इस लेख में श्री जगन्नाथ रथ यात्रा पुरी (ଶ୍ରୀ ଜଗନ୍ନାଥ ରଥ ୟାତ୍ରା) Jagannath Puri Ratha Yatra Essay के विषय में हिन्दी में पढ़ें। इसमें रथ जात्रा क्या है, क्यों मनाया जाता है, कैसे मनाया जाता है, तथा भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा के रथों में जानकारी दी गई है।
श्री जगन्नाथ रथ यात्रा पुरी Jagannath Puri Ratha Yatra Essay in Hindi
रथ यात्रा (Ratha Yatra), भारत का एक हिन्दू त्यौहार है जो प्रभु जगन्नाथ से जुडा हुआ है और (famous festivals of india) विश्व प्रसद्ध तरीके से पुरी, ओडिशा, भारत में मनाया जाता है।
रथ यात्रा दर्शन भारत के साथ-साथ दुसरे देशों में भी मनाया जाता है। इस भव्य त्यौहार को भारत के दूरदर्शन चैनल पर सीधा प्रसारण दिखाया जाता है।
यहाँ यह त्यौहार सबसे साहित्यिक है और 10-11 सदियों से लोग इसे मानते चले आ रहे हैं। इसकी पुरी जानकारी मौजूद है ब्रह्म पुराण में, पद्म पुराण में, स्कन्दा पुराण में तथा कपिला समिथा में। हर साल रथ यात्रा अषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष द्वितीय के दिन मनाया जाता है।
इस भव्य त्यौहार को मनाने के लिए पुरे विश्व भर से लोग पुरी पहुँचते हैं जो बडदांड चौक, पुरी में है। रथ यात्रा त्यौहार के दिन भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और छोटी बहन सुभद्रा के रथ को श्रद्धालु खिंच कर मुख्य मंदिर जगन्नाथ मंदिर पुरी से उनकी मौसी के घर गुंडीचा मदिर ले कर जाते हैं।
वहाँ तीनो रथ 9 दिन तक रहते हैं। उसके बाद इन तीनो रथ की रथ यात्रा वापस अपने मुख्य जगन्नाथ मंदिर जाती है जिसे बहुडा जात्रा कहा जाता है।
पढ़ें: पुरी जगन्नाथ धाम का इतिहास और कथा
बहुत ही सुन्दर और भव्य रूप से सजाये हुए ये रथ, दिखने में मंदिर के जैसे दीखते हैं और जिस गली में इन्हें खिंच कर यात्रा होती है उस जगह को बडदांड कहते हैं। गुंडीचा मंदिर 2km है मुख्य जगन्नाथ मंदिर से जहाँ से यह रथ यात्रा शुरू होती है।
जगन्नाथ मंदिर में हिन्दुओं को ही घुसने की अनुमति है, परन्तु यही वो दिन है जिस दिन हर एक जाती और दुसरे देशों से आये हुए लोगों को भी प्रभु को देखने का मौका मिलता है।
विश्व भर से पुरी रथ यात्रा पर आये हुए भक्त और शद्धालु की बस एक ही कामना होती है कि उन्हें एक बार प्रभु के रथ को रस्सी से खीचने का मौका मिले।
इस रथ यात्रा के दौरान इतनी भीड़ होती है कि किसी की भी जान जा सकती है परन्तु फिर भी लोग अपनी जान की परवाह किये बिना रथ के रस्सी तक पहुँचते हैं और उसे छु पाना ही जीवन को धन्य समझते हैं।
पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा कब है? When Shri Jagannath Puri Ratha Yatra is Celebrated?
इस साल यानी की 2022 में श्री जगन्नाथ रथ यात्रा 01 जुलाई 2022, दिन शुक्रवार को आयोजित की जायेगी।
श्री जगन्नाथ रथ यात्रा के तीनों रथों के विषय में जानकारी Description of 3 Chariots of Rath Yatra in Hindi
तीनों रथ, जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ प्रति वर्ष नए बनाये जाते हैं। इन तीनों रथ को इनके यूनिक तरीके से सजाया जाता जो की सदियों से एक ही प्रकार एक ही रंग में सजाया जाते रहा है।
इनकी सजावट वहीँ बडदांड में ही होती है और इनकी लाल रंग का ध्वजा और चमकते हुए पीले, नील, काले रंग को देकते ही आप प्रभु की ओर मोहित हो जायेंगे। इनकी सजावट मंदिर के मुख्य द्वार (सिंह द्वार) जो की मदिर की पूर्व दिशा में है, उस जगह किया जाता है।
1. नंदिघोषा रथ Nandighosha Ratha
नंदिघोषा रथ भगवान श्री जगन्नाथ के रथ का नाम है। इसे गरुडध्वजा और कपिलध्वजा भी कहा जाता है। इसमें भगवान का साथ मदनमोहन देते हैं।

