एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi
इस लेख में एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi पढ़ेंगे। इसमें उनके जन्म, प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, करिअर, विवाह, अवॉर्ड, मृत्यु से जुड़ी जानकारियाँ दी गई है।
एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की जीवनी Biography of Steve Jobs in Hindi
दुनिया के विश्वविख्यात एप्पल कंपनी के बारे में तो आपने सुना ही होगा। लेकिन इस कंपनी को सफल बनाने वाले स्टीव जॉब्स के जीवन के विषय में शायद कम लोग ही जानते होंगे।
दुनिया के अधिकतर महान और अमीर लोगों की तरह स्टीव जॉब्स ने भी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की है। उनका जीवन सभी के लिए बहुत प्रेरणादाई है।
वे नेक्स्ट कंपनी के संस्थापक, एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक तथा सीईओ, एक महान आविष्कारक और उद्यमी थे। उन्होंने दुनिया के सबसे बेहतरीन ऑपरेटिंग सिस्टम्स में से एक ‘मैक’ का निर्माण किया था।
बिना किसी मजबूत फाइनेंसियल और एजुकेशनल बैकग्राउंड के स्टीव जॉब्स ने एप्पल कंपनी की स्थापना किया। एप्पल कंपनी के प्रोडक्ट को इस्तेमाल करना सभी की ख्वाहिश होती है।
स्टीव एक बेहतरीन और अनोखी कला के धनी थे, जो था ‘जिज्ञासा’। स्टीव जॉब्स मानते थे, कि जिज्ञासा दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा है, जिसने इसमें महारत हासिल कर ली उसे आगे बढ़ने से कोई भी नहीं रोक सकता।
नई चीजों को सीखना कभी बंद न करने वाले स्टीव जॉब्स के इस कला ने ही उन्हें इतनी ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उनकी मृत्यु के पश्चात आज भी एप्पल कंपनी दुनिया की नंबर वन कंपनी है।
स्टीव जॉब्स जन्म व प्रारंभिक जीवन Steve Jobs Birth and Early Life
यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में 24 फरवरी 1955 में स्टीव जॉब्स का जन्म हुआ था। उनके वास्तविक माता पिता जोआन शिबल और अब्दुल फतह जन्दाली थे।
अब्दुल फतह सीरिया देश के मुसलमान नागरिक थे, जो विस्कंसिन यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने आए थे। और उनकी मां जोआन शिबल भी उसी यूनिवर्सिटी में पढ़ती थी।
दोनों की मुलाकात हुई और कुछ समय बाद वे रिलेशनशिप में आ गए। शिबल एक कैथोलिक परिवार से थी, जिसके कारण उनके पिता ने एक मुसलमान से रिश्ता रखना और उससे शादी करने की अनुमति नहीं दी। उसके बाद शिबल गर्भवती हो गई और उन्होंने स्टीव को जन्म दिया।
परिवार के डर से शिबल ने नवजात शिशु को एडॉप्शन के लिए कुछ शर्तों के साथ भेज दिया। इसके बाद एक कैथोलिक दंपत्ति ने उन्हें गोद ले लिया। अब स्टीव के दत्तक पिता पॉल जॉब्स और मां क्लारा जॉब्स थीं।
पॉल जॉब्स पेशे से एक इंजीनियर थे। नए नए उपकरणों का निर्माण करना उन्हें बहुत पसंद था। स्टीव जॉब्स पर भी उनके पिता के पेशे का प्रभाव पड़ा। स्टीव जब थोड़े बड़े हुए तो उनकी रूचि इंजीनियरिंग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स चीजों में बढ़ने लगी।
उन्हें बचपन में दोस्त बनाना बिल्कुल भी नहीं पसंद था। यहां तक कि वह स्कूल में भी अकेले ही बैठे रहते थे। स्टीव एक शरारती और पढ़ने में बहुत कमजोर बच्चे थे। 1967 में उनका परिवार कैलिफोर्निया में रहने चला गया, जहां एक अच्छे स्कूल में स्टीव का दाखिला करवाया गया।
स्टीव जॉब्स की शिक्षा Steve Job Education in Hindi
