इस लेख में आप प्रथम, द्वितीय और तृतीय विश्व युद्ध Essay World War 1, 2, 3 in Hindi के विषय में जानंगे। इसमें 1, 2, 3 विश्व युद्ध के कारण, प्रभाव, परिणाम व अंत के विषय में पूरी जानकारी दी गई है।
प्रथम विश्व युद्ध की जानकारी World War 1 Information in Hindi
विश्व की ताकतवर राष्ट्रों के बीच प्रथम विश्वयुद्ध लड़ा गया था। महान युद्ध के नाम से प्रसिद्ध प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत 28 जुलाई 1914 में हुई, जो 11 नवंबर 1918 तक चला था।
इस विश्व युद्ध के समय पूरी दुनिया दो भागों में विभाजित हो गई थी, मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। ऑस्ट्रिया हंगरी, जर्मनी, बुल्गारिया तथा ऑटोमन सल्तनत प्रथम विश्व युद्ध के केंद्र में सम्मिलित कुछ मुख्य देश थे।
प्रथम विश्व युद्ध का कारण Causes of World War 1 in Hindi
दुनिया को प्रथम विश्वयुद्ध की तरफ धकेलने के लिए कई कारण जिम्मेदार थे। उग्र विस्तारवाद ,सैनिकवाद तथा शस्त्रीकरण, विभिन्न संधियां, अंतरराष्ट्रीय संगठन का अभाव इत्यादि जैसे बहुत से कारण प्रथम विश्व युद्ध के लिए जिम्मेदार थे।
युद्ध शुरू होने के बाद चारों तरफ त्रासदी का एक भयंकर मंजर दिखाई पड़ा था, जिससे हर जगह अशांति छा गई थी।
कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित बताए गए हैं:
1. आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड (Archduke Franz Ferdinand) की हत्या’
आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड ऑस्ट्रिया हंगरी के राजकुमार थे, जिन्हें वहां के उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया था। जून 1914 में जब वे बोस्निया में साराजेवो के एक दौरे के लिए गए थे, उसी दरमियान गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई।
इस घटना के लिए ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध जंग छेड़ दी। 28 जुलाई 1914 के दिन ऑस्ट्रिया ने जंग की घोषणा की, जिसके बाद सभी मित्र देश एक साथ उसके समर्थन में आ गए।
2. त्रिपक्षीय संधि
परस्पर रक्षा सहयोग की नीति अपनाते हुए कई यूरोपियन देशों ने संधियां तथा रक्षा समझौते स्थापित किए थे। जिसके अंतर्गत यदि कोई शत्रु देश इस संधि में सम्मिलित किसी भी मित्र राष्ट्र पर हमला करता है, तो सभी मित्र देश एक साथ मिलकर दूसरे विपक्षी देश पर हमला करेंगे।
ऑस्ट्रिया हंगरी, इटली और जर्मनी ने सन 1882 में यह संधि की थी जिसके पश्चात प्रथम विश्वयुद्ध जैसी भयानक मंजर दुनिया ने देखा।
3. जर्मनी की विस्तार वाद नीति
जर्मनी के नए शासक विल्हेम द्वितीय ने वर्ष 1890 में अपनी अंतरराष्ट्रीय विस्तारवाद नीति को बढ़ावा देने लगे। समय रहते ही बाकी राष्ट्रों ने इस पर ध्यान केंद्रित किया और जर्मनी के कारण उभरते खतरे को देखते हुए प्रतिक्रिया की गई।
4. प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय मंच की कमी
उस दरमियान विभिन्न देशों के बीच आपसी मतभेद और विवाद बढ़ते चले जा रहे थे, जिसका निवारण करने के लिए कोई भी अंतरराष्ट्रीय संस्था मौजूद नहीं थी। विश्व में लगातार बढ़ते अराजकता के कारण प्रथम विश्वयुद्ध का उदय हुआ।
5. सैन्य वाद
