सूखा पर निबंध Essay on Drought in Hindi
इस लेख में आप सूखा पर निबंध Essay on Drought in Hindi पढ़ेंगे। इसमें सुख पड़ना क्या होता है, इसके कारण, प्रभाव, प्रकार, कैसे रोका जाये, स्थिति एवं नुकसान के विषय में पूरी जानकारी दी गई है।
सूखा पर निबंध Essay on Drought in Hindi
जब किसी स्थान पर लंबे समय तक वर्षा नहीं होती है, तो इस घटना को सूखा कहा जाता है। जैसा कि हम सभी जानते है कि जिन स्थानों पर नदियों, तालाबो की कमी होती है, वहां वर्षा ही जल का मुख्य स्त्रोत होती है।
देश के भिन्न स्थानों पर स्थिति भिन्न है, देश में कहीं वर्फ पड़ती है तो कहीं गर्मी, कहीं सूखा, तो कहीं वर्षा की स्थिति होती है। इस तरह देश के कई हिस्सों में सूखे की घटना होना एक सामान्य बात है। सूखा एक कठिन स्थिति है हर साल सूखे की वजह से कई लोग प्रभावित होते हैं। जबकि सूखे की घटना एक प्राकृतिक घटना है।
सूखा पड़ना क्या होता है? What is Drought in Hindi?
सूखे की स्थिति तब होती है, जब लम्बे समय तक वर्षा नही होती है। इस तरह दुनिया के कुछ हिस्से वर्षा से वंचित रह जाते हैं। नदियां, तालाब, समुद्र और झीलें दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों में सतह के पानी के मुख्य स्रोत हैं।
अत्यधिक गर्मियों या विभिन्न मानव गतिविधियों के लिए सतह के पानी के उपयोग के कारण इन स्रोतों में पानी सूख जाता है जिससे सूखा की स्थिति उत्पन्न होती है। इसे अंग्रेजी में फ़ैमिन (famine) भी कहते हैं।
सूखा पड़ने का कारण Causes of Drought in Hindi
कई ऐसे कारण है जिनकी वजह से देश में सूखे की स्थिति पैदा होती है। आज हम उन कारणों को जानेंगे यह निम्न हैं-
वर्षा जल का संचय न करना Rain Water Harvesting
वर्षा के जल संचयन न करना एक का एक मुख्य कारण है। देश में तमिलनाडु ही एक ऐसा राज्य है, जहाँ वर्षा के जल का संचय करने पर जोर दिया जाता है। इसके अलावा किसी भी राज्य में वर्षा के जल कर संचय नही किया जाता है।
ग्लोबल वॉर्मिंग Global Warming
हम सभी जानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग प्रकृति पर कितना दुष्प्रभाव डालती है। क्योंकि यह पृथ्वी के तापमान में वृद्धि करती है, जिसके परिणामस्वरूप वाष्पीकरण में वृद्धि होती है। तापमान में उच्चता होने के कारण यह जंगल की आग को बढ़ावा देती है, साथ ही सूखा की स्थिति को बढ़ावा देती है।
बड़े पैमाने पर वनों की कटाई Cutting of Trees
वनों की कटाई होना भी सूखे की समस्या का बहुत बड़ा कारण है। इसे वर्षा की कमी का मुख्य कारण कहा जा सकता है। इसमें सूखा की स्थिति उत्पन्न होती है।
पानी के वाष्पीकरण, भूमि पर पर्याप्त पानी की ज़रूरत और बारिश के लिए भूमि पर पेड़ों और वनस्पतियों की पर्याप्त मात्रा की आवश्यकता है।
वनों की कटाई और कंक्रीट की इमारतों के निर्माण ने पर्यावरण में एक प्रमुख असंतुलन का कारण बना दिया है। यह मिट्टी की पानी की पकड़ की क्षमता को कम करता है और वाष्पीकरण बढ़ाता है। ये दोनों कम वर्षा का कारण है।
सूखा पड़ने के प्रभाव Effects of Drought in Hindi
सूखे से प्रभावित क्षेत्रो में सूखे से उत्पन्न प्रभाव देखने को मिलते है। इस आपदाओं से निपटने के लिए काफी समय लगता है। सूखा की स्थिति होने पर लोगों की रोज़मर्रा की जिंदगी बहुत ही प्रभवित होती है। सूखे की स्थिति होने पर निम्न प्रभाव देखने को मिलते है।
आर्थिक प्रभाव Economic Impact
सूखा पड़ने पर सबसे पहला प्रभाव जो हमें देखने को मिलता है, वो है आर्थिक प्रभाव, सूखे की समस्या होने पर कृषि उत्पादन घट जाता है, फसलें सुखने लगती है। पर्याप्त मात्रा में अनाज उत्पन्न नही होता।
