आज इस आर्टिकल में हमने भारत के प्रसिद्ध बौद्ध स्थल Famous Buddhist places in India in hindi में बताया है। गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी।
उनका जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुंबिनी नामक स्थान पर इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय राजा शुद्धोधन के घर हुआ था। उनकी मां का नाम महामाया था। गौतम बुद्ध संसार को मृत्यु, जरा, दुःख से मुक्ति दिलाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी यशोधरा और पुत्र राहुल का त्याग कर दिया और सत्य की खोज में चले गए।
वर्षों तक वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटकते रहे। अंत में उन्होंने बोधगया (बिहार) में ज्ञान की प्राप्ति की। उसके बाद वे “गौतम बुद्ध” कहलाए। इस लेख में हम आपको भारत में स्थित प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थलों के बारे में जानकारी देंगे।
पढ़ें : गौतम बुद्ध की कहानी
बोधगया
ऐसा कहा जाता है कि गौतम बुद्ध लगातार 6 साल तक एक स्थान से दूसरे स्थान पर ज्ञान की तलाश में भटकते रहे, पर उन्हें कहीं भी परम ज्ञान ना मिला। फिर वह गया (बिहार) पहुंचे। उन्होंने निश्चय किया कि वे पीपल के वृक्ष के नीचे बैठेंगे और तब तक नहीं उठेंगे जब तक उन्हें परम ज्ञान या बुद्धत्व प्राप्त नहीं हो जाता।
6 दिनों तक वह भूखे प्यासे बस पीपल के वृक्ष के नीचे बैठे रहे। उसके बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्त हुई। अब वे सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बन चुके थे। इस पीपल के वृक्ष को बोधि वृक्ष कहते हैं। इसका अर्थ है “ज्ञान का वृक्ष”। गया को बोधगया (बुद्धगया) के नाम से जाना जाता है।
दीक्षाभूमि
दीक्षाभूमि, महाराष्ट्र के नागपुर शहर में स्थित है। यह एक पवित्र बौद्ध तीर्थ स्थल है। इस स्थान पर भारत के संविधान निर्माता और पहले दलित नेता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अशोक विजयादशमी के दिन 14 अक्टूबर 1956 को स्वयं बॉस बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी। फिर 5 लाख हिंदू दलित समर्थकों को दीक्षा देकर बौद्ध बनाया था।
कुशीनगर
यह तीर्थ स्थल उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर से 55 किलोमीटर दूर कुशीनगर में है। बौद्ध अनुयायियों के लिए यह स्थान आकर्षण का केंद्र है। यहां पर महापरिनिर्वाण स्तूप बना हुआ है। भगवान गौतम बुद्ध ने कुशीनगर में ही महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था।
मृत्यु के समय वे 80 साल के थे और उनसे मिलने के लिए हजारों अनुयाई यहां कुशीनगर आते थे। कुशीनगर में हिरन्यवती नदी के निकट गौतम बुद्ध ने अपनी आखिरी सांस ली थी। रंभर स्तूप के निकट उनका अंतिम संस्कार किया गया था। सुभद्र गौतम बुद्ध से भिक्षा लेने वाले आखिरी भिक्षु थे।
सारनाथ
यह पर्यटक स्थल बनारस रेलवे स्टेशन से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां बौद्ध धर्म शाला है। सारनाथ में गौतम बुद्ध ने पहला उपदेश दिया था। हर साल यहां बड़ी मात्रा में बौद्ध अनुयाई आते हैं। इसी स्थान पर गौतम बुद्ध ने धर्म चक्र प्रवर्तन प्रारंभ किया था।
यहां पर चौखंडी स्तूप, धामेक स्तूप, भगवान बुद्ध का प्राचीन मंदिर, अशोक का चतुर्भुज सिंह स्तंभ प्रमुख दर्शनीय चीजें हैं। मोहम्मद गौरी ने आक्रमण कर इस स्थान को नष्ट कर दिया था। अब यहां पर धामेक स्तूप के टूटे-फूटे अंश बचे हुए हैं।
लुम्बिनी
यह स्थान नेपाल में स्थित है, पर गोरखपुर (भारत) से सिर्फ 123 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर गोरखपुर रेलवे स्टेशन से आसानी से जाया जा सकता है। 563 ईसा पूर्व राजकुमार सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) का जन्म इसी स्थान पर हुआ था। यहां के प्राचीन विहार अब नष्ट हो चुके हैं। केवल सम्राट अशोक का एक स्तंभ का अवशेष बचा हुआ है। नेपाल सरकार ने यहां पर दो स्तूप बनवाए हैं।
भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठ के नाम व संक्षिप्त जानकरी
1. रूमटेक मठ Rumtek Monastery