बीसवीं सदी के शुरुआत में सबसे शक्तिशाली और अधिक हथियारों को रखने की होड़ शुरू हो गई। 1914 आने तक जर्मनी की सैन्य शक्ति निर्माण में बहुत बड़ा उछाल आया, जिसके पश्चात ब्रिटेन तथा जर्मनी के अलावा दूसरे देश सशक्त सैन्य बल की नीति अपनाने लगे। इस प्रकार विवाद के कारण प्रथम विश्वयुद्ध उदय को बल मिला।
प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव Effects of The First World War in Hindi
- वर्ष 1914 में जर्मनी की सैन्य शक्ति प्रभावशाली थी। देश में कई विभिन्न मोर्चों पर जर्मनी का आमना-सामना अमेरिकी, फ्रांस, ब्रिटेन, इत्यादि मित्र देशों से हुआ। प्रथम विश्व युद्ध में रूस मित्र राष्ट्र में शामिल था, इसलिए ऑस्ट्रो हंगेरियन सेनाएं और जर्मनी के खिलाफ रूस ने प्रभावी जंग लड़ा।
- संयुक्त राष्ट्र अमेरिका पहले से प्रथम विश्व युद्ध में नहीं था। लेकिन 1917 में जब अमेरिका इस जंग में कूदा तब युद्ध का रुख़ ही मुड़ गया।
- प्रथम विश्व युद्ध के दरमियान रूस में क्रांति आ गई, जिसके कारण वह प्रथम विश्वयुद्ध से बाहर चला गया और विभिन्न देशों के साथ तमाम शांति समझौतों पर सहमति जताया और कई हस्ताक्षर हुए।
- 1918 में जर्मन सेनाएं धीरे धीरे कमजोर पड़ने लगी। जिसके पश्चात ऑस्ट्रिया और तुर्की ने भी आत्मसमर्पण कर दिया। इस युद्ध में जर्मनी अब एक अकेला देश बच गया था, इसके पश्चात वहां के शासक कैज़र विलियम द्वितीय ने अपनी गद्दी छोड़ दी।
प्रथम विश्व युद्ध का परिणाम व अंत Result and End of World War 1 in Hindi
- जर्मन सम्राट कैज़र विलियम द्वितीय द्वारा गद्दी त्यागने के पश्चात 11 नवंबर 1918 में युद्ध विराम के घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किया गया, जिससे प्रथम विश्वयुद्ध का अंत हुआ।
- प्रथम विश्वयुद्ध में मारे जाने वाले लोगों की संख्या लगभग 8 मिलियन से भी अधिक थी। इसके अलावा लाखों लोग घायल हो गए और कई ने अपना देश छोड़ दिया। इस कारण समाज पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा और जन्म दर में एक भारी गिरावट दर्ज किया गया।
- युद्व विराम के बाद ऑस्ट्रिया, जर्मनी, टर्की और रूस के सभी राजतंत्र का अंत हुआ। जर्मनी के कैसर विल्हेम, ओटोमन साम्राज्य के सुल्तान तथा ऑस्ट्रिया के सम्राट चार्ल्स, रूस के सीज़र निकोलस द्वितीय को अपना शासन गंवाना पड़ा था।
- विवाद के पश्चात फ्रांस, रूस, जर्मनी और ऑस्ट्रिया इन चारों देशों की सीमाओं में बदलाव किए गए। इसके अलावा युगोस्लाविया, चेकोस्लोवाकिया जैसे नए देशों का उदय हुआ।
- 28 जून 1919 में प्रथम विश्वयुद्ध को अधिकारिक तौर पर समाप्त करने के लिए वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर किया गया था। इसका उद्देश्य भविष्य में होने वाले दूसरे विश्वयुद्ध को रोकना था। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा कायम करने के लिए लीग ऑफ नेशंस की स्थापना की गई थी, जिसे बाद में द्वितीय विश्वयुद्ध होने के कारण नाम बदलकर संयुक्त राष्ट्र संघ कर दिया गया।
द्वितीय विश्व युद्ध की जानकारी World War 2 Information in Hindi
