भारत में किसानों की आत्महत्या पर निबंध Essay on Farmers Suicides in Hindi
आज हमारे देश मे किसानो की आत्महत्या एक बड़ी समस्या है। आज हालात ऐसे पैदा हो गये है कि किसानो को कर्ज के बोझ से दबकर जान देने को मजबूर होना पड़ रहा है।
भारत में किसानों की आत्महत्या पर निबंध Essay on Farmers Suicides in Hindi
नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीमकोर्ट को बताया की 2013 के बाद हर साल देश में 12000 से अधिक किसान आत्महत्या कर रहे हैं। इससे पता चलता है की हालत कितनी गम्भीर है। केंद्र सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है की देश में प्रति किसान पर औसतन 47000 रूपए का कर्ज है।
देश में आत्महत्या करने वाले किसानो का 70% ऐसे किसान हैं जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन है। साफ़ है कि गरीब किसान ऐसा निराशाजनक कदम उठाते हैं। आज हालत ऐसी है कि किसान मुश्किल से अपने परिवार का खर्च उठा पा रहे है। बच्चो की पढाई, बेटियों की शादी व दूसरे काम मुश्किल से कर पा रहे हैं।
1990 के बाद से भारत में किसानो की आत्महत्या की घटनाये बहुत तेजी से बढ़ गयी है। किसानो की बढ़ती दुर्दशा के कारण 2017 मे उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार ने 36359 करोड़ की कर्जमाफी की। 2018 में महाराष्ट्र सरकार ने किसानो का कर्ज माफ़ किया है।
जैसा कि हम जानते है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की एक बड़ी आबादी कृषि का काम करती है। भारत की कृषि मुख्यरूप से सिचाई के लिए मानसून पर आधारित है पर जब सही समय पर बारिश नही होती है तो नकदी फसलें नष्ट हो जाती है। किसान की पूरी मेहनत बर्बाद हो जाती है।
एक तो उसे कोई उपज नही प्राप्त होती, उसका परिवार भी भुखमरी की कगार पर पहुँच जाता है। फसल नष्ट होने से किसान लिया हुआ कर्ज चुकाने में असफल हो जाता है। अवसाद में चला जाता है और यह जानलेवा कदम उठा लेता है। देश में होनी वाली कुल आत्महत्याओं का 11% हिस्सा किसानो की आत्महत्या का है।
हमारे देश में किसानो को 3 वर्ग में बांटा गया है- छोटे किसान, मध्यम किसान और बड़े किसान। इनके अलावा भूमिहीन किसानो का एक बड़ा वर्ग है जो बड़े अमीर किसानो या जमीदारों से बटाई पर भूमी लेते है और उस पर खेती करते हैं। सबसे जादा परेशान वो ही है। उनके पास फसल बोने के लिए न तो बीज होता है और न सिचाई के लिए संसाधन।
ऐसे में वो साहूकारों, बैंको से ऊँची दर पर कर्ज लेते है। किसान के उपर कई जिम्मेदारियां होती है। जिससे भूमि ली है उसे भी निर्धारित शुल्क देना होता है। बैंक को कर्ज चुकाना होता है, अपने परिवार का भरण- पोषण उसी फसल के पैसो में करना होता है।
जब किसान की फसल सूखा, बाढ़, बेमौसम बरसात और दूसरे कारणों से नष्ट हो जाती है तो उसे कुछ भी समझ नही आता है। ऐसे में वो आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर लेता है।
किसानो की आत्महत्या के मुख्य कारण Major causes responsible for Farmers suicide in India
किसान आत्महत्या क्र कुछ मुख्य कारण –
- मानसून का सही समय पर नही आना
- बैंको द्वारा दी जानी वाली कर्ज की ऊंची दर
- बीजो, खादों व अन्य कृषि उपकरणों में वृद्धि
- बैंको, महाजनों, व दलालों का दुश्चक्र
- छोटे किसान जिनके पास खुद की जमीन नही है
- कृषि जोतों का छोटा होना
- सरकार के पास कोई ठोस योजना का न होना
- देश में आधुनिक तरह से खेती, उपकरों व तकनीकों का आभाव
- फसल की अनिश्चितता
- सूखा पड़ना
