माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय Biography of Makhanlal Chaturvedi in Hindi

क्या आप माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय Biography of Makhanlal Chaturvedi in Hindi हिन्दी में पढ़ना चाहिते हैं? इस लेख में आप माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म, प्रारम्भिक जीवन, शिक्षा, स्वतंत्रता संग्राम मे योगदान, लेखन कार्य, प्रसिद्ध रचनाएं, तथा मृत्यु से जुड़ी जानकारियाँ दी गई है।

माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय Biography of Makhanlal Chaturvedi in Hindi

माखनलाल चतुर्वेदी एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाने जाते है। इसके अलावा वो एक कवि, पत्रकार और लेखक थे। उन्होंने अनेक कहानियाँ, कवितायें, निबन्ध, नाटको की रचना की। वे “पंडित जी” के नाम से मशहूर थे।

स्वतंत्रता पाने के बाद उन्होंने सरकारी पद लेने से मना कर दिया था। वो ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जीवन पर्यन्त लड़ते रहे। महात्मा गांधी से प्रेरित होकर “सत्य और अहिंसा” के मार्ग पर चलते रहे।

उनकी कवितायें देश प्रेम पर आधारित है। उनके नाम पर “माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय” खोला गया है। उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया है।

जन्म और शिक्षा Birth and Education

माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1888 को होशंगाबाद, मध्यप्रदेश में बाबई नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम नन्दलाल चतुर्वेदी था। वो सरकारी प्राइमरी स्कूल में शिक्षक थे।

बालक माखनलाल ने घर पर ही गुजराती, अंग्रेजी, बंगला, संस्कृत भाषा की पढ़ाई की। 1905 में जबलपुर से प्राइमरी टीचर ट्रेनिंग की। इनका परिवार राधावल्लभ सम्प्रदाय का अनुयायी था।

माखनलाल चतुर्वेदी जी का विवाह Marriage of Makhanlal Chaturvedi

माखनलाल चतुर्वेदी जी का विवाह ग्यारसी बाई से हुआ था।

स्वतंत्रता संग्राम में प्रतिभाग Participation As a Freedon Fighter

लोकमान्य तिलक का नारा “स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है” को माखनलाल चतुर्वेदी जी ने अपने जीवन का आदर्श बना लिया था। दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी ने सफलतापूर्वक सत्याग्रह किया था।

“प्रभा” नामक हिंदी समाचार पत्र के संपादक के तौर पर माखनलाल जी को चुना गया। सितंबर 1913 को उन्होंने अपनी शिक्षक की नौकरी छोड़ दी। पूरी तरह स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में शामिल हो गये। पत्रकारिता, लेखन, साहित्य, समाचार पत्र सम्पादन का काम करने लगे।

गणेश शंकर विद्दार्थी कानपुर से “प्रताप” नामक समाचार पत्र निकालते थे जिसका सम्पादन का कार्य भी माखनलाल जी ने शुरू कर दिया। 1920 में महात्मा गांधी ने “असहयोग आंदोलन” शुरू किया जिसमे पहली गिरफ्तारी माखनलाल चतुर्वेदी ने दी। 1930 में “सविनय अवज्ञा आंदोलन” में पहली गिरफ्तारी दी।

पंडित माखनलाल चतुर्वेदी का लेखन कार्य Makhanlal Chaturvedi’s Literary Works

माखनलाल जी ने अनेक नाटक, कविता, कहानी, निबंधों की रचना की। देशप्रेम उनकी रचनाओं में साफ़ दिखता है। उन्होंने अनेक भाषण भी दिए। 1943 में “अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन” की अध्यक्षता की। ब्रिटिश राज के खिलाफ देश के युवाओ को प्रेरित किया।

उनकी शैली नव छायावाद है। उनके सम्मान में मध्य प्रदेश सरकार “माखनलाल चतुर्वेदी पुरुस्कार” हिंदी के श्रेष्ठ कवियों को हर साल प्रदान करती है।

“हिम किरीटनी” नामक पुस्तक पर आपको “देव पुरस्कार” सन 1943 में दिया गया। “हिम तरंगिनी” के लिए प्रथम साहित्य अकादमी पुरस्कार सन 1954 में दिया गया।

भारत सरकार द्वारा “पद्म भूषण” पुरस्कार दिया गया। साहित्यकार संसद प्रयाग द्वारा साहू जगदीश प्रसाद पुरस्कार। 1966 में मध्य प्रदेश सरकार ने 7500 रुपये का सम्मान दिया। सागर विश्वविद्दालय ने डी० लिट् की उपाधि दी।

माखनलाल चतुर्वेदी की प्रसिद्ध रचनाएँ Makhanlal Chaturvedi Famous Literary Works

पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की प्रसिद्ध रचनाएँ है-

कृष्णार्जुन युद्ध’, ‘हिमकिरीटिनी’, ‘साहित्य देवता’, ‘हिमतरंगिनी’, ‘माता’, ‘युगचरण’, ‘समर्पण’, ‘वेणु लो गूँजे धरा’, ‘अमीर इरादे’, ‘गरीब इरादे’ आदि। समय के पाँव उनकी रचनाएँ प्रेम पर आधारित है। उनकी रचनाओं को 2 भागों में बांटा गया है-

  1.       1920 से पहले की रचनायें
  2.       1920 के बाद की रचनायें

पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख कवितायें-

“अंजली के फूल गिरे जाते है”, “आज नयन के बंगले में” “इस तरफ ढक्कन लगाया रात ने” संध्या के बस दो बोल सुहाने लगते है”, भाई छेड़ो नही मुझे” किरणों की शाला बंद हो गयी छुप छुप”, “गली में गरिमा घोल घोल”। मधुर मधुर कुछ गा दो मालिक” “उस प्रभात तू बात न माने”

“पुष्प की अभिलाषा” कविता से —

“चाह नहीं मैं सुरबाला के, गहनों में गूँथा जाऊँ
चाह नहीं प्रेमी माला में, बिंध प्यारी को ललचाऊं
चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, हे हरी डाला जाऊं
चाह नहीं, देवों के शिर पर चढूं भाग्य पर इठलाऊं
मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ पर जायें वीर अनेक

देहांत Death

30 जनवरी 1968 को 78 वर्ष की उम्र में पंडित माखनलाल चतुर्वेदी जी का देहांत हो गया। उन्होंने अपनी अंतिम सांस भोपाल, मध्य प्रदेश में लिया।

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