यह सिक्किम की राजधानी गंगतोक के निकट स्थित है। इसे “धर्मचक्र केंद्र” भी कहते हैं। इसे रूमटेक गोम्पा भी कहा जाता है।
2. नाको मठ Nako Monastery
इस मठ को लोहेन रिंचन ज़ांगपो द्वारा हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में 996 ई० में स्थापित किया गया था। यह मठ सबसे प्राचीन मठों में से एक है।
3. शंकर मठ Sankar Monastery

शंकर मठ को शंकर गोम्पा के नाम से भी जाना जाता है। यह लद्दाख की राजधानी लेह से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गोम्पा के भीतर ‘एवालोकितेश्वर’, या ‘बोधिसत्व’ या ‘आत्मज्ञानी जीव’ की मूर्ति रखी हुई है। इस मूर्ति के 11 सिर, 1000 हाथ और प्रत्येक हाथ की हथेली पर आंखें हैं।
4. लिंगडम मठ Lingdum Monastery

यहां सिक्किम की राजधानी गंगतोक में रंका के पास स्थित है। यह मठ ज़ुरमांग कागुयु परंपरा का पालन करता है।
5. अलची गोम्पा मठ Alchi Monastery
यह मठ लद्दाख की राजधानी लेह के पश्चिम में 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर कुल 6 बौद्ध मंदिर हैं। बुद्ध की बैठी हुई प्रतिमा सुंदर आभूषणों से सुसज्जित है जो बहुत खूबसूरत है।

इसके अलावा यहां अनेक अनुपम कलाकृतियां मौजूद हैं। इस मठ में हजारों वर्ष पुराने भित्ति चित्र और काष्ठ (लकड़ी) के ऊपर उत्कृष्ट नक्काशी मौजूद है। ये भित्ति चित्र गौतम बुद्ध, लामा और संगीतकारों के जीवन को दर्शाते हैं।
6. हेमिस मठ Hemis Monastery

हेमिस मठ को हेमिस गोम्पा भी कहते हैं। यह लेह से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पर्यटकों के लिए यह प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। इस मठ की स्थापना 1630 ई० में स्टेग्संग रास्पा नंवाग ग्यात्सो ने करवाई थी। यहां बौद्ध धर्म की शिक्षा दी जाती है। यह मठ तिब्बती स्थापत्य शैली में बना हुआ है जो बौद्ध जीवन और संस्कृति को प्रदर्शित करता है।
7. ताबो मठ Tabo Monastery

यह मठ हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिला में स्थित है। इस मठ का निर्माण 996 ई० में महान विद्वान रिचेन जंगपो ने करवाया था। इस मठ में बौद्ध धर्म से जुड़ी सुंदर पेंटिंग, मूर्तियां, प्राचीन ग्रंथ और दीवारों पर लिखे गए शिलालेख मौजूद हैं।
8. तवांग मठ Tawang Monastery

यह मठ भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ है जो अरुणाचल प्रदेश में स्थित है। तवांग मठ तवांग जिले के बोमडिला से 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे “गालडेन नमग्याल लहात्से” के नाम से भी जाना जाता है।
9. मैक्लोडगंज मठ McLeodganj

यह मठ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित धर्मशाला कस्बे का एक उपनगर है। यहां पर तिब्बती बहुत अधिक मात्रा में रहते हैं इसलिए इसे “”छोटा ल्हासा” या “ढासा” भी कहा जाता है। मैक्लोडगंज में 14वें दलाई लामा का आधिकारिक निवास है। यहां पर तिब्बती बौद्ध धर्म की संस्कृति और विरासत देखने को मिलती है।
10. थिकसे मठ Thiksay monastry

यह मठ लेह से 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह इमारत 12 मंजिली ऊंची है। यहां पर पर्यटक तलवार, थांगका, बौद्ध पेंटिंग, मूर्तियां और स्तूप देख सकते हैं। इस मठ में गौतम बुद्ध के उपदेश और संदेश लिखे हुए हैं।