इस्लाम धर्म पर निबंध Essay on Islam in Hindi – Muslim Dharm
इस्लाम धर्म पर निबंध Essay on Islam in Hindi – Muslim Dharm
पारसी धर्म और ईसाई धर्म की तरह ही इस्लाम धर्म भी एकेश्वरवादी धर्म है। ये धर्म दुनिया के प्राचीनतम धर्मों में से एक है। इस धर्म के प्रवर्तक हज़रत मोहम्मद को माना गया है।
यह धर्म पवित्र ग्रन्थ कुरान की शिक्षा पर आधारित है। इस धर्म का उद्देश्य है कि मानवता को फैलाओ और बुराइयों का अंत करो। मानव का और सृष्टि का निर्माण अल्लाह ने किया है।
इस्लाम धर्म पर निबंध Essay on Islam in Hindi – Muslim Dharm
हज़रत मोहम्मद का जीवन परिचय
हज़रत मोहम्मद का जन्म 570 ई. में अरब में मक्का में हुआ था। जब ये छोटे थे तब इनके माता – पिता नहीं रहे। इनका पालन – पोषण इनके रिश्तेदार के यहाँ हुआ। सीरिया के एक अमीर व्यापारी की बेटी खदीजा से इनका निकाह करवा दिया गया।
वे एक विधवा थीं। इनकी एक बेटी हुई जिसका नाम फातिमा रखा गया। इसके बाद इन्हे देवदूत जिब्राईल द्वारा ईश्वरीय सन्देश सुनाया गया। हज़रत मोहम्मद के उपदेश सुनकर लोग इन्हे पैगम्बर कहने लगे व इनका सम्मान करने लगे।
610 ई.वी में मक्का के पास हीरा नामक गुफा में इन्हे ज्ञान प्राप्त हुआ। हज़रत मोहम्मद की मृत्यु 8 जून 632 ई में हुई थी। इन्हे मदीना में दफनाया गया था। इनकी मृत्यु के पश्चात मुस्लिम दो वर्गों में बंट गया – शिया और सुन्नी।
इस्लाम धर्म के दो वर्ग
सुन्नी
सुन्ना में विश्वास रखने वाले लोगों को सुन्नी कहते हैं। सुन्ना से तात्पर्य मोहम्मद के उपदेश, कथन व कार्य से है।
शिया
शिया वर्ग के लोग अली की शिक्षा को मानते हैं और अली को हज़रत मोहम्मद का उत्तराधिकारी मानते हैं। इनके दामाद अली थे।
इस्लाम धर्म का ग्रन्थ
इस धर्म का पवित्र ग्रन्थ ‘कुरान’ है जो अरबी भाषा में लिखित है। इसमें कुछ शब्द उर्दू और फ़ारसी के भी मिलते हैं। इसमें धार्मिक उपदेश, नियम – कानून, शिक्षाओं को बताया गया है। कुरान शब्द से तात्पर्य परमात्मा की वाणी से है। कुरान में 114 सूरा हैं अर्थात अध्याय हैं। हर एक सूरा में कई आयते हैं।
इस्लाम धर्म के विचार
कुरान में बताया है कि सब कुछ खुदा के द्वारा ही होता है। पहले ‘सूर’ में लिखा है –
“अहमदु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन . . . अलैहिम व लज्जाल्लीन”
अर्थात अल्लाह बड़ा मेहरवान है, सृष्टि का रचयिता है, हम आपसे मदद मांगते हैं। आप सब पर दया करते हैं, सभी को सही रास्ता दिखाते हैं। कुरान में बताया गया है कि ईश्वर एक ही है, वह अल्लाह हैं, इसके अलावा कोई नहीं हैं।
जो अल्लाह के द्वारा बताये गए आदेशों का पालन नहीं करता उसको स्वयं दण्ड मिलता है। इस्लाम धर्म में 28 नबियों के बारे में बताया गया है। ‘नबी’ शब्द से आशय अल्लाह का सन्देश पहुंचाने वाले से है। अल्लाह ने वादा किया है कि वह आएगा और सबकी सुनेगा और मदद करेगा और सबकी मन्नत पूरी करेगा।
इस्लाम धर्म में सृष्टि की उत्पत्ति
कुरान के अनुसार अल्लाह ने सृष्टि की रचना की है। उन्होंने सृष्टि की रचना इसीलिए की कि मनुष्य तक ज्ञान पहुँच सके। कुरान में कहा गया है कि “अल्लाह ने इस धरती को ऐसे ही नहीं बनाया बल्कि मनुष्य के लिए धरती का निर्माण हुआ है।
जिससे मनुष्य अपनी शक्ति और अल्लाह को जान सके और उसमें विश्वास रख सके। कुरान के अनुसार ही अल्लाह ने मनुष्य को बनाया है और उसमें आत्मा का समावेश किया है, रात – दिन का निर्माण किया है, वस्तुएं बनायीं हैं जिससे मनुष्य अपना जीवन – यापन कर सके।
