अधूरा ज्ञान बहुत खतरनाक होता है A little knowledge is a dangerous thing in Hindi

थोड़ा ज्ञान एक खतरनाक बात है या अधूरा ज्ञान बहुत खतरनाक होता है A little knowledge is a dangerous thing in Hindi

आपने यह वाक्यांश तो सुना ही होगा “ए लिटिल लर्निंग इज ए डैंजरस थिंग”, मतलब थोड़ा ज्ञान होना एक खतरनाक बात होती है। यह वाक्यांश सबसे पहले एलेग्जेंडर पोप की कविता “एन एस्से ऑन क्रिटिसिज्म” में पाया जाता है जो कि 1709 में लिखी गई थी। असल में इन शब्दों का मतलब क्या है ??

पोप कहना चाहते हैं कि थोड़ी जानकारी या ज्ञान हमें सिर्फ भ्रमित करता है और हमें इस गलतफहमी में डालता है कि हमें ज्यादा पता है, हालांकि ऐसा होता नहीं है। इस दुविधा का एक ही हल हो सकता है कि जीवन में हमेशा सीखना जारी रखा जाए अथवा कभी ज्ञान बटोरने की कोई सीमा ना हो।

अधूरा ज्ञान बहुत खतरनाक होता है A little knowledge is a dangerous thing in Hindi

कम ज्ञान या यूं कहें, अधूरा ज्ञान होना एक हानिकारक बात हो सकती है। अब आप कहेंगे के ज्ञान तो ज्ञान है, हानिकारक कैसा !! यह तो विद्या है, पर यकीन मानिए किसी भी विषय में अधूरी जानकारी होना गलत हो सकता है। अधूरा ज्ञान होना मस्तिष्क एवं जीवन के लिए विष के समान होता है। ज्ञान वह रोशनी है जिसके द्वारा हम अपने जीवन को प्रज्वलित करते हैं, विद्या के द्वारा अंधकार हटता है।

ज्ञान है तो सब कुछ है, ज्ञान से ही संवरता जीवन है। फिर ऐसा क्यों कहना कि अधूरा ज्ञान खतरनाक है !?! ज्ञान तो ज्ञान है, क्या पूरा या क्या अधूरा !!! पर जरा सोचिए अगर डॉक्टर को सर्जरी या दवाओं के बारे में अधूरा ज्ञान हो, तो क्या होगा उसके मरीजों का, अगर इंजीनियर को इमारतों का अधूरा ज्ञान हो, तो क्या इमारतें मजबूत बन पाएंगी, अगर एक शिक्षक को अधूरा ज्ञान हो तो क्या भविष्य होगा उसके छात्रों का, अगर एक ड्राइवर को अधूरा ज्ञान हो, तो क्या होगा वाहन में बैठे राहगीरों का, अगर एक सिपाही को अधूरा ज्ञान हो, तो क्या होगा देश की सुरक्षा का। तो इस प्रकार अधूरा ज्ञान हानिकारक ही नहीं बल्कि बहुत कष्टदायक भी हो सकता है।

जिस व्यक्ति को अधूरा ज्ञान होता है वह हमेशा इस भ्रम में रहता है कि उसे बहुत कुछ मालूम है, बहुत कुछ पता है, हालांकि यह केवल उसकी मानसिकता का एक भ्रम होता है। अधूरा ज्ञान होने का सबसे बड़ा लक्षण है यह समझना कि “मुझे सब आता है”। ऐसे लोग हमेशा अपनी बड़ाई करने में लगे रहते हैं कि उन्हें बहुत सी चीजों की जानकारी है, हालांकि असल में ऐसा होता नहीं है।

ऐसे व्यक्ति हमेशा अपने बुद्धिमान होने की डींगें हांकते रहते है, उन्हें ऐसा लगता है कि उन्हें सब कुछ आता है जबकि दूसरी ओर एक बुद्धिमान व्यक्ति कभी भी अपने मुंह से अपनी बड़ाई नहीं करता है।

वह कभी भी यह नहीं कहता है कि उसे सब कुछ आता है या वह बहुत काबिल है। बुद्धिमान व्यक्तियों के तो कार्य ही ऐसे होते हैं कि दूसरे लोग उनकी प्रशंसा करते है जबकि इसके विपरीत एक खोखली शख्सियत का व्यक्ति अपने ही मुंह मियां मिट्ठू बने रहता है।

इस बात का उदाहरण एक कहावत के द्वारा दे सकते हैं, “अधजल गगरी छलकत जाए”, मतलब जब घड़ा आधा भरा होता है तो छलकता ज्यादा है, आवाज ज्यादा करता है अथवा भरा हुआ घड़ा कम आवाज करता है।

