त्यागी आम का पेड़ कहानी Mango Tree Inspirational Story in Hindi

त्यागी आम का पेड़ कहानी Mango Tree Inspirational Story in Hindi

क्या आप आम के पेड़ की प्रेरणादायक कहानी पढना चाहते हैं?
क्या एक आम के पेड़ की तयद की ज्ञानवर्धक कहानी आप पढना चाहते हैं?

त्यागी आम का पेड़ कहानी Mango Tree Inspirational Story in Hindi

आईए इस आम के पेड़ की ज्ञानवर्धक व लघु कहानी (very short mango tree story in hindi) को शुरू करते हैं। अंत में आप इस कहानी के शीर्षक को भी पढ़ेंगे।

कहनी शीर्षक : त्यागी आम का पेड़ Mango Tree Sacrifice Story in Hindi

एक बार एक गाँव में तालाब किनारे एक बहुत बड़ा आम का पेड़ था । उस गाँव में एक छोटा लड़का था चैतन्य। चैतन्य उस पेड़ के निचे हर दिन स्कूल से आने के बाद खेला करता था।

चैतन्य पेड़ के चरों तरफ दौड़ा करता, खेलता-कूदता, और थक जाने पर कभी-कभी पेड़ की छाओं में सो भी जाता था। वह उस आम के पेड़ को पहुत चाहता था और वह आम का पेड़ भी उसे बहुत चाहता था। दोनों एक दुसरे के दोस्त थे

धीरे-धीरे समय बीतता गया ! चैतन्य थोडा बड़ा हुआ तो घर पर ही खेलने लगा और आम के पेड़ के पास उसने खेलना बंद कर दिया । एक दिन, चैतन्य उस पेड़ के पास दुखी हो कर आया। वह बहुत ज्यादा निराश दिख रहा था और रोते-रोते पेड़ के निचे बैठ गया। यह देख कर आम के पेड़ ने उससे कहा- चलो चैतन्य खेलते है ?

चैतन्य ने जवाब दिया ! में अब बड़ा हो चूका हूँ और खिलोनों के साथ खेलना चाहता हूँ पर मेरे पास खिलौने खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। यह सुनते ही आम के पेड़ ने जवाब में कहा ! मेरे पास तो पैसे नहीं हैं परन्तु अगर तुम मेरे आमों को तोड़ के बेचोगे तो तुम्हें पैसे मिल सकते हैं जिससे की तुम अपने खिलोने खरीद सकते हो।

यह सुनते ही चैतन्य बहुत खुश हुआ। उसने सभी आमों को उस पेड़ से तोड़ लिया और बाज़ार में जा कर उन्हें बेच दिया और उसने अपने खिलोने भी खरीद लिए। पर वह वापस आम के पेड़ के पास नहीं आया। आम का पेड़ उदास हो गया

कुछ सालों के बाद चैतन्य दुबारा लौटा। अब वह बड़ा हो चूका था। उसका विवाह भी हो चूका था। चैतन्य को देखते ही आम का पेड़ बहुत खुश हुआ और उसने कहा – चलो चैतन्य खेलते है ? चैतन्य ने जवाब में कहा – अब मेरी शादी हो चुकी है मेरा परिवार है, मेरे पास खेलने का समय नहीं है।

पर हमें रहने के लिए घर चाहिए। क्या तुम मेरी कुछ मदद कर सकते हो । यह सुनते ही आम के पेड़ ने जवाब में कहा – मेरे पास घर तो नहीं है परन्तु अगर तुम मेरी टेहेनियों को काट कर घर बनाना चाहो तो बना सकते हो ।

यह सुन कर चैतन्य खुश हुआ और उसने सभी टेहेनियों को काट कर अपना घर बना लिया। पर घर बनाने के बाद फिर वह वापस नहीं आया। आम का पेड़ दुबारा उदास हो गया ।

कुछ साल बाद चैतन्य फिर उस आम के पेड़ के पास पहुंचा। आम का पेड़ उसे देखते ही खुश हो गया और उसने कहा – चलो चैतन्य खेलते हैं ? चैतन्य ने कहा में अब काम कर-कर के बहुत थक चूका हूँ।

मैं अपने लिए एक नाव बनाना चाहता हूँ, जिससे की मैं नदी में घूम सकूँ, क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो। यह सुनते ही आम के पेड़ ने जवाब दिया – मेरे पास नाव तो नहीं है पर अगर तुम चाहो तो मेरे तने को काट कर अपने लिए नाव बना सकते हो ।

यह सुन कर चैतन्य खुश हो गया और उसने पुरे पेड़ के तने को काट दिया और उसने उससे अपने लिए एक नाव बना लिया।

कई वर्षों के बाद चैतन्य उस पेड़ की जगह पर लौटा तब वह बुढा हो चूका था । उसको देखते ही बचा हुआ पेड़ खुश हुआ और बोला – मुझे माफ़ करना चैतन्य मेरे पास तुम्हे देने के लिए कुछ नहीं है।

आम के पेड़ ने कहा – मेरे पास तुम्हें देने के लिए आम नहीं है। चैतन्य ने कहा – मेरे पास अब आम खाने के लिए दांत नहीं हैं ।

आम के पेड़ ने कहा – मेरे पास टेहेनियाँ भी नहीं है जिससे कि तुम खेल सको। चैतन्य ने कहा – अब में बुढा हो चूका हूँ और में ना चल सकता हूँ ना खेल सकता हूँ ।

तब उस आम के पेड़ ने कहा – मेरे पास सच में कुछ नहीं है तुम्हे देने के लिए, जड़ों के अलावा। चैतन्य ने कहा – मैं अब अपने जीवन में थक चूका हूँ , मुझे बस आराम करने के लिए एक जगह चाहिए। यह सुनकर आम के पेड़ ने कहा – आराम करने के लिए पुराने पेड़ों के तनों में सुकून मिलता है। यह सुनते ही चैतन्य पेड़ के निचे आराम से सो गया।

यह देखकर आम का पेड़ बहुत ही प्रसन्न हुआ और मुस्कुराने लगा।

कहानी से शिक्षा

यहाँ आम का पेड़ हमारे माता पिता को दर्शाता है। हम जब छोटे होते हैं, हम उनके साथ खेलना पसंद करते हैं और बड़े होने पर उन्हें भूल जाते हैं। वह हमारे हर एक सपने को पूरा करने के लिए अपनी जी जान लगा देते हैं।

लेकिन जब हम बड़े होते हैं हम उन्हें छोड़ के चले जाते हैं और जरूरत पड़ने पर ही उनके पास आते हैं। हमारे माता-पिता हमारे लिए हर तरीके के मुश्किलों को सहते हैं ।

अपने माता पिता का आदर सत्कार करें ! और जिस प्रकार माता पिता जीवन भर हमारा साथ नहीं छोड़ते उसी प्रकार हमें भी उनका साथ कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए ।

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