नुआखाई त्यौहार पर निबंध 2020 Nuakhai festival of Odisha Essay in Hindi (ନୂଆଖାଇ)

2020 नुआखाई त्यौहार पर निबंध Nuakhai festival of Odisha Essay in Hindi (ନୂଆଖାଇ)

क्या आप नुआखाई त्यौहार (Nuakhai or Nuankhai) festival के बारे में जानना चाहते हैं?
जानना चाहते नुआखाई पर्व को कैसे मनाया जाता है?

2020 नुआखाई त्यौहार पर निबंध Nuakhai festival of Odisha Essay in Hindi (ନୂଆଖାଇ 2020)

नुआखाई (Nuakhai or Nuankhai) पश्चिम ओडिशा के किसानों द्वारा मनाया जाने वाला एक बहुत ही मुख्य त्यौहार है। इस दिन को घर में नए धान चावल को प्रथम बार खाया जा है और अपने अच्छे फसल की ख़ुशी में मनाया जाता है।

यह त्यौहार अब पुरे ओडिशा के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी मनाया जाने लगा है। परन्तु मख्य रूप से नुआखाई त्यौहार पश्चिम ओडिशा में मनाया जाता है। पश्चिम ओडिशा को कोसली (Kosali) के नाम से भी जाना जाता है इसलिए नुआखाई को मुख्य कोसली त्यौहार के रूप में जाना जाता है।

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नुआखाई त्यौहार कब है? When Nuakhai Festival is Celebrated in 2020?

कोसली कैलंडर के अनुसार नुआखाई का त्यौहार प्रतिवर्ष भाद्र महीने के पंचमी तिथि को गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद मनाया जाता है। यह दिन हर साल अगस्त-सितम्बर के बिच पड़ता है।

2020 में नुआखाई पर्व 23 अगस्त को मनाया जायेगा।

नुआखाई पर्व के विषय में कुछ मुख्य बातें Important Things about Nuakhai Festival

नुआखाई का त्यौहार ओडिशा के साथ-साथ झारखण्ड में भी कुछ जगहों पर धूम-धाम से मनाया जाता है। नुआखाई में (Nua/नुआ = नया) और (Khai/खाई = खाना) यानि की ऐसा पाव जिसमें उस वर्ष का नया चावल प्रथम बार सभी लोग खाते हैं। पश्चिम ओडिशा में इस त्यौहार को ना सिर्फ किसान बल्कि बड़े से छोटे हर कोई घर के लोग धूम-धाम से मनाते है।

नुआखाई के लिए सभी लोग पश्चिम ओडिशा के लोग अरसा पीठा बनाते हैं और सभी देवी देवताओं की पूजा करते हैं। साथ ही सभी लोग अपने पूर्वजों को भी याद करते हैं। नुआखाई पर्व को मुख्य रूप से ओडिशा के संबलपुर, बरगढ़, बोलांगीर, कालाहांडी, सुंदरगढ़, झारसुगुडा, बौध, सोनपुर और नुआपड़ा जिला में बड़े तौर पर मनाया जाता है।

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नुआखाई त्यौहार 9 रंगों या रस्म-रिवाज़ों में पूरा होता है 9 Colors of Nuakhai festival Celebration in Hindi

Beheren (बेहेरेन)

यह वह रस्म होता है जिसमें सभी नुआखाई मनाने वाले लोग इक्कठा होते हैं और नुआखाई पर्व के उत्सव के सही समय के बारे में बातचीत करते हैं।

Lagan Dekha (लगन-देखा)

सभी मिलकर एक निर्धारित समय को चुनते हैं जिस समय सभी मिलकर एक साथ बाद में नुआखाई के दिन नया चावल खाते हैं।

Daka haka (डका-हका)

यह वह रस्म होता है जिसमें सभी लोग अपने परिवार और आस-पास के अन्य लोगों को नुआखाई के दिन एक-साथ नया चावल खाने के लिए आमंत्रित करते हैं। यह रस्म इतना अच्छा होता है की इसमें लोग अपने पुराने लड़ाई-झगड़ों को भुला कर एक दूसरों से बात-चित करते हैं।

Sapha Sutura & Lipa Puchha (सफ़ा-सुतुरा लिपा पूछा)

इस रस्म-रिवाज़ में सभी लोग अपने घरों की साफ़ सफाई अच्छे से करते हैं। घर के सामने को गोबर पानी से लिपते हैं और घरों की दीवारों पर अच्छे से पुताई करते हैं।

Ghina Bika (घिना बिका)

यह वह समय होता है जब नुआखाई के पर्व के लिए लोग नए कपडे कपडे खरीदते हैं। उसके बाद उस दिन के खान-पान के लिए पूजा का सामान और लाल-धागे का राखी खरीदते हैं जिसे सभी लोग अपने भगवान, गाड़ी, और घरों के दरवाज़ों में बंधाते हैं। माना जाता है इससे घर में लक्ष्मी का अशित्वाद और सुख-शांति रहता है।

Nua dhan khuja (नुआ धान खुजा)

उसके बाद सबसे महत्वपूर्ण दिन आता है जब नुआखाई के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज यानी की नए धान खोजते हैं। कभी-कभी समय पर सबका धान नहीं पका होता है इस लिए वे अपने गाँव के दुसरे किसी खेत से भी धान खरीद लाते हैं और इस पर के लिए उसे सुखा कर रखते हैं।

नुआखाई के दिन उस धान को छिलके के साथ ही पिस लेते हैं। इस पीसे हुए धान को कोसली / संबलपुरी भाषा में नुआ चुरा कुंडा कहा जाता है।

Bali Paka (बाली पका)

यह नुआखाई त्यौहार का वह महत्वपूर्ण समय होता है जब सभी लोग घर के देवी-देवताओं को नुआखाई प्रसाद चढाते हैं। इस समय सभी लोग अपने घर के कोनो में जाकर अपने पूर्वजों को चावल चढाते हैं।

Nuakhai (नुआखाई)

नुआखाई प्रसाद - nuakhai chura kunda , नुआखाई त्यौहार पर निबंध Nuakhai festival of Odisha Essay in Hindi (ନୂଆଖାଇ)
Nuakhai Chura Kunda with Pitha

उसके बाद सभी परिवार के लोग शुभ लग्न का इंतजार करते हैं और समय आने पर सभी लोग एक साथ बैठ कर नुआ चुरा कुंडा प्रसाद खाते हैं। यह बहुत ही सुन्दर समय होता है जब परिवार के लोगों में ख़ुशी की लहर होती है। सभी लोग नाचते हैं गाते हैं और कुरे पत्ते से बने दोना या प्लेट में मिठाइयाँ, खीर, स्वाली पिता, अरसा पीठा प्रसाद के रूप में खाकर खुशियाँ मनाते हैं।

Juhar Bhet (जुहार भेट)

इस सुन्दर नुआखाई पर्व का अंत होता है जुहार-भेट के साथ। यानि की सभी नुआखाई का त्यौहार मनाने वाले लोग इस दिन को अपने सभी लड़ाई-झगड़े भुला कर अपने से हर बड़े व्यक्ति का पैर छुकर आशीर्वाद माँगते है।

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