4 गणेश जी की कहानियाँ Lord Ganesha Stories in Hindi (for Kids)
इस लेख में आप 4 गणेश जी की कहानियाँ (Lord Ganesha Stories For Kids Hindi) पढेंगे। यह सभी श्री गणेश जी की प्रेरक कथाएं है जो बच्चों को बहुत पसंद आती है और गणेश चतुर्थी के समय भक्त पढना भी पसंद करते हैं।
कौन हैं भगवान गणेश? Who is Lord Ganesha?
हिन्दू सभ्यता में कई देवी देवतायें हैं जिनमे भगवान श्री गणेश जी को बहुत ही ज्यादा माना जाता है। श्री गणेश भगवान जी के मज़ाकिया अंदाज़ के कारण उनकी कई कहानियाँ उल्लेखनीय हैं।
उनके मोटे से पेट, हांथो और हाथी वाले मुखड़े, और बाल रूप को देखकर बच्चे उनकी कहानियाँ सुनना पसंद करते हैं और श्री गणेश को बहुत प्रेम भी करते हैं। श्री गणेश, भगवान शिव जी और माता पारवती के पुत्र हैं। ये हिन्दू सभ्यता के अनुसार “प्रथम भगवान” के नाम से पूजे जाते हैं।
आज इस पृष्ट में हमने 4 श्री गणेश जी की कहानियाँ लिखा है जो आपको जरूर आपको पसंद आयेंगे। तो आईये शुरू करते हैं ये गणेश भगवान की कहानियाँ हिन्दी में।
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गणेश भगवान की 4 कहानियाँ हिन्दी में Ganesh Ji Stories in Hindi
1. गणेश चतुर्थी की कहानी (क्यों मनाया जाता है गणेश चतुर्थी?) The Story Behind Ganesh Chaturthi festival in Hindi
गणपति बप्पा इस कहानी से हमें पता चलता है की ‘हम गणेश चतुर्थी का त्यौहार क्यों मनाते हैं?’ इस दिन गणेश जी पूजा के पीछे का इतिहास हमें इस कथा से पता चला है।
एक बार की बात है सभी देवता बहुत ही मुश्किल में थे। सभी देव गण शिवजी के शरण में अपनी मुश्किलों के हल के लिए पहुंचे। उस समय भगवान शिवजी के साथ गणेश और कार्तिकेय भी वहीँ बैठे थे।
देवताओं की मुश्किल को देखकर शिवजी नें गणेश और कार्तिकेय से प्रश्न पुछा – तुममें से कौन देवताओं की मुश्किलों को हल करेगा और उनकी मदद करेगा। जब दोनों भाई मदद करने के लिए तैयार हो गए तो शिवजी नें उनके सामने एक प्रतियोगिता रखा। इस प्रतियोगिता के अनुसार दोनों भाइयों में जो भी सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटेगा वही देवताओं की मुश्किलों में मदद करेगा।
जैसे ही शिवजी नें यह बात कही – कार्तिकेय अपनी सवारी मोर पर बैठ कर पृथ्वी की परिक्रमा करने चले गए। परन्तु गणेश जी वही अपनी जगह पर खड़े रहे और सोचने लगे की वह मूषक की मदद से पुरे पृथ्वी का चक्कर कैसे लगा सकते हैं? उसी समय उनके मन में एक उपाय आया। वे अपने पिता शिवजी और माता पारवती के पास गए और उनकी सात बार परिक्रमा करके वापस अपनी जगह पर आकर खड़े हो गए।
कुछ समय बाद कार्तिकेय पृथ्वी का पूरा चक्कर लगा कर वापस पहुंचे और स्वयं को विजेता कहने लगे। तभी शिवजी नें गणेश जी की ओर देखा और उनसे प्रश्न किया – क्यों गणेश तुम क्यों पृथ्वी की परिक्रमा करने नहीं गए?
