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Home » Festivals & Events » बाल दिवस पर भाषण व निबंध Childrens Day Speech and Essay in Hindi

बाल दिवस पर भाषण व निबंध Childrens Day Speech and Essay in Hindi

Last Modified: January 4, 2023 by बिजय कुमार 2 Comments

बाल दिवस पर भाषण और निबंध Childrens Day Speech and Essay in Hindi

इस लेख में हमने 14 नवम्बर बाल दिवस पर भाषण और निबंध (Childrens Day Speech Essay in Hindi) स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए हिन्दी में लिखा हुआ है। इसमें हमने 3-4 भाषण के नमूने और उदाहरण दिए हैं जो 400, 700, 1000, 1200 शब्दों में लिखा गया है।

बाल दिवस (Children’s Day) को पंडित जवाहरलाल नेहरु जी के जन्म दिवस 14 नवम्बर को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। यह उत्सव पुरे भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है। बच्चों के शिक्षा के अधिकार के विषय में हर व्यक्ति को जागरूक करने की यह एक बेहतरीन मुहीम है।

नेहरु जी के मृत्यु से पूर्व भारत में लोग बाल दिवस, पूरी दुनिया के साथ 20 नवम्बर को मनाया करते थे।

बाल दिवस पर भाषण – विडियो

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  • बाल दिवस पर लघु निबंध Children’s Day Essay in Hindi (500 Words)
  • बाल दिवस पर भाषण (400, 800, 1000 Words में)
    • बाल दिवस पर लघु भाषण Childrens Day Speech in Hindi (400 Words)
    • बाल दिवस पर भाषण Childrens Day Speech in Hindi (1000 Words)
    • बाल दिवस के लिए हिन्दी भाषण Speech on Childrens Day in Hindi (800 Words)

बाल दिवस पर लघु निबंध Children’s Day Essay in Hindi (500 Words)

बाल दिवस (Children’s Day) प्रतिवर्ष 14 नवम्बर को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु जी के जन्म दिवस पर बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन को उत्सव के रूप में मनाने का मुख्य कारण चाचा नेहरु को श्रद्धांजलि देने और देश भर के बच्चों की स्तिथि में सुधर लाना है।

बच्चे जवाहरलाल नेहरु जी को बहुत प्यार करते थे इसलिए उन्हें चाचा नेहरु कह कर बुलाते थे और नेहरु जी भी बच्चों से बहुत प्रेम करते थे। चाचा नेहरु एक बड़े व्यक्ति और नेता होने के बाद भी बच्चों से मिलते थे और उनसे बातें करते थे। उसी भाव के कारण उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में भारत में मनाया जाता है।

इस दिन को राष्ट्रीय तौर पर लगभग सभी स्कूलों और कॉलेजों में धूम-धाम से बाल दिवस मनाया जाता है। इस दिन सभी स्कूलों को सुन्दर से सजाया जाता है, बच्चों का सम्मान किया जाता है और ऐसे आयोजन किये जाते हैं जिनसे बच्चे बहुत खुश हों।

इस दिन सभी स्कूल खुले रहते हैं और स्कूलों में कई प्रकार के आयोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। यह सभी प्रोग्राम खासकर शिक्षकों द्वारा अपने छात्रों के लिए आयोजित होता है।

इसमें तरह-तरह के प्रोग्राम जैसे भाषण देना, गीत गाना, नृत्य, चित्रकला, प्रश्नोत्तरी, कहानी प्रस्तुति, वाद-विवाद प्रतियोगिता, कविता या फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता आयोजित किये जाते हैं। इन प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को स्कूल प्रशासन द्वारा पुरस्कृत किया जाता है।

बच्चे इस दिन को बहुत पसंद करते हैं क्योंकि वे इस दिन किसी भी प्रकार के रंगीन कपडे पहन कर स्कूल जा सकते हैं। उत्सव के अंत में सभी बच्चों को मिठाइयाँ और चॉकलेट बांटे जाते हैं। स्कूल और कॉलेज के कुछ शिक्षक भी विभिन्न प्रोग्राम में भाग लेते हैं जैसे ड्रामा, नृत्य।

