हिन्दू वैवाहिक रस्म संगीत Hindu Wedding Ritual Sangeet in Hindi
आज हम हिन्दू विवाह में संगीत के रस्म का महत्व आपको बतेयेंगे. Hindu Wedding Ritual Sangeet in Hindi
हिन्दू वैवाहिक रस्म संगीत Hindu Wedding Ritual Sangeet in Hindi
भारत में विवाह से पूर्व निभाई जाने वाली रस्मों में, जिनके सबसे अधिक चर्चे होते हैं, वह ‘संगीत’ रस्म होती है। संगीत रस्म में होने वाले वर तथा वधू के परिवार वाले एक ही जगह पर एकत्रित होकर उनके एक साथ आने का जश्न मनाते हैं।
संगीत समारोह के आयोजन से दोनों ही परिवारों के लोग जो शादी की तैयारियों में बेहद व्यस्त रहते हैं और जिन्हें आराम करने के लिए ज़रा भी वक़्त नही मिल पाता है, वे लोग संगीत के आयोजन से स्वयं को राहत और सुकून दिला पाते हैं।
दुल्हन के परिवार की महिलाएं शादी से काफी समय पूर्व ही एकत्रित होकर एक साथ मिलकर ढोलक , मंजीरा तथा अन्य वाद्य यंत्रों का इंतज़ाम कर लेती हैं, और फिर वे सभी दुल्हन को घेर कर बैठ जाती हैं और विवाह से जुड़े पारंपरिक गीत गाते हुए ख़ुशी से नृत्य करती रहती हैं।
इन सारे गीतों के माध्यम से वे अपने दैनिक जीवन से लेकर दुल्हन को उसके होने वाले पति और ससुराल वालों के बारे में सवाल पूछ पूछ कर चिढ़ाती हैं। इसके अलावा कुछ गानों में वे दुल्हन के अपने घर से दूर जा कर, आने वाले जीवन से जुड़े नए सपनों और उम्मीदों को बताती हैं, तो वहीं कुछ गीत दुल्हन के माता पिता के मन में उपजे दर्द और दुःख को दर्शाते हैं, जब उनकी बेटी जिसे उन्होंने बचपन से ही बड़े लाड़- प्यार से पाला है, उसे अब अपना घर छोड़ कर हमेशा हमेशा के लिए किसी अनजान घर में अनजान लोगों के बीच जाना होता है।
इन गानों में अक्सर दूल्हे को ‘बन्ने’ के नाम से संबोधित किया जाता है और दुल्हन को ‘बन्नी’ या फिर ‘बन्नो’ कह कर भी बुलाया जाता है। संगीत रस्म के दौरान गाये जाने वाले कुछ बहुचर्चित गाने निम्नलिखित हैं: ‘मेहन्दिनी मेहँदी’ , ‘लथे दी चादर’, ‘लौंग गवाचा‘ तथा ‘काला डोरियां’ इत्यादि, ये गाने लगभग हर एक संगीत समारोह में गाये जाते हैं।
इस दौरान घर की स्त्रियां, रिश्तेदार बेहद खुशी से भरपूर होकर नाचती हैं और वे अपने साथ में दुल्हन को भी नचवाती हैं। पहले के समय में विवाह में संगीत समारोह कई कई दिनों तक चलते थे, लेकिन आज के व्यस्तता से भरे समय में यह ज़्यादा से ज़्यादा एक दिन या सिर्फ एक शाम में ही पूरा किया जाता है।
यद्यपि संगीत समारोह सबसे अधिक उत्तर भारत के निवासी लोगों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन यह समारोह गुजराती और पंजाबी लोगों के बीच अत्यधिक प्रचलित है। पारंपरिक पंजाबी संगीत समारोहों में सबसे अधिक भांगड़ा नृत्य और गिद्दा गानों को गाया जाता है।
वहीं दूसरी ओर गुजराती संगीत समारोहों में सबसे अधिक गुजरात के पारंपरिक नृत्य गरबा से उत्सव मनाया जाता है, जिसमे स्त्रियां रंग बिरंगी चोली और घाघरा पहनकर अपने हाथों से संगीत की एक ही धुन में तालियां बजाते हुए गोल गोल चक्कर के जैसे घूमती हुई नृत्य करती हैं।
भारत में विवाह ,पुराने समय की पवित्र शादियाँ जिन्हें दो आत्माओं के मिलन के रूप में दर्शाया जाता था, से आगे बढ़कर आज के युग की जश्न, ख़ुशी और प्रदर्शन वाली शादियों तक आ चुके हैं। जैसे जैसे भारतीय विवाहों में शान-शौकत और प्रदर्शन का घटक शामिल होता जा रहा है, वैसे वैसे ही विवाह से पूर्व और विवाह के बाद निभाई जाने वाली रस्मों पर भी अधिक ध्यान दिया जाने लगा है, और उन्हें भी अत्यधिक उत्साह, जश्न और प्रदर्शन के साथ मनाया जाता है।