तभी गणेश जी ने उत्तर दिया – “माता पिता में ही तो पूरा संसार बसा है?” चाहे में पृथ्वी की परिक्रमा करूँ या अपने माता पिता की एक ही बात है। यह सुन कर शिवजी बहुत खुश हुए और उन्होंने गणेश जी को सभी देवताओं के मुश्किलों को दूर करने की आज्ञा दी। साथ ही शिवजी नें गणेश जी को यह भी आशीर्वाद दिया कि कृष्ण पक्ष के चतुर्थी में जो भी व्यक्ति तुम्हारी पूजा और व्रत करेगा उसके सभी दुःख दूर होंगे और भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी।
2. कैसे बने गणेश, हाथी भगवान? – गणपति बप्पा कहानी The Elephant God – Lord Ganesha Story in Hindi
भगवान गणेश के इस कहानी से हमें पता चलता है कि गणेशा को हाथी का मुख कैसे मिला। इस कथा को उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग माना जाता है जिसमे वे मृत हो कर दोबारा जन्म लेते हैं।
एक दिन पारवती माता स्नान करने के लिए गयी लेकिन वहां पर कोई भी रक्षक नहीं था। इसलिए उन्होंने चंदन के पेस्ट से एक लड़के को अवतार दिया और उसका नाम रखा गणेश। माता पारवती नें गणेश से आदेश दिया की उनकी अनुमति के बिना किसी को भी घर के अंदर ना आने दिया जाये।
जब शिवजी वापस लौटे तो उन्होंने देखा की द्वार पर एक एक बालक खड़ा है। जब वे अन्दर जाने लगे तो उस बालक नें उन्हें रोक लिया और नहीं जाने दिया। यह देख शिवजी क्रोधित हुए और अपने सवारी बैल नंदी को उस बालक से युद्ध करने को कहाँ। पर युद्ध में उस छोटे बालक नें नंदी को हरा दिया। यह देख कर भगवान शिव जी नें क्रोधित हो कर उस बाल गणेश के सर को काट दिया।
अब माता पारवती वापस लौटी तो वो बहुत दुखी हुई और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। शिवजी को जब पता चला की वह उनका स्वयं का पुत्र था तो उन्हें भी अपनी गलती का एहसास हुआ। शिवजी नें पारवती को बहुत समझाने का कोशिश किया पर वह नहीं मानी और गणेश का नाम लेते लेते और दुखित होने लगी।
अंत में माता पारवती नें क्रोधित हो कर शिवजी को अपनी शक्ति से गणेश को दोबारा जीवित करने के लिए कहा। शिवजी बोले – हे पारवती में गणेश को जीवित तो कर सकता हूँ पर किसी भी अन्य जीवित प्राणी के सीर को जोड़ने पर ही। माता पारवती रोते-रोते बोल उठी – मुझे अपना पुत्र किसी भी हाल में जीवित चाहिए।
यह सुनते ही शिवजी नें नंदी को आदेश दिया – जाओ नंदी इस संसार में जिस किसी भी जीवित प्राणी का सीर तुमको मिले काट लाना। जब नंदी सीर खोज रहा था तो सबसे पहले उससे एक हाथी दिखा तो वो उसका सीर काट कर ले आया। भगवान शिव नें उस सीर को गणेश के शारीर से जोड़ दिया और गणेश को जीवन दान दे दिया। शिवजी नें इसीलिए गणेश जी का नाम गणपति रखा और बाकि सभी देवताओं नें उन्हें वरदान दिया की इस दुनिया में जो भी कुछ नया कार्य करेगा पहले! जय श्री गणेश को याद करेगा।
3. गणेश जी के टूटे दांत की कहानी The Broken Tusk – Lord Ganesha Stories in Hindi
ज्यादातर लोग पूछते हैं कि ‘गणेश जी का एक दांत क्यों टूटा हुआ होता है’। यह प्रेरक गणेश कथा लोगों को बहुत पसंद आता है।
जब महर्षि वेदव्यास महाभारत लिखने के लिए बैठे, तो उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो उनके मुख से निकले हुए महाभारत की कहानी को लिखे। इस कार्य के लिए उन्होंने श्री गणेश जी को चुना। गणेश जी भी इस बात के लिए मान गए पर उनकी एक शर्त थी कि पूरा महाभारत लेखन को एक पल ले लिए भी बिना रुके पूरा करना होगा। गणेश जी बोले – अगर आप एक बार भी रुकेंगे तो मैं लिकना बंद कर दूंगा।
महर्षि वेदव्यास नें गणेश जी की इस शर्त को मान लिया। लेकिन वेदव्यास ने गणेश जी के सामने भी एक शर्त रखा और कहा – गणेश आप जो भी लिखोगे समझ कर ही लिखोगे। गणेश जी भी उनकी शर्त मान गए। दोनों महाभारत के महाकाव्य को लिखने के लिए बैठ गए। वेदव्यास जी महाकाव्य को अपने मुहँ से बोलने लगे और गणेश जी समझ-समझ कर जल्दी-जल्दी लिखने लगे। कुछ देर लिखने के बाद अचानक से गणेश जी का कलम टूट गया। कलम महर्षि के बोलने की तेजी को संभाल ना सका।
गणेश जी समझ गए की उन्हें थोडा से गर्व हो गया था और उन्होंने महर्षि के शक्ति और ज्ञान को ना समझा। उसके बाद उन्होंने धीरे से अपने एक दांत को तोड़ दिया और स्याही में डूबा कर दोबारा महाभारत की कथा लिखने लगे। जब भी वेदव्यास को थकान महसूस होता वे एक मुश्किल सा छंद बोलते , जिसको समझने और लिखने के लिए गणेश जी को ज्यादा समय लग जाता था और महर्षि को आराम करने का समय भी मिल जाता था।
महर्षि वेदव्यास जी और गणेश जी को महाभारत लिखने में 3 वर्ष लग गए। वैसे तो कहा जाता है महाभारत के कुछ छंद घूम हो गए हैं परन्तु आज भी इस कविता में 100000 छंद हैं।
4. गणेश और सवारी मूषक की कहानी Ganesha and his ride Mooshak Story in hindi
यह भगवान गणेश जी की एक मनोरंजक कहानी है जिससे पता चलता है की गणेश और सवारी मूषक क्यों कैसे कैसे बनें?