कई शिक्षा संस्थानों में इस दिन बच्चे और शिक्षक मिल कर पिकनिक भी जाते हैं। इसी दिन टेलीविज़न या रेडियो पर बाल दिवस से जुड़े कई प्रोग्राम बच्चों को सम्मान देने के लिए प्रस्तुत किये जाते हैं क्योंकि आज के बच्चे ही कल का भविष्य हैं।

बच्चे देश का मूल्यवान संपत्ति हैं और वही भविष्य के लिए आशा हैं। देश के सभी लोग बच्चों के बेहतर स्तिथि के विषय में अच्छे से सोचें यह सोच कर चाचा नेहरु ने अपने स्वयं के जन्म दिन को बाल दिवस (Children’s Day) मनाने के लिए चुना था।

पढ़ें: शिक्षक दिवस पर निबंध और भाषण

बाल दिवस पर भाषण (400, 800, 1000 Words में)

बाल दिवस पर लघु भाषण Childrens Day Speech in Hindi (400 Words)

माननीय प्रधानाचार्य महोदय, अध्यापकगण, और मेरे प्यारे मित्रों, आप सभी को मेरी तरफ से शुभ प्रभात। यह हम सभी के लिए बहुत ही ख़ुशी की बात है की आज हम सब आज बाल दिवस के अवसर पर यहाँ एकत्र हुए हैं।

इस शुभ अवसर पर बाल दिवस के विषय में अपने कुछ विचार आप सबके साथ व्यक्त करना चाहता हूँ। बच्चे इस समाज और घर की खुशियाँ हैं और साथ ही वे देश का भविष्य भी हैं।

हमें बच्चों के महत्व को उनके माता-पिता, शिक्षक, और जीवन के अन्य सभी लोगों के साथ भागीदारी को नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए। बच्चों के बिना यह जीवन पूरी तरीके से बोरिंग है। बच्चों का दिल बहुत ही साफ़ होता है उनके हर बात में सच्चाई छलकती है।

बाल दिवस प्रतिवर्ष बच्चों को सम्मान और शुक्रिया देने के लिए मनाया जाता है। यह उत्सव अन्य-अन्य देशों में अलग-अलग तारीखों में मनाया जाता है। भारत में हर साल हम 14नवम्बर को हमारे प्रथम प्रधानमंत्री, महान स्वतंत्रता सेनानी, पंडित जवाहरलाल नेहरु के जन्म दिवस पर मनाते हैं।

वे एक राजनीतिक नेता थे जो बच्चों के साथ बहुत समय बिताते थे और बच्चों के भी प्यारे थे। बाल दिवस पर बच्चे ढेर सारी खुशियाँ मनाते हैं। यह दिन हमको बच्चों के प्रति हमारे प्रण को याद दिलाता है जो हमने बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य, शिक्षा और अच्छे जीवन के लिए लिया था।

बच्चे मजबूत राष्ट्र के लिए निर्माण ब्लाक के जैसे काम आते हैं। बच्चे होते तो छोटे हैं पर उनमें ही देश को सकारात्मक तरीके से आगे ले जाने की क्षमता होती है। बाल दिवस के कारण  हमें बच्चों के सही अधिकारों के विषय में पता चलता है और पता चलता है कि उन्हें सही सुविधाएँ मिल रही हैं या नहीं।

बच्चे ही कल के नेता हैं इसलिए उनको सम्मान, सही देखभाल, माता-पिता से सुरक्षा मिलना चाहिए। आज हम आपको बच्चों के कुछ अधिकारों के विषय में बताने जा रहे हैं।

  • बच्चों को उनके माता-पिता से सही देखभाल और प्यार मिलना चाहिए।
  • बच्चों को स्वस्थ और पोषक खाना, साफ़-सुथरे कपडे, और सुरक्षा मिलना चाहिए।
  • बच्चों को स्वस्थ खुले मन से रहने का वातावरण मिलना चाहिए तथा मनोरंजन की सुविधा भी मिलनी चाहिए।
  • बच्चों को पूर्ण रूप से शिक्षा मिलनी चाहिए।
  • अपांग और बीमार बच्चों को अच्छा देखभाल मिलना चाहिए।

