इस लेख में मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on my favourite book in Hindi दिया गया है। यहां पर दिया गया मेरी प्रिय पुस्तक के ऊपर निबंध बेहद सरल भाषा में है। मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध कक्षा तीन से 12 तक विभिन्न रूपों में परीक्षाओं में पूछा जाता है यहां पर दिया गया निबंध किसी परीक्षा में बेझिझक लिखा जा सकता है।
नोट : यहां पर दिया हुआ मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध को तीन भागों में बांटा गया है निबंध का पहला भाग कक्षा 5 तक के विद्यार्थियों के लिए दिया गया है और निबंध का दूसरा भाग कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त है निबंध का तीसरा भाग कक्षा 8 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है लेकिन किसी भी कक्षा के विद्यार्थी इस निबंध को पूरा पढ़कर इसमें से जरूरी चीजों को अपने निबंध में शामिल कर सकते हैं।
मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on My Favourite Book in Hindi (300 Words)
कहा गया है की किताबें इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होतीं हैं और हर किसी की एक प्रिय पुस्तक होती है। मेरे जीवन पर अनेक किताबों का प्रभाव पड़ा लेकिन मेरी प्रिय पुस्तक के रूप में आज भी रामायण शामिल है रामायण यह न सिर्फ मेरी प्रिय पुस्तक है बल्कि सभी सनातन धर्म के मानने वालों के लिए आस्था का विषय भी है। रामायण ग्रंथ की कहानियां हर हिंदू घरों में कहीं सुनी जाती है जिसमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जीवनी मुख्य है।
मेरी प्रिय पुस्तक रामायण
मेरी प्रिय पुस्तक के रूप में रामायण ग्रंथ का मेरे जीवन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा है रामायण से जुड़ी कहानियां हमने बचपन से सुनी है चाहे वह श्री राम जी की कर्मठता हो या हनुमान जी की वीरता सभी को हमने आत्मसात किया है।
रामायण यह सभी के लिए उपयोगी है इसे मात्र श्री राम की जीवनी न कहकर समग्र मानव समाज के जीवन को दिशा देने का जरिया कहे तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। इंसान को तमाम तकलीफों के बावजूद अडिग रहने की सीख रामायण से मिलती है। मुझे गर्व है कि मेरी प्रिय पुस्तक रामायण को हिंदू धर्म का सिरमौर कहा गया है।
मेरी प्रिय पुस्तक रामायण से मिलती सीख
रामायण सिर्फ मेरी ही प्रिय पुस्तक नहीं है बल्कि यह दुनिया के हजारों लाखों लोगों की भी प्रिय पुस्तक है। इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम बाहुल्य देशों में रामायण को बड़ी इज्जत की दृष्टि से देखा जाता है और किसी भी बच्चे के जन्म के समय रामायण का पाठ किया जाता है।
रामायण से जीवन को सकारात्मक तरीके से जीने की सीख मिलती है जिसमें श्री राम कर्तव्य की मूर्ति हैं तथा लक्ष्मण आज्ञा पालन तथा सेवा की मूर्ति हैं जहां मां सीता चरित्र की मूर्ति हैं वही श्री हनुमान वीरता तथा साहस की मूर्ति हैं रामायण से जीवन के सभी पहलुओं पर सीख मिलती है।
उपसंहार
मेरी प्रिय पुस्तक ने मुझे जीवन जीने का तरीका सिखाया तथा मैं इस पुस्तक को हर किसी को एक बार पढ़ने की सलाह जरूर देता हूं लेकिन सिर्फ पढ़ लेना उपयुक्त नहीं होगा बल्कि इसके ज्ञान को सामान्य जनजीवन में उतारना ही सही तरीका होगा।
मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on My Favourite Book in Hindi (400 Words)
