मेरा बचपन पर निबंध Essay on My Childhood in Hindi
इस लेख में आप मेरा बचपन पर निबंध Essay on My Childhood in Hindi पढ़ेंगे। इसमें हमने बचपन की घटनाएँ, मेरा बचपन, बचपन की शरारत, मेरे बचपन का दोस्त, और अन्य जानकारी बताया है।
मेरा बचपन पर निबंध Essay on My Childhood in Hindi
हम सभी बचपन में चाहते है कि हम जल्दी से बड़े हो जाएँ परन्तु जैसे ही हम बड़े हो जाते है तो उम्मीद करते हैं कि काश! हमारा बचपन दोबारा हमें मिल सके जो सम्भव नही होता। असल में देखा जाये तो बचपन का जो समय होता है, वो बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है।
बचपन के दिनों में इतना रोमांच भरा होता है कि हर कोई फिर से बचपन को जीना चाहता है। दोस्तों यह एक ऐसा समय होता है जहाँ एक बच्चा बिना किसी तनाव के, चिंता के अपना बचपन जीता है।
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हर किसी का बचपन बड़ा ही रोमांचक होता है, चलिए इसके बारे में बात करते हैं-
मेरे बचपन की घटनाएँ Childhood Events
बचपन में कई ऐसी घटनाएँ घटित होती है। जिसके कारण हमारे माता-पिता हमारे बचपन को याद रखते है जैसे बचपन में धीरे-धीरे चलना, गिरना और फिर से उठकर दौड़ लगाना आदि। बचपन के समय में पिताजी के कंधे पर बैठकर मेला देखने का जो मजा आता है, वह अब नहीं आता है।
मेरा बचपन में मिट्टी में खेलना और मिट्टी से छोटे-छोटे खिलौने बनाना और मिट्टी खाना आदि यह घटनाएँ याद रह जाती है। मेरे पिताजी बहुत सहनशील और ईमानदार व्यक्ति है और साथ ही वे मुझे बहुत प्यार करते है। मैं भी पिताजी से उतना ही प्रेम करता हूं।
बचपन में पिता द्वारा डांटने पर मां के आंचल में जाकर छुपना, मां की लोरियां सुनकर नींद का आना, बड़ा ही आनंदायक समय था। परन्तु अब इस भागम-भाग जिंदगी में वह सुकून भरी नींद नसीब नहीं होती है। बचपन के वो सुनहरे दिन जब हम खेलते रहते थे तो पता ही नहीं चलता कब दिन होता और कब रात हो जाती थी।
मेरा बचपन My Childhood
मेरा बचपन बड़ा ही शानदार रहा। मेरा जन्म एक मध्यम वर्ग परिवार हुआ और मेरे पिता एक किसान है और मेरी माँ एक घरेलू महिला। मैं अपने माता पिता और दादा-दादी के साथ रहता था। दादी मुझे प्रतिदिन कहानियां सुनाया करती थीं।
उन कहानियों को सुनकर मैं उन कहानियों में ऐसे खो जाता था जैसे उन कहानियों का राजा मै ही हूँ। अक्सर मैं अपने पिताजी के साथ खेत में भी जाया करता था जहां पर पिताजी मुझे फसलों के बारे में और वहां पर रहने वाले पशु-पक्षियों के बारे में बताते थे।
माहौल बिल्कुल शांत होने के कारण वहां पर सिर्फ पक्षियों के चहचहाने की आवाज आती थी। मेरे पिता ने मुझे बिना डरे सच बोलना सिखाया, मेरे शिक्षकों ने मुझे बहुत प्यार और स्नेह दिया, उन्होंने जितना पढ़ाया, उन्होंने हमें सांसारिक और किताबी ज्ञान दोनों दिया।
मेरा बचपन गांव में ही व्यतीत हुआ। इस कारण मुझे अपना बचपन और याद आता है। बचपन में सुबह-सुबह उठकर दोस्तों के साथ खेत की तरफ जाना ट्यूबवैल के नीचे नहाना और हँसते दौड़ते घर वापिस आना, कुछ इस तरह हमारे दिन की शुरूआत होती थी।
मुझे बचपन से ही मलाई बहुत पसंद है तो बचपन में रोज सुबह मलाई के साथ पराठे खाने का अलग ही मजा था। हमारे घर में एक टॉमी नाम का कुत्ता भी था जिसे हम बहुत प्यार करते थे।
वह भी हमारा ख्याल रखता था एक दिन हम खेलते-खेलते गांव से बाहर निकल गए और घर जाने का रास्ता भूल गए तब टॉमी ने ही हमें रास्ता दिखाया और हमें घर तक सुरक्षित पहुंचाया।
वह दिन मुझे आज भी बहुत याद आता है क्योंकि मैं रास्ता भूल जाने के कारण बहुत रोने लगा था। मुझे याद है बचपन में सावन के महीने में हम सभी पेड़ पर झूला डाल कर झूला-झूलते थे और ठंडी-ठंडी हवा का आनंद लेते थे।
खेलने के साथ साथ मुझे ज्ञानवर्धक पुस्तकें और पत्रिकाएं पढ़ने का बड़ा ही शौक था जब भी मुझे समय मिलता मैं उनको पढने बैठ जाया करता था, क्योंकि मेरे दादा जी को भी बहुत शौक था किताबे पढने का। जिस कारण हमारे घर में नयी नयी किताबें आया करती थीं।
इस कारण मैं बचपन में जितना चंचल था उतना ही पढ़ाई में होशियार भी था इस बजह से हमारे विद्यालय में, मैं हर बार अव्वल नंबरों से पास होता था।
