स्कूल का वार्षिक दिवस निबंध Essay on School Annual Day in Hindi
स्कूल का वार्षिक दिवस निबंध Essay on School Annual Day in Hindi
किसी भी स्कूल में सबसे उत्सुकता से मनाया जाने वाला कार्यक्रम इसका वार्षिक दिन है। इस कार्यक्रम के लिए बच्चे व शिक्षक बड़ी उत्सुकता से इंतज़ार करते हैं। क्योंकि चारों ओर उत्साह और तमाम गतिविधियाँ दिखाई देती हैं और बच्चों को न पढ़ने का बहाना भी मिल जाता है।
स्कूल का वार्षिक दिवस निबंध Essay on School Annual Day in Hindi
स्कूल के सभी टीचर्स और विद्यार्थी जोश से वार्षिक दिवस के कार्यक्रम की तैयारी में लगे रहते हैं। हर जगह मस्ती और मनोरंजन का वातावरण देखने को मिलता है। हर बार के वार्षिक दिवस की कोई न कोई थीम भी रखी जाती है जैसे साहित्य, 1970s बॉलीवुड, पर्यावरण थीम आदि।
यही एक ऐसा कार्यक्रम होता है जिसमें बच्चे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। पूरे वर्ष पढाई होने के साथ – साथ इस तरह के कार्यक्रमों का होना भी अनिवार्य है। जिससे शिक्षक बच्चों की कुशलताओं को समझ पाएं।
इसीलिए किसी भी स्कूल में वार्षिक दिवस मनाना जरुरी है। इससे बच्चों का आत्मविश्वास तो बढ़ता ही है और वे संयमित होकर, एकजुट होकर कार्य करना भी सीखते हैं। जो बच्चे वार्षिक दिवस में भाग नहीं लेते हैं वे इस कार्यक्रम को देखकर प्रेरित होते हैं और उनका मनोवल बढ़ता है जिससे वे भी कार्यक्रम में भाग लेने का मन बना लेते हैं।
वार्षिक दिवस की तैयारियां लगभग 15 दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं। दीवारों पर कलात्मक रूप से प्रदर्शनी लगाई जाती है। पूरे स्कूल को अच्छी तरह से सजाया जाता है। समारोह के स्थल को लेखन, गुब्बारे, बैनर और रोशनी से सजाया जाता है।
यह मुख्य अतिथि, अन्य मेहमानों और माता-पिता को प्रभावित करने के लिए किया जाता है। मुख्य अतिथि के रूप में शहर के कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति जैसे मंत्री आदि को आमंत्रित करते हैं। नृत्य, नाटक और संगीत कार्यक्रमों में भाग लेने वाले छात्रों को रिहर्सल के लिए बुलाया जाता है।
कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए ऑडिशन राउंड भी करते हैं। जो बच्चा जिस क्षेत्र में कुशल होता है उसे उसी तरह के कार्यक्रम में लिया जाता है। निमंत्रण कार्ड भी प्रिंट करवाया जाता है जो बच्चों के अभिभावकों को दिया जाता है और मुख्य अतिथि को आदर सहित निमंत्रण पत्र देने जाते हैं। बच्चे एकल नृत्य और समूह नृत्य की तैयारी में लगे रहते हैं।
नृत्य नाटिका भी होती है जो हमारी परंपरा को प्रदर्शित करने के लिए मुख्य रूप से प्रस्तुत की जाती है। नाटक का मंचन कोई ऐतिहासिक कहानी से प्रेरित होकर करते हैं जिससे लोग उस प्रदर्शन से अवगत हो पाएं। एकल गान और समूह गान की तैयारी में भी बच्चे बड़े जोर – शोर से लगे हुए दिखाई देते हैं।
विभिन्न तरह के संगीत के वाद्य यंत्रों के द्वारा गाने प्रस्तुत किये जाते हैं। नृत्य और गाने को सीखने के लिए टीम तैयार की जाती है। इन सभी कार्यक्रमों की तैयारी के लिए विशेष प्रतिभा वाले शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है जिससे वे बच्चों को सही तरीके से सिखा सकें।
अंततः वाषिर्क दिवस आ जाता है। सभी बहुत व्यस्त दिखाई देते हैं। सभी टीचर्स को अलग – अलग उत्तरदायित्व मिलते हैं। बच्चों में अच्छा सा अच्छा परफॉर्म करने का जोश दिखाई देता है। शहर के प्रतिष्ठित व्यक्ति को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।
