डिफोरेस्टेशन – वनोन्मूलन पर निबंध Essay on Deforestation in Hindi
वनोन्मूलन (डिफोरेस्टेशन) का अर्थ होता है वृक्षों की कटाई। पिछले कई दशकों से मानवीय जीवन में उपयोग होने वाले कई उत्पादों के उत्पादन की वृक्षों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। गौरतलब है कि ऐसा खेती के लिए जमीन बढ़ाने, शहरों को बसाने और लोगों को निवास प्रदान करने के लिए भी किया जा रहा है।
ऐसा पिछले दशकों तक मुनासिब ढंग से चला लेकिन इक्कीसवीं शताब्दी में वृक्षों की कटाई दुगनी तेजी से आरंभ हो गई। यह बढ़ती जनसंख्या का प्रभाव था। पेड़ों को काटने के बाद समस्या तब आरंभ हुई जब पेड़ों को दुबारा लगाया नहीं गया। ऐसा करने से पेड़ों की संख्या पृथ्वी पर पिछले दशकों के मुकाबले काफी ज्यादा कम हो गईं और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं ने जन्म ले लिया।
डिफोरेस्टेशन – वनोन्मूलन पर निबंध Essay on Deforestation in Hindi
वनोन्मूलन की क्या जरूरत है
यह बात जगजाहिर है कि पेड़ मानवों के लिए काफी ज्यादा उपयोगी हैं। पेड़ों से मानवों को ऑक्सीजन, दवाइयां, फर्नीचर, किताबें और अन्य कई तरह के उत्पाद प्राप्त होते हैं। गौरतलब है कि इन सारे उत्पादों को पेड़ों से प्राप्त करने के लिए पेड़ों को काटना बेहद जरूरी है। यदि पेड़ों को काटा नहीं जाएगा तो ये सभी उत्पाद उत्पादित नहीं किए जा सकते।
अत्यधिक वनोन्मूलन से क्या होता है
दरअसल मानव जीवन के लिए वृक्षों का महत्व अत्यधिक है। वृक्षों की कटाई से मानवों को कई ऐसे उत्पाद प्राप्त होते हैं जो कि मानव जीवन को आसान एवं सुलभ बनाते हैं, लेकिन असल समस्या तब शुरू होती है जब वनोन्मूलन काफी ज्यादा मात्रा में किया जाता है।
वृक्षों की कटाई के बाद जब उन्हे दुबारा आरोपित नहीं किया जाता है तब उनकी संख्या निश्चित तौर पर कम होती है। यह आश्चर्यजनक है लेकिन उनकी कम होती हुई संख्या मानव जाति की उम्र को भी कम कर रही है। बहुत ज्यादा पेड़ों की कटाई से पर्यावरण में असंतुलन बढ़ता है। वृक्ष भी पर्यावरण का ही एक अभिन्न हिस्सा है और उनके पृथ्वी पर कम होने से निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं :-
ऑक्सिजन :- मानवों को जीने के लिए ऑक्सिजन की आवश्यकता होती है, वे ऑक्सिजन ग्रहित करते हैं एवं कार्बन डाई ऑक्साइड को उत्सर्जित करते हैं वहीं इसके उलट पेड़ों कार्बन डाई ऑक्साइड से श्वाशन करते हैं एवं ऑक्सिजन उत्सर्जित करते हैं।
चूंकि पर्यावरण में ऑक्सिजन की मात्रा काफी कम है इस कारण अत्यधिक पेड़ों के होने से ऑक्सिजन की मात्रा बढ़ेगी और मानवीय जीवन में शारीरिक विकारों की कमी होगी।
ग्लोबल वार्मिंग :- कार्बन डाई ऑक्साइड एक ग्रीन हाउस गैस है, जो कि ग्लोबल वार्मिंग की कारक है। गौरतलब है कि ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ होता है वैश्विक तौर पर तापमान में वृद्धि।
