माफ़ी या क्षमा पर निबंध Essay on Forgiveness in Hindi

माफ़ी या क्षमा पर निबंध Essay on Forgiveness in Hindi

मनुष्य अपने जीवन में बहुत से एहसासों से घिरा रहता है- क्रोध, ईर्ष्या, प्रेम, लगाव, संदेह, विश्वास, प्रतियोगिता भाव आदि, परंतु ऐसा कहना पड़ेगा कि माफ करना या माफी मांगना, इन सभी भावों से बढ़कर है, सभी एहसासों में सर्वोपरि है, सभी जज्बातों में अव्वल है। ऐसा क्यों कहा जा रहा है ?? क्या मतलब है इस बात का ?? क्या तात्पर्य है माफी का सबसे उत्तम भाव होने में ??!!

माफ़ी या क्षमा पर निबंध Essay on Forgiveness in Hindi

क्या इन सभी सवालों के जवाब संभव है ? बिल्कुल, आइए इसी संदर्भ में चर्चा करते हैं। माफी शब्द ही बहुत नर्म लगता है, सुनने में बहुत निर्मल, ऐसा क्यों  ?? चलिए शुरू से शुरुआत करते हैं। मनुष्य को ईश्वर ने मिट्टी से बनाया है, यह भी व्याख्या दी है कि मनुष्य गलतियों द्वारा ही बना होता है, मतलब मनुष्य की प्रवृत्ति में ही होता है।

गलती करना, उस गलती को भूल जाना और फिर से गलती करना अर्थात मनुष्य अपनी सारी ज़िन्दगी गलतियां करता है, उन गलतियों से सीखता है और नादानी में फिर गलतियां करता है अथवा जीवन की सीख और उसका व्यापन गलतियों पर ही आधारित होता है, ऐसा कहा भी जाता है कि इंसान गलतियों का पुतला है। तो इन सब बातों से हम यह मान सकते हैं कि मनुष्य हर हाल में, जीवन के हर पड़ाव में गलतियां करता रहता है, चाहे व्यक्तित्व में सुधार हो या ना हो।

इन सब बातों से यह सीख मिलती है कि हमारे आसपास मनुष्यों द्वारा की हुई गलतियों को माफ करना चाहिए, मतलब मनुष्य बहुत से रिश्तों से घिरा हुआ है – मां, बाप, भाई, बहन, पति, पत्नी, बच्चे आदि।

अगर हमारे आस पास हमारा कोई अपना या पराया भी गलती करता है, तो हमें उसे क्षमा करना चाहिए अर्थात उसे माफ कर देना चाहिए, क्योंकि यह हम भलीभांति जानते है कि मनुष्य के स्वभाव में ही गलती करना है। वह गलती करेगा हर बार करेगा,बार-बार करेगा।

सारी बात का अर्थ यह है कि हमें किसी की भी गलती को बहुत मन से नहीं लगाना चाहिए, गलती तो किसी से भी हो सकती है। हमे मन में, किसी के प्रति उसकी गलती को लेकर मैंल नहीं रखना चाहिए। मन को साफ रखते हुए उस गलती करने वाले मनुष्य को माफ कर देना चाहिए, इस बात को ध्यान में रखते हुए के किसी भी रिश्ते में होने के बावजूद हम सबसे पहले इंसान हैं और इंसान का मिज़ाज है गलती करना।

कोई किसी को माफ़ ना करें या क्षमा ना करें तो क्या होगा?

तो अब यह प्रश्न उठता है कि अगर हम माफ नहीं करेंगे, माफी नहीं देंगे तो क्या होगा ?? माफ ना करने के क्या परिणाम हो सकते हैं ? दरअसल हम जब किसी व्यक्ति को उसकी की हुई गलती की माफी दे देते हैं, तो पहला बोझ हम अपने ऊपर से कम कर लेते हैं, हमारा ही भार हल्का हो जाता है।

ऐसा क्यों ? क्योंकि जब हम किसी व्यक्ति को माफ नहीं करते हैं, तो हम उसके खिलाफ अपने मन में, अपने दिमाग में, अपने दिल में खराब भाग जमा कर लेते हैं, हम उसकी की हुई उस एक गलती को उस मनुष्य के व्यक्तित्व की व्याख्या मान लेते हैं।

हम उस मनुष्य को पूर्ण रूप से गलत मान लेते हैं, हालांकि ऐसा होता नहीं है, क्योंकि थोड़ी बुराई और थोड़ी अच्छाई सभी मनुष्यों में है। हम अपने अंदर ही अंदर उस गलती को बार बार सोचते हैं जलते कुढ़ते रहते हैं, अपना खून जलाते रहते हैं और मुख्यतः उस व्यक्ति को घोर पापी और दोषी मान लेते हैं।