कुल लकड़ी के टुकड़े – 832
ऊंचाई – 44′ 2″
लम्बाई और चौड़ाई – 34′ 6″ x 34′ 6″
कपड़ों के रंग – लाल और पीले रंग का कपडा
रखवाला – गरुड़
सारथी का नाम – दारुका
झंडा(ध्वज) – त्रैलोक्यमोहिनी
घोड़े – शंखा, बलाहंखा, सुवेता, हरिदश्व
रस्सी – शंखाचुडा नागुनी
नौ देवताओं कि अध्यक्षता – वराह, गोबर्धन, कृष्णा (गोपी कृष्णा), नुर्सिंघा, राम, नारायण, त्रिविक्रमा, हनुमान, रूद्र
2. तालध्वजा रथ Taladwhaja Ratha
भगवान बलभद्र के रथ का नाम तालध्वजा, नंगलध्वजा है। इसमें उनका साथ रामकृष्ण देते हैं।

कुल चक्के – 14
कुल लकड़ी के टुकड़े – 763
ऊंचाई – 43′ 3″
लम्बाई और चौड़ाई – 33′ x 33′
कपड़ों के रंग – लाल, नीला-हरा रंग का कपडा
रखवाला – बासुदेव
सारथी का नाम – मताली
झंडा(ध्वज) – उन्नानी
घोड़े – त्रिब्र, घोरा, दीर्गशर्मा, स्वोर्नानव
रस्सी – बासुकी नागा
नौ देवताओं कि अध्यक्षता – गणेश, कार्तिके, सर्वमंगला, प्रलाम्बरी, हतायुधा, मृत्युन्न्जय, नतमवर, मुक्तेश्वर, शेश्देवा
3. दर्पदलना रथ Darpadalana Ratha
सुभद्रा के रथ का नाम है दर्पदलना, देवदलन, पद्मध्वज है। रथ में देवी सुभद्रा का साथ सुदशन देता हैं।

कुल चक्के – 12
कुल लकड़ी के टुकड़े – 593
ऊंचाई – 42′ 3″
लम्बाई और चौड़ाई – 31′ 6″ x 31′ 6″
कपड़ों के रंग – लाल, काले रंग का कपडा
रखवाला – जयदुर्गा
सारथी का नाम – अर्जुन
झंडा(ध्वज) – नादम्बिका
घोड़े – रोचिका, मोचिका, जीता, अपराजिता
रस्सी – स्वर्नाचुडा नागुनी
नौ देवताओं कि अध्यक्षता – चंडी, चामुंडा, उग्रतारा, वनदुर्गा, शुलिदुर्गा, वाराही, श्यामकाली, मंगला, विमला
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा के विषय में कुछ ज़बरदस्त तथ्य Some Interesting Facts about Puri Rath Yatra Festival in Hindi
- रथ यात्रा बहुत ही पौराणिक त्यौहार है और इसे भारत के साथ-साथ विश्व के दुसरे देशों में भी मनाया जाता है। खासकर डबलिन, न्यू यॉर्क, टोरंटो और लाओस में यह त्यौहार मनाये जाने में मशहूर है।
- पोड पीठा इस त्यौहार का एक मुख्य मिठाई है जो बहुत ही प्रसिद्ध है।
- तीनो भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्र को कुल 208 किलो ग्राम सोने से सजाया जाता है।
- ब्रिटिश शासन के काल में जगन्नाथ रथ यात्रा के त्यौहार को जुग्गेरनट कहा जाता था इसके बड़े और वजनदार रथों के कारण।
- आज तक जितनी बार भी रथ यात्रा मनाया गया है पुरी में हर बार बारिश हुई है।
- विश्व भर में जगन्नाथ मंदिर ही ऐसा मंदिर है जहाँ से भगवान् के स्तूप या मूर्ति को मंदिर से बहार निकाला जाता है।
- हर साल पुरी रथ यात्रा के तीनों रथों को पुरी तरीके से नया बनाया जाता है।
इस लेख में आपने श्री जगन्नाथ रथ यात्रा पुरी (ଶ୍ରୀ ଜଗନ୍ନାଥ ରଥ ୟାତ୍ରା) Jagannath Puri Ratha Yatra Essayपढ़ा। इसमें रथ जात्रा क्या है, क्यों मनाया जाता है, कैसे मनाया जाता है, तथा भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा के रथों के विषय में भी आपने जाना।
कमेंट्स के द्वारा हमें जरूर बताएं ! की पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा पर यह लेख आपको कैसा लगा?
Very Useful Blog..
बहुत अच्छा लगा विस्तार से जानकारी मिली