- कृषि उत्पादों की गिरती कीमत
- खेती की बढ़ती लागत
- देश में सिचाई सुविधाओं की कमी
- भूजल का गिरता स्तर
- चीनी मीलों का गन्ना किसानो को लम्बे समय तक भुक्तान न करना
- पारिवारिक दबाव, आय कम अधिक सदस्य
- सरकारी बाबुओं और अधिकारियों का रिश्वत लेना
- किसान की अपनी व्यक्तिगत समस्याये, बीमारियाँ, रोग व अन्य समस्यायें
- दलालों, बिचालियों द्वारा किसानो का शोषण
- बाढ़
- सरकारी योजनाये
- बेमौसम बरसात
- जमीदारो द्वारा किसानो का शोषण
किसान आत्महत्या के आंकड़े Suicide statistics of Farmers in India
राष्ट्रीय अपराध लेखा कार्यालय के अनुसार-
- 2008 में 16196 किसानो ने आत्महत्या की
- 2009 में 17368 किसानो ने आत्महत्या की
- 2013 में 11772 किसानो ने आत्महत्या की
- 2014 में 12360 किसानो ने आत्महत्या की
- 2015 में 12602 किसानो ने आत्महत्या की
- सिर्फ महाराष्ट्र में पिछले 17 सालों में 26339 किसानो ने आत्महत्या की
किसान आत्महत्या वाले प्रमुख राज्य Major Farmer suicide states
कुछ मुख्य भारतीय राज्य जहाँ सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या किया –
- महाराष्ट्र
- छत्तीसगढ़
- मध्यप्रदेश
- आंध्रप्रदेश
- तेलंगाना
- तमिलनाडु
- पंजाब
किसानो की आत्महत्या को रोकने के लिए सरकार द्वारा किये गये उपाय Government Yojana’s for Controlling Farmers suicide
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
- उत्तर प्रदेश में किसान कर्ज माफ़ी
- महाराष्ट्र में किसान कर्ज माफ़ी
- प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना
किसान आत्महत्या की समस्या का समाधान Solution for Farmers Suicides in India
किसान आत्महत्या का समाधान –
- किसानो को आमदनी के दूसरे विकल्प तलाशने चाहिये
- सरकार किसानो के लिए ठोस निति बनाये
- कृषि के साथ साथ दूसरे काम जैसे- कुटीर उद्द्योग, मुर्गीपालन, मछलीपालन, दुग्धपालन और दूसरे व्यवसाय करने चाहिये
- किसानो का कर्ज माफ़ हो
- सरकार कृषि उपकरण, बीज, खाद व अन्य चीजो पर सब्सिडी दे
- फसलो का बाजार में सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया जाये
- सरकार परम्परागत कृषि के स्थान पर आधुनिक तकनीक से कृषि को प्रोत्साहन दे जिससे अधिक से अधिक उत्पादन किया जा सके
- किसानो का बिजली का शुल्क कम या माफ़ किया जाये
- सही प्रकार से फसल बीमा पॉलिसी को अपनाया जाये
- सरकार किसानो को दूसरे रोजगारो के बारे में जागृत करे
- सरकार द्वारा किसानो को सस्ती दर पर बीज, खाद व दूसरी सामग्री उपलब्ध करवाई जाये
- सरकार निम्न दर पर किसानो की ब्याज दे
- व्यवसाय, सड़को, राजमार्गो के लिए किसानो की अधिग्रहित की गयी जमीन का उचित मूल्य दिया जाये
- उदारीकरण वैश्वीकरण के नाम पर विदेश से सस्ती दर पर अनाज का आयात रोका जाये
निष्कर्ष Conclusion
आज के समय में किसानो द्वारा आत्महत्या करना एक चिंता का विषय है। किसान अन्न्तदाता होता है। अगर वो फसल ही नही उपजायेगा तो हम खायेंगे क्या। कितनी बड़ी विडम्बना है कि किसान हमारे लिए अनाज का उत्पादन करता है, 24 घंटा मेहनत करता है, सर्दी, गर्मी, बरसात, धूप में काम करता रहता है और फिर भी संकट में है।
हमारे देश में सही समय पर मानसून नही आना किसानो के लिए सबसे बुरी बात होती है। समय पर खेतो में पानी नही लग पाता है और फसल बर्बाद हो जाती है। सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए ठोस नीति बनानी चाहिये। आज का लेख आपको कैसा लगा, जरुर बतायें।
बहुत ही अच्छा सर
Pless Respect farmers life