बाबा आमटे का जीवन परिचय Baba Amte Biography in Hindi

इस लेख में हिंदी में बाबा आमटे का जीवन परिचय (Baba Amte Biography in Hindi) दिया गया है। इसमें बाबा आमटे का परिचय, उनके जन्म व प्रारम्भिक जीवन, शिक्षा, प्रमुख समाज सुधारक आंदोलन, बाबा आमटे के पुरस्कार, उनके मृत्यु और कुछ प्रेरणादायक सुविचारों को शामिल किया गया है।

बाबा आमटे का जीवन परिचय Biography of Baba Amte in Hindi

अपना पूरा जीवन दबे कुचले और बेसहारा लोगों की सेवा में समर्पित करने वाले बाबा आमटे ऊर्फ डॉ. मुरलीधर देवीदास आमटे एक प्रसिद्ध भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्हें विशेष रूप से गरीब लोगों के पुनर्वास तथा कुष्ठ रोगियों को सहारा देने के लिए जाना जाता है।

वे अपने पूरे गांव में सबसे अमीर जमींदार के यहां जन्मे थे, लेकिन उनकी सादगी और लोक सेवा में योगदान से आज भी मानवता की चिंगारी जीवित है। बाबा आमटे ने महात्मा गांधी के साथ मिलकर अहिंसा आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा भी लिया था। 

अपने किए गए अनमोल योगदानों के कारण वे भारत के सबसे सम्मानित समाज सेवी में से एक थे। बाबा आमटे ने पर्यावरण के संरक्षण के लिए भी कई आंदोलन किए थे। 

इसके अलावा उन्होंने महाराष्ट्र में अपना सबसे प्रमुख समाज सेवा केंद्र स्थापित किया जिसे ‘आनंदवन’ के नाम से जाना जाता है। आनंदवन के अलावा भी बाबा के कारण भारत भर में कई संस्थाएं प्रभावी रूप से कार्यरत हैं।

बाबा आमटे का जन्म व प्रारम्भिक जीवन Birth and Early Life

महाराष्ट्र के वर्धा जिले के हिंगणघाट गांव में 26 दिसंबर 1914 में बाबा आमटे का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम देवीदास हरबाजी आमटे एवं मां का नाम लक्ष्मीबाई आमटे था। 

बाबा आमटे के पिता जी प्रशासन सेवा में एक लेखपाल थे। इसके अलावा बहुत बड़े और अमीर जमींदार भी थे। बरोड़ा से कुछ मील की दूरी पर स्थित एक गांव में उनका जमीनदारी का कार्य चलता था।

विरासत में मिली जमीनदारी के कारण बाबा आमटे का बचपन किसी राजकुमार की तरह गुजरा था। बचपन में रेशमी कुर्ता, जरीदार टोपी और पांव में बेशकीमती सजावटी जूते ही बाबा का वेशभूषा हुआ करता था। 

जब वे थोड़े बड़े हुए तब उन्हें फिल्में देखने का बहुत शौक था, इसके अलावा वे महंगे महंगे स्पोर्ट्स कार चलाने के भी बहुत शौकीन थे। समाज सेवा के कार्य में जुड़ने के बाद कोई भी यह अंदाजा नहीं लगा सकता था, कि बाबा आमटे कितने कुशल अथवा शाही परिवार से ताल्लुक रखते थे।

बाबा आमटे की शिक्षा Education of Baba Amte in Hindi

समाज सुधारक बाबा आमटे की प्रारंभिक शिक्षा नागपुर के एक क्रिश्चियन मिशन स्कूल में पूरी हुई। इसके पश्चात उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा भी प्राप्त कर ली। कानून की डिग्री अर्जित करने के पश्चात वे इसका अभ्यास करने लगे।

बाबा आमटे जब क्रांतिकारियों के दायरे में आए उन्होंने अपने कानूनी ज्ञान की मदद से आंदोलन में बंधी बनाए गए क्रांतिकारियों को छुड़वाया।

समाज सुधारक आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ता

बाबा आमटे पर विनोबा भावे और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का गहरा प्रभाव पड़ा था। इसके पश्चात बाबा ने प्रत्यक्ष रूप से क्रांतिकारी आंदोलनों में सहयोग दिया। 

