक्रव्यू को तोड़ना सीख लिया था। अभिमन्यु बहुत ही शक्तिशाली और निडर योद्धा था।

अभिमन्यु ने 12 दिन तक लगातार  निडरता से युद्ध किया और 13 दिन द्रोणाचार्य द्वारा बनाए गए चक्रव्यूह को अभिमन्यु ने तोड़ दिया और कौरवों की सेना को कई हद तक ध्वंस कर दिया। परंतु अपनी मां के पेट में रहते समय अभिमन्यु ने यह तो सुना था कि चक्रव्यूह को तोड़ा कैसे जाता है परंतु उसे यह नहीं पता था चक्रव्यूह से निकलते कैसे हैं इसीलिए अंत में कौरवों ने चक्रव्यू के अंदर अभिमन्यु को घेर कर समाप्त कर दिया।

5. हिडिंबा और भीम की कहानी Hidimba and Bheem Story in Hindi

हिडिंबा एक  आदमखोर  रक्षासनी थी  जिसने पांडवों को मार डालने की कोशिश की थी परंतु भीम ने उसे परास्त कर दिया। बाद में भीम ने हिडिंबा की बहन हिडिंबी से विवाह किया था जिससे उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम था घटोत्कच जिसने महाभारत के युद्ध में अपनी अच्छी भूमिका निभाई थी।

6. कर्ण के जन्म की कहानी Story of Karna’s birth in Hindi

महाभारत कथा में कर्ण की भूमिका बहुत ही अहम है।  कर्ण भी माता कुंतीकहीं पुत्र थे जो सूर्य भगवान के आशीर्वाद से हुए थे।   उस समय कुंती का विवाह पांडू से नहीं हुआ था जिसके कारण माता कुंती को इस बात का भय हुआ कि लोग बच्चे के विषय में क्या पूछेंगे इसलिए उन्होंने करण को एक टोकरी में डाल कर  नदी के पानी में बहा दिया।   

वह शिशु बाद में अधिरथ और राधा को मिला जिन्होंने उन्हें बड़ा किया। कर्ण भीअर्जुन की तरह ही महान धनुर्धर थे।  कर्ण को महान दान वीर के रूप में जाना जाता है।

पढ़ें: रामायण की पूर्ण कहानी हिन्दी में

7. भीष्म पितामह के पांच बाण Five arrows of Bhishma Pitamah Mahabharat Story in Hindi

महाभारत का युद्ध चल रहा था और भीष्म पितामह कौरवों की ओर से लड़ रहे थे। तभी दुर्योधन उनके पास आया और उसने अपने हारते हुए सेना का बखान करते हुए कहा – की आप अपनी पूरी ताकत से युद्ध नहीं लड़ रहे हैं।  

यह सुनकर भीष्म पितामह का बहुत ही बुरा और गुस्सा आया और उन्होंने उसी समय 5 सोने के तीर निकालें और कुछ मंत्र पढ़ते हुए दुर्योधन से कहा की इन 5 तीरों की मदद से कल सुबह मैं पांडवों को खत्म कर दूँगा। परंतु भीष्म पितामह की बातों  पर दुर्योधन को भरोसा नहीं हुआ और उसने वह पांच तीर अपने पास रख लिए।

जब श्रीकृष्ण को इसके विषय में पता चला तो श्री कृष्ण में अर्जुन को बुलाया और कहा कि तुम दुर्योधन के पास जाकर वह पांच तीर मांग लो जो तुम्हारे विनाश का कारण बन सकते हैं।  वह दिन याद करो जब तुमने दुर्योधन को गंधर्व से बचाया था उसके बदले दुर्योधन ने तुम्हें कहा था कि कोई भी चीज जान बचाने के लिए मांग लो अब वह समय आ गया है की तुम वह  इन 5 तीरों को मांग लो।

अर्जुन गए और उन्होंने दुर्योधन से वह तीर मांगे और वह बचपन याद दिलाया। एक क्षत्रिय होने के नाते दुर्योधन को  वह 5 तीर अर्जुन को देने पड़े।

8. गीता सार की कहानी Gita Saar Story in Hindi

यह बात तो सत्य है की महाभारत की सबसे मुख्य कहानी गीता सार है जो भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध क्षेत्र के मध्य में सुनाया था। भले ही अर्जुन को युद्ध के लिए प्रेरित करने के लिए श्री कृष्ण ने गीता के उपदेश दिए परन्तु असली में जीवन के हर एक प्रश्न का उत्तर है भगवद गीता।