बाल दिवस पर भाषण Childrens Day Speech in Hindi (1000 Words)

आदरणीय प्रधानाचार्य, सभी टीचर्स, साथी विद्दार्थियों, आये हुए सभी मेहमानों को मेरा विनम्र नमस्कार। आज हम सभी यहाँ “बाल दिवस” मनाने के लिए उपस्थित हुए है। इस अवसर पर मैं अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

आज का दिन हम “बाल दिवस” के रूप में मनाते है। आज का दिन (14 नवंबर) हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु का जन्मदिन मनाया जाता है। वो बच्चों से बहुत प्यार करते थे इसलिए हम सभी उनके जन्मदिन को “बाल दिवस” के रूप में मनाते है।  

बच्चे ही देश का भविष्य होते है। आने वाले कल की बागडोर उनके ही हाथ में होती है। हर साल 1 जून को अंतराष्ट्रीय बाल दिवस (International Children’s Day)। पूरे उल्लास से मनाया जाता है और 14 नवम्बर को प्रतिवर्ष भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। चाचा नेहरु बच्चो से बात करना, खेलना बहुत पसंद करते थे। प्रधानमंत्री जैसे बड़े पद पर रहते हुए भी वो बच्चों के साथ समय बिताते थे।

वो बच्चो को एक अच्छा नागरिक और देशभक्त बनाने को प्रेरित करते थे। बच्चे उनको प्यार से “चाचा नेहरु” कहते थे। उनका मानना था कि बच्चे ही देश का भविष्य है। बच्चो में सीखने की प्रवृति विकसित करनी चाहिये। घर ही बच्चो की पहली पाठशाला होती है। माता-पिता को चाहिये कि बच्चो के अंदर अच्छे संस्कार विकसित करें।

चाचा नेहरु का कहना था कि देश में लड़का-लड़की को लेकर किसी तरह का पक्षपात नही होना चाहिये। बेटा होने पर घर के लोग खुशी मनाते है जबकि बेटी के जन्म पर लोग दुखी होते है। ऐसा करना सरासर गलत है। बेटी भी उतनी अनमोल है जितना बेटा। भेदभाव करना सही नही है।

चाचा नेहरु का मानना था की यदि हमारे देश के बच्चे योग्य, शिक्षित और हुनरमंद बन जायेंगे तो देश बहुत आगे जायेगा। आज बेटियाँ देश का नाम रोशन कर रही है (पढ़ें: महिला सशक्तिकरण पर निबंध)। सुनीता विलियम्स अमेरिकी एजेंसी नासा के जरिये अंतरिक्ष की यात्रा करने वाली दूसरी महिला बन गयी।

उन्होने अंतरिक्ष में 195 दिन रहने का विश्व कीर्तिमान बनाया है। कल्पना चावला देश की पहली अंतरिक्ष यात्री बनी। वो अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी। खेल के क्षेत्र में आज सानिया नेहवाल, सानिया मिर्जा, पीवी सिन्दू, ज्वाला गट्टा, हिम दास जैसी बेटियाँ देश का नाम रौशन कर रही हैं।

बच्चो को भी अपना कर्तव्य निभाना चाहिये। अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिये। अपने शिक्षको की आज्ञा माननी चाहिये। सभी बड़ो को ये प्रण लेना चाहिये कि बच्चो को शिक्षा मिले, सही आहार मिले जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास हो सके। कोई भी बच्चा बालमजदूरी को बाध्य न हो।

आज हमारे देश में सरकार ने 1 से 14 साल तक के बच्चो की शिक्षा को अनिवार्य कर दिया है। यह निशुल्क एवं बाल शिक्षा अधिनियम 2009 के तहत किया गया है। यह प्राथमिक शिक्षा पूरी तरह से निशुल्क है। स्कूलों में बच्चो को मुफ्त किताबे, ड्रेस, जूते-मोज़े, छात्रवृति उपलब्ध कराई जा रही है जिससे कोई भी बच्चा अशिक्षित न रह जाये।

