भारतीय संविधान पर निबंध Essay on Indian Constitution in Hindi

इस लेख में आप भारतीय संविधान पर निबंध Essay on Indian constitution in Hindi हिन्दी में पढ़ेंगे। इसमें आपको भारतीय संविधान का इतिहास, प्रकार, विशेषताएं, लेखक, धराएं जैसी की महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गई है।

भारतीय संविधान पर निबंध Essay on Indian Constitution in Hindi

विश्व के तमाम देशों को व्यवस्थित रूप से संचालित करने के लिए कुछ नियम और कानून तय किए गए हैं। यह अलग-अलग प्रकार के नियम कानून लिखित और मौखिक भी हो सकते हैं। 

इसे संविधान कहा जाता है, जो एक तरह से कानून की किताब है। यह देश की सर्वोच्च विधि होती है, जिसके अनुसार ही किसी भी देश के शासन प्रशासन को संचालित किया जाता है। 

भारतीय संविधान की बात करें तो यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के संचालन के लिए जानी जाती है। सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ ही हमारा संविधान भी दुनिया में लिखित तौर पर बहुत ही विशाल है।

भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जहां शासन तंत्र जनता के बहुमत के आधार पर ही निर्धारित होता है। भारतीय संविधान में हर किसी के लिए मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों के साथ साथ सैकड़ों कानूनों की चर्चा की गई है। 

दुनिया में भारतीय संविधान अपनी एक अलग पहचान रखता है। यह विविधताओं से भरा है, जिसे तैयार करने में लगभग 2 साल 11 महीने और 14 दिनों का समय लगा था। 

बाबासाहेब आंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है। बाबासाहेब के साथ ही अन्य कई बुद्धिजीवियों और सर्वश्रेष्ठ लोगों द्वारा इसे तैयार किया गया था।

भारतीय संविधान का इतिहास History of Indian Constitution in Hindi

भारत जब ब्रिटिश सरकार के औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्र होने के पड़ाव पर था, तभी देश को एक नए ढंग से चलाने के लिए संविधान सभा को बनाया गया था। भारत के लिए एक नए संविधान को गढ़ने में बहुत समय और विभिन्न बैठकों का आयोजन हुआ था। 

9 दिसंबर 1946 के दिन पहली बार संविधान सभा की बैठक हुई थी। 26 जनवरी 1950 में भारतीय संविधान को लागू किया गया था। प्रारंभ में भारतीय संविधान में कुल मिलाकर 22 भाग 8 अनुसूचियां व 395 अनुच्छेद का समावेश हुआ था।

लेकिन समय-समय पर कई संशोधन हुए, जिसके परिणाम स्वरूप नए-नए प्रावधानों को भी इसमें जोड़ा गया। आज के समय में भारतीय संविधान में कुल मिलाकर 25 भाग 12 अनुसूचियां और 395 अनुच्छेद मौजूद हैं। 

संविधान बनाने वाले लोगों के उत्कृष्ट विचार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि संविधान इस तरह से बनाया गया था जहां कोई भी प्रत्यक्ष रूप से किसी भी कानून को जड़ से खत्म नहीं कर सकता और ना ही मनमानी कर के नए कानूनों को जोड़ सकता है। 

इसके लिए बहुत ही लंबा कानूनी क्रियाकलाप के बाद ही कोई भी संशोधन किया जा सकता है। अधिकतर जितने भी अधिनियम को संशोधित किया गया, उनके जरिए नए उप खंडों को भारतीय संविधान में जगह दी गई। 

यदि संविधान निर्माण की बात करें तो ब्रिटिशों ने भारत पर लंबे समय तक राज किया। जिसके कारण उनके नियम कानूनों की छाप हमारे देश पर बहुत ही प्रभावी ढंग से पढ़ चुकी थी। 

संविधान निर्माण कर्ताओं ने इसी कारण ब्रिटिश राज्य व्यवस्था के संसदीय प्रशासन प्रणाली को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान का निर्माण किया था।

भारतीय संविधान के प्रकार Types of Indian Constitution in Hindi

संविधान की रचना के आधार पर

(i) विकसित संविधान (Evolved Constitution)

यह संविधान का वह प्रकार है, जो बिना किसी निश्चित समय, सिद्धांत और सभा द्वारा तैयार नहीं किया जाता। बल्कि कई सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों के परिणाम स्वरूप ऐसे संविधान का निर्माण होता है। 

(ii) निर्मित संविधान (Enacted Constitution)

संविधान का ऐसा प्रारूप जो किसी निश्चित समय और ध्येय के कारण सभा से पारित किया जाता है। भारतीय संविधान एक तरह का निर्मित संविधान है, जो एक निश्चित समय 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।

संविधान के स्वरूप के आधार पर

(i)लिखित संविधान (Written Constitution)

