डा. भीम राव अंबेडकर जयंती, जीवनी Dr. B. R. Ambedkar Jayanti – Biography in Hindi
डा. भीम राव अंबेडकर जयंती, जीवनी Dr. B. R. Ambedkar Jayanti – Biography in Hindi
दलित समाज के महान नायक बाबा साहब अम्बेडकर सारे विश्व में प्रसिद्ध है। डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर उन महापुरूषों में से एक है जो भारत देश के लिए युग परिवर्तक थे।
दलित समाज या भारतीय समाज को वर्ण व्यवस्था जैसे अंधविश्वास से निकालकर आत्मसम्मान की राह पर लाने वाले इकलौते व्यक्ति थे। बाबा साहब अम्बेडकर ने हमेशा से समाज का ध्यान उस अन्याय की तरफ किया जिसे लोग अंधविश्वास में मानते आ रहे थे।
डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर ने दलित समाज की स्थिति और उनके अधिकारों के लिए सन् 1951 में जो प्रश्न सामने लाए थे, उन्होंने देखा कि दलित समाज की वह समस्या आज भी वैसे ही है जैसे कि पहले था।
इसलिए उन्होंने भारत की संविधान सभा में अध्यक्ष बनकर भारत के संविधान को लोकतांत्रिक रूप देने का कार्य किया। इसीलिए उन्हें भारत की संविधान का शिल्पकार भी कहा जाता है। डॉ भीमराव अम्बेडकर की आलेखों और बातों में जो तेज था, वह भारत के किसी अन्य नेता में नहीं था।
पढ़ें : Dr. B.R. Ambedkar Short Biography
डा. भीम राव अंबेडकर जयंती, जीवनी Dr. B. R. Ambedkar Jayanti – Biography in Hindi
जन्म और प्रारम्भिक जीवन Birth and Early Life
डॉ भीमराव अम्बेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के महू में 14 अप्रैल सन् 1891 में हुआ था। बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जी के जीवन की सफलता और कठिनाइयां लोगों के लिए प्रेरणा साबित होती है। डॉ भीमराव अम्बेडकर जी भारत संविधान के निर्माता और रचयिता हैं।
अम्बेडकर जयंती के इस दिन को ज्ञान का दिवस और समानता दिवस के नाम से भी जाना जाता और मनाया जाता है। भीमराव अम्बेडकर ने अपना पूरा जीवन समानता के लिए संघर्ष करने मे न्योछावर कर दिया, इसलिए इन्हें समानता और ज्ञान का प्रतीक भी माना जाता है।
डॉ भीमराव अम्बेडकर की पहली जयंती 14 अप्रैल सन् 1928 में पूणे में “सदा शिव रणपिसे” ने मनाई थी। उन्होंने अम्बेडकर जयंती मनाने की रीत की शुरुआत की और जयंती के शुभ अवसर पर बाबा साहब की प्रतिमा को हाथी के ऊपर रखकर रथ से रैली भी निकाली थी।
डॉ भीमराव अम्बेडकर का जन्म दिवस एक उत्सव की तरह पूरे देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। उनके जन्मदिन के अवसर पर हर साल लाखों लोग उनके जन्म स्थल मध्यप्रदेश महू और दीक्षा स्थल नागपुर और उनकी समाधि स्थल मुंबई में इकट्ठा होकर उन्हें नमन करते हैं तथा उन्हें याद करते हैं। विश्व के 50 से अधिक देशों में भीमराव अम्बेडकर जी का जन्मदिन मनाया जाता है।
बाबा साहब के जन्म दिवस पर पूरे भारतवर्ष में सार्वजनिक तौर पर अवकाश होता है। उनकी मूर्ति पर भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी पूरे सम्मान के साथ श्रद्धांजलि देते हैं। बाबा साहब की मूर्ति को लोग अपने घरों में भी स्थापित करते हैं और उनकी भगवान की तरह पूजा करते हैं।
विचार Thoughts
डा. भीम राव अंबेडकर जी के कुछ महान विचार –
- जब मुझे लगेगा कि संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है तो मैं इसे सबसे पहले जलाऊंगा।
- समाज में समानता एक कल्पना हो सकती है लेकिन इसे एक सिद्धांत के रूप में मानना होगा।
- बुद्धि का विकास मानव समाज के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
- जब तक आप खुद समाज में स्वतंत्रता हासिल नहीं कर सकते, आपको कानून भी स्वतंत्रता नहीं दे सकता।
- जीवन में अधिक समय तक जीने की इच्छा रखने के बजाय उसे महान बनाने की कोशिश करना चाहिए।
- भीमराव अम्बेडकर जी का कहना है कि एक ऐसा धर्म होना चाहिए जिसमें समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की भावना हो।