आज हमारे देश की सरकार अपने कर्तव्य के प्रति पूरी तरह से सचेत है। अब देश में बाल मजदूरी पर रोक लगा दी गयी है। किसी भी दूकान, फैक्ट्री, निजी संस्था पर यदि बच्चे काम करते हुए पाये जायेंगे तो मालिक को जेल भेजा जाता है। आज हम पूरी तरह से जागरूक है की बच्चो का बचपन न छीने। उनको भी स्कूल जाने का अवसर मिले।

1956 में पहली बार “बाल दिवस” हमारे देश में मनाया गया था। इस दिन बच्चो को मिठाइयाँ, फल, टॉफी, गुब्बारे और अन्य चीजे दी जाती है। आज का दिन बच्चे बहुत उत्साह से मनाते है। पंडित जवाहरलाल नेहरु का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था।

उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरु था। उनकी माता का नाम स्वरुपरानी था। वे उच्च शिक्षा के लिए इंगलैंड गये थे। देश की आजादी के लिए आपको कई बार जेल जाना पड़ा। पंडित नेहरु एक महान लेखक भी थे। 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तो उनको प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया था।

वो अपनी पुत्री इंदिरा गांधी से बहुत प्यार करते थे। उनको पत्र भी लिखते थे। इंदिरा गांधी को लिखे पत्रों में भारत की सांस्कृतिक धरोहर, विभिन्नता में एकता देखने को मिलती है। पंडित नेहरु को पुस्तकें पढ़ने और लिखने का बड़ा शौक था। अपने व्यस्त राजनीतिक जीवन में भी वो किताबे पढने का समय निकाल लेते थे। उन्होंने “भारत: एक खोज, मेरी कहानी जैसी पुस्तकें लिखी है।

उन्होंने 1921-22 के “असहयोग आंदोलन” और 1929 के “सविनय अवज्ञा आंदोलन” में हिस्सा लिया और जेल गये। उन्होंने सभी विदेशी वस्तुओ, कपड़ो का त्याग कर दिया था। महात्मा गांधी से मिलने के बाद उन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रीय भूमिका निभाई और अंग्रेजो को देश से खदेड़ने को विवश कर दिया।

हम सभी बच्चो को चाहिये कि चाचा नेहरु के आदर्शो का पालन करें। उनके दिखाये मार्ग पर चले। उनकी तरह एक अच्छा नागरिक बनकर दिखायें। आज हमारे देश में कुछ प्रतिशत बच्चो की हालत ही अच्छी है जबकि देश के 39% बच्चे कुपोषण का शिकार है। गरीबी और धन के आभाव में उनको न तो उचित भोजन मिल पा रहा है ना ही स्कूल जाने का अवसर मिल पा रहा है।

उत्तर प्रदेश बालमजदूरी के मामले में सबसे आगे है। यहाँ पर 21 लाख बाल मजदूर है। पेट की आग बुझाने को वो कच्ची उम्र में काम करने को मजबूर है। उसके बाद महाराष्ट्र, बिहार का स्थान है। बच्चे छोटे मोटी दुकानों, माता-पिता के व्यवसाय में मदद, कारखानों, स्वयं का लघु व्यवसाय जैसे सामान बेचना, होटलों में वेटर, हेल्पर जैसे कामो में लगे हुए है।

भारत के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार देश में 2001 में 5 से 14 साल की उम्र के कुल 1.5 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी को मजबूर थे। 2011 में 43.53 लाख बच्चे बाल मजदूर थे। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्तिथि है।  

हम सभी को मिलकर यह प्रण करना चाहिये की देश के बच्चो को उनका हक दिलाकर रहेंगे। उनका शोषण बंद करने में योगदान देंगे। उनको पढने के लिए स्कूल भेजेंगे। बाल मजदूरी, गरीबी, कुपोषण की समस्या को पूरी तरह से खत्म करेंगे।

यदि पंडित नेहरु के सपनों का देश बनाना है तो देश के बच्चो को उनका हक दिलाना होगा। अच्छी शिक्षा मिलने पर वो शिक्षक, इंजीनियर, वैज्ञानिक, वकील, जज, प्रशासनिक पदों पर जाकर देश का नाम रोशन करेंगे। हम सभी को “बाल दिवस” पूरे मन और उल्लास से मनाना चाहिये। इसी के साथ मैं अपना भाषण समाप्त करता हूँ। धन्यवाद!