लीग ऑफ नेशंस अथवा राष्ट्र संघ की स्थापना 1919 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति कायम करने के उद्देश्य से की गई थी, लेकिन अपने उद्देश्य में वह नाकामयाब रहा। जिसके परिणाम स्वरूप द्वितीय विश्वयुद्ध हुआ।
वर्ष 1939 से लेकर 1945 तक चले इस युद्ध ने पूरी दुनिया में भारी तबाही मचाई थी। एक बार फिर से विश्व दो गुटों में बट गया, जिसमें मित्र राष्ट्र की तरफ सोवियत संघ, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस जैसे बड़े देश शामिल थे।
वहीं दूसरी ओर धूरी शक्तियों में जापान, जर्मनी और इटली जैसे बड़े देश शामिल थे। द्वितीय विश्वयुद्ध आज तक इतिहास का सबसे लंबे समय तक चला युद्ध है, जो लगभग 6 साल तक चला था।
द्वितीय विश्व युद्ध का कारण Causes of World War 2 in Hindi
आईये जानते हैं द्वितीय विश्व युद्ध के मुख्य कारण:
1. नाजीवाद का उदय
जर्मनी में तानाशाह एडोल्फ हिटलर का उदय हुआ और उसने खुद को जर्मनी का चांसलर घोषित करके, वर्ष 1933 में नाजीवाद का प्रचार किया। प्रथम विश्वयुद्ध का परिणाम भुगत रहे जर्मनी राष्ट्र को समृद्धि और खुशहाली का सपना दिखाने वाला एडोल्फ हिटलर वर्साय संधि के विरुद्ध प्रतिकार करने लगा।
उसी दरमियान यहूदियों और रोमानिया पर हिटलर के क्रूरता से अत्याचार के बढ़ते प्रकोप के कारण एक बार फिर से विश्व को द्वितीय विश्वयुद्ध की दिशा में ढकेल दिया गया।
2. वर्साय की संधि
प्रथम विश्वयुद्ध में जीत हासिल करने वाले देशों ने जर्मनी पर ढेर सारी पाबंदियां लगाई और उसके भविष्य का निश्चय करने लगे। प्रथम विश्वयुद्ध के लिए जर्मनी को दोषी मानकर उस पर तमाम आर्थिक दंड लगाए गए और वर्साय की संधि पर जबरन हस्ताक्षर करवाया गया।
चारों तरफ से लगाए गए पाबंदियों के कारण जर्मनी डूबने लगा था, जिसके कारण वहां अति राष्ट्रवाद का उदय होना प्रारंभ हुआ, जिसे एडोल्फ हिटलर ने चरम पर पहुंचाने का कार्य किया।
3. लीग ऑफ नेशंस की असफलता
प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात दुनिया में तबाही की चरम सीमा देखी गई थी। जिसके बाद भविष्य में कभी ऐसा ना हो और शांति स्थापित रहे, इसके लिए राष्ट्र संघ की स्थापना 1919 में की गई थी, लेकिन राष्ट्र संघ पूरी तरह से अपने लक्ष्य में विफल रहा।
4. विश्वव्यापी आर्थिक मंदी
1930 के दरमियान एशिया और यूरोप सहित पूरे विश्व में एक बड़ा आर्थिक मंदी देखा गया। वहीं दूसरी तरफ जापान उस समय एक संसाधन संपन्न देश था, जिसने कमजोर पड़े देशों पर आक्रमण करना प्रारंभ कर दिया। साम्राज्यवादी नीति के कारण एक नए युद्ध का उद्भव हुआ।
5. फासीवाद का उदय
बेनिटो मुसोलिनी को 1922 में इटली में प्रथम फासीवादी तानाशाह तंत्र की स्थापना के लिए जाना जाता है। एक तरफ जहां मित्र देश दुनिया में शांति कायम करने की बात कह रहे थे, वहीं दूसरी तरफ नाजीवाद और फासीवाद जैसे तानाशाही का उदय हो रहा था। मुसोलिनी के बढ़ते अत्याचार के कारण द्वितीय विश्वयुद्ध का आरंभ हुआ था।
द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव Effects of World War 2 in Hindi
- जर्मनी में तानाशाह हिटलर के आत्मसमर्पण के पश्चात द्वितीय विश्वयुद्ध का मुख्य रूप से अंत माना गया था। USSR के ही भाग कीव और खार्किव शहर को जर्मनी ने विश्व युद्ध में अपने अंतर्गत ले लिया था। जिसके पश्चात जर्मनी की पराजय के बाद रूस ने पुनः इन शहरों को अपने अधीन किया।