जो व्यक्ति आज भी गीता के हर एक चीज को पढ़ ले वह जीवन में हर प्रश्न का उत्तर दे सकता है। गीता मनुष्य को यह सिख देता है की भगवान् पर सबकुछ छोड़े बिना हमें अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए यह संसार की रित है।

9. दान वीर कर्ण Generous Bheem Story in Hindi

कर्ण दान वीर के नाम से बहुत प्रसिद्ध हैं।  कर्ण जब महाभारत के युद्ध क्षेत्र में अपनी आख़िरी सांसें ले रहे थे तब भगवान् श्री कृष्ण ने उनकी अंतिम परीक्षा लेने के लिए एक गरीब ब्राह्मण के रूप में कर्ण के पास पहुंचे।

उसके बाद उन्होंने कर्ण से पुचा – सुना है आपको दान वीर कर्ण कहा जाता है क्या आप सच में दान वीर हैं। यह सुन कर कर्ण ने उत्तर दिया आप जो चाहें वह मान लीजिये।  तब उन्होंने सोना माँगा। ब्राह्मण ने जवाब दिया कि मैं इतना भी बुरा इंसान नहीं की मैं तुम्हारे दांत तोडू।

कर्ण ने उसी वक्त एक पत्थर को उठाकर अपने दांत तोड़ दिया और सोने के दांत को लेने के लिए कहा। ब्राह्मण के रूप में श्रीकृष्ण ने दोबारा कहा – मैं खून से सना हुआ सोना नहीं ले सकता हूँ।  तभी कर्ण ने बाण उठाया और आकाश की और मारा और वहां से वर्षा होने लगी और सोना धुल गया।

10. द्रौपदी चीर हरण की कहानी Draupadi Cheer Haran Mahabharat Story in Hindi

कौरव की ओर से शकुनी मामा के चाल के कारण पांडवों ने अपना सबकुछ पासों के खेल में खो दिया। अपने राज्य को किसी भी तरह वापस पाने के लिए पांडवों ने अंत में द्रौपदी तक को दाव पर लगा दिया और वह द्रौपदी को भी पासों के खेल में हार गए।

जब द्रोपदी को भी पांडव हस्तिनापुर में पासों के खेल में हार गये तब दुर्योधन ने छोटे भाई दुशासन को रानी द्रौपदी को दरबार में लाने के लिए कहा। तभी दुशासन द्रौपदी के पास गया और उनके बालों को पकड़कर खींचते हुए दरबार में लेकर आया। सभी कौरवों ने मिलकर द्रौपदी का बहुत अपमान किया।

दुर्योधन ने उसके बाद अपने भाई को भरी सभा में द्रौपदी का चीर हरण या निर्वस्त्र करने को कहा।  दुशासन ने बिना किसी लज्जा के द्रौपदी के वस्त्र को खींचना शुरू किया परन्तु भगवान् श्री कृष्ण की कृपा से दुशासन कपडे खींचते-खींचते थक गया परन्तु वह रानी द्रौपदी का चिर हरण ना कर पाया।

11. द्रोणाचार्य और युधिष्टिर की कहानी Dronacharya and Yudhishthira Mahabharat Story in Hindi

महाभारत में द्रोणाचार्य की मृत्यु की यह रोमांचक कथा है। द्रोणाचार्य एक महान गुरु थे जिनकी मृत्यु तब तक संभव नहीं था जब तक की वह अपने हथियार ना दाल दें। उनको हथियार डलवाने के लिए पांडवों ने एक योजना बनाई। उस समय युद्ध में एक हाथी अश्वथामा का वध भीम ने किया था और श्री कृष्ण जी को पता था की द्रोणाचार्य को अपने पुत्र अश्वथामा से बहुत प्रेम था।

उनके योजना के अनुसार वह युधिष्टिर की मदद से गुरु द्रोणाचार्य को यह बताना चाहते थे कि उनका पुत्र अश्वथामा का वध भीम ने कर दिया है। योजना के अनुसार क्योंकि युधिष्टिर ने कभी भी जीवन में असत्य नहीं कहा था उनकी बातों का द्रोणाचार्य ने विश्वास किया और हथियार त्याग दिए और ध्यान में बैठ गए। उसी समय द्रुपद के पुत्र धृष्टद्युम्न ने द्रोनाचय पर प्रहार कर के उनका वध कर डाला।

आशा करते आपको पौराणिक महाभारत की यह कहानियां व कथाएं (Mahabharat Stories in Hindi) पसंद आये होंगे। अगर यह कहानियां आपके लिए अनसुनी महाभारत की कथाएं हैं तो कमेंट के माष्यम से हमें ज़रूर बताएं।

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