संविधान काफी विचार विमर्श करने के पश्चात तथा संविधान सभा द्वारा निश्चित सैद्धांतिक क्रियाकलापों के पश्चात लागू किया जाता है। लिखित संविधान आमतौर पर निर्मित किया गया संविधान होता है, जिसमें स्पष्ट रूप से सिद्धांत और नियमों का वर्णन होता है।

(ii) अलिखित संविधान (Unwritten Constitution)

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि वह संविधान जो लिखित नहीं है, लेकिन उसके नियम और सिद्धांतों को अनिवार्य रूप से माना जाता है, अलिखित संविधान कहलाता है। हालांकि किसी भी प्रकार का संविधान पूर्ण रूप से अलिखित या मौखिक नहीं हो सकता है।

संविधान में संशोधन प्रक्रिया के आधार पर 

(i) लचीला संविधान (Flexible Constitution)

जिस कानूनी प्रक्रिया में विधायिका को कानून निर्माण की प्रक्रिया में सरलता होती है तथा संवैधानिक दृष्टिकोण से आवश्यक बदलाव को बड़े ही आसानी से कानूनी प्रक्रिया से प्रसार करके उसे लागू कर दिया जाता है, वह लचीले संविधान की श्रेणी में आता है। लचीला संविधान किसी भी तरह के संशोधन बदलावों को आसानी से स्वीकार कर सकता है।

(ii) कठोर संविधान (Rigid Constitution)

लचीला संविधान के प्रकृति के बिल्कुल विपरीत कठोर संविधान, जिसमें संशोधनों के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है तथा प्रकृति में कठोर होता है, जिनमें बदलावों को शामिल करना बेहत कठिन कार्य होता है ऐसे संविधान कठोर संविधान के प्रवृत्ति के अंतर्गत आते हैं।

भारतीय संविधान की विशेषताएं Important Features of Indian Constitution in Hindi

  • भारतीय संविधान पूरी तरह से लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी विचारधारा पर आधारित है।
  • विश्व का सबसे व्यापक लिखित तौर पर मौजूद एकमात्र भारतीय संविधान है।
  • भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों और अधिकारों को विशेष जगह दी गई है।
  • अनुसूचित जैसे तमाम पिछड़े वर्गो से ताल्लुक रखने वाले समुदायों के लिए भारतीय संविधान में विशेष प्रावधान किए गए हैं।
  • संविधान पूर्ण रूप से अंतर्राष्ट्रीय शांति और समृद्धि को विकसित करने पर विश्वास रखता है।
  • भारतीय संविधान के आधार पर देश के संचालन व्यवस्था के लिए संसदात्मक शासन पद्धति अपनाई गई है।
  • भारतीय न्याय व्यवस्था कठोरता और लचीला दोनों ही प्रकृति का एक अद्भुत मिश्रण है।
  • विश्व के सामने यह एक आश्चर्य का मुद्दा है, कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी को इतने प्रभावी ढंग से भारतीय संविधान संचालित करने में पूर्ण रूप से सफल रहा है।

भारतीय संविधान के लेखक 

हमारे भारतीय संविधान के निर्माण की जब भी बात आती है, तो सभी के मन में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का ही जिक्र होता है। 

लेकिन बाबा भीमराव अंबेडकर के अलावा बहुत से लोगों के अथाह प्रयास के पश्चात संविधान का निर्माण संभव हो सका था। यदि उन महान लोगों के प्रयासों के बिना भारतीय संविधान के निर्माण की बात की जाए तो यह अधूरा रहेगा।

नंदलाल बोस के निर्देशन में भारतीय संविधान का सजावट काम अन्य शांतिनिकेतन के कलाकारों द्वारा संपन्न किया गया था। 1934 में ही श्री एम.एन. राव ने भारतीय संविधान की नींव रख दी थी। 

गौरतलब है कि राव साहब को साम्यवादी विचारधारा के पहले अन्वेषक के रूप में भी जाना जाता है। कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखने वाले कई बुद्धिजीवियों के कड़ी मेहनत के पश्चात हमारा संविधान बना था। 

श्री राजगोपाल चारी, राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल इत्यादि जैसे अन्य दूर दृष्टि रखने वाले राजनीतिज्ञ विशेषज्ञों ने भी संविधान निर्माण में अपना योगदान दिया था।

भारतीय संविधान की धाराएं

शुरूआत में 26 नवंबर, 1949 के दरमियान अपनाए गए संविधान में कुल मिलाकर एक प्रस्तावना, 22 भागों में 395 लेख और 8 अनुसूचियाँ शामिल की गई थी। 

1950 में किए गए अधिनियमन में बदलाओं के बाद वर्तमान में 104 संशोधनों के कारण लेखों की संख्या बढ़कर 448 पहुंच गई है और साथ ही संविधान में अब 25 भाग और 12 अनुसूचियां हैं।

भारतीय संविधान कब लागू हुआ

1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद ही देश के संचालन के लिए कई तरह की परियोजनाएं बनाई जा रही थी। 26 नवंबर 1949 में भारतीय संविधान को अंगीकृत किया गया था, जिसमें कुछ प्रावधान तो उसी समय बना दिए गए थे। 