तापमान में वृद्धि के कारण पर्यावरण काफी ज्यादा असंतुलित हो चुका है और पृथ्वी पर मौसमों मे भी काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। यह सब ग्रीन हाउस गैस यानी कि कार्बन डाई ऑक्साइड के कारण हुआ है, जो कि पेड़ों के कम होने के कारण वायुमंडल में निरंतर गति से बढ़ रही है।
कार्बन डाई ऑक्साइड में वृध्दि के कारण ग्लोबल वार्मिंग भी अप्रत्याशित रूप से बढ़ेगी जो कि पृथ्वी को तहस नहस कर देगा और मानव जाति भी खत्म हो जाएगी।
भुस्खलन :- कई सारे पेड़ जो कि धरती पर मौजूद हैं उन्होने अपनी जड़ों से भूमि को जकड़ रखा है। उन पेड़ों की जड़ें मौजूद होने के कारण भूमि स्खलित नहीं होती।
गौरतलब है कि यदि पेड़ कम हो जाएं तो भुस्खलन काफी ज्यादा होगी और यह मानव जीवन को काफी ज्यादा प्रभावित करेगा। इससे जान माल की काफी ज्यादा हानि होगी और यदि यह व्यापक रूप से हुई तो सब कुछ तबाह हो जाएगा।
वन्यजीवन पर प्रभाव :- वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से सबसे बड़ा नुकसान वन्य जीवन पर पड़ेगा। वहां मौजूद अनेकों तरह के वन्य जीव निर्वासित हो जाएंगे और कई सारी स्पिसीज विलुप्त हो जाएंगी।
जलीय चक्र :- पेड़ों के कम होने से वर्ष भी कम होगी जिस कारण खेती करना असंभव हो जाएगा। वर्ष कम होने के कारण पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ेगा। वृक्षों की लगातार कटाई से जलचक्र प्रभावित हो रहा है। सूखे की संभावना इसके बाद कई गुणा बढ़ जाएगी और पृथ्वी पर सभी जीवों का जीवन संकट में आ जाएगा।
बाढ़ :- वनों के उन्मूलन से बाढ़ का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाएगा। पेड़ पर्यावरण को संतुलित रखने का काम करते हैं और पेड़ों के कम होने के कारण सूखे और बाढ़ दोनों तरह की स्थित बन सकती है।
समस्या का हल
वनों की कटाई करना मानव जीवन में प्रयोग होने वाले उत्पादों के लिए काफी आवश्यक है। यदि वनों की कटाई नहीं होगी तब कई सारे ऐसे आधुनिक उपकरण है जिन्हे सुचारू रूप से इस्तेमाल करना मुश्किल हो जाएगा और आधुनिकता के मामले में हम एक सदी पीछे चले जाएंगे।
वनों की कटाई न करने से निवास स्थल की भी समस्याएं आएंगी और खेती के लिए जमीन उपलब्ध करने के लिए भी वनों की काटना बेहद जरूरी है।
लेकिन इन सभी प्रकारों से वृक्षों की कटाई के बावजूद वृक्षों को कम होने से बचाया जा सकता है। ऐसा करने के लिए जिस तेजी से पेड़ों को काटा जा रहा है उसी तेजी से पेड़ों वृक्षों का आरोपण भी करना होगा। यदि ऐसा किया जाता है तभी तमाम तरह की समस्याओं से वन्यजीवों, जलीयजीवों, मानवजाति और पृथ्वी को बचाया जा सकता है।
निष्कर्ष
वृक्षों की कटाई को रोकने के लिए और वृक्षारोपण के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर कई सारे काम किए जा सकते हैं। व्यक्तिगत तौर पर पौधे लगाकर भी मानव जाति के संरक्षण में योगदान दिया जा सकता है। मानव द्वारा अपनी लालसाओं पर विजय पाकर ही अपना आस्तित्व बचाया जा सकता है।
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