ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत पर निबंध Essay on Non-Conventional Energy Sources in Hindi
इस लेख में ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत पर निबंध (Essay on Non-Conventional Energy Sources in Hindi) सभी विद्यार्थीयों के लिए बेहद सरल भाषा में लिखा गया है। इसमें गैर पारंपरिक स्रोत क्या है, महत्व, उनका वर्णन, ऊर्जा स्रोत मे अंतर, मानवता के लिए वरदान।
ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत पर निबंध Essay on Non-Conventional Energy Sources in Hindi
प्रकृति ने मानव को जीवन जीने के लिए बहुत कुछ उपहार दिए हैं। प्राकृतिक संसाधन उन्हीं खास उपहारों में से एक है।
ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत क्या हैं? What are Non-conventional Energy Source In Hindi?
पश्चिमी देश एक साथ मिलकर विकासशील देशों पर कार्बन उत्पाद को कम करने के लिए हमेशा दबाव बनाते रहते हैं। आमतौर पर इस प्रौद्योगिकी युग में किसी भी देश को विकसित करने के लिए ऊर्जा उपभोग को केंद्र में रखा जाता है।
वास्तव में किसी देश के मानव विकास सूचकांक से लेकर अर्थव्यवस्था के विकास का आकलन कुल ऊर्जा उत्पादन के आधार पर किया जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत जैसे कि लकड़ी, कोयला, तेल इत्यादि पर मानव बहुत बड़े हद तक निर्भर हो चुका है। लेकिन तेजी से बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए यह कहा जा सकता है, कि उर्जा के यह पारंपरिक स्त्रोत बहुत जल्द समाप्त हो जाएंगे।
आने वाले समय में पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों की कटौती के कारण होने वाले दुष्प्रभाव से बचने के लिए गैर पारंपरिक स्रोतों के उपयोग पर दुनिया के तमाम बड़े देश दूसरे छोटे विकासशील देशों पर राजनीतिक दबाव बनाते हैं।
गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को जीवाश्म ऊर्जा का विकल्प माना जाता है। नवीकरणीय ऊर्जा अथवा अक्षय ऊर्जा ऐसे ऊर्जा स्त्रोत होते हैं, जो पुनः प्राप्त किए जा सकते हैं।
ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों में सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा, बायोमास इत्यादि जैसे ऊर्जा स्त्रोतों का समावेश होता है, जिन्हें पुनः प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन यदि ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत अथवा अप्राप्य ऊर्जा स्त्रोत एक बार नष्ट हो गए तो उन्हें पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता।
ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों का महत्व Importance of Non-conventional Sources of Energy in Hindi
गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत कभी भी समाप्त नहीं होते है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह ऊर्जा स्त्रोत स्थाई होते हैं। लेकिन पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत के विषय में अभी से यह अनुमान लगाया जा रहा है, कि आने वाले कुछ वर्षो के अंदर ही ऊर्जा के पारंपरिक स्त्रोतों में प्रबल रूप से घटौती होगी।
पुनः प्राप्य ऊर्जा स्त्रोत पर्यावरण के हितैषी होते हैं। अर्थात यह किसी भी प्रकार से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। लेकिन वहीं अगर गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की बात की जाए तो जीवाश्म ईंधन के होने वाले दुष्प्रभाव सीधे तौर पर पृथ्वी के आवरण को क्षति पहुंचाते है। ग्रीन हाउस, सल्फर और कार्बन जैसे कई हानिकारक गैस ओजोन लेयर को नष्ट करती है।
आने वाले परिस्थितियों का अनुमान लगाकर दुनिया के बड़े और विकसित देश अन्य देशों को गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों की ओर रुख करने के लिए बढ़-चढ़कर बढ़ावा देते हैं।
सभी देशों में पारस्परिक एकजुट विचार के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन ऊर्जा की कीमतों को काफी बड़ी मात्रा में स्थिरता प्राप्त होती है। यानी कि यह ऊर्जा स्त्रोत पारंपरिक स्रोतों की तुलना में काफी सस्ते होते हैं।
भारत कर्क रेखा पर स्थित देश है, जिसके कारण यहां सौर ऊर्जा का उत्पादन बड़े ही सरलता से होता है। यह भारत के लिए एक सुनहरा अवसर साबित होगा यदि प्रचुर मात्रा में गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के विकास के लिए विकासशील देशों को इसके उत्पादन में सहायता करेगा। भारतीय अर्थव्यवस्था को इससे काफी लाभ हो सकता है।
गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत एक बेहद सस्ता और अच्छा वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोत है। दुनिया में ऐसे वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों के बढ़ते प्रचलन के कारण एक नवीन और स्थाई रोजगार के मार्ग खुलने का अनुमान है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो पुनः प्राप्त ऊर्जा के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए नए रोजगार के साधनों का उदय हुआ है।