ब्रिटिशों के भारत छोड़ने के बाद ऐसे ढेरों समस्याएं थी, जो भारतीयों के जहन में बैठ गई थी। बाबा आमटे यह भली-भांति समझते थे, कि जिस तरह अंग्रेजों ने भारतीयों पर अत्याचार व पक्षपात किए, वही कार्य भारतीय भी देश के कमजोर, गरीब और बेसहारा लोगों के साथ कर रहे हैं। 

इसके प्रतिरोध में बाबा आमटे ने कई समाज सुधारक आंदोलन चलाएं। इसके अलावा उन्होंने प्रकृति संरक्षण पर भी जोर दिया। 

समाज सुधारक आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ता बाबा आमटे द्वारा किए महत्वपूर्ण कार्यों को नीचे दर्शाया गया है:

मेधा पाटकर के साथ नर्मदा बचाओ आंदोलन (Narmada Bachao Andolan)

1985 में ‘नर्मदा घाटी बांध परियोजना’ के कारण लगभग लाखों लोगों का विस्थापन किया जाने वाला था। परियोजना के तहत पारिस्थितिकी तंत्र में भी बदलाव के कारण विनाश जैसे परिणाम उत्पन्न हो रहे थे। 

भारत सरकार के इस परियोजना के विरोध में बाबा आमटे और मेधा पाटकर एक ढाल बनकर सामने आए थे। मेधा पाटकर भी एक प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता थी, जिन्होंने समाज सेवा में स्नातक किया था। 

जब इस विनाशकारी परियोजना को स्थापित किया जाना था, तो  वर्ष 1980 में उस स्थान के आसपास रहने वाले आदिवासी और अन्य लोक निवासियों के साथ रहकर उनकी समस्याएं समझने का प्रयास मेधा पाटकर कर रही थीं। बाबा आमटे ने भी इस मामले का खूब विरोध किया था।

वर्ष 1990 में बाबा आमटे ने यह कहते हुए आनंदवन को छोड़ दिया था कि “मैं नर्मदा के साथ रहने के लिए जा रहा हूं। सामाजिक अन्याय के विरुद्ध सभी संघर्षों के प्रतीक के रूप में नर्मदा राष्ट्र के होठों पर रहेगी।”

बाबा आमटे और मेधा पाटकर ने साथ मिलकर नर्मदा बचाओ आंदोलन में कृषि प्रौद्योगिकी में आवश्यक सुधार, छोटे बांध, पीने के पानी के लिए योजनाएं, वाटर शेड का विकास और मौजूदा बांधो की बेहतरी के लिए सरकार से रणनीति की पेशकश की मांग की थी। 

आखिर सच्चाई की जीत हुई और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कारण ही लाखों लोग बेघर होने से बच गए।

आनंदवन आश्रम (Anandvan Ashram)

कुष्ठ रोगी, अंधे, अपंग, कर्णबधिर और समाज से निष्कासित किए गए लोगों को सहारा देने के लिए महाराष्ट्र के चंद्रपुर में वर्ष 1949 में बाबा आमटे ने एक गैर-लाभकारी संगठन की स्थापना की जिसका नाम ‘आनंदवन’ आश्रम रखा गया। 

समाज में योगदान देने तथा दबे कुचले लोगों का सम्मान लौटाने के लिए, उन्हें एक आजीविका चलाने के साथ ही रहने के लिए जगह प्रदान किया।

आनंदवन आश्रम में कृषि, रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल, व्यवसायिक तथा औपचारिक शिक्षा इत्यादि के लिए कई सारी परियोजनाओं की शुरुआत की गई थी। आनंदवन आश्रम के कारण लाखों लोगों के मुख पर मुस्कान लौट आई तथा वे एक बार फिर से समाज में सम्मान के साथ जी रहे हैं।

वन्यजीव संरक्षण आंदोलन में योगदान (Wildlife Safety Programme)

