वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेंकटरमन का जीवन परिचय पढ़ें : सी वी रमन की जीवनी C V Raman Biography in Hindi
सर चंद्रशेखर वेंकटरमन एक महान वैज्ञानिक थे जिन्होंने भौतिक विज्ञान क्षेत्र में अपने कार्यों से भारत माता का नाम रोशन किया। वह पहले भारतीय थे जिनको भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया था। सीवी रमन जी बहुत ही तेज दिमाग वाले व्यक्ति थे। अन्य बच्चों के मुकाबले उन्होंने बहुत ही कम उम्र में अपने मैट्रिक की परीक्षा को पूर्ण कर लिया था।
एक गणित और भौतिक विज्ञान के लेक्चरर के पुत्र होने के कारण शुरुआत से ही उनके आस-पास शैक्षिक वातावरण रहा जिसके कारण उन्हें भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में अच्छा ज्ञान मिल सका। उनके दोस्तों का कहना था कि बचपन से ही उनका मन कुछ ना कुछ अच्छा सीखने का और खोज करने का रहता था। वह दूसरों बच्चों से बहुत ही अलग थे और कम उम्र में ही उन्हें ऑप्टिक्स और एकॉस्टिक के विषय मैं अनुसंधान करना अच्छा लगता था।
उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत एक उप अकाउंटेंट जनरल के रूप में शुरू की परंतु सी वी रमन जी ने कभी भी अपने अनुसंधान को बंद नहीं किया वह उस में लगे रहे। अपने भौतिक विज्ञान के परीक्षणों और अनुसंधान के लिए वह रात-दिन मेहनत किया करते थे।
वह ग्लेशियर के नीले रंग से बहुत प्रभावित थे और समुद्र के नीले पानी के रहस्य को हल करना चाहते थे इसीलिए उन्होंने ‘प्रकाश के बिखरने’ Scattering of light के विषय में कई लगातार प्रयोग किए और बाद में इन्हीं मेहनत के कारण उन्होंने इस को सुलझाया और वही आज रमन इफ़ेक्ट के नाम से जाना जाता है।
चन्द्रशेखर वेंकटरमन – सी वी रमन की जीवनी C V Raman Biography in Hindi (Sir Chandrasekhar Venkat Raman Life Story in Hindi)
Contents
प्रारंभिक जीवन Childhood & Early Life
सीवी रमन जी का जन्म 7 नवंबर, 1888 को तिरुवनैकवल, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडू में पिता आर चंद्रशेखर अय्यर और माता पार्वती अम्माल के घर में हुआ। उनके पिता एक अध्यापक थे जो बाद में विशाखापट्टनम कॉलेज में गणित और भौतिक विज्ञान के लेक्चरर बने।
सीवी रमन ने प्रारंभिक शिक्षा सेंट अलॉयसियस एंग्लो इंडियन हाई स्कूल, से पूरी की। वह बहुत ही बुद्धिमान विद्यार्थी थे और मात्र 11 वर्ष की आयु में ही उन्होंने अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी कर ली थी। उन्होंने 13 वर्ष की आयु में अपने इंटरमीडिएट की परीक्षा पूरी करनी थी और वह भी स्कॉलरशिप के साथ।
उन्होंने साल 1902 में मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज मैं दाखिला लिया और वहां से उन्होंने 1904 में भौतिक विज्ञान में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। साथ ही उन्होंने अपने कॉलेज में टॉप किया और वह गोल्ड मेडलिस्ट भी बने। उसके 3 साल बाद 1917 उन्होंने अपने एम ए की पढ़ाई पूरी की।
कैरियर Career
सीवी रमन जी को विज्ञान में बहुत दिलचस्पी थी इसीलिए उनके पिता द्वारा आग्रह करने पर उन्होंने वित्तीय सिविल सेवा परीक्षा में आवेदन किया। रमन जी ने इस परीक्षा में टॉप किया और साल 1907 में उन्होंने भारतीय वित्त विभाग में सहायक लेखाकार जनरल के रूप में जॉइन किया। परंतु तब भी उनका दिल-ओ-दिमाग तो अपने अनुसंधान के ऊपर ही बना हुआ था इसीलिए उन्होंने खाली समय में इंडियन एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन में शोध शुरू किया।
