राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस पर निबंध Essay on National Deworming Day in Hindi
मानव शरीर को प्रतिदिन अपने आस्तित्व को बनाए रखने के लिए अनेकों कार्य करने पड़ते हैं। वे कार्य अनेकों प्रकार के होते हैं और उनमें बहुत सी ऊर्जा लगती है। उन कार्यों में लगने वाली ऊर्जा को पोषण द्वारा प्राप्त किया जाता है। लेकिन यदि पोषण ही ठीक तरह से न हो पाए तो क्या मानव शरीर कार्यों को करने में सफल हो पाएगा? इसका जवाब होगा बिल्कुल भी नहीं।
राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस पर निबंध Essay on National Deworming Day in Hindi
राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस इसी पोषण तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए बनाया गया है। यह बच्चों के स्वास्थ्य की दिशा में कार्य करता है।
राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस, 10 फरवरी को प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस का महत्व
राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस को प्रमुख रूप से बच्चों के पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं के निवारण के लिए जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। गौरतलब है कि बच्चों का पाचन तंत्र काफी ज्यादा नाजुक होता है और यदि उसका संरक्षण न किया जाए तो वह काफी जल्दी बीमारियों की चपेट में आ जाता है।
बच्चों के अंदर फैलने वाले पाचन तंत्र संक्रमण की प्रमुख वजह बाहर का खाना है। गौरतलब है कि इस प्रकार का खाना हमेशा ही बच्चों के पाचन तंत्र पर प्रभाव डालता है। इसका प्रमुख कारण इस तरह के खाने का गंदे तरीके से बनाया जाना होता है।
पाचन तंत्र में संक्रमण होना यूं तो किसी भी सामान्य व्यक्ति में सामान्य बात है लेकिन जब इसे समय रहते ठीक न किया जाए या इस पर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह एक बड़ी समस्या के रूप मे उभर कर सामने आता है।
बच्चों की रोग अवरोधक क्षमता किसी भी अन्य व्यस्क मनुष्य से काफी ज्यादा कम होती है। इस कारण बच्चों में यदि इस प्रकार की समस्या फैलती है तो वह उनके विकास पर सीधा सीधा प्रभाव डालती है और कई बार तो वे कुपोषित रह जाते हैं।
बच्चे पाचन तंत्र में संक्रमण या कीड़े पड़ने के कारण बुरी तरह बीमार हो सकते हैं। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में जागरूकता फैलाने के लिए राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस मनाना शुरू किया।
राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस के दिन स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा विभिन्न स्कूलों और आंगनवाड़ी केन्द्रों में चबाई जा सकने वाली दवाइयां बांटी जाने लगी। ये दवाइयां सीधे तौर पर बच्चों के पाचन तंत्र में से कीड़े हटाने का कार्य करती हैं।
प्रभावित राज्य
राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस होने के कारण यह भली भांति प्रतीत होता है कि यह एक राष्ट्रीय समस्या है, लेकिन यह किस स्तर की समस्या है, और यह किस राज्य में कितनी अधिक है, इसे निम्नलिखित कथनों से समझा जा सकता है।
- वे राज्य जिनमे 50% से अधिक है यह बीमारी :- अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, छत्तीसगढ़, नागालैंड, जम्मू कश्मीर, दादरा और नगर हवेली, मिजोरम, असम, उत्तराखंड, दमन और दीव, लक्षद्वीप, तेलंगाना, तमिलनाडु।
- वे राज्य\केंद्रशासित प्रदेश जहां यह 20-50% के मध्य है बीमारी :- दिल्ली, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, केरल, मणिपुर, झारखंड, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, बिहार, महाराष्ट्र, गोवा, उड़ीसा, पुड्डुचेरी, पंजाब, गुजरात, मेघालय, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा।
- वे राज्य जहां यह बीमारी 20% से कम है :- मध्य प्रदेश और राजस्थान।
राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस का इतिहास