हम यह नहीं सोचते कि गलती करते वक्त उस व्यक्ति की स्थिति क्या थी, मनोदशा क्या थी, क्या एहसास थे , हम उस सामने वाले इंसान के नजरिए से परिस्थितियों को देख ही नहीं पाते हैं और इसी के साथ हमें उस व्यक्ति में दुनिया भर के कीड़े नजर आते हैं और मन ही मन हम अपनी छवि अपने मस्तिष्क में सर्वोच्च रखते हैं। हम इस बात का भी ध्यान नहीं रखते कि कल को हमसे भी किसी प्रकार की गलती हो सकती है, बिल्कुल हो सकती है क्योंकि है तो हम आखिर मनुष्य ही।

ऐसा सब करने में हमारा मन भारी हो जाता है और हमें वह बात भूले नहीं भूलती है, ऐसे मन में मेल रखने से हमारा ही ज्यादा नुकसान है क्योंकि हम बहुत दफा सामने वाले को गलत समझ लेते हैं और साथ ही साथ उस व्यक्ति से हमारा रिश्ता भी खराब हो जाता है।

इन सब बातों से यही समझ में आता है कि हमें कभी भी किसी व्यक्ति की, उसकी किसी एक विशेषता या किसी एक त्रुटि के हिसाब से व्याख्या नहीं करनी चाहिए, जांचना परखना नहीं चाहिए। एक व्यक्ति के अंदर बहुत सारी खूबियां साथ ही साथ बहुत सारी कमियां भी हो सकती हैं और यह बिल्कुल सामान्य बात है क्योंकि ईश्वर ने मनुष्य को इसी प्रकार बनाया है।

तो इसलिए हमें अपने आसपास सभी की छोटी बड़ी गलतियों को देर सवेर माफ कर देना चाहिए क्योंकि यह करने से दिल साफ हो जाता है, मन पवित्र हो जाता है, विचारों की शुद्धि हो जाती है, क्योंकि हम भी मनुष्य ही हैं कल को वही गलती हमसे भी हो सकती है अर्थात सभी मनमुटाव दूर करके, मन से खटास को निकालकर रिश्ते की नई शुरुआत करनी चाहिए; क्योंकि जो बात रिश्ते निभाने में है वह छोटी-छोटी बात पर रिश्ते तोड़ने में नहीं है।

ऐसा कहा भी गया है कि रिश्ते बनाना बहुत आसान है, पर निभाना बहुत मुश्किल और रिश्ते ऐसे ही निभाए जाते हैं, एक दूसरे की छोटी बड़ी गलतियों को बर्दाश्त करके, नजरअंदाज करके, माफ करके क्योंकि किसी ज्ञानी ने भी कहा है कि, बिल्कुल परिपूर्ण व्यक्ति मत ढूंढो जिसमे कोई गलती ना हो, ऐसा करेंगे तो आप अकेले रह जाएंगे क्योंकि इस पृथ्वी पर कोई परिपूर्ण इंसान है ही नहीं, सभी गलतियों से सीख कर ही बने हैं।

ध्यान दें कि बहुत बहादुर और बड़े दिल का व्यक्ति ही किसी को माफ कर सकता है, यह कायर या बुज़दिल इंसान के बस की बात नहीं है। कायर हमेशा मन में कुंठा का भाव रखेगा, बहादुर कभी नहीं।

माफ़ी मांगने के फायदे

माफ करने के सुनहरे नियम के साथ साथ एक पहलू यह भी है कि, हमसे अगर गलती हो जाए तो हमें शांत स्वभाव से गलती को स्वीकार करना चाहिए और माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि हमेशा याद रखें माफी मांगने से हमेशा रिश्ते मजबूत ही होंगे, दो लोगों के बीच कभी बैर नहीं होगा। माफ करने या माफी मांगने की प्रवृत्ति से यह मालूम पड़ता है कि व्यक्ति तुच्छ भावों के मुकाबले में रिश्ते को ज्यादा अहमियत देता है।

एक बहुत उदार व्यक्ति कभी-कभी गलती ना होने पर भी झुक कर माफी मांग लेता है, क्यों ?? इसमें भी यही अर्थ है कि, व्यक्ति को सामने वाले इंसान से प्रेम होता है, उस इंसान के साथ के रिश्ते से प्रेम होता है और उसी को मूल्यवान मानकर उदार व्यक्ति रिश्ता बचाने के लिए, उस व्यक्ति को खोने से बचने के लिए गलती ना होते हुए भी माफी मांग लेता है।

हम माफी मांगने या माफ करने से कभी छोटे नहीं होते हैं, बस हम खराब भावों से ऊपर उठ जाते हैं, मन से हल्के हो जाते हैं, सामने वाले व्यक्ति पर अपने प्रेम और स्नेह से जीत पा लेते हैं, अर्थात इन सब में हमारे व्यक्तित्व की जीत ही जीत है।

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