जैसा कि पहले बताया गया कि जीवाश्म ऊर्जा के दुष्प्रभाव के कारण प्रकृति को तो नुकसान पहुंचता ही है साथ ही लोगों के स्वास्थ्य को भी नकारात्मक असर होता है।
लेकिन गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत का पर्यावरण या फिर लोगों के स्वास्थ्य पर कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। यह अक्षय ऊर्जा स्त्रोत पर्यावरण की सुरक्षा करते हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव होता है।
ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत व उनका वर्णन Non-conventional Sources of Energy and Their Description in Hindi
वायु ऊर्जा Wind Energy
गतिशील हवा से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को वायु ऊर्जा कहा जाता है। सन 1887 में स्कॉटलैंड में सबसे पहली बार वायु ऊर्जा का उपयोग किया गया था। गैर पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन का यह सबसे अच्छा विकल्प है।
वायु एक ऐसी उर्जा है, जो कभी भी समाप्त नहीं होगी। ऐसे में सरलता से उपलब्ध होने वाली वायु ऊर्जा की सहायता से जीवाश्म ऊर्जा के सभी मुश्किलों से आसानी से निपटा जा सकता है।
भारत में गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उड़ीसा इत्यादि अन्य कई पवन ऊर्जा उत्पादक राज्य है, जो विद्युत उत्पादन में बहुत बड़ा योगदान देते हैं। विद्युत उत्पादन और भूगर्भ से जल स्तर को ऊपर लाने के लिए पवन चक्की की सहायता लिया जाता है।
सौर ऊर्जा Solar Energy
सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं। सौर ऊर्जा यह ऊर्जा का सबसे प्रमुख स्त्रोत होता है, जो असीमित है।
भविष्य के सबसे महत्वपूर्ण ऊर्जा स्त्रोतों में सौर ऊर्जा को माना जाता है, जिसे प्रकाश तथा ऊष्मा इन दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है। भारतीय ऊर्जा मंत्रालय, गैर पारंपरिक स्रोतों के अंतर्गत सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए नई नई पॉलिसी लाती रहती है।
उत्तरी गोलार्ध में भारत की भौगोलिक स्थिति कर्क रेखा पर है, जिसके कारण भारतीय भूभाग पर लगभग 5000 लाख करोड़ किलोवाट घंटा प्रति वर्ग मीटर जितना सौर ऊर्जा का आगमन होता है।
यहां वास्तविक उपयोग से कई गुना अधिक प्रचुरता में सौर ऊर्जा उपलब्ध है। सूर्य से जो उस्मा और प्रकाश प्राप्त होता है, उस उर्जा को कई प्रकार से उपयोग में लिया जाता है।
फोटोवॉल्टिक पद्धति की सहायता से सूर्य की रोशनी को विद्युत में रूपांतरित किया जाता है। सौर ऊर्जा को घरेलू कार्यों में भी उपयोग किया जाता है, साथ ही यह औद्योगिक कार्यों के लिए भी बेहतरीन विकल्प साबित हो रहा है।
आज के समय में हर एक गैजेट को सौर ऊर्जा की सहायता से उपयोग किया जाता है। जिससे लोगों का पैसा और समय दोनों की बचत होती है।
हाइड्रोपावर Hydropower
गतिशील जल के उपयोग से उत्पादित की गई ऊर्जा को जल शक्ति कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा में इसे हाइड्रो पावर कहा जाता है, जो कि पहले के समय से ही लोगों द्वारा उपयोग में लिया जाता है, जिसका एक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण जल चक्की है। वर्तमान में विद्युत उत्पादन करने के लिए हाइड्रो पावर का उपयोग किया जाता है।
गतिज ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करके जल विद्युत ऊर्जा प्राप्त होता है। यह गैर पारंपरिक स्त्रोत प्रदूषण रहित होते है, जो दुर्लभ जीवाश्म ऊर्जा के संसाधनों की रक्षा करने का कार्य करता है।
हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्लांट की मदद से बड़े जलाशयों में जल से विद्युत ऊर्जा उत्पादन करके उससे टरबाइन मशीन चलाया जाता है, जो सीधे बड़े जेनरेटर्स से जुड़ कर बिजली उत्पन्न करते हैं।
सन 1897 में विश्व में पहली बार जल विद्युत परियोजना को दार्जिलिंग में पूरा किया गया था, जो अभी तक कार्यरत है। भारत में हाइड्रो पावर को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जाती है।
बायोमास Biomass
यह बायोमास अथवा जैविक ऊर्जा भूमि पर मौजूद संपूर्ण जैविक पदार्थों के कारण उत्पादित होता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो पेड़ पौधों, फसलों और मानव एवं जंतुओं के मल, कूड़ा कचरा इत्यादि जैविक तत्वों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को जैविक ऊर्जा कहा जाता है।
बायोमास से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए कई विधियां होती हैं, जिनसे प्रदूषण रहित वैज्ञानिक तरीके से उर्जा उत्पादन किया जाता है।
