अंग दान पर निबंध व इसका महत्व Essay on Organ Donation in Hindi
अंग दान पर निबंध व इसका महत्व Essay on Organ Donation in Hindi
अंगदान एक महादान है। इसे दूसरे शब्दों में “जीवन के लिए उपहार” भी कहते हैं। यह करके हम कई लोगो को जीवनदान दे सकते है। आजकल कई सस्थायें अंगदान करने में मदद करती है, इसके लिए प्रोत्साहित करती हैं।
आजकल गुर्दे, आँख, लीवर, ह्रदय, छोटी आंत, त्वचा के टिशु जैसे अंगो की बहुत मांग है। रोज देश में हजारो लोग दुर्घटना में मरते है जिनके अंगदान से दूसरे लोगो को जीवन मिलता है। जादातर निकाले गये अंगो का प्रत्यारोपण 6 से 72 घंटे के भीतर कर दिया जाता है।
एक दाता 8 लोगो की जान बचा सकता है। जीवित रहते हुए यकृत, गुर्दा, फेफड़े, अग्न्याशय और आंत का दान किया जा सकता है।
अंग दान पर निबंध व इसका महत्व Essay on Organ Donation in Hindi
आजकल हर कोई किसी न किसी रोग से ग्रस्त है। किसी का लीवर खराब है तो किसी का ह्रदय सही तरह से काम नही करता हैं। किसी के टिशू खराब हो चूका है तो किसी की आँखों की रोशनी जा चुकी है। आज पूरे विश्व में हजारो लोग सड़क व दूसरे परिवहन दुर्घटना में अपनी जान गँवा देते हैं। ऐसा कोई दिन नही होता जब लोगो की दुर्घटना में मृत्यु नही होती है।
अंगो की मांग की तुलना में उसकी पूर्ति बहुत कम है। कई लोग नही चाहते कि उनके परिजनों की मृत्यु के बाद उनके अंगो को निकाला जाये। उनके मृत शरीर को चीरा फाड़ा जाये। इसके पीछे कई बार धार्मिक कारण भी होते है, पर इस तरह की सोच सही नही है।
मृत्यु के बाद यदि हमारे अंगो से किसी को नई जिन्दगी मिल सकती है तो इसमें कोई गलत बात नही है। हमारी सोच हमेशा वैज्ञानिक होनी चाहिये। गलत धारणा की वजह से भारत में अंगदान का प्रतिशत बहुत कम है। आज हजारो लोग अंग न मिल पाने के कारण मर जाते हैं।
अंगदान किये जाने वाले प्रमुख अंग MAJOR ORAGNS TO DONATE
गुर्दा, यकृत, आंत, रक्तवाहिनी, नशे, त्वचा, हड्डियाँ, स्नायुबंधन (अस्थिबंधन) ह्रदय, अग्न्याशय, ह्रदय के वाल्व (नर्म हड्डी), रक्त, प्लेटलेट्स, ऊतक, कोर्निया (नेत्रपटल), टेंडन।
अंगदान में समस्याएँ PROBLEMS IN ORGAN DONATION
नियम है कि सड़क दुर्घटना होने पर केवल उनकी लोगो का अंग लिया जा सकता है जिनकी मृत्यु अस्पताल में हुई हो। बहुत से लोग दुर्घटना स्थल पर ही मर जाते है। ऐसे में उनसे कोई अंग नही मिल पाता है। लोग अभी जागरूक नही है। इसे गलत मानते हैं।
बहुत से लोग अपने जीवनकाल में अंग दान करने का पंजीकरण ही नही करवाते है। कैंसर, ऐड्स, संक्रमण, सेप्सिस या किसी गम्भीर बीमारी से पीढित लोग अंगदान नही कर सकते हैं।
अंगदान की प्रकिया ORGAN DONATION PROCESS
कोई भी व्यक्ति जो अंगदान करना चाहता हो उसे अपने जीवित काल में ही पंजीकरण करवाना होता है। उसे दाता कार्ड दिया जाता है। अंगदान के समय उस व्यक्ति के पास ये कार्ड होना जरूरी है। अंगदान के समय परिजनों को भी रहना जरूरी होता है।
मृत मस्तिष्क वाले व्यक्ति का अंगदान कानूनी नियम अनुसार किया जाता है। मृतक का खून का सबसे करीबी रिश्तेदार अंग दान कर सकता है। अंगदान से पूर्व परिजनों के हस्ताक्षर आवश्यक है।
- कोई भी जाति, धर्म, समुदाय का व्यक्ति अंगदान कर सकता है
- इसे किसी भी आयु में दान कर सकते हैं