- 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा किए गए परमाणु हमले के पश्चात युद्ध समाप्ति को बल मिला। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन के कार्यकाल में जापान पर परमाणु हमला किया गया था, जिसके पश्चात जापान को आत्मसमर्पण करना पड़ा।
- वर्ष 1942 में अमेरिका द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हुआ, जिसके पश्चात संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के लड़ाकू विमानों और अन्य प्रभावी हथियारों ने दुश्मन देशों में भारी तबाही मचाई।
- अमेरिका द्वारा जापान पर लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंधों के कारण 7 नवंबर 1941 के दिन जापान ने अमेरिका के एक हवाई द्वीप पर अमेरिकी नौसेना बेस पर्ल हार्बर को बहुत क्षति पहुंचाया, जिसके पश्चात जर्मनी ने भी अमेरिका के विरुद्ध युद्ध का ऐलान कर दिया।
- जर्मनी ने द ग्रेट ब्रिटेन में मिले करारी हार के पश्चात रिबेंट्रोप संधि का उल्लंघन करके साल 1941 में USSR पर सैन्य आक्रमण कर दिया। लेकिन इस ऑपरेशन बारबोसा में जर्मनी बिल्कुल नाकामयाब रहा और उसे खाली हाथ वापस लौटना पड़ा।
द्वितीय विश्व युद्ध का परिणाम व अंत Result and End of World War 2 in Hindi
1. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना
द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात संयुक्त राष्ट्र की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम था। राष्ट्रीय संघ के बाद एक नया वर्जन संयुक्त राष्ट्र संघ प्रस्तुत किया गया, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के बीच चल रहे तमाम विवादों को शांतिपूर्वक सुलझा कर उसका निदान करना है।
2. नए प्रभावी सत्ता वाले देशों का उदय
द्वितीय विश्वयुद्ध के पहले द ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश बड़ी महासत्ता वाले राष्ट्र माने जाते थे, लेकिन युद्ध के पश्चात नई महाशक्तियों का उदय हुआ। अन्य देशों ने अपनी प्रभावी शक्तियां गवां दी, जिसके पश्चात संयुक्त राष्ट्र अमेरिका और USSR जैसे नए देशों ने अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया।
3. शीत युद्ध का आरंभ
USSR और उसके सहयोगी राष्ट्रों की नीति अन्य यूरोपीय देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका से काफी अलग थी। दोनों महासत्ताओं के बीच कई सम्मेलन, नीतियां और संधियों पर हस्ताक्षर किया गया था। लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध में देशों के बीच संबंध बिगड़ने लगे जिसके कारण शीत युद्ध का शुरुआत हुआ।
4. उपनिवेशीकरण का आरंभ
जिस प्रकार द्वितीय विश्वयुद्ध में भारी तबाही मचाने के पश्चात द ग्रेट ब्रिटेन ने भारत सहित एशिया और अफ्रीका के कई देशों को स्वतंत्र किया। युद्ध के निष्कर्ष में फ्रांस और ब्रिटेन जैसे बड़े देशों ने अपने उपनिवेशवाद का अंत कर दिया।
5. नई अर्थव्यवस्था
द्वितीय विश्व युद्ध के कारण लगभग पूरी दुनिया को ही एक बड़ी आर्थिक क्षति पहुंची थी, जिसके कारण बहुत से देशों की अर्थव्यवस्था डूब गई थी।