उष्मा और विद्युत ऊर्जा के उत्पादन में बायोमास की बहुत बड़ी भूमिका होती है। बायोमास का उपयोग गैस इंजन चलाने से लेकर गैस उत्पादन के कार्य में किया जाता है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसके कारण यहां कृषि अपशिष्ट जैसे पराली, भूसी, नारियल, झाड़ियां इत्यादि प्रचुर मात्रा में है, जिससे बायोमास का प्रयोग करना और भी आसान हो जाता है।
जियोथर्मल Geothermal
भूतापीय ऊर्जा अथवा जियोथर्मल पावर धरती के नीचे संग्रहित उस्मा अथवा ताप से निकलने वाली ऊर्जा होती है। धरती के अंदर जो भूगर्भीय ताप एवं जल से उठने वाले गर्म वाष्प से उर्जा का निर्माण किया जाता है, जिसके लिए अनेकों वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता है।
अमेरिका के कैलिफोर्निया में द गीजर में दुनिया का सबसे बड़ा भूतापीय ऊर्जा संयंत्र समूह आया है। धरातल की गहराई में स्थित जियोथर्मल कुएं ग्रीन हाउस गैसें को उत्सर्जित करते हैं। लेकिन उर्जा की प्रति यूनिट के आधार पर यह जीवाश्म ईंधन की तुलना में कम मात्रा में है।
कुछ रिसर्च के आधार पर यह कहा गया है, कि यदि आने वाले समय में जीवाश्म ईंधन के स्थान पर भूतापीय ऊर्जा का प्रयोग किया जाएगा तो यह काफी हद तक भूस्तरीय गर्मी को संतुलित करने में सहायक होगा।
गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत और पारंपरिक ऊर्जा स्रोत मे अंतर Difference Between Non-conventional Energy Source and Conventional Energy Source in Hindi
अर्थ Meaning
ऊर्जा के वे स्त्रोत जो प्राकृतिक संसाधनों से हजारों साल से उपयोग किए जा रहे हैं और जिनके संसाधनों का प्रकृति पुनर्भरण करती रहती है, ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत कहलाते हैं।
पारंपरिक ऊर्जा अर्थात प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त होने वाले ऐसे ऊर्जा जिनके निर्माण में हजारों लाखों वर्ष लगते हैं और यदि यह एक बार समाप्त हो गए तो इन्हें पुनः प्राप्त कर पाना असंभव है।
पर्यावरण पर प्रभाव Effect on Environment
पारंपरिक ऊर्जा अथवा जीवाश्म ऊर्जा ऐसे कई हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं, जो सीधे तौर पर प्रकृति को हानि पहुंचाता है। गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत पूरी तरह से पर्यावरण हितैषी होते हैं, जिन्हें बिना किसी मापदंड के उपयोग करने पर भी कोई भी विरोधी प्रभाव पर्यावरण पर नहीं पड़ता है।
ऊर्जा की कुल उपस्थिति Presence of Energy
जिस प्रकार विश्व की आबादी प्रति क्षण बढ़ती जा रही है, इसका अंदाजा लगाते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले कुछ समय के अंदर ही ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत पूरी तरह से नष्ट हो जाएंगे। वैकल्पिक ऊर्जा अथवा गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत यह कभी न खत्म होने वाले उर्जा होते हैं, जिन्हें पुनः प्राप्त किया जा सकता है।
ऊर्जा प्राप्ति शुल्क Energy Recovery Fee
जीवाश्म ऊर्जा की मात्रा और उसकी कुल मांग में बड़ा भेद उत्पन्न हुआ है, जिससे लोगों के मांग की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, परिणाम स्वरूप पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों का भाव हर दिन बढ़ता जा रहा है। नवीकरणीय ऊर्जा को वास्तविक रूप प्रदान करने में बहुत कम शुल्क चुकाना पड़ता है।
ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत मानव के लिए वरदान Non-Conventional Sources of Energy Boon to Humans in Hindi
भविष्य में जब पृथ्वी पर पारंपरिक ऊर्जा का अकाल पड़ जाएगा, तब एक मात्र विकल्प गैर पारंपरिक स्त्रोतों के जरिए ही मानव अपना गुजारा कर पाएगा।
जिस गति से जीवाश्म ऊर्जा का दोहन किया जा रहा है, उसे देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले कुछ दशकों में ही आराम से उपलब्ध होने वाले यह जीवाश्म ऊर्जा अथवा पारंपरिक ऊर्जा के स्त्रोतों का दर्शन भी दुर्लभ हो जाएगा।
भारत सहित दुनिया के तमाम देश आने वाले उस भयानक त्रासदी का अंदाजा लगाते हुए अभी से ही अपने गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए पूरे स्फूर्ति से कार्य कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी ऐसे कई प्रावधान पास किए जाते हैं, जो सीधे तौर पर गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वास्तव में ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोत मानव के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
प्रकृति ने हर समस्या का हल पहले से ही अगले विकल्प के रूप में मानवों के लिए संजोए रखा है बस जरूरत है तो उसका महत्व समझ कर ऐसे संसाधनों को अपनाने की। ऊर्जा संसाधनों के निर्माण में प्रकृति हजारों-लाखों वर्ष लेती है, जिन्हें मनुष्य केवल कुछ मिनटों के अंदर ही खत्म कर देता है।
पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के हो रहे अंधाधुन इस्तेमाल पर सभी को विचार करने की आवश्यकता है और आने वाले पीढ़ी के लिए नवीकरणीय ऊर्जा इस्तेमाल को बढ़ावा देने की बेहद जरूरत है।