बहुत ही ज्यादा काम की नौकरी होते हुए भी वह रात दिन कर के अपने शोध के लिए समय निकालते थे। इंडियन एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन में कम सुविधाएं होने के बाद भी रमन कभी हार नहीं माने और अपनी खोजों के बारे में हमेशा ही बड़े-बड़े इंटरनेशनल जर्नल जैसे Nature,‘The Philosophical Magazine, और Physics Review में प्रकाशित करते रहे। उस समय सीवी रमन जी खासकर वाइब्रेशन और एकॉस्टिक के ऊपर शोध कर रहे थे।
सन 1917 में उन्हें कोलकाता यूनिवर्सिटी से जुड़ने का मौका मिला जहां भी भौतिकी के पहले पालित प्रोफेसर बने। सी वी रमन जी को उनके सरकारी नौकरी में यूनिवर्सिटी से ज्यादा वेतन मिलता था परंतु विज्ञान के प्रति अत्यधिक प्रेम होने के कारण उन्होंने खुशी-खुशी यूनिवर्सिटी के नौकरी को चुना।
साल 1919 में उन्हें ‘कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ के लिए ‘भारतीय संघ का मानद सचिव’ बनाया गया। इसी पद पर सी वी रमन जी ने 1933 तक कार्यभार संभाला। 1920 के आखिरी समय में रमन जी ने ‘प्रकाश के बिखरने’ Scattering of light पर प्रयोग किए जिसमें एकरंगा प्रकाश (monochromatic light) के किसी पारदर्शी चीज (transparent material) से पार होकर एक स्पेक्ट्रोग्राफ (spectrograph) पर पढ़ने पर दिखने वाली व्यवहार को समझना था। इसी प्रयोग की मदद से उनहोंने विज्ञान के क्षेत्र में एक नया खोज किया जिसे1928 में वैज्ञानिकों की बैठक में सबके समक्ष रखा गया। उसे अविष्कार को रमन इफ़ेक्ट (Raman Effect) के नाम से आज भी जाना जाता है।
भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु Indian Institute of Science (IISc) मैं सीवी रमन जी को आमंत्रित किया जहां उन्होंने साल 1933 मैं इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर के रूप में पद ग्रहण किया। रमन जी ने वहां डायरेक्टर के रूप में 1937 तक अपना योगदान दिया और 1948 तक भौतिकी विभाग के प्रमुख के रूप में काम किया।
साल 1948 में उन्होंने रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट, बेंगलुरु Raman Research Institute (RRI) की स्थापना की ताकि भौतिकी के क्षेत्र में कई प्रकार के वैज्ञानिक अनुसंधान किए जा सके। उसके बाद वह अपने अंतिम समय तक इस इंस्टिट्यूट से जुड़े रहे।
मुख्य योगदान Major Works
- ‘रमन इफ़ेक्ट’ की खोज।
- उन्होंने अनुसंधान के माध्यम से दिखाया की जब प्रकाश एक पारदर्शी सामग्री को पार करता है, तो कुछ विचलित प्रकाश तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन लाते हैं।
- 20 वी सदी में उन्होंने भौतिकी के क्षेत्र में एक नया क्रांति छेड़ा।
अवार्ड और उपलब्धियां Awards & Achievements
- साल 1930 भौतिकी में नोबेल प्राइज।
- साल 1954 को भारत रत्न अवार्ड से नवाजा गया।
निजी जीवन और मृत्यु Personal Life & Death
सन 1907 में उनका विवाह लोकसुंदरी अम्माल से हुआ और उनके दो पुत्र हुए चंद्रशेखर रमन और वेंकटरमन राधाकृष्णन। सीवी रमन जी सुब्रमण्यम चंद्रशेखर जी के चाचा थे जिनको भी 1983 में चंद्रशेखर लिमिट के खोज के सम्मान में नोबेल प्राइज दिया गया था। साल 1970 में सर चंद्रशेखर वेंकटरमन (सी वी रमन जी) का 82 वर्ष की आयु मे देहांत हुआ।
बाद में सीवी रमन जी के पुत्र वेंकटरमन राधाकृष्णन भी अंतरिक्ष वैज्ञानिक बने जिन्होंने खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी के क्षेत्र में अपना अच्छा योगदान दिया।