चित्रकूट धाम मंदिर व महिमा Chitrakoot Dham History Importance in Hindi
चित्रकूट उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की करवी तहसील और मध्य प्रदेश के सतना जिले की सीमा पर स्थित एक पर्यटक स्थल है। यह इलाहाबाद से 120 किमी की दूरी पर स्तिथ है।
यहां पर अनेक पर्यटक स्थल हैं जो दर्शकों का मन मोह लेते हैं। चित्रकूट धाम मंदाकिनी नदी के किनारे विंध्य पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यहां चारों ओर पहाड़ियाँ, घने जंगल और पेड़ पौधे हैं जिसकी हरियाली मन को बहुत सुकून पहुंचाती है।
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चित्रकूट धाम मंदिर व महिमा Chitrakoot Dham History Importance in Hindi
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चित्रकूट की महिमा व महत्व
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने वनवास के 14 में से 11 वर्ष यहीं पर बिताए थे। इसलिए इस स्थान का पौराणिक महत्व भी है। यहां पर ऋषि अत्री और सती अनुसुइया निवास करते थे।
ब्रह्मा विष्णु महेश ने चित्रकूट में हीं सती अनुसूया के घर जन्म लिया था। रामायण में चित्रकूट धाम की महिमा का वर्णन किया गया है। गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि कलयुग संसार के सभी स्थानों पर छा जाएगा परंतु भगवान राम की महिमा से चित्रकूट पर कलयुग का प्रभाव नहीं होगा।
चित्रकूट के प्रमुख दर्शनीय स्थल
गुप्त गोदावरी
यहां पर दो गुफाएं हैं। पहली गुफा का प्रवेशद्वार बहुत ही संकरा है। इसलिए इसमें पर्यटक मुश्किल से घुस पाते हैं। गुफा के अंत में एक छोटा गुप्त तालाब है जिसे गोदावरी नदी कहते हैं। दूसरी गुफा लंबी और पतली है। इसमें हमेशा पानी बहता रहता है। ऐसी मान्यता है कि गुफा के अंत में राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था।
राम घाट
यह घाट मंदाकिनी नदी के पश्चिम तट पर स्थित है। कहा जाता है कि इस घाट पर भगवान श्रीराम ने स्नान किया था और अपने पिता राजा दशरथ की अस्थियों का विसर्जन भी इसी घाट पर किया था। इस घाट पर स्नान करने से पुण्य मिलता है। व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं। इस घाट के बगल में भरतघाट है जहां भरत स्नान करते थे।
जानकी कुंड
यह रामघाट से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां हरे भरे पेड़ पौधे हैं जो पर्यटकों का मन आकर्षित कर लेते हैं। इस कुंड में माता सीता स्नान किया करती थी। जानकी कुंड के बगल में राम जानकी रघुवीर मंदिर और संकट मोचन मंदिर बना हुआ है।
अनुसुइया अत्री आश्रम
यहां पर सती अनुसुइया का मंदिर बना हुआ है। सती अनुसुइया अत्री मुनि के साथ यहां रहती थी। चित्रकूट में ही ब्रह्मा विष्णु महेश ने सती अनुसुइया के घर जन्म लिया था। ऐसा कहा जाता है कि मंदाकिनी नदी सती अनुसूया के तप से ही उत्पन्न हुई थी।
स्फटिक शिला
एक विशाल शिला पर भगवान राम और सीता के चरणों के निशान बने हुए हैं जिसे स्फटिक शिला कहा जाता है। इस पर बैठकर राम और सीता चित्रकूट की सुंदरता को देखते थे।
कामदगिरि पहाड़ी
यह पहाड़ी 5 किलोमीटर क्षेत्र में स्थित है और जंगलों से घिरी हुई है। इस पहाड़ी पर बहुत से मंदिर बने हुए हैं। श्रद्धालु इस पहाड़ी की परिक्रमा करते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कामतानाथ और भरत मिलाप मंदिर इस पहाड़ी पर बने हुए हैं।
हनुमान धारा
यह 100 मीटर ऊंची 5 मुखी हनुमान की प्रतिमा है जो बहुत विशाल है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने हनुमान के लिए यह स्थान बनवाया था जब वे लंका दहन करके आए थे। हनुमान के जलते हुए शरीर को शांत करने के लिए एक धारा आज भी उस प्रतिमा पर गिरती हुई दिखाई देती है। पहाड़ी के शिखर पर सीता रसोई भी बनी हुई है।
भरत कूप
ऐसा माना जाता है कि भरत ने श्री राम के अभिषेक के लिए इस कुवें को बनाया था। वह भारत के सभी पवित्र स्थानों से जल लेकर आए थे और इस कुएं में जल डाल दिया था। इसमें कुवें का पानी कभी भी कम नहीं होता है। इसकी गहराई पता करना मुश्किल है।
विराज कुंड
इस गड्ढे को लक्ष्मण ने खोदा था। विराज नामक राक्षस को मार कर लक्ष्मण ने उसे इसी गड्ढे में गाड़ दिया था। आज तक इस गड्ढे की गहराई कोई नाप नहीं सका है।
चित्रकूट कैसे जाएं
हवाई मार्ग- यहां जाने के लिए इलाहाबाद हवाई अड्डा चित्रकूट से 125 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बस या टैक्सी की मदद से आसानी से चित्रकूट पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग- चित्रकूट से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कर्वी है जो 8 किलोमीटर दूर स्थित है। चित्रकूट धाम के लिए कानपुर, महोबा, मैहर, झांसी, इलाहाबाद, सतना से भी सीधी ट्रेन की सुविधा उपलब्ध है। बस या टैक्सी द्वारा पर्यटक आसानी से चित्रकूट धाम तक पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग- इलाहाबाद, बांदा, झांसी, कानपुर, महोबा, छतरपुर, सतना, फैजाबाद, लखनऊ, मैहर शहरों से चित्रकूट के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है। दिल्ली से भी चित्रकूट के लिए सीधी बस सेवा उपलब्ध है।
रहने के लिए सुविधाएं
पर्यटकों के रहने के लिए चित्रकूट में बहुत सी धर्मशालाएं बनी हुई है। कोलकाता वालों की धर्मशाला, आगरा वालों की धर्मशाला, माँजी की धर्मशाला, श्रीराम धर्मशाला राठी की कोठी धर्मशाला, तुमसर धर्मसाला जैसी धर्मशालाएं प्रसिद्ध हैं। यहां पर अनेक प्राइवेट होटल भी बने हुए हैं।
चित्रकूट में नगरपालिका का यात्रीग्रह और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा डाक बंगला और वन विभाग द्वारा बनाया गया डाक बंगला भी बना हुआ है जिसमें पर्यटक रुक सकते हैं। यहां पर अनेक मठ और मंदिर भी हैं जहां यात्री निशुल्क रह सकते हैं।