कैलिफोर्निया में रहने के पश्चात स्टीव का एडमिशन एक होमस्टेड हाई स्कूल में करवाया गया। साल 1968 में स्कूल के प्रथम वर्ष में स्टीव जॉब की मुलाकात बिल फर्नांडीस से हुई।
बिल ने उन्हें अपने एक परिचित दोस्त स्टीव वोजनियाक से मिलवाया। देखते देखते जॉब्स और वोजनियाक की दोस्ती बहुत गहरी हो गई। स्टीव जॉब्स का मन अब धीरे-धीरे पढ़ाई से उठने लगा था।
वे क्लास में उसी विषय का लेक्चर अटेंड करते, जिसमें उन्हें रूचि होती थी। उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स और साहित्य में बहुत दिलचस्पी थी, इसलिए वे केवल अपने मनपसंद विषय को ही पढ़ते थे।
1971 तक उन्होंने अपने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी कर ली और अगले वर्ष पार्टलैंड के रीड कॉलेज में दाखिला करवाया। सुप्रसिद्ध कॉलेज होने के कारण वहां की पढ़ाई भी बहुत महंगी थी, जिसकी फीस भरना स्टीव जॉब्स के माता पिता के बस से बाहर हो रहा था।
घर से दूर रहकर एक शेयर्ड हॉस्टल में स्टीव जॉब्स ने अपने कॉलेज में एडमिशन तो ले लिया था, लेकिन आगे की पढ़ाई करने की हैसियत नहीं थी।
स्टीव जॉब्स ने एक सेमेस्टर की पढ़ाई करने के बाद अपना नाम कॉलेज से वापस ले लिया। उन्होंने यह बात अपने माता-पिता को नहीं बताई।
वे ऐसी चीजों में अपने माता पिता की जमा पूंजी खर्च नहीं करवाना चाहते थे, जिसमें उन्हें कोई रुचि ही नहीं थी। कॉलेज ड्रॉपआउट होने के बाद स्टीव ने कैलीग्राफी सीखने का निर्णय लिया और माता-पिता से मिलने वाले पॉकेट मनी से उन्होंने कैलीग्राफी कोर्स की फीस भरी और बहुत कुछ नई चीजें सीखी।
स्टीव जॉब्स के करिअर की शुरुवात Start of Steve Jobs Career in Hindi
1974 में कॉलेज छोड़ने के पश्चात अपने माता पिता के पास वापस घर चले गए। अपना खर्चा चलाने के लिए वे नौकरी की तलाश करने लगे इसके बाद उन्हें अटारी नामक कंपनी में टेक्नीशियन का काम मिला।
कंपनी में उन्होंने कई महीनों तक काम किया, जिससे उनके रोजमर्रा के खर्च के लिए आवश्यकतानुसार पैसे मिल जाया करते थे। स्टीव जॉब्स को आध्यात्मिकता से भी बहुत लगाव था।
जब वे लंबे समय तक काम करने के कारण डिप्रेस्ड हो गए थे, तो वे अपने जमा किए गए सेविंग को इकट्ठा करके अपने दोस्त के साथ भारत चले गए।
भारत में उन्होंने लगभग 7 महीने गुजारे और अध्यात्मिक ज्ञान की समझ ली। अमेरिका वापस जाने के बाद स्टीव जॉब्स और उनके दोस्त वोजनियाक साथ मिलकर काम करने लगे।
एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स Apple Founder Steve Jobs in Hindi
वर्ष 1976 में वोजनियाक ने एक एप्पल प्रथम कंप्यूटर बनाया और इसे अपने अन्य साथियों और स्टीव जॉब्स के सामने प्रदर्शित किया। स्टीव जॉब्स, वोजनियाक और रोनाल्ड वायने ने एक साथ मिलकर उसी वर्ष एप्पल नामक कंपनी की स्थापना कर दी।
शुरुआत में तीनों मुख्य सदस्यों ने इस कंपनी में इन्वेस्टमेंट किया। कंपनी को सबसे पहले एक छोटे से गैरेज में खोला गया था।
स्टीव जॉब्स और वोजनियाक तो कंपनी के काम में लगे रहे, लेकिन रोनाल्ड वायने ज्यादा दिन तक कंपनी से जुड़े नहीं रह सके। स्टीव जॉब्स ने अपने दोस्त वोजनियाक को कंपनी के संचालक और फाउंडर के रूप में लंबे समय तक रहने दिया।
कंपनी के निर्माण के बाद उसमें अब बड़ी इन्वेस्टमेंट की जरूरत थी, जिसके लिए वोजनियाक ने अपने एक एचपी कैलकुलेटर और स्टीव जॉब्स ने अपने वॉल्सवैगन वेन को बेच दिया।