बहुत समय की बात है, एक बहुत ही भयंकर असुरों का राजा था – गजमुख। वह बहुत ही शक्तिशाली बनना और धन चाहता था। वह साथ ही सभी देवी-देवताओं को अपने वश में करना चाहता था इसलिए हमेशा भगवान शिव से वरदान के लिए तपस्या करता था। शिव जी से वरदान पाने के लिए वह अपना राज्य छोड़ कर जंगल में जा कर रहने लगा और शिवजी से वरदान प्राप्त करने के लिए, बिना पानी पिए भोजन खाए रातदिन तपस्या करने लगा।
कुछ साल बीत गए, शिवजी उसके अपार तप को देखकर प्रभावित हो गए और शिवजी उसके सामने प्रकट हुए। शिवजी नें खुश हो कर उसे दैविक शक्तियाँ प्रदान किया जिससे वह बहुत शक्तिशाली बन गया। सबसे बड़ी ताकत जो शिवजी नें उसे प्रदान किया वह यह था की उसे किसी भी शस्त्र से नहीं मारा जा सकता। असुर गजमुख को अपनी शक्तियों पर गर्व हो गया और वह अपने शक्तियों का दुर्पयोग करने लगा और देवी-देवताओं पर आक्रमण करने लगा।
मात्र शिव, विष्णु, ब्रह्मा और गणेश ही उसके आतंक से बचे हुए थे। गजमुख चाहता था की हर कोई देवता उसकी पूजा करे। सभी देवता शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी के शरण में पहुंचे और अपनी जीवन की रक्षा के लिए गुहार करने लगे। यह सब देख कर शिवजी नें गणेश को असुर गजमुख को यह सब करने से रोकने के लिए भेजा।
गणेश जी नें गजमुख के साथ युद्ध किया और असुर गजमुख को बुरी तरह से घायल कर दिया। लेकिन तब भी वह नहीं माना। उस राक्षक नें स्वयं को एक मूषक के रूप में बदल लिया और गणेश जी की और आक्रमण करने के लिए दौड़ा। जैसे ही वह गणेश जी के पास पहुंचा गणेश जी कूद कर उसके ऊपर बैठ गए और गणेश जी ने गजमुख को जीवन भर के मुस में बदल दिया और अपने वाहन के रूप में जीवन भर के लिए रख लिया। बाद में गजमुख भी अपने इस रूप से खुश हुआ और गणेश जी का प्रिय मित्र भी बन गया।
निष्कर्ष
आशा करते हैं आपको श्री गणेश जी की कथाएं (Lord Ganesha Stories in Hindi) पसंद आई होंगी। अगर आपको गणेश जी की यह कहानियाँ पसंद आई हों तो कमेंट के माध्यम से हमें ज़रूर बताएं और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें !!! धन्यवाद
muje ye story bhout jayda pasand aayi..mai ye story ko bar bar padta hoon ganesh ji ki story padane mai bhout maza aata hai esa lagta hai jese ki hum unke time mai chale gaye..
बहुत मजेदार कहानियां पोस्ट की हैं आपने. पसंद आईं.
ye kahani mujhe bahut achchhi lagi
All stories are interesting and knowledgeable.
Yes
Too much interesting
Bhut mjedar aur achchha bhi hai
Good Jay janpati Bppa moriya re …
Bahut badhiya lga
I Like This Story Gai Ganpati Baba
nice
Really Commendable
bahut badiya
Very good story. Felt very nice after knowing the unknown facts of lord ganesha
These stories are very good especially for Indian children who are growing up abroad and need to know about Indian culture.
Bahot hard bahot hard
Bohot aachi hai jisne bhi ue google mai dala hai use bhagwan hamesha khish rakhega
Ue ke jagh ye aayega khise ki jagh khush aayeaga
magazine story hai. mujhe to bahut maja aya.
very good story
Bohot Sundar Dil ko Chu Lene wali kahani h
YE KAHANIYA BAHUT ACHHI HAI CHHOTE BACHO KO BATANA CHAHIYE