पशुधन की भी हानि देखने को मिलती है । कृषि-आधारित उद्योगों का उत्पादन भी घट जाता है। सूखा से किसान सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में फसलों का उत्पादन नहीं होता है जिस कारण किसानों की एकमात्र आय खेती के जरिए उत्पन्न नही हो पाती।
जनसंख्या पर प्रभाव Effect on Population
सूखे होने की स्थिति में बहुत से लोग मर जाते हैं, जिस कारण जनसंख्या में कमी होती है। पानी की कमी के कारण जीवन यापन करने के उद्देश्य से सूखाग्रस्त क्षेत्रों से जनसंख्या का पलायन भी बहुत बड़े स्तर पर होता है।
पारिस्थितिकी प्रभाव Ecological Impact
वर्षा के जल के अभाव में पशु पक्षी एक स्थान से अन्य स्थानों की ओर पलायन कर जाते है। जिसके वजह से पारितंत्र में प्रभाब देखने को मिलता है।
वन्यजीवों का जोखिम Bad Effect on Wild Animals
सूखा की समस्या से जंगलों में आग के मामलों में वृद्धि होती है और यह वन्यजीव आबादी को प्रभावित करता है। वनों के जलने के कारण कई जंगली जानवर अपने जीवन से हाथ धो बैठते हैं जबकि कई अन्य अपना आश्रय खो देते हैं।
खाने की वस्तुओ / पेय-जल की कमी Lack of Drinking Water
विपरीत परिस्थितियों के चलते बहुत-से लोग अपने जीवन से हाथ धो बैठते है या फिर किसी कुपोषण का शिकार हो जाते हैं, इससे सामाजिक मूल्यों का ह्रास होता है। साथ ही लोगों में निराशा होती है। इसका अत्यधिक प्रभाव समाज के कमजोर वर्गों विशेषकर गरीबी रेखा से नीचे की जनसंख्या पर देखने को मिलता है।
कीमत में बढ़ोतरी Price Inflation
कम आपूर्ति और उच्च मांग के होने से कीमतोमें बढ़ोतरी होती है भिन्न फलों, अनाजों, सब्जियों की कीमतें बढ़ जाती हैं। विशेष रूप से फलों और सब्जियों से बने पदार्थों जैसे जैम, सॉस और पेय पदार्थों की कीमतें भी बढ़ जाती हैं।
मिट्टी का क्षरण (मृदा अपरदन) Soil Erosion
लगातार सूखा और इसकी गुणवत्ता में कमी के कारण मिट्टी में नमी कम हो जाती है जिससे मृदा अपरदन को बढ़ावा मिलता है। कुछ क्षेत्रों में फसलों को प्राप्त करने की योग्यता हासिल करने के लिए बहुत समय लगता है। जिस कारण फसल कि गुणबत्ता में कमी आ जाती है
सूखा के प्रकार Types of Drought in Hindi
सूखे के प्रकार को क्षेत्रो और स्थानों के अनुसार कई भागो में विभाजित किया गया है, जो निम्न है –
अकाल पड़ना
ऐसे स्थान जहाँ वर्षा की बहुत ही ज्यादा कमी पाई जाती है, ऐसे स्थान अकाल के क्षेत्र में आते है। यह सबसे गंभीर सूखे की स्थिति है। ऐसे स्थानों पर लोगो को भोजन तक भी पहुंच नही पाता।
जिस कारण बड़े पैमाने पर भुखमरी और तबाही का शिकार हो जाते है । सरकार द्वारा ऐसी स्थिति होने पर उचित कदम उठाया जाता है और अन्य स्थानों से इन जगहों पर भोजन की आपूर्ति की जाती है।
मृदा की नमी का सूखा
जैसा कि नाम से प्रतीत होता है इस स्थिति में मृदा की नमी का सूखा शामिल है, जो कि फसलों की वृद्धि को होने से रोकती है। इसमें पानी की आपूर्ति कम हो जाती है। अत: यह मौसम संबंधी सूखा का नतीजा है और वाष्पीकरण के कारण अधिक पानी का नुकसान होता है।
मौसम संबंधी सूखा
मौसम के अनुसार जब किसी स्थान पर एक विशेष समय अवधि के लिए वर्षा में कमी देखने को मिलती है जैसे कुछ दिनों, महीनों, मौसम या वर्ष के लिए हो सकता है – यह मौसम संबंधी सूखा से प्रभावित होता है। भारत में 75 प्रतिशत से कम वर्षा कि स्थिति को सूखा से प्रभावित माना जाता है।
सामाजिक-आर्थिक सूखा
फसल की विफलता और सामाजिक सुरक्षा के कारण भोजन की उपलब्धता और आय में कमी होने पर सामाजिक आर्थिक सूखे कि स्थिति बनती है।
सूखा की समस्या को कैसे रोका जाये? How to Stop and Prevent Drought in Hindi?