अधिक पूंजी की आवश्यकता पड़ने पर स्टीव और उनके दोस्त ने एप्पल प्रथम कंप्यूटर के कई इकाइयों को बेचना शुरू कर दिया, जिससे काफी पैसे आना शुरू हो गए थे। धीरे-धीरे करके उनकी कंपनी लोगों के बीच मशहूर होती गई।
कुछ सालों बाद 24 जनवरी 1984 में मैकिनटोश कंप्यूटर को स्टीव जॉब्स ने लांच किया। उस समय माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज सॉफ्टवेयर आईबीएम के कंप्यूटर में आना शुरू हो गए थे। यह स्टीव जॉब्स के मैकिनटोश कंप्यूटर को सीधे चुनौती दे रहा था।
उस समय उसकी ज्यादा बिक्री भी नहीं हो रही थी, क्योंकि स्टीव जॉब्स के यह कंप्यूटर बहुत महंगे और अमीरों की पहुंच के अंदर ही आया करते थे। लेकिन आईबीएम के कंप्यूटर मध्यम वर्गीय लोग भी उपयोग कर सकते थे।
देखते-देखते मैकिनटोश कंप्यूटर के शेयर मार्केट में बहुत नीचे गिरते गए, जिससे कंपनी को भारी नुकसान पहुंचा। कंपनी को होने वाले इतने बड़े घाटे के कारण एप्पल कंपनी के ही एक बोर्ड डायरेक्टर स्कली ने स्टीव जॉब्स को एप्पल कंपनी के सीईओ पद से हटा दिया।
अपने ही कंपनी से बेदखल करने के बाद स्टीव जॉब्स ने खुद रिजाइन कर दिया, जिसके बाद उनके कई साथियों ने भी कंपनी छोड़ दी।
वर्ष 1985 में जॉब्स ने “नेक्स्ट” नाम की एक कंपनी स्थापित की। प्रारंभ में कंपनी को चलाने के लिए पैसे की आवश्यकता थी, जिसे रोस पेराट नामक एक बड़े इन्वेस्टर व मिलेनियर ने इसकी आपूर्ति की।
उन्होंने स्टीव जॉब्स की कंपनी में बहुत बड़ा निवेश किया, जिससे कंपनी चल पड़ी। नेक्स्ट कंपनी ने कंप्यूटर का निर्माण किया, जो स्टीव जॉब्स के लाइफ चेंजिंग के रूप में जाना गया।
नेक्स्ट कंपनी के कंप्यूटर मुख्यतः तकनीकी प्रायोगिकी, शैक्षणिक समुदाय, वैज्ञानिकों और फाइनेंस इत्यादि के उद्देश्य से बनाए गए थे। स्टीव जॉब्स द्वारा निर्मित यह कंप्यूटर हाई क्वालिटी के थे और बाजार में भी बहुत महंगे लगभग $10000 से भी ज्यादा मूल्य के थे।
1997 में एप्पल ने ही जॉब्स के इस नेक्स्ट कंपनी को खरीद लिया। कंपनी के लोगों को यह समझ आ गया था, कि यदि माइक्रोसॉफ्ट और दूसरे प्रतिस्पर्धियों का कोई सामना कर सकता है, तो वह केवल स्टीव जॉब्स हैं।
डील होने के बाद स्टीव जॉब्स को एप्पल ने फिर से सीईओ का पद लौटा दिया। कंपनी में वापस आते ही स्टीव जॉब्स ने ग्राहकों के मांग के अनुसार उच्च गुणवत्ता और सामान्य मूल्य वाले प्रोडक्ट लॉन्च करने शुरू कर दिए।
यूजर फ्रेंडली, भाव में सामान्य और शानदार क्वालिटी वाले कुछ प्रोडक्ट जिनमें आईपैड, आईमैक और आईफोन इत्यादि शामिल थे, सर्वप्रथम उन्हें बाजार में लांच किया गया। जॉब्स ने एप्पल कंपनी को इतनी ऊंचाई तक पहुंचा दिया, कि अब कोई भी उनकी बराबरी नहीं कर सकता था।
स्टीव जॉब्स के कारण ही एप्पल और उनके बाकी कंपनियों के शेयर दिन-ब-दिन आसमान छूते गए। तब से लेकर आज तक मार्केट में केवल एक ही नाम चलता है वह एप्पल कंपनी का।
विवाह व निजी जीवन Marriage and Personal Life of Steve Jobs in Hindi
वर्ष 1991 में स्टीव जॉब्स का विवाह लोरेन पॉवेल से हुआ। कुछ समय बाद ही उनके पुत्र रीड जॉब्स और बेटियां लिसा ब्रेनन्न जॉब्स, एरिन जॉब्स तथा इव जॉब्स का जन्म हुआ।
वैसे तो स्टीव ईसाई धर्म में पैदा हुए थे, लेकिन अध्यात्म की दुनिया से जुड़े भारत से भी उनका बड़ा लगाव था। जब उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी, तो वो भारत आए और यहां रह कर आंतरिक शांति और ज्ञानवर्धक चीजें सीखी।