एक नए विश्व की शुरुआत के लिए युद्ध से प्रभावित हुए देशों को आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए पुनर्निर्माण और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बैंक जिसे अब विश्व बैंक के नाम से जाना जाता है उसकी स्थापना की गई थी।
तृतीय विश्व युद्ध की जानकारी World War 3 Information in Hindi
तृतीय विश्व युद्ध कब हो सकता है? When Will World War 3 Happen? In Hindi
फ्रांस के विश्व प्रसिद्ध भविष्यवक्ता ‘माइकल दि नास्त्रेदमस’ ने तृतीय विश्वयुद्ध की भविष्यवाणी की है। आपको बता दें कि आज तक नास्त्रेदमस ने जितने भी भविष्यवाणियां की है, उनमें से अधिकतर सच साबित हुए हैं।
उन्होंने यह भी कहा था कि यदि तृतीय विश्व युद्ध हुआ, तो पूरी दुनिया तबाह हो जाएगी और सब कुछ खत्म हो जाएगा।
तृतीय विश्व युद्ध के क्या कारण हो सकते हैं? What Could Be the Reasons for the Third World War? In Hindi
तृतीय विश्वयुद्ध की चर्चा कई मशहूर कल्पित कथाओं में देखी जाती है। तृतीय विश्व युद्ध का कारण जो भी हो, लेकिन उसका परिणाम केवल विनाश ही होगा। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि तीसरा विश्वयुद्ध रूस और अन्य पश्चिमी देशों के बीच हो सकता है।
जिस तरह 1991 में यूएसएसआर (USSR) को शीत युद्ध के अंत के परिणाम स्वरूप कुल 15 भागों में अमेरिका द्वारा कूटनीतिक तरीके से विभाजित कर दिया गया था, इसका बदला रूस जरूर लेगा।
2022 की शुरुआत में जिस तरह रूस ने अपने सीमा से लगने वाले यूक्रेन देश, जो कि पहले यूएसएसआर का ही भाग हुआ करता था, उसके विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ा है। वर्तमान समय में लगभग एक महीने से भी ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन रूस यूक्रेन पर लगातार तबाही बरसा रहा है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि यूरोपियन यूनियन और नाटो जैसे सभी पश्चिमी देश रूस को अप्रत्यक्ष रूप से ऐसा करने पर मजबूर कर रहे थे। आज के समय में रूस पर उसी प्रकार की पाबंदियां लगाई गई है, जिस प्रकार पहले जर्मनी में लगाई गई थी।
अब बड़ी महासत्ता के रूप में उभरने वाले में भारत ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। जिस तरह शीत युद्ध में भारत ने रूस और पश्चिमी देशों में संतुलन बनाया था, वह तीसरे विश्वयुद्ध में भी बनाए रखेगा ऐसी कल्पना की जाती है।
वर्तमान में जितने भी बड़े और शक्तिशाली देश, जो परमाणु शक्ति से परिपूर्ण है उनके बीच में तृतीय विश्व युद्ध होने की भी संभावना है।
तृतीय विश्व युद्ध के क्या परिणाम हो सकते हैं? What Could Be the Consequences of World War 3? In Hindi
यदि अब तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो पूरी दुनिया कई सालों पीछे चली जाएगी। आज बहुत से देशों के पास परमाणु हथियार है, जिसे यदि इस्तेमाल किया गया तो पूरी धरती साफ हो सकती है।
यदि तृतीय विश्वयुद्ध की स्थिति बनती है, तो अब युद्ध गोली, बारूद और तोपों से नहीं बल्कि परमाणु हथियारों से लड़ा जाएगा। तृतीय विश्व युद्ध का परिणाम धरती का विनाश कर सकती है।
Thanks for this information this is very useful.