बाल दिवस के लिए हिन्दी भाषण Speech on Childrens Day in Hindi (800 Words)

आदरणीय श्रोताओं को सुप्रभात। आज हम सभी यहां पर बाल दिवस के उपलक्ष्य पर इकठ्ठे हुए हैं। आदरणीय श्रोताओं, यह दिवस, राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। मूल रूप से यह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिवस है, और पंडित नेहरू का बच्चों के प्रति अपार प्रेम होने के कारण इस दिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

आदरणीय श्रोताओं, पंडित नेहरू, भारत की आजादी में योगदान देने वाले दिग्गज नेताओं में से एक थे। वे भारत के पहले प्रधानमंत्री होने के साथ साथ, एक अच्छे प्रवक्ता और एक अच्छे वकील भी थे। आदरणीय श्रोताओं पंडित नेहरू ने हमेशा से ही बच्चों के प्रति अपार प्रेम को दर्शाया था। पंडित नेहरू कहते थे कि बच्चों का हृदय सीधा भगवान के हृदय से जुड़ा होता है और उनका मन अत्यधिक निर्मल होता है। 

पंडित नेहरू का बच्चों के प्रति प्रेम के कारण, उन्हे बच्चे चाचा नेहरू कहकर बुलाया करते थे। 

आदरणीय श्रोताओं मैं आज अपने विचारों को दो खंडों में आप सबके सामने रखना चाहूंगा। सर्वप्रथम मैं किसी भी राष्ट्र के निर्माण में, राष्ट्र के बच्चों के किरदार के बारे में, अपने विचार आप सभी के सामने रखना चाहूंगा। 

आदरणीय श्रोताओं, ऐसा माना जाता है कि बच्चे किसी भी राष्ट्र का भविष्य होते हैं। यह बात शत प्रतिशत सत्य है। आदरणीय श्रोताओं, दरअसल बच्चे किसी भी राष्ट्र का भविष्य होने के साथ ही उस राष्ट्र की धरोहर होते हैं। मेरे इस कथन को एक उदाहरण के माध्यम से समझा जा सकता है।

सबसे पहले आप यह देखें कि कोई भी राष्ट्र, जो कि संसाधनों से भरपूर हो, उसे हमेशा ही, मानव संसाधन की जरूरत होती है। दोस्तों इस दुनिया में किसी भी संसाधन का प्रयोग करने के लिए मानव संसाधन की जरूरत होती है। मान लीजिए कोई कार है।

कार एक कीमती संसाधन है और परिवहन के लिए काफी ज्यादा मददगार भी है, लेकिन क्या हो यदि उस कार का कोई ड्राइवर मौजूद न हो। क्या वह कार चल पाएगी। जी नहीं, वह कार नहीं चल पाएगी। उसी प्रकार आदरणीय श्रोताओं, किसी भी देश के पास कितने भी ज्यादा संसाधन क्यूं न हो, वह देश तब तक उन संसाधनों का प्रयोग नहीं कर सकता जब तक कि उनके पास मानव संसाधन न हों। 

आदरणीय श्रोताओं, किसी भी राष्ट्र के विकास में, उसके नागरिकों का विशेष योगदान होता है। वे राष्ट्र के नागरिक ही होते हैं जो राष्ट्र के लिए, एवं राष्ट्र की ओर से कार्य करते हैं। वे बच्चे जो अभी काफी छोटे हैं, वे बड़े होकर एक व्यस्क नागरिक होंगे।

उन पर यह जिम्मेदारी होगी कि वे अपने देश के लिए कार्य करें एवं अपने देश को अपना जीवन समर्पित करे। लेकिन आदरणीय श्रोताओं, ऐसा तब ही मुमकिन हो पाएगा जब उनमें राष्ट्र प्रेम होगा और राष्ट्र प्रेम के बीज उनके बचपन से ही बोए जा सकते हैं। 

आदरणीय श्रोताओं, बच्चे किसी खाली स्लेट की तरह होते हैं। उनके मन मस्तिष्क पर कुछ भी लिखा जा सकता है। वे उस मिट्टी की तरह होते हैं जिन्हे किसी भी रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। बच्चों की यही गुणवत्ता उन्हे सभी वर्गों से अलग बनाती है। पंडित जवाहर लाल नेहरू बच्चों के प्रति सदा ही उदार थे।