इसके बाद 26 जनवरी 1950 में इसे लागू किया गया। संविधान निर्माण के विशेष दिन के उपलक्ष में ही प्रति वर्ष 26 जनवरी को पूरे भारत में “गणतंत्रता दिवस” मनाया जाता है।

भारतीय संविधान की परिभाषा

कानूनों का ऐसा समुच्चय जो अपने सैद्धांतिक नियमों के अंतर्गत किसी भी देश के व्यवस्थित रूप से संचालन में अनिवार्य रूप से भागीदार होता है, उसे संविधान कहा जाता है। 

जो भी राजनीतिक पक्ष देश पर शासन करती है, उसे सरकार कहते हैं। सरकार के प्रमुख अंगों में न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका का समावेश होता है। जो प्रमुख रूप से संविधान का मुख्य अंग माना जाता है। 

संविधान एक तरह से विस्तृत कानूनी दस्तावेज होता है, जो किसी भी देश का सर्वोच्च विधि माना जाता है। दूसरे शब्दों में देश में कानूनी व्यवस्था को संचालित करने वाले मूल कानूनी सिद्धांतों को संविधान का नाम दिया जाता है।

भारतीय संविधान के प्रमुख भाग Major Parts of Indian Constitution

  • भाग 1 – संघ एवं उसका राज्य क्षेत्र : अनुच्छेद 1 से 4
  • भाग 2 – नागरिकता : अनुच्छेद 5 से 11
  • भाग 3 – मौलिक अधिकार : अनुच्छेद 12 से 35
  • भाग 4 – नीति निर्देशक तत्व : अनुच्छेद 36 से 51
  • भाग 4( क) – मूल कर्तव्य : अनुच्छेद 51
  • भाग 5 – संघ : अनुच्छेद 52 से 151
  • भाग 6 – राज्य : अनुच्छेद 152 से 237
  • भाग 7 – संविधान अधिनियम : अनुच्छेद 238
  • भाग 8 – संघ राज्य क्षेत्र : अनुच्छेद 239 से 242
  • भाग 9 – पंचायत : अनुच्छेद 243 से 243
  • भाग 10 – नगर पालिका : अनुच्छेद 243P-243ZG
  • भाग 11 – अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र : अनुच्छेद 244 से 244A
  • भाग 12 – संघ और राज्य के बीच संबंध : अनुच्छेद 245 से 263
  • भाग 13 – वित संपत्ति : अनुच्छेद 264- 300
  • भाग 14 – व्यापार वाणिज्य और समागम : अनुच्छेद 301 से 307
  • भाग 15 – संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं : अनुच्छेद 308 से 322
  • भाग 16 – अधिकरण : अनुच्छेद 323A से 323B
  • भाग 17 – निर्वाचन : अनुच्छेद 324 से 329A
  • भाग 18 – कुछ वर्गों के लिए विशेष संबंध : अनुच्छेद 330 से 342
  • भाग 19 – राजभाषा : अनुच्छेद 343 से 351
  • भाग 20 – आपात उपबंध : अनुच्छेद 352 से 307
  • भाग 21 – प्रकीर्ण : अनुच्छेद 361 से 367
  • भाग 22 – संविधान के संशोधन : अनुच्छेद 368

भारतीय संविधान के स्रोत

केवल ब्रिटिश शासन पद्धति ही नहीं बल्कि दुनिया के बहुत से देशों की शासन प्रणाली से सुझाव लेकर भारतीय संविधान बना हुआ है। 

हमारा संविधान अमेरिकी संविधान जिसमें मूल अधिकार, उपराष्ट्रपति पद, राष्ट्रपति के महाभियोग, न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अन्य न्यायिक सिद्धांतों के आधार पर तैयार किया गया है।

वही ब्रिटिश संविधान से एकल नागरिकता, विधाई प्रक्रिया, संसदीय विशेषाधिकार, मंत्रिमंडलीय सिद्धांत, द्विसदनीय विशेषता और विधि द्वारा निर्मित प्रक्रिया इत्यादि का सुझाव लिया गया। 

इसके अलावा फ्रांस, भूतपूर्व सोवियत संघ, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड इत्यादि जैसे देशों के संवैधानिक प्रणाली के आधार पर मिलाजुला कर भारतीय संविधान की स्थापना की गई है। 

यह भारतीय संविधान की सबसे बड़ी विशेषता है कि कई सारे देशों के संवैधानिक नियमों के मिश्रण के परिणाम स्वरूप हमारा संविधान बना हुआ है।

17 thoughts on “भारतीय संविधान पर निबंध Essay on Indian Constitution in Hindi”

  1. Our constitution are very important to the Indian people,cultural, and others etc.

    Dr.babasaheb ambedakr is the father of Indian contitution.

    Reply

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