सूखे की समस्या को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने आवश्यक है। जिससे ऐसी स्थिति बनने पर इसे पहले से ही इसका हर संभव समाधान किया जा सके जो निम्न है –
वर्षा के पानी का संग्रहण Rain Water Collection
वर्षा होने पर वर्षा जल का संग्रहण करना अति आवश्यक है। इसके अंतर्गत टैंकों और प्राकृतिक जलाशयों में वर्षा जल को इकट्ठा करना चाहिए। ताकि बाद में उपयोग में लाया जा सके, सभी के लिए वर्षा जल संचयन अनिवार्य होना चाहिए।
जल को पुन: उपयोग में लायें Reuse of Water
जल के पुनः प्रयोग के लिए अपशिष्ट जल को शुद्ध और फ़िल्टर करने उपयोग में लाया जाना चाहिए। जल एकत्र करने, शॉवर की बाल्टी का उपयोग, सब्जियां धोने के पानी को बचाने और बारिश के बगीचे बनाने से इस दिशा में मदद कर सकते हैं। इन तरीकों से एकत्र पानी पौधों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
वृक्षारोपण द्वारा Tree Plantation
सूखे का मुख्य कारण वनों की कटाई है। अत: इस समस्या से बचने के लिए हमें वृक्षारोपण करने की आवश्यकता है। अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए।
जल कि बर्बादी पर रोक Reduce Wastage of Water
जैसा कि हम सभी जानते है कि जल ही जीवन है। जल ही हमारे जीवन का आधार है। यह हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। अत: हम सभी को पानी की बर्बादी को रोकने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए ताकि कम वर्षा के दौरान भी पर्याप्त पानी उपलब्ध हो।
अभियान द्वारा By Awareness
जल की वर्वादी और वर्षा के जल को एकत्रित करने के लिए लोगो को समय समय पर अभियान द्वारा जागरूक करने की आवश्यकता है। इसके अंतर्गत पानी की बचत के लाभों के बारे में बताने चाहिए। यह जागरूकता फैलाने और समस्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका है।
देश में उत्पन्न सूखा की स्थिति एवं नुकसान Disadvantages and Losses of Drought in Hindi
देश में कई बार सूखे की स्थिति बनी जब देश को काफी नुकसान हुआ –
- 1967 ई० में बिहार में भयानक सूखा पड़ा था।
- 1972 ई० में बिहार में चार लाख एकड़ जमीन में गरमा धान बोया गया था, परन्तु वर्षा के अभाव में करीब सवा दो लाख एकड़ जमीन में गरमा धान की फसल नष्ट हो गई।
- केवल बिहार में ही 1972 ई० में 307 करोड़ रुपयों की फसल नष्ट हो गई।
- 1972 ई० में राजस्थान में पड़े भयानक सूखे में करीब पौने दो करोड़ लोग इस सूखे के कारण तबाह हुए।
- 1972 ई० के आरंभ में महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तरप्रदेश और उत्तर-पूर्व कर्नाटक तथा आंध्रप्रदेश के कुछ हिस्से भी सूखे की भयानक चपेट में आ गए।
- 1974 ई० में दक्षिण बिहार सूखे के चंगुल में रहा।
- 1982 ई० में लगभग सारा बिहार सूखे की चपेट में रहा।
- 1987 ई० में इस दशक का सबसे भयंकर सूखा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और मध्यप्रदेश में पड़ा। सारी फसल चौपट हो गई। दक्षिण भारत भी इसकी लपेट से नहीं बचा।
निष्कर्ष Conclusion
सूखे की स्थिति मनुष्य को जल का असली मोल समझाती है। सूखे की स्थिति होने पर व्यक्ति पानी की एक -2 बूँद का महत्व समझा जाता है। इसीलिए हमें समय रहते इसका निवारण करना ज़रूरी है। सूखा सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से एक है।
हालांकि सरकार द्वारा सूखा राहत योजनाएं बनाई गयी हैं परन्तु ये सूखा की गंभीर समस्या को दूर करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसके लिए हमें एक जुट होकर इस समस्या से बचने के लिए मजबूत कदम उठाने चाहिए।
आशा करते हैं आपको सूखा पर निबंध Essay on Drought in Hindi से पूरी जानकारी मिल पाई होगी।