- जीवित रहते हुए पंजीकरण करवाना अनिवार्य होता है
- 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को अंगदान करके के लिए माता-पिता, या रिश्तेदारों से अनुमति लेना आवश्यक होता है
- मस्तिष्क की मृत्यु होने पर केवल लीवर, आंत, गुर्दा, फेफड़े, अग्न्याशय का दान किया जा सकता है
भारत में अंगदान ORGAN DONATION IN INDIA
भारत में जनसंख्या के अनुसार अंगदान का प्रतिशत बहुत कम है। हर साल देश में 5 लाख लोगो की मौत सही समय पर अंग न मिल पाने के कारण हो जाती है। इसमें 2 लाख लोगो की मौत लीवर (यकृत) की बीमारी के कारण हो जाती है। 50 हजार लोगो की मौत दृदय की बिमारी के कारण हो जाती है।
सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं में अंगदान दिवस हर साल 13 अगस्त को मनाया जाता है। उपहार एक जीवन, मोहन फाउन्डेशन, गिफ्ट योर ऑर्गन फाउंडेशन, दधीची देहदान समिति जैसे सस्थाये अंगदान करने में सहयोग करती हैं। देश में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, केरला, दिल्ली NCR, पंजाब सबसे अधिक अंगदान करने वाले राज्य है।
अंगदान पर स्लोगन ORGAN DONATION SLOGANS IN HINDI
स्वर्ग में चाहिये स्थान, कीजिये अंगदान
अंगदान, जरूरतमंद के लिए वरदान
अंगदान अमृत समान, अंगदान से मिलेगा स्वर्ग में स्थान
आँखों का दान, अँधेरी जिन्दगी में रोशनी
करे अंगदान, फिर खिलेगी कोई मुस्कान
अच्छी सोच, नेक इरादा, अंगदान से समाज को भारी फायदा
अंगों का काला बाजार ORGAN BLACK MARKETING IN INDIA
एक तरफ जहाँ हम अंगदान को प्रोत्साहन दे रहे है वही इसकी चोरी भी बहुत होने लगी है। आजकल भारत में अंगो की चोरी और काला बाजारी बहुत बढ़ गयी है। सरकारी-प्राइवेट अस्पतालों में कर्मचारियों, डॉक्टरो की सांठगाँठ से मरीजो की किडनी (गुर्दा), और दूसरे अंग चोरी किये जा रहे है।
कई राज्यों में ऐसे अनेक गिरोह सक्रिय है जो भोले भाले मरीजो का अंग चोरी कर लेते है। किसी ओपरेशन के समय ऐसी चोरी की जाती है। अंगो को विदेशी मरीजो में महंगे दामो पर बेच दिया जाता है। आये दिन धोखाधड़ी का मामला उजागर होता रहता है। गरीब, कमजोर वर्ग इसका सबसे अधिक शिकार बनते हैं।
अमीर पैसे वाले लोग अपनी जान बचाने के लिए अंगो की कोई भी कीमत देने को तैयार रहते है। डॉक्टर भी पैसे के लालच में आकर अंग चोरी करते रहते हैं। हमारे देश में हर साल हजारो विदेशी मरीज आते है जिनका कोई न कोई अंग खराब होता है।
देश में अंग प्रत्यारोपण के लचीले कानून का फायदा उठाकर ऐसे लोग भ्रष्ट तरीके से अंग प्राप्त कर लेते है। कुछ गरीब मरीज पैसे के लिए अपने अंगो को बेच देते है पर कुछ का धोखे से अंग निकाल लिया जाता है।
काला बाजार में अंगो की कीमत
- किडनी- 5 से 10 लाख
- बोन मैरो- 25 लाख
- सरोगेसी (किराये की कोख)- 10 से 20 लाख
- लीवर- 5 से 10 लाख
- ह्रदय- 20 लाख से उपर
- कोर्निया- 15 लाख
- एक इंच खाल- 42 हजार रुपये के हिसाब से
निष्कर्ष CONCLUSION
ईश्वर ने हमे ऐसा अवसर दिया है कि अपनी मृत्यु के बाद भी अंगदान करके हम किसी दूसरे की मदद कर सकते हैं। अब आधुनिक चिकित्सा तकनीक हर दिन अंग प्रत्यारोपण में नई सफलता प्राप्त कर रही है। इसलिए हमे निस्वार्थ भाव से अंगदान करना चाहिये।
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