मेरी प्रिय पुस्तक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन पर लिखी गयी किताब अग्नि की उड़ान है। मेरी प्रिय पुस्तक अग्नि की उड़ान ने मेरे जीवन में सकारात्मकता का संचार किया है क्योंकि अग्नि की उड़ान कोई काल्पनिक बात नहीं बल्कि डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के संघर्षों की कहानी है।
इंटरनेट के युग में सोशल मीडिया तथा इंटरटेनमेंट के बीच किताबे कहीं गुम सी हो गई हैं लेकिन पढ़ना यह सदा सर्वदा चलने वाली चीज है, पढ़ने के तरीकों में भले ही बदलाव आ जाए लेकिन जान लेने का एक माध्यम पढ़ना सुनना व देखना ही हो सकता है।
मेरी प्रिय पुस्तक- अग्नि की उड़ान
मेरी प्रिय पुस्तक मुझे कक्षा 8 में मेरे जन्मदिन के उपलक्ष में भेंट में मिली। अग्नि की उड़ान यह डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी नहीं है बल्कि उनके संघर्षों की कहानी है जिसमें उन्होंने अग्नि, त्रिशूल, नाग जैसी मिसाइलें बनाकर भारत के गौरव को पूरी दुनिया में ऊंचा किया है।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के संघर्षों के ऊपर बनी पुस्तक अग्नि की उड़ान को उनके एक साथी अरुण तिवारी ने लिखा है अरुण तिवारी कहते हैं अग्नि की उड़ान लिखना उनके लिए किसी तीर्थ यात्रा से कम नहीं था अग्नि की उड़ान अब्दुल कलाम के विशाल जीवन की एक छोटी सी झलक मात्र है।
एपीजे अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन भी कहा जाता है एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म बेहद ही गरीब परिवार में हुआ और शुरुवाती शिक्षा दीक्षा में भेदभाव का भी सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने सिर्फ सीखना कभी नहीं छोड़ा, अब्दुल कलाम बेहद ही जिज्ञासु थे और प्रकृति तथा विज्ञान से प्रेम करते थे।
मेरी प्रिय पुस्तक अग्नि की उड़ान से मिलती सीख
भारत रत्न श्री एपीजे अब्दुल कलाम जी भारत के राष्ट्रपति भी रह चुके हैं, वह कुछ उन व्यक्तियों की सूची में शामिल है, जिनके विरोधी शून्य है यानी जिन्हें सभी पसंद करते हैं। अग्नि की उड़ान से सबसे बड़ी सीख मिलती है कि किस प्रकार साधन की अल्पता के बावजूद भी महानता तक पहुंचा जा सकता है।
अग्नि की उड़ान से दूसरी सबसे बड़ी सीख यह मिलती है की इंसान को कभी भी सीखना नहीं छोड़ना चाहिए हर परिस्थिति में कम या ज्यादा मात्रा में सीखते रहना चाहिए।
उपसंहार
जिस इंसान ने किताबों से दोस्ती कर ली उसे और किसी से दोस्ती करने की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन किताबों को सिर्फ पढ़ने भर से कुछ प्राप्त नहीं हो सकता जब तक उन्हें अपने व्यवहार में न शामिल किया जाए। इसलिए किताबों को पढ़ने के साथ-साथ उनसे मिलती सीखो को अपने रोजमर्रा के जीवन में जरूर अपनाना चाहिए।
मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on My Favourite Book in Hindi (600 Words)
कहते हैं कि किसी समाज की मानसिकता को जानना हो तो वहां के साहित्य को पढ़ना चाहिए। पुस्तकों को जीवंत देवता कहा गया है। देवता यानी जो प्रदान करें और जीवंत मतलब जीवित। किताबों को मानव का सबसे घनिष्ठ मित्र बताया गया है क्योंकि अन्य मित्र समय अनुसार बदल जाते हैं लेकिन पुस्तक बिना किसी स्वार्थ के हमारे साथ रहते हैं तथा हमें ज्ञान प्रदान करते हैं।
मेरी प्रिय पुस्तक महाभारत ग्रंथ है। महाभारत अच्छाई और बुराई के बीच लड़ी गई एक ऐतिहासिक लड़ाई है जिसमें एक ओर हजारों दुष्टों कि कौरव सेना और दूसरी ओर गिनती मात्र के पांडवों की सेना थी जिनके बीच धर्म की युद्ध लड़ी गई और कम सुविधा साधन के बावजूद भी पांडवों की जीत हुई और सबसे मुख्य बात की भगवान श्री कृष्ण हमेशा सत्य के साथ रहे।