कहने का तात्पर्य, इस धरती पर जो कुछ भी है वह सब अल्लाह द्वारा संचालित है, सब कुछ अल्लाह द्वारा नियंत्रित किया जाता है। अल्लाह के द्वारा ही मनुष्य का जन्म होता है व मिट्टी में परिवर्तित हो जाता है, फिर मिट्टी से मनुष्य बन जाता है। अर्थात इस्लाम धर्म में अल्लाह को सृष्टि का कर्ता – धर्ता कहा जाता है।
“लौ का – न फ़ीहिमा आलि – हतुन इलल्लाहु ल-फ-स
दता फ़ सुबहानलल्लाही रब्बिल – अर्शी अम्मा यशीफून”
कहने का मतलब यह है कि अल्लाह ने ही सब कुछ दिया है,यह जीवन उसी की ही देन है, वही धरती का कर्ता – धर्ता है। इस्लाम धर्म से जुड़े कुछ तथ्य इस प्रकार हैं –
इलम – इलम से तात्पर्य ज्ञान से है। कहने का मतलब कि अल्लाह ज्ञानी हैं, उन्हें समस्त संसार का ज्ञान है। उनकी बजह से ही पूरा संसार क्रियाशील है।
कद्र – कद्र से मतलब शक्ति से है। अर्थात अल्लाह को सर्वशक्तिमान कहा गया है।
सम – सम से मतलब श्रुति से है। अर्थात अल्लाह सभी की सुनता है।
इरादा – इरादा से मतलब इक्षा से है। अर्थात अल्लाह की इक्षा से ही समस्त सृष्टि क्रियाशील है।
कलाम – कलाम से मतलब वाणी से है। अल्लाह अपनी बातों को मनुष्यों तक पहुंचाता है जिससे वे उस मार्ग का अनुसरण करते हैं। अल्लाह के पैगम्बर उनकी वाणी को लोगों तक पहुंचाते हैं।
बशर – बशर से तात्पर्य दृष्टि से है। अल्लाह सभी पर दृष्टि रखते हैं, सभी के दुःखों को दूर करते हैं।
इस्लाम में रमजान, ईद, हज यात्रा,जकात और सलात का वशेष महत्त्व है –
नमाज़
नमाज़ को सलात है। नमाज़ एक फ़ारसी शब्द है। नमाज़ से तात्पर्य अल्लाह से प्रार्थना से है जो विशेष नियम पूर्वक पढ़ी जाती है। लोग मक्का की तरफ अपना मुंह करके नमाज़ पढ़ते हैं। कुरान के अनुसार हर व्यक्ति को दिन में 5 बार नमाज़ पढ़ना अनिवार्य है।
रमज़ान
रमज़ान से तात्पर्य व्रत से है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौंवें महीने में सभी मुस्लिम को सुबह से लेकर शाम तक रोजा (व्रत) रखना अनिवार्य है। रोजा का मुख्य उद्देश्य है की उस समय की सांसारिक गतिविधियों से मानव का ध्यान हटे व अल्लाह में ही अपना ध्यान लगाएं और भूखे लोग, गरीबों की परिस्थितियों का भी ज्ञान हो सके।
ज़कात
ज़कात से तात्पर्य दान से है। इस्लाम में पूँजी या धन अल्लाह की देन है। इसीलिए अभी मुसलमानों के लिए अनिवार्य है कि वे अपने धन का कुछ हिस्सा गरीबों को दान करें। जो लोग आर्थिक रूप से मजबूत हैं, उन्हें दान अवश्य करना चाहिए।
हज की यात्रा
पढ़ें : मक्का मदीना का इतिहास
इस्लाम में हज एक तीर्थ यात्रा है। जिसके लिए मुस्लिम 12 वें महीने में मक्का जाते हैं। इस्लाम के अनुसार जीवन में एक बार हज की यात्रा आवश्यक है। लेकिन जो व्यक्ति जाने में असमर्थ हैं तो उनके उनके लिए मांफ है।
ईद
इस्लाम धर्म का मुख्य त्योहार ईद है। जो बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
ईद – उल – फ़ित्र [पूरा पढ़ें]
रमजान के बाद मनाया जाता है।
ईद-उल-अज़हा [पूरा पढ़ें]
ये बकर ईद के नाम से जाना जाता है। यह आखिरी महीने की 10 वीं तारीख को मनाया जाता है।
मीलाद उन-नबी [पूरा पढ़ें]
इसे हज़रत मोहम्मद के जन्म दिवस के रूप में मानते है।
कुरान में दी गयी शिक्षा के अनुसार यदि कोई व्यक्ति इस धर्म का पालन करता है तो बाकई में यह धर्म उत्तम है। यह धर्म पूरे संसार में काफी लोकप्रिय हुआ है। यह धर्म लोक कल्याणकारी और प्रेरणादायक है।
Help Source-
https://en.wikipedia.org/wiki/History_of_Islam https://en.wikipedia.org/wiki/Islam
https://simple.wikipedia.org/wiki/Islam