जनजातियों और वन्य जीव संरक्षण के लिए भी बाबा आमटे ने महत्वपूर्ण संघर्ष किए हैं। आनंदवन आश्रम की स्थापना करने के बाद वे दूसरे प्रमुख समाजसेवियों के साथ मिलकर वन्य जीव को संरक्षित करने के लिए भारत सरकार के सामने अहिंसक आंदोलन में भागीदार बने थे।

पारिस्थितिक संतुलन का महत्व लोगों को बताया (Ecological Balance Awareness)

लोगों में पर्यावरण को लेकर जागृति फैलाने में भी बाबा आमटे सबसे आगे रहे। मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का आवश्यकता से अधिक दोहन किया जाना यह पारिस्थितिकी असंतुलन का कारण बन रहा था। 

लोगों को इसके होने वाले परिणामों से अवगत कराते हुए बाबा आमटे ने परिस्थितिकी संतुलन का महत्व बताते हुए उन्हें इसके आवश्यकता के बारे में भी बताया।

बाबा आमटे के पुरस्कार

  • पद्मश्री, भारत सरकार द्वारा (1971)
  • FIE फाउंडेशन इचलकरंजी द्वारा ‘राष्ट्रिय भुषण’ (1978)
  • नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा डी-लिट उपाधि (1980)
  • एन.डी. दीवान अवार्ड, (NASEOH, मुंबई)  (1980)
  • राम्शात्री प्रभुने संस्था द्वारा ‘रामशास्त्री अवार्ड’ (1983)
  • ‘डेमियन डट्टन पुरस्कार’ (1983)
  • ‘रेमन मैगसेसे अवार्ड’ (1985)
  • मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ‘इंदिरा गांधी मेमोरियल अवार्ड’  (1985)
  • ‘राजा राममोहन राय पुरस्कार’ (1986)
  • दी-लिट उपाधि पूना विश्वविद्यालय द्वारा (1985-86)
  • पद्म विभूषण (1986)
  • ‘फ्रांसिस मश्चियो प्लैटिनम जुबिली अवार्ड’ (1987)
  • ‘जी.डी. बिरला इंटरनेशनल अवार्ड’ (1987)
  • ‘घनश्यामदास बिड़ला अन्तराष्ट्रीय अवार्ड’ (1988)
  • ‘फेडरेशन ऑफ़ इंडियन चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री अवार्ड’ (1988)
  • ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार सम्मान’ (1988)
  • ‘ग्लोबल 500 संयुक्त राष्ट्र सम्मान’ (1991)
  • ‘महादेव बलवंत नातू पुरस्कार’,(महाराष्ट्र) (1991)
  • ‘कुसुमाग्रज पुरस्कार’ (1991)
  • ‘आदिवासी सेवक पुरस्कार’ (1991)
  • ‘राइट लाइवलीहुड सम्मान’, स्वीडन द्वारा (1992)
  • भारत सरकार द्वारा ‘डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर दलित मित्र अवार्ड’ (1992)
  • ‘श्री नेमीचंद श्रीश्रिमल अवार्ड’ (1994)
  • विदर्भ महारोगी सेवा मंडल (अमरावती, महाराष्ट्र) द्वारा
  • ‘कुष्ट मित्र पुरस्कार’ (1995)
  • वोलूंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया द्वारा ‘फ्रांसिस टोंग मेमोरियल अवार्ड’ (1995)
  • ‘गृहिणी सखी सचिव पुरस्कार’ (1997)
  • ‘जमनालाल बजाज सम्मान’ (1997)
  • ‘सारथी अवार्ड नागपुर’, महाराष्ट्र (1997)
  • ‘भाई कन्हैया अवार्ड’, श्री गुरु हरिकृष्ण शिक्षण संस्था, (भटिंडा, पंजाब) द्वारा (1997)
  • ‘महात्मा गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट अवार्ड’, नागपुर (महाराष्ट्र) (1997)
  • ‘मानव सेवा अवार्ड’, यंग मैन गांधियन एसोसिएशन, (राजकोट, गुजरात) द्वारा (1997)
  • ‘सावित्रीबाई फुले अवार्ड’, भारत सरकार द्वारा (1998)
  • ‘अपंग मित्र पुरस्कार’ (1998)
  • ‘कुमार गन्धर्व पुरस्कार’ (1998)
  • ‘सतपुल मित्तल अवार्ड’ (1998)
  • ‘दिवालिबेन मोहनलाल मेहता अवार्ड’, मुंबई (1998)
  • ‘जस्टिस के.एस. हेगड़े फाउंडेशन अवार्ड’ (1998)
  • ‘भगवान महावीर मेहता अवार्ड’, मुंबई (1998)
  • ‘बया कर्वे अवार्ड’, पुणे (महाराष्ट्र) (1998)
  • ‘गान्धी शांति पुरस्कार’ (1999)
  • ‘डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल अवार्ड फॉर सोशल चेंज’ 
  • (1999)
  • ‘महाराष्ट्र भूषण सम्मान’, महाराष्ट्र सरकार द्वारा (2004)