भारतीय बच्चों में कीड़ों या कुरमी द्वारा फैलाई जा रही समस्या के कारण बच्चों की तबीयत काफी ज्यादा बिगड़ने लगी थी। इस तथ्य पर ध्यान देते हुए भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा फरवरी 2015 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत की गई।
राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस इसी का हिस्सा था। इस का मुख्य उद्देश्य 1 से लेकर 19 साल के बच्चो को पेट के कीड़ों से बचाना था। इस प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए और इसमें अधिकांश लोगों को जोड़ने के लिए स्कूल के अध्यापकों और आंगनवाड़ी केंद्र के लोगों को इसका दायित्व सौंपा गया।
इस दौरान स्कूल के अध्यापकों और आँगनवाड़ी केंद्र के कार्य कर्ताओं को विशेष रूप से ट्रेनिंग भी दी गई ताकि वे इस अभियान को पूर्ण रूप से सफल बना सकें।
गौरतलब है कि 2015 में इस अभियान ने अपने पहले ही साल में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ अन्य मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास विभाग, पंचायती राज विभाग, शहरी विकास मंत्रालय एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय शामिल थे। जल मंत्रालय द्वारा भी इसमें काफी ज्यादा सहायता की गई थी।
साल 2015 जो कि इस अभियान का शुरुआती साल था, उसी साल इस अभियान ने कुल 10.31 करोड़ बच्चों को इससे जोड़ने का प्रयास किया था, जिसमें से वे कुल 8.98 करोड़ बच्चों तक अपने फायदे पहुंचाने में सक्षम थे। गौरतलब है कि 2015 मे केवल 11 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में यह अभियान चलाया गया था।
साल 2016 इस अभियान का दूसरा साल था। 2016 में इस अभियान को 27 करोड़ लोगों तक पहुंचाने का लक्ष्य बनाया गया। 2016 में बड़ा बदलाव यह आया कि इस दौरान बच्चों को यह टैबलेट देने के साथ ही उनसे तरह तरह की गतिविधियों को भी कराया गया। जैसे अपने मस्तिष्क को शान्त कैसे रखा जाए, और सफाई से जुड़ी भी कई गतिविधियां इसमें शामिल थीं।
2017 इस अभियान का तीसरा साल था और इस साल तक यह अभियान काफी ज्यादा बड़े स्तर पर पहुंच चुका था। 2017 में कुल 34 करोड़ से भी ज्यादा बच्चों को इससे जोड़ा गया और यह काफी बड़े स्तर पर सफल रहा।
यह विशेष क्यूं है?
यह भारत सरकार का एक अनोखा अभियान है क्यूंकि यह केवल एक दिन में होकर खत्म नहीं होता अपितु यह पूरे एक हफ्ते तक चलता है। 2015 में जब इस अभियान को शुरू किया जा रहा था उस वक़्त यह भी सोचा गया था कि क्या हो यदि स्वच्छता दिवस पर कोई भी बच्चा कक्षा में उपस्थित नहीं होता।
इस समस्या के निदान के लिए, इस दिवस को एक दिन और के लिए बढ़ा दिया गया। जिसका अर्थ है कि यदि कोई भी बच्चा 10 फरवरी को उपस्थित नहीं होता तो उसे 15 फरवरी को पेट के कीड़े मारने वाली दवा खिलाई जाएगी।
इस अभियान के दौरान बच्चों को दो आयु वर्ग में बांट दिया गया जो (1 से 5 वर्ष) और (6 से 19 वर्ष) था। 1 से 5 वर्ष के बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों में और 6 से 19 वर्ष तक के बच्चों को स्कूलों में यह दवा दी गई।
इस अभियान का मूल उद्देश्य
इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य हर आयु वर्ग के बच्चों को पेट के कीड़ों से मुक्ति दिलाना था। इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य उनकी सेहत के लिए कार्य करने के साथ साथ उन्हे बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करना था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार केवल भारत में 22 करोड़ से अधिक बच्चे पेट के कीड़ों की बीमारी का शिकार हो चुके हैं। पेट के ये कीड़े पहले बच्चों के पेट में जगह बनाते हैं और फिर वहीं पर अंडे देते हैं जिस कारण ये दिन ब दिन फैलते जाते हैं और बच्चों को कमजोर कर देते हैं।
निष्कर्ष
यह एक बड़ी समस्या है और इससे निबटने के लिए इस तरह के अभियान की आवश्यकता बहुत ज्यादा थी। राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस आने वाले सालों में भारतीय बच्चों के स्वास्थ्य को और बेहतर करेगा।