पारंपरिक संगीत के गाने जिन्हें ढोलक, मंजीरा और हारमोनियम के साथ गाया जाता है, और जिनमे घर की स्त्रियां बन्ना-बन्नी का नाम ले लेकर दुल्हन तथा दूल्हे (क्रमशः) को चिढ़ाती हैं, उनके दिन अब बीत चुके हैं।
क्योंकि आज के समय पर संगीत सिर्फ घर में महिलाओं का इकठ्ठा होकर गाने गा कर दुल्हन को चिढ़ाना मात्र नही है, संगीत समारोह की आज के समय में कई दिनों पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं और इसके सफल आयोजन के लिए लोग अत्यधिक धन और समय भी लगाते हैं।
इसकी तैयारी आजकल सिर्फ घर के सदस्यों द्वारा नही की जाती है, इसके लिए अलग से संगीत आयोजकों, नृत्य सिखाने वाले इत्यादि लोगों को अच्छे-खासे पैसे देकर बुलाया जाता है। कभी कभी इस समारोह के लिए पहले से ही एक थीम तय कर दी जाती है, जिसके अनुसार ही सभी लोगों को पहले से ही अपनी वेश- भूषा तैयार रखनी होती है।
संगीत का समारोह आजकल दुल्हन तथा दूल्हे दोनों के परिवार वालों, मित्रों इत्यादि की उपस्थिति में एक निश्चित स्थान पर आयोजित किया जाता है। इसके लिए एक बड़ा स्टेज तैयार किया जाता है, जिसके लिए दोनों ही परिवार के लोगों और मित्रों द्वारा बारी- बारी से कुछ पहले से तय गानों पर नृत्य किया जाता है, और बाकि सभी लोग नीचे बैठकर उन्हें नाचते देख खुश होकर सराहते हैं।
इसके साथ ही साथ स्वयं वर- वधू भी स्टेज पर आकर कुछ रोमांटिक गीतों पर साथ में नृत्य करते हैं। पारंपरिक रूप से उत्तर भारतीय संस्कृति में संगीत एक निश्चित समय और प्रक्रिया में बंधा हुआ था। परंतु, आज के समय में यह भारत की अन्य संस्कृतियों जैसे कि बंगाली संस्कृति, या फिर दक्षिण- भारतीय संस्कृति के साथ मिलता नज़र आ रहा है।
यह एक बहुत ही उत्साहित करने वाले और खुशियों से भरे हुए समारोह के रूप में उभर कर सामने आया है, जिसमे दोनों ही परिवारों के लोग एक दूसरे के साथ अनौपचारिक रूप से बैठकर ठहाके लगाते हैं और अपने से विपरीत पक्ष का मज़ाक उड़ाकर दूल्हे अथवा दुल्हन को चिढ़ाने की कोशिश करते हैं।
इसके साथ ही साथ यह किसी भी संस्कृति में होने वाले विवाह समारोह से पहले लोगों के मन को तरो-ताज़ा करने का काम भी करता है। विवाह से पहले संगीत समारोह दोनों परिवार के लोग साथ मिलकर ड़ो दिलों के हमेशा के लिए एक हो जाने का जश्न मनाते हैं और उन्हें उनके आने वाले जीवन के लिए अनेको बधाइयाँ और आशीर्वाद भी देते हैं।
जो रिश्तेदार राज्य या फिर देश से भी दूर रह रहे होते हैं, वे भी विवाह से पूर्व के संगीत समारोह में शामिल होने के लिए ज़रूर आते हैं और माहौल में ख़ुशी को और भी अधिक बढ़ा देते हैं। पुराने समय में, संगीत समारोह विवाह की तैयारियों में होने वाली व्यस्तता और थकावट को दूर करने का एक ज़रिया होता था।
घर की औरतें अपने गांव के माध्यम से होने वाली दुल्हन को अपने ससुराल में सभी का सम्मान करने तथा अच्छी बातें सिखाती थी, इसके साथ ही वे उसे यह भी बताती थीं कि वे उससे कितना प्यार करती हैं और उसके दूर जाने का उन्हें कितना अधिक दुःख है।
ऐसे समारोह हमे बताते हैं कि विवाह से जुड़ी ऐसी रस्मे हमारे सामाजिक जीवन और हमारे निजी जीवन के लिए कितना अधिक महत्त्व रखती हैं।