बुद्धिमान व्यक्ति को हमेशा यही लगता है कि उसे सब कुछ मालूम नहीं है, हर चीज की जानकारी नहीं है, बहुत कुछ जानना बाकी है, बहुत कुछ सीखना बाकी है, बहुत सारा ज्ञान बटोरना है, ज्ञान की ललक हमेशा रहती है; इसके विपरीत अधूरे ज्ञान वाले व्यक्ति को हमेशा यही लगता है कि उसके ज्ञान की सीमा पूर्ण हो चुकी है।

हाँ, ज्ञान जीवन के लिए अत्यंत लाभदायक एवं आवश्यक है, पर आधा ज्ञान विषैला होता है, किसी काम का नहीं होता। आधे ज्ञान से कभी भी काम बनते नहीं है हमेशा बिगड़ते ही हैं। संपूर्ण जानकारी की बजाय आधा ज्ञान अत्यंत हानिकारक होता है, अधूरा ज्ञान संपूर्ण ज्ञान की जगह कभी नहीं ले सकता है; जो काम संपूर्ण ज्ञान करेगा वह आधा ज्ञान कभी नहीं कर सकता है।

आज के आधुनिक दौर में हर क्षेत्र में ऐसे लोगों की जरूरत है जो विशेषज्ञ हो, जो हमारा बेहतर मार्गदर्शन कर सकें एवं देश की तरक्की में मदद कर सके, परन्तु दुर्भाग्य वश ऐसा नहीं है, विशेषज्ञों की भारी मात्रा में कमी है, अभाव है। बहुत से आधे अधूरे ज्ञान वाले व्यक्ति विशेषज्ञ का चोला पहन कर घूम रहे हैं अथार्त हमें सही और ढोंगी के बीच में फर्क करना आना चाहिए। आज के इस तकनीकी युग में थोड़ा या अधूरा ज्ञान कभी भी टिक नहीं पाता है।

एक व्यक्ति को हमेशा संबंधित विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी रखनी चाहिए ताकि वह आज की दौड़ भाग की जिंदगी में समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके। आधे ज्ञान के साथ मूर्ख या बेवकूफ बनने से बेहतर है कि संपूर्ण ज्ञान ले लिया जाए। एक व्यक्ति जिसके पास संपूर्ण ज्ञान होता है वह स्वभाव से हमेशा शालीन एवं विनम्र होता है, वह कभी भी सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में नहीं पड़ता, वह कभी भी किसी को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करता।

वह कभी भी यह नहीं जतलाता है कि उसे बहुत कुछ आता है बल्कि इसके विपरीत उथली जानकारी वाला व्यक्ति हमेशा अपनी बड़ाई करता है, परंतु जल्द ही उसकी सच्चाई सबके सामने आ जाती हैं, बहुत देर तक यह मुखौटा उसके चेहरे पर नहीं रह पाता है, जल्द ही भेद खुल जाते हैं। ऐसे अधूरे ज्ञान वाले व्यक्ति हमारे समाज के लिए भी बहुत हानिकारक साबित हो सकते हैं।

आइए हम इस बात को एक कहानी के द्वारा समझे Example Story

यह कहानी है कपिल कि, कपिल फार्मेसी विभाग का छात्र था, उसने जिले के नामी कॉलेज में दाखिला लिया हुआ था। परन्तु वह पढ़ाई के दौरान आनाकानी करता था एवं मन से पाठ नहीं याद करता था, उसके शिक्षक उसको हमेशा पढ़ाई को लेकर टोकते थे। वह हमेशा खेल एवं अन्य कार्यों में अपना समय गंवाता था। धीरे धीरे समय बीता, और वह दिन आ ही गया जब उसकी पढ़ाई पूरी हो गई और नौकरी करने का समय आया।

अब उसने नौकरी के लिए प्रयास करना शुरू किया एवं जगह जगह इंटरव्यू दिए, पर वह जिस भी कंपनी में इंटरव्यू के लिए जाता, उसे अस्वीकार ही किया जाता। धीरे धीरे वह हिम्मत हारने लगा था, उसके हौसले कम होने लगे थे। अब उसे अपने शिक्षकों की बातें याद आने लगी थी और उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था, अब उसे लग रहा था कि अगर वह सही समय पर ध्यान से पढ़ाई कर लेता तो आज उसके पास संपूर्ण ज्ञान होता अथवा उसे इतनी नकारात्मकता का सामना ना करना पड़ता।

नौकरी ना मिलने के कारण उसने अपनी इज्जत एवं आत्म सम्मान, सभी कुछ खो दिया; अगर उसने सही पढ़ाई की होती अथार्त अपने शिक्षकों की बात मानी होती, तो उसके पास पूरी जानकारी होती एवं नौकरी के ढेरों अवसर होते और साथ ही साथ समाज में इज्जत भी होती।

निष्कर्ष Conclusion

इसलिए जीवन में हमेशा, हर जगह, हर पल, ज्ञान बटोरने कि कोशिश करें। स्वयं को दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञानी समझने कि गलती या घमंड ना करें क्योंकि घमंड सिखने, समझने और ज्ञान प्राप्त करने के सभी रास्तों को  कर देता है।

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