- हमेशा से अर्थशास्त्र और नैतिकता के बीच संघर्ष होता रहा है जबकि हमेशा जीत अर्थशास्त्र की ही हुई है।
- जिस दिन समाज में धर्म शास्त्रों की संप्रभुता का अंत हो जाएगा उस दिन भारत देश एक संयुक्त आधुनिक भारत होगा।
- प्रगति की मात्रा के द्वारा ही एक समुदाय की प्रगति को मैं मानता हूं जिससे महिलाओं ने प्राप्त किया है।
- पति और पत्नी के बीच का रिश्ता एक सबसे घनिष्ठ मित्र की तरह होना चाहिए।
- कोई एक जिसका दिमाग मुक्त नहीं यद्यपि जीवित है, मरने से बेहतर नहीं है।
- लंबे होने के बजाय अच्छा होना चाहिए।
- ज्ञान एक पुरुष के जीवन की जड़ होता है।
- एक प्रसिद्ध व्यक्ति से अलग होता है, एक महान आदमी जो समाज का नौकर बनने के लिए सदैव तत्पर रहता है।
- इंसानों के लिए धर्म है ना कि धर्म के लिए इंसान रहता है।
- एक कठोर वस्तु कभी भी मिठाई नहीं बना सकता। किसी का भी स्वाद बदल सकता है। लेकिन जहर अमृत में नहीं बदल सकता।
अम्बेडकर जयंती क्यों मनाई जाती है? Why Ambedkar Jayanti is Celebrated?
बाबा साहब के द्वारा किए गए जनकल्याण सामाजिक कार्य जो लोगों के जीवन में बदलाव लाने के योगदान को याद करने के लिए इस दिन को डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
डॉ भीमराव अम्बेडकर को भारतीय संविधान का पिता भी कहा जाता है, जिन्होंने भारत के संविधान को एक प्रारूप दिया था। बाबा साहब ने दलित समाज की स्थिति को सुधारने के साथ-साथ उनकी शिक्षा को बढ़ावा देने में भी विशेष योगदान रहा है।
योगदान Major Contributions
बाबा साहब अम्बेडकर जी के कुछ महान योगदान –
- डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर का संविधान से लेकर भारत के विकास में भी बहुत बड़ा योगदान रहा है।
- समाज में निम्न वर्ग के लोगों के लिए हीन भावना जैसी मान्यता को मिटाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
- डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर ने आंदोलन की शुरुआत की और हिंदू मंदिरों में निम्न वर्ग के लोगों का प्रवेश के साथ ही जल संसाधनों के लिए भी आवाज उठाई।
- भारत की स्वतंत्रता के बाद उन्होंने कानून मंत्री के रूप में सेवा दी।
- बाबा साहब ने एक ऐसे संविधान के निर्माण किया जिसमें सभी नागरिक एक समान हो, धर्मनिरपेक्ष और विश्वास के लायक हो।
- उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई क्योंकि वह एक पेशेवर अर्थशास्त्री थे तथा भारतीय अर्थव्यवस्था को भी सहयोग दिया।
- डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की सहायता से भारत वित्त आयोग की स्थापना हुई थी।
- भारत में स्वतंत्र चुनाव आयोग में भी डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
- डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर ने पूरे देश में छुआछूत और जातिवाद को मिटाने में भी बहुत योगदान दिया।
- बाबा साहब ने कहा था कि जब तक देश के अलग-अलग जाति एक दूसरे से आपस में लड़ते रहेंगे तो देश कभी एकजुट नहीं हो सकता।
बौद्ध धर्म में रूपांतरण Conversion to Buddhism
एक बार भीमराव अम्बेडकर बौद्धिक सम्मेलन में सम्मिलित होने श्री लंका गए वहां वह बौद्ध धर्म से बहुत ही प्रभावित हुए और उन्होंने धर्म को बदलने का भी मन बना लिया। उसी दिन से उनके जीवन की दिशा ही बदल गई।
बौद्ध धर्म से प्रभावित होने की वजह से उन्होंने बौद्ध व उनके धर्म के बारे में एक किताब लिखी। भीमराव अम्बेडकर जी को देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
मृत्यु Death
भीमराव अम्बेडकर जी का स्वास्थ्य धीरे-धीरे बिगड़ता गया और उन्हें डायबिटीज की भी बीमारी थी। आंखों में धुंधलापन आ गया था जिसकी वजह से उनकी दिनचर्या भी बाधित हो रही थी। बाबा साहब ने अपने घर दिल्ली में ही 6 दिसंबर सन् 1956 को अंतिम सांस ली और चल बसे।
डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जी बौद्ध धर्म को मानते थे इसलिए उनका अंतिम संस्कार बौद्ध धर्म के रीति रिवाजों के अनुसार किया गया था।