आदरणीय श्रोताओं पंडित नेहरू के इन्ही विचारों के कारण यह देखा जा सकता है कि भारत के नागरिक अमेरिका जैसे राष्ट्र में भी भारत का गौरव बढ़ा रहे हैं। आदरणीय श्रोताओं पंडित नेहरू यह चाहते थे कि हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार हो, इस कारण उन्होने अपनी पहली सरकार के दौरान कई ऐसे संस्थान शुरू किए जो भारतीय शिक्षा क्षेत्र में क्रांति साबित हुए। 

आदरणीय श्रोताओं, पंडित नेहरू ने आईआईटी, आईटीआई जैसे संस्थानों की स्थापना की, ताकि भारत के बच्चे विश्व में भारत का गौरव बढ़ा सकें। भारत के बच्चे, भारत का भविष्य है। आदरणीय श्रोताओं, पंडित नेहरू एक दूरदर्शी व्यक्ति थे। वे यह जानते थे कि यदि भारत को आगे बढ़ाना है तो भारत के बच्चों को आगे बढ़ाना होगा। 

बाल दिवस, उनके जन्मदिवस के अवसर पर मनाया जाता है। मैं आज के दिन आप सब से भी इस क्षेत्र में योगदान चाहता हूं। आदरणीय श्रोताओं हम सभी साक्षर हैं। आदरणीय श्रोताओं, पंडित नेहरू के देश में, बच्चों के प्रति इतने उदार नेता के देश में बाल मजदूरी अपने चरम पर है। आज हम यदि बाल मजदूरी के बारे में बात नहीं करें तो यह बाल दिवस का एक झूठा समारोह होगा। 

मैं इस मुद्दे के साथ अपने भाषण का दूसरा भाग शुरू करता हूं। आदरणीय श्रोताओं, बाल मजदूरी भारत में चरम पर है। पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने देश के लिए कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना तो की है लेकिन उन बच्चों को वहां तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है। हम सभी साक्षर हैं और इस ओर हम यह कदम उठा सकते हैं कि हम जरूरत मंदो को भी साक्षर बनाएं।

इस क्षेत्र में मैं दूसरा योगदान यह चाहता हूं कि आप सब, कहीं भी हो रही बाल मजदूरी के खिलाफ आवाज उठाएं। आदरणीय श्रोताओं, बाल मजदूरी को जब जड़ से खत्म कर दिया जाएगा हम तभी पंडित नेहरू के सोचे हुए बाल दिवस को मना पाएंगे। 

चलिए हम सब हाथ से हाथ मिला कर कसम खाएं कि हम अपने देश के भविष्य के नेताओं का अच्छा देखभाल और उनका सम्मान करेंगे जिससे की हम एक सुन्दर देश का निर्माण कर सकें।

मुझे उम्मीद है कि इस विषय पर आप सभी को मेरे विचार पसंद आए होंगे। मैं आप सभी का इस समारोह में स्वागत करता हूं एवं आदरणीय प्रबंधकों से इसे आगे बढ़ाने का निवेदन करता हूं। मुझे सुनने के लिए आप सभी का धन्‍यवाद। मैं अपनी वाणी को यहां विराम देता हूँ।

धन्‍यवाद 

आशा करते हैं आपको बाल दिवस पर यह निबंध और भाषण पसंद आया होगा।

Filed Under: Essay, Festivals & Events, Speech Tagged With: bal diwas essay in hindi pdf, bal diwas in hindi wikipedia, essay on bal mela in hindi, few lines on children's day in hindi, बाल दिवस का महत्व, बाल दिवस क्यों मनाया जाता है, बाल दिवस पर निबंध, बाल दिवस पर भाषण

About बिजय कुमार

नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

Reader Interactions

Comments

  1. Sanjay Kumar singh says

    December 10, 2016 at 2:22 pm

    Very nice

    Reply
  2. abhishek chandak says

    December 31, 2020 at 5:59 pm

    thank you

    Reply

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