बाबा आमटे की मृत्यु Death

9 फरवरी 2008 में बड़ौदा के चंद्रपुर जिले में 94 वर्ष की उम्र में समाजसेवी बाबा आमटे का देहावसान हो गया। 

बाबा आमटे पर 10 वाक्य Few Lines on Baba Amte in Hindi

  1. बाबा आमटे भारत के सबसे प्रसिद्ध व पुरस्कारों से सम्मानित समाजसेवी थे।
  2. बिना किसी शुल्क के बाबा आमटे ने दुखी लोगों के लिए निवास केंद्र, अस्पताल इत्यादि का निर्माण करवाया।
  3. मेधा पाटकर के साथ नर्मदा बचाओ आंदोलन में बाबा आमटे को बहुत प्रसिद्धि मिली थी।
  4. तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा के साथ बाबा आमटे मुलाकात कर चुके हैं।
  5. भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान में से एक पद्मश्री अवार्ड वर्ष 1971 में बाबा आमटे को दिया गया।
  6. उनकी जयंती पर वर्ष 2018 में विश्व विख्यात गूगल सर्च इंजन के डूडल के माध्यम से उन्हें याद किया गया था।
  7. बाबा आमटे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और विनोबा भावे को अपना आदर्श मानते थे।
  8. एक अमीर जमींदार के यहां जन्मे बाबा आमटे ने अपना पूरा जीवन साधारण लोगों की सेवा में समर्पित किया।
  9. 2014 में भारत सरकार द्वारा डाक टिकट पर बाबा आमटे का चित्र प्रदर्शित किया गया था। 
  10. ‘उज्ज्वल उद्यासाठी’ काव्य और ज्वाला आणि फुले’ काव्यसंग्रह बाबा आमटे की सर्वाधिक प्रचलित साहित्यिक कृतियां है।

बाबा आमटे के 10 विचार Baba Amte Quotes in Hindi

  1. अपनी खुशियां दूसरों के साथ साझा ना करने से यह बहुत जल्दी खत्म हो जाती हैं।
  2. कभी भी कल्पना में मत जियो, क्योंकि यह आपके प्रगति में बाधक बन सकता है।
  3. मैं एक बड़ा नेता नहीं बनना चाहता, मैं केवल समाज में जरूरतमंद लोगों के लिए अपनी शक्ति अनुसार उनकी सहायता करना चाहता हूं।
  4. किसी व्यक्ति को भीख देने से वह अकर्मण्य हो जाता है। इससे बेहतर है कि उसे जीवन जीने के लिए कोई आजीविका का साधन प्रदान कर दिया जाए।
  5. आनंद कुष्ठ रोग से भी ज्यादा संक्रामक होता है, जो कई गुना तेजी से फैलता है।
  6. बिना एक उंगली के रहना संभव है, लेकिन आत्मसम्मान के बिना जीवन जीना व्यर्थ है।
  7. दया भाव और सहायता के लिए तत्पर रहना ही मानवता की निशानी है।
  8. इस संसार में लोगों को उनका आत्मसम्मान लौटाना सबसे बड़ा तोहफा है। 
  9. परेशानियां यह मनुष्य को अंदर से मजबूत बनाती हैं।
  10. अपनी वर्तमान परिस्थिति को देखकर भविष्य के बारे में कल्पना करने से बेहतर है, कि अपने आज को और भी अच्छा बनाया जाए।

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