आज के सोशल मीडिया के जमाने में हमारे एतिहासिक ग्रंथ रामायण-महाभारत को आजकल के युवा कम ही पसंद करते हैं। पसंद करना तो दूर उनका उपहास उड़ाते हैं। जहां एक ओर विज्ञान को इन ग्रंथों के सच होने के सबूत मिल रहे हैं वहीं दूसरी ओर जनजीवन को उत्कृष्ट बनाने के लिए इन्ही सूत्रों का उपयोग किया जाता है। लेकिन मात्र पढ़ने भर से प्रयोजन पूरा नहीं हो सकता किसी भी ग्रंथ का असली लाभ तभी मिल सकता है जब उसे अपने जीवन में उतारा जाए।
मेरी प्रिय पुस्तक महाभारत
महाभारत त्रेता युग में लिखी गई, जिसमें महान सम्राट धृतराष्ट्र के पुत्रों तथा पांडव के पुत्रों के बीच धर्म को लेकर हुए युद्ध की चर्चा है। किस प्रकार वाणी के दुरुपयोग से इतना बड़ा युद्ध हो सकता है इसका उल्लेख भी महाभारत में मिलता है।
महाभारत को महर्षि वेदव्यास ने भगवान श्री गणेश से लिखवाया था, महाभारत में 24 लाख श्लोक हैं और यह पृथ्वी का सबसे विशाल ग्रंथ है। महाभारत यह 18 दिन चला और भगवान कृष्ण के मुखारविंद से निकली हुई श्री गीता भी यहीं से जन्मी है।
महाभारत का उद्देश्य यही था कि जब जब धरती पर पाप और अत्याचार बढ़ेगा तब-तब ईश्वरीय सत्ता धरती पर आकर अनाचारियों का विनाश करेगी। महाभारत में कर्मयोग, ज्ञानयोग, सांख्य योग इत्यादि की सटीक परिभाषा मिलती है जो मानवों को जीने की कला सिखाती हैं।
मेरी प्रिय पुस्तक महाभारत से मिलती सीख
महाभारत यह मात्र युद्ध की कहानी भर नहीं है बल्कि जीवन की दिशा धारा कैसी होनी चाहिए इसकी सटीक परिभाषा भी है। महाभारत यह तमाम कुरीतियों तथा कुप्रथाओं का विनाश भी करती है। महाभारत से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी धर्म का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए।
महाभारत हमें सिखाता है की भले ही अधर्मी दुश्मनों की संख्या ज्यादा हो पर जीत तो सत्य की ही होती है और सत्य के मार्ग पर चलने वाले शूरवीरों को कभी भी चिंतित या भयभीत नहीं होना चाहिए। अगर हम सत्य के मार्ग पर चलेंगे तो ईश्वरीय सत्ता भी हमारा मार्ग प्रशस्त करेंगी।
महाभारत हमें धैर्य, कर्तव्यनिष्ठा, साहस तथा धर्म पथ पर अडिग रहने की सीख देता है। महाभारत के श्लोक बेहद ही गूढ़ है तथा उनके पीछे अनेक भावार्थ छुपे हुए हैं। महाभारत को अनेक भाष्य कारों ने अपने ज्ञान के अनुसार भाषित किया है।
उपसंहार
महाभारत दुनिया का सबसे बड़ा ग्रंथ है इसे मूल संस्कृत में लिखा गया था लेकिन आज यह हिंदी भाषा में भी उपलब्ध है तथा तमाम टेलीविज़न डायरेक्टरों ने इसे पर्दे पर उतारने की कोशिश भी की है।
महाभारत को कुछ लोग सिर्फ युद्ध तथा कलह की दृष्टि से देखते हैं लेकिन महाभारत जैसा शायद ही कोई अन्य ग्रंथ हो जो धर्म और अधर्म की सच्ची परिभाषा तथा जीवन जीने की कला सिखाता हो। लेकिन मात्र पढ़ने भर से महाभारत से कोई लाभ नहीं हो सकता जब तक कि इससे मिलते ज्ञान को अपने सामान्य जीवन में उतारने की चेष्टा ना की जाए।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध Essay on My Favourite Book in Hindi पढ़ा। जिसमें कक्षा 3 से लेकर 12 तक मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध सरल रूप से दिया गया है। अगर यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा हो तथा आपके लिए मददगार साबित हुआ तो शेयर जरूर करें।