इसीलिए प्राचार्य सहित सभी, शिक्षक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने वाले बहुत उत्साहित और चिंतित लगते हैं। जो लोग मंच पर आने वाले हैं उनमें उत्साह तो दिखता है मगर भय भी रहता है। बाकी छात्र मंच की व्यवस्था करने में मदद करते हैं और अनुशासन बनाने में लगे रहते हैं।
जैसे ही अतिथि का आगमन होता है वैसे ही पूरा स्कूल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूँज उठता है। लगभग हर स्कूल में कार्यक्रम की शुरुआत शाम 4 – 5 बजे से होती है। इस अवसर पर विशेष तरह की लाइटिंग की व्यवस्था की जाती है।
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके की जाती है। साथ ही साथ बैकग्राउंड में सरस्वती वंदना का मंचन भी होता है। जिसमें किसी छात्रा को माँ सरस्वती बना दिया जाता है व अन्य छात्राएं पारम्परिक तरीके से नृत्य करती हैं। इसके बाद कार्यक्रम में उपस्थित अतिथिगण और अभिभावकों का स्वागत किया जाता है। इसके लिए समूह में स्वागत गीत भी गया जाता है।
विभिन्न तरह के रंगारंग कार्यक्रम शुरू होते हैं। जिनका सभी को बेसब्री से इंतज़ार होता है। हर एक अभिभावक अपने-अपने बच्चों के मंच प्रदर्शन को कैमरे में कैद करने के लिए रिकॉर्डिंग करना शुरू कर देते हैं। हर एक कार्यक्रम के लिए मैचिंग के परिधानों का विशेष ध्यान दिया जाता है।
क्लास 1st से लेकर 12th तक के सभी बच्चों द्वारा कोई न कोई कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाता है। कार्यक्रम के दौरान विशेष तरह की फोटोग्राफी का आयोजन किया जाता है। इस पूरे कार्यक्रम का संचालन स्कूल के हैड बॉय द्वारा किया जाता है। जिसके लिए अच्छी से अच्छी एंकरिंग स्क्रिप्ट तैयार की जाती है।
जिसमें किसी शिक्षक का सहयोग लिया जाता है। कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों और बच्चो के द्वारा भाषण भी दिए जाते हैं। मुख्य अतिथि की भी स्पीच होती है व जो बच्चे पढाई में अच्छे हैं उन्हें अतिथि के द्वारा पुरस्कार भी दिलवाया जाता है। अंत में स्कूल के प्रधानाचार्य के द्वारा मुख्य अतिथि के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।
कार्यक्रम के समापन में राष्ट्रगान गाते हैं। कार्यक्रम जैसे ही समाप्त होता है वैसे ही अभिभावक अपने – अपने बच्चों को जिन्होंने कार्यक्रम में भाग लिया था उनसे मिलते हैं और सराहना करते हैं। कार्यक्रम के बाद स्वल्पाहार का आयोजन भी किया जाता है। सभी नाश्ते का आनंद लेते हैं और इस दिन को यादगार बना कर हंसी ख़ुशी अपने घर जाते हैं।
अक्सर वार्षिक दिवस के दूसरे दिन अवकाश घोषित कर दिया जाता है क्योंकि सभी लोग थकान महसूस करते हैं। वार्षिक दिवस एक ऐसा कार्यक्रम है जो शिक्षक, बच्चों की भावनाओं, परम्पराओं, संस्कृति से ओत – प्रोत होता है। सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को सभी सराहते हैं। हर एक स्कूल के लिए उनका वार्षिक दिन अनमोल होता है।
वास्तव में, हमारे देश की संस्कृति, परम्पराओं को यदि एक साथ मंच पर देखना हो तो वह स्कूल का वार्षिक दिवस है। जो बच्चों की विभिन्न क्षेत्र में प्रतिभाओं को निखारता है और हमें उनकी कुशलताओं को देखने का मौका मिलता है।
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