कैलिफोर्निया में पढ़ाई करने के दरमियान स्टीव जॉब्स के पास पैसे नहीं हुआ करते थे, इसलिए वे रोज कई मील पैदल चलकर राधा कृष्ण के स्कॉन टेंपल जाते थे और वहां भगवान का प्रसाद खाकर अपना पेट भरते थे।
पुरस्कार Award
- टाइम मैगजीन द्वारा 1982 में एप्पल कंप्यूटर को “मशीन ऑफ द ईयर” का खिताब प्रदान किया गया।
- अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा 1985 में स्टीव जॉब्स को “नेशनल मेडल ऑफ टेक्नोलॉजी” और उसी साल “साम्युएल एस बिएर्ड पुरस्कार” 1985 से नवाजा गया।
- फॉर्चून मैगजीन द्वारा 2007 में उन्हें उद्योग की दुनिया में सबसे शक्तिशाली पुरुष का खिताब प्रदान किया गया। और उसी साल ‘कैलिफोर्निया हाल ऑफ फेम’ सम्मान भी दिया गया था।
- फॉर्ब्स लिस्ट में “पर्सन ऑफ द ईयर” का खिताब 2010 में स्टीव जॉब्स को दिया गया।
- मरणोपरांत 12 फरवरी 2012 में “ग्रैमी न्यासी पुरस्कार” भी मिला।
- इसके अलावा स्टीव जॉब्स के जीवन पर आधारित दो फिल्में ‘जॉन कार्टर’ और ‘ब्रेव’ उनके सम्मान में बनाई गई।
स्टीव जॉब्स की मृत्यु Death of Steve Jobs in Hindi
स्टीव जॉब्स को कैंसर की गंभीर बीमारी थी, यह बात उन्हें अक्टूबर 2003 में पता चली। कुछ साल बाद 24 अगस्त 2011 में वे खुद सीईओ पद से हट गए और अपनी जगह टीम कुक को कंपनी का सीईओ बना दिया तथा खुद चेयरमैन के रूप में काम करते रहे।
2004 में पहली बार उनकी सर्जरी हुई और सफलतापूर्वक ट्यूमर को निकाला गया। 2009 में उनका स्वास्थ्य फिर एक बार बिगड़ा, लेकिन वे कंपनी में निरंतर काम करते रहे।
इतनी गंभीर बीमारी के बाद भी उनका लक्ष्य कभी भी उन्हें घर बैठने की इजाजत नहीं देता था। 5 अक्टूबर 2011 में एक बार फिर स्टीव जॉब्स की तबीयत बहुत खराब हो गई और कैलिफोर्निया के पालो अल्टो में उन्होंने अंतिम सांसे ली।
स्टीव जॉब्स से जुड़े रोचक तथ्य Interesting Facts About Steve Jobs in Hindi
- स्टीव जॉब्स को समर्पित एक बेहद प्रसिद्ध डिजनी पिक्सर द्वारा बनाई गई ब्रेव फिल्म थी, जो बहुत मशहूर हुई।
- कहते हैं कि अपनी कंपनी का नाम स्टीव जॉब्स को सेब के एक बगीचे में बैठे बैठे सूझा, जिसके बाद उन्होंने एप्पल कंपनी का निर्माण किया।
- दुनिया के सबसे जाने-माने अरबपतियों में से एक स्टीव जॉब्स ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई अधूरी ही छोड़ दी थी।
- स्टीव जॉब्स को भारत देश से बहुत लगाव था और वह वहां की संस्कृति और धर्म से बहुत प्रभावित थे।
- एप्पल कंपनी के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स को उनके ही कंपनी से बेदखल कर दिया गया था।
- दुनिया के सबसे पावरफुल बिजनेसमैन में स्टीव जॉब्स का नाम भी आ चुका है।
उनके कुछ प्रेरणादायक सुविचार (Steve Jobs Quotes in Hindi)
- छोटी- छोटी सफलताओं का जश्न मनाने से बेहतर है, कि पिछली असफलताओ से कुछ सीखा जाए।
- आपको क्या नहीं करना चाहिए, यह निर्णय लेना भी उतना ही ज़रूरी है, जितना यह तय करना कि क्या करना चाहिए।
- किसी भी कंपनी की प्रतिभा और सफलता उसके द्वारा बनाए गए प्रॉडक्ट्स के क्वालिटी पर निर्भर करता है।
- आपके पास सीमित समय है, इसलिए इसे दूसरों को खुश करने में बर्बाद करने के बजाय सही चीज़ों में खर्च करिए।
- एक बड़ी कंपनी को खड़ा करने और सफ़ल बनाने में किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक मजबूत टीम की जरुरत होती है।
- नेवी जॉइन करने के बजाय एक समुद्री लड़ाकू बनना ज्यादा मजेदार है।
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