स्कूल कॉलेज का सही टाइम टेबल A Perfect School College Time Table

स्कूल कॉलेज का सही टाइम टेबल A Perfect School College Time Table

टाइम टेबल, तो सबसे पहले समझते हैं कि टाइम टेबल शब्द का अर्थ क्या होता है? दरअसल टाइम टेबल अपने दिन भर के कामों को करने का क्रम है, मतलब आप अपने रोजमर्रा की दिनचर्या के अलग-अलग काम किस वक्त पर करना चाहेंगे और कैसे करना चाहेंगे।

सच कहें तो टाइम टेबल दिनचर्या में अनुशासन लाने की एक प्रक्रिया है। टाइम टेबल को हिंदी में समय सारणी बोलते हैं। टाइम टेबल आपके जीवन में नियम अनुसार काम करने की ललक जगाने में बहुत काम आता है।

टाइम टेबल बहुत अहम चीज है, इसका मतलब है तो टाइम टेबल बनाना जरूरी है। अब बात आती है कि हम टाइम टेबल को कहां और किन स्थितियों में लागू कर सकते हैं। हम टाइम टेबल को ऑफिस में, अपने घर की दिनचर्या में अथवा स्कूल व कॉलेज में लागू कर सकते हैं।

टाइम टेबल के कारण सभी को समय का पालन करना आ जाता है और वक्त की इज्जत करनी आती है, साथ ही इस बात से रूबरू होते हैं कि वक्त बहुमूल्य है, बेशकीमती है, वक्त अगर एक बार हाथ से निकल गया तो फिर कभी वापस लौटकर नहीं आता है। अर्थात हमें वर्तमान समय को जितना अच्छे ढंग से हो सके उतना उपयोग में लाना चाहिए।

स्कूल कॉलेज का सही टाइम टेबल A Perfect School College Time Table

फिर बात आती है कि स्कूल या कॉलेज का टाइम टेबल बनाते कैसे हैं? कौन सी ऐसी चीजें हैं जिन को ध्यान में रखकर टाइम टेबल बनाया जाता है?

तो आइए जानते हैं -:

हर विषय को ध्यान में रखना

टाइम टेबल को बहुत ध्यानपूर्वक बनाया जाता है, ताकि हर विषय की क्लास अथवा लेक्चर को वक्त मिल सके, मतलब सभी विषय टाइम टेबल में उपस्थित रहे।

शिक्षकों का वक्त

टाइम टेबल को बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि एक शिक्षक की क्लास एक ही जगह पर दे। गलती से एक ही समय पर दो अलग कक्षाओं की क्लास ना हो। दरअसल एक शिक्षक कम से कम दो या दो से अधिक विषय अलग-अलग कक्षाओं को पढ़ाते ही है, तो बस इसी बात का ध्यान रखना चाहिए कि एक शिक्षक की क्लास एक ही समय पर दो जगह ना लिखी जाए, इस गलती के कारण बहुत गड़बड़ी और कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।

खेलकूद को भी वरीयता

टाइम टेबल बनाते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि उसमें कम से कम सप्ताह में एक बार खेलकूद के लिए समय जरूर लिखित हो। हां हम मानते हैं कि टाइम टेबल जरूरी विषयों की ध्यान पूर्वक पढ़ाई के लिए होता है पर आप इस बात को दरकिनार नहीं कर सकते हैं कि खेलकूद भी उतना ही आवश्यक है जितनी पढ़ाई लिखाई।

खेल कूद से स्वास्थ्य बना रहता है अथवा पढ़ाई के लगातार टाइम टेबल के बीच एक दिन खेलकूद ताजगी लाने का काम करता है। अतः छात्रों का मन पढ़ाई में और अच्छे से लगता है।

लेक्चर अथवा क्लास का वक्त

टाइम टेबल बनाते समय क्लास या लेक्चर का समय निर्धारित करना चाहिए, कि एक क्लास अमूमन 50 मिनट से ज्यादा की ना हो वरना ऐसे में छात्र-छात्राएं ऊब जाते हैं, पढ़ाई में मन से रूचि बनी रहे इसके लिए यही श्रेष्ठ है कि क्लास का वक्त ज्यादा ना हो।

अन्य अतिरिक्त गतिविधियां

टाइम टेबल बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि पढ़ाई के बीच अतिरिक्त मनोरंजक गतिविधियों का भी वक्त हो, मतलब क्लासेस के बीच अन्य गतिविधियों के लिए एक अलग कक्षा हो इससे छात्रों का मन तरोताजा रहता है और मस्तिष्क की वर्जिश भी हो जाती है। गतिविधियां जैसे के गायन, चित्रकला, नृत्य आदि सभी छात्र-छात्राओं को पसंद होते ही हैं।

अतः उनका भी मन लगा रहेगा और आपको पता होना चाहिए कि पूरे मन से पढ़ाई की बात ही अलग है!! अगर हम कोई भी काम बिना रुचि के करते हैं तो वह काम करना भी व्यर्थ है अतः जो भी काम किया जाए पूरे मन एवं लगन से किया जाए।

खाने का समय निर्धारित हो

टाइम टेबल बनाते समय इस बात का भी खासा ध्यान रखा जाना चाहिए खाने-पीने यानी अमूमन दोपहर के खाने के लिए बिल्कुल ठीक वक्त लिखित होना चाहिए एवं उसका पालन होना चाहिए, क्योंकि भोजन से ही जीवन है और सही समय पर भोजन करना अति उत्तम है।

अगर काम की जरूरत से ज्यादा की भाग दौड़ में ठीक वक्त पर भोजन ही ना हो पाए तो ऐसा काम भी बेकार ही है जो आपकी सेहत को नष्ट कर रहा है और कुछ नहीं,- अर्थात पहले भोजन तथा पोषण फिर सारे काम।

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