अक्सर हम सभी बच्चे मिलकर पूरे विद्यालय में शोर मचाया करते थे साथ ही कबड्डी, खो-खो, गिल्ली डंडा, छुपन-छुपाई और तेज दौड़ आदि में भाग भी लिया करते थे।
बारिश के मौसम में बारिश में नहाना, इक्कठे हुए पानी में छप-छप करना, साइकिल चलाने की कोशिश करना और बार बार गिरना और फिर भी साइकिल चलाना बड़ा ही मज़ा आता था यह सब करने में।
हमारे गांव में जब सावन के महीने में हर घर में पेड़ों पर झूले डाल दिए जाते है हमारे घर में भी एक नीम का पेड़ था जिस पर मेरे पिताजी हमारे झूलने के लिए झूला डालते थे। झूला-झूलना मुझे और मेरी छोटी बहन हम दोनों को बहुत पसंद था। जिस कारण हम दोनों में बहुत नोक-झोंक भी होती थी लेकिन माँ आकर सब कुछ ठीक कर देती थीं।
बचपन की शरारत Childhood Pranks
बचपन में हम भैंस के ऊपर बैठकर खेत में जाते, तो कभी बकरी के बच्चों के पीछे दौड़ लगाते, तो कभी छोटे कुत्तों की पूंछ खिंचा करते, तो कभी गाय के बछड़ों को खोल देते जिसके कारण बछड़े गाय का दूध पी जाते थे।
इस बजह से कई बार बचपन में डांट भी पड़ती थी परन्तु हम मस्ती करते रहते थे। बचपन में मैं और मेरी छोटी बहन बहुत लड़ते झगड़ते थे। छोटी-छोटी बातों को लेकर हमारे बीच लड़ाई हो जाया करती थी लेकिन आज बहन के साथ वह नोक-झोक भरी लड़ाइयां बहुत याद आती है।
हम दोपहर तक खूब खेल खेलते थे, इससे हमारे कपड़े मिट्टी के भर जाते थे और हम इतने गंदे हो जाते थे कि हमारी शक्ल पहचान में नहीं आती थी, मैंने और मेरे दोस्तों ने अपने बचपन में बहुत मस्ती किये है।
मेरे बचपन का दोस्त My Childhood Friend
दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है, जो खून का रिश्ता न होने के बावजूद अन्य रिश्तों जैसा भरोसेमंद होता है। यदि कोई सच्चे दोस्त को पा लेता है, तो वह बड़ा ही भाग्यशाली व्यक्ति होता है।
उसी प्रकार मैं भी एक भाग्यशाली व्यक्ति हूँ, क्योंकि बचपन से ही हमारी दोस्ती हो गयी थी। मेरे दोस्त का नाम अमन है। मुझे याद है, हम दोनों बहुत ही छोटे थे और कक्षा 3 में पढ़ते थे तभी से मेरी दोस्ती उसके साथ हो गयी थी।
हम दोनों ने आपस में खूब मस्ती की साथ साथ स्कूल में पढने जाते, साथ साथ एक ही ब्रेंच पर बैठते, एक ही टिफिन में खाना खाते, और साथ ही पढ़ते थे। बचपन में, मैं और मेरे दोस्त गर्मियों की छुट्टियों में बागों में आम तोड़ने चले जाते थे क्योंकि हमें आम बहुत पसंद थे, जिस कारण हम अपने आप को रोक नहीं पाते थे।
बागों के माली लकड़ी लेकर हमें मारने को दौड़ते लेकिन हम तेजी से दौड़ कर घर में छुप जाते थे। हमारे घर के बाहर एक बड़ा चौक था जहां पर गांव के सभी बड़े बुजुर्ग शाम को बैठते थे और गांव और अन्य विषयों पर चर्चा करते थे।
हम भी वहां पर खेलते रहते थे अक्सर हमें बुजुर्गों से शिक्षाप्रद कहानियां सुनने को भी मिलती थी। कक्षा में हम दोनों की दोस्ती की मिसाल दी जाती थी। हम दोनों के पिता जी आपस में दोस्त थे, जिस कारण पिता जी का आना जाना लगा रहता था।
उसके पिता जी भी मेरे घर आया करते थे, हम दोनों दोस्त पढ़ाई के अलावा भी कई अन्य एक्टिविटी में भाग लेते है। कुछ महीनों पहले हम दोनों ने अपना ग्रेजुएशन कम्पलीट किया है।
इसके साथ ही हम दोनों ने नेशनल लेवल की प्रतियोगिता में भाग लिया और उसमे सफल भी रहे। यह सब मेरे उस दोस्त के कारण है, जो मुझे लगातार प्रोत्साहित करता रहता है। इस कारण आज भी हमारी दोस्ती कायम है।
कुछ समय पहले एक कार से मेरा एक्सीडेंट हो गया था। जिसमे मुझे काफी चोट आयी और फ्रैक्चर भी, उस समय मैं करीब 15 दिन हॉस्पिटल में भर्ती रहा।
उस समय मेरा दोस्त हॉस्पिटल में लगातार मेरे साथ रहा और मेरी परवाह की। भगवान ऐसा दोस्त सभी को दे, मैं ईश्वर से उसकी और हमारी दोस्ती की लंबी उम्र की कामना करता हूँ।
निष्कर्ष Conclusion
मेरा बचपन बहुत ही आनंदमय रहा है। जिसमें न कोई भय न कोई फिक्र थी। हम तनाव मुक्त थे और खुश रहते थे। यह समय किसी के भी जीवन का सबसे मज़ेदार और यादगार समय होता है। काश! मैं एक बार फिर से बच्चा बन सकता और अपना बचपन दोबारा जी सकता। आशा
करते हैं आपको यह मेरा बचपन पर निबंध Essay on My Childhood in Hindi अच्छा लगा होगा जिसमें मैंने अपने बचपन की कहानी को लघु रूप में आपको बताया।
Nice to essay,. ..