क्रिप्स मिशन का इतिहास History of Cripps Mission in Hindi
क्रिप्स मिशन का इतिहास History of Cripps Mission in Hindi: इस लेख में हमने बताया है, क्रिप्स मिशन क्या है? इसको क्यों भारत भेजा गया था? इसमें मुख्य प्रावधान और प्रस्ताव क्या रखे गए थे?
क्रीप्स मिशन का इतिहास क्या है?
क्रिप्स मिशन को 1942 ई० में ब्रिटिश सरकार द्वारा भेजा गया था। तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल ने मजदूर नेता सर स्टैफ़ोर्ड क्रिप्स (Sir Richard Stafford Cripps) को 1942 ई० में भारत भेजा था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध में भारत का पूर्ण सहयोग प्राप्त करना था।
इसमें ऐसे बहुत से प्रस्ताव थे जो भारत की एकता अखंडता के विरुद्ध थे। इसलिए सभी लोगों ने इसका बहिष्कार कर दिया और यह मिशन असफल हो गया। भारत की राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी, मुस्लिम लीग और दूसरे दलों ने भी इस मिशन का बहिष्कार कर दिया था।
क्रिप्स मिशन क्यों भेजा गया था?
उस समय द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। ब्रिटेन को दक्षिण पूर्व एशिया में हार का सामना करना पड़ रहा था। मित्र राष्ट्र (अमेरिका, चीन और सोवियत संघ) चाहते थे कि भारत द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन का समर्थन प्राप्त करें और उसकी मदद करें। भारत ने इस शर्त पर ब्रिटेन को समर्थन दिया था कि युद्ध के उपरांत भारत को पूर्ण आज़ादी दे दी जाए और ठोस उत्तरदायी शासन का हस्तांतरण तुरंत कर दिया जाए।
क्रिप्स मिशन के मुख्य प्रावधान
- डोमिनियन राज्य के दर्जे के साथ भारतीय संघ की स्थापना की जाएगी। यह भारतीय संघ राष्ट्रमंडल देशों, संयुक्त राष्ट्र संघ, अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों एवं संस्थाओं से अपने संबंध स्वतंत्र रूप से बना सकेगा।
- भारत के लोग आज़ाद होने पर स्वयं अपना संविधान का निर्माण कर सकेंगे।
- आज़ाद भारत के संविधान निर्मात्री सभा के गठन के लिए एक ठोस योजना बनाई जाएगी।
- भारत के विभिन्न प्रांत अपने अलग संविधान बना सकेंगे (बहुत से लोग इस प्रस्ताव के पक्ष में नहीं थे, क्योंकि इससे भारत का विभाजन सुनिश्चित हो जाता)
- भारत के पास राष्ट्रमंडल से अलग होने का अधिकार होगा।
- स्वतंत्र भारत के प्रशासन की बागडोर भारतीयों के हाथ में दी जाएगी।
क्रिप्स मिशन क्यों असफल हुआ?
क्रिप्स मिशन द्वारा भारतीयों को लुभाने के लिए अनेक आकर्षक प्रस्ताव दिए गए थे, उसके बावजूद भी यह असफल रहा। भारतीयों को यह नही कर पाया। देश की जनता के बड़े वर्ग ने इसे स्वीकृति नहीं दी। कई राजनीतिक दल और समूहों ने इसका विरोध किया।
कांग्रेस पार्टी ने निम्न आधार पर इसका विरोध किया
- भारत को पूर्ण स्वतंत्रता के स्थान पर डोमिनियन राज्य का दर्जा दिया गया था जो स्वीकार्य नहीं था।
- देश की रियासतों के प्रतिनिधियों के लिए निर्वाचन (वोट द्वारा चयन) के स्थान पर मनोनयन (इच्छा अनुसार चयन) की व्यवस्था रखी गई थी जो उचित नहीं थी।
- क्रिप्स मिशन में भारत के दूसरे प्रांतों को पृथक संविधान बनाने की व्यवस्था की गई थी जिसका छिपा हुआ लक्ष्य भारत को टुकड़ों में विभाजित करना था। यह प्रस्ताव भारत की राष्ट्रीय एकता के सिद्धांत के विरुद्ध था। इस प्रस्ताव में भारत के दूसरे प्रांत भारतीय संघ से पृथक भी हो सकते थे। ये सभी प्रस्ताव अनुचित और अस्वीकार्य थे।
- इस मिशन में अंग्रेजों के भारत से जाने के बाद सत्ता के त्वरित हस्तांतरण की योजना नहीं सम्मिलित थी। राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी चाहती थी कि आज़ाद भारत के प्रशासन की बागडोर भारतीयों के हाथ में हो, पर इसे स्पष्ट रूप से क्रिप्स मिशन में नहीं बताया गया था। इसलिए यह मिशन संदेहास्पद और अस्पष्ट था।
- इस मिशन में यह प्रस्ताव दिया गया था कि भारत के आज़ाद होने के बाद भी गवर्नर जनरल सर्वोच्च माना जाएगा।
मुस्लिम लीग ने निम्न आधार पर इसका विरोध किया
- मुस्लिम लीग ने “एकल भारतीय संघ” की व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया।
- मुस्लिम लीग ने पृथक पाकिस्तान की मांग को स्वीकार नहीं किया।
- 3स्वतंत्र भारत के दिए जिस संविधान निर्मात्री परिषद के गठन की बात की गई थी उसे भी मुस्लिम लीग ने स्वीकार नहीं किया।
- मुस्लिम लीग राज्यों के पृथक संविधान बनाने के पक्ष में भी नहीं था।
अन्य दलों ने निम्न आधार पर इसका बहिष्कार किया
- भारत के अन्य दल चाहते थे कि एकल भारतीय संघ की स्थापना हो। भारत के दूसरे प्रांतों को संघ से अलग होने का अधिकार ना दिया जाए। इसलिए उन्होंने क्रिप्स मिशन का बहिष्कार कर दिया।
- बहुत से लोगों का मानना था कि इस तरह धीरे-धीरे भारत के तमाम प्रांत इस नियम का फायदा उठाकर अलग हो जाएंगे और देश कमजोर हो जाएगा।
- हिंदू महासभा ने भी क्रिप्स मिशन का बहिष्कार इसी आधार पर किया था।
- क्रिप्स मिशन के प्रस्ताव पर दलित लोग सोच रहे थे कि एकल भारतीय संघ स्थापित होने के बाद बहुसंख्यक हिंदू उन पर हावी हो सकते हैं और दलितों को हिंदुओं (विशेष रूप से उच्च जातियों) की कृपा पर जीवन जीना होगा।
- सिख समुदाय ने क्रिप्स मिशन का बहिष्कार किया क्योंकि उन्हें लगता था कि पंजाब राज्य उनसे छिन जाएगा।
- क्रिप्स मिशन को लेकर ब्रिटिश सरकार स्वयं ईमानदार नहीं दिखाई दे रही थी। पहले क्रिप्स मिशन द्वारा कहा गया कि स्वतंत्र भारत घोषित होने पर “मंत्रिमंडल का गठन” और “राष्ट्रीय सरकार” की स्थापना की जाएगी। पर बाद में ब्रिटिश सरकार अपने ही कथन से मुकर गई और कहने लगी कि उसका आशय केवल कार्यकारिणी परिषद का विस्तार करना था।
- क्रिप्स मिशन में भारत के दूसरे प्रांतों को विलय या पृथक होने का विकल्प दिया गया था। पर इस प्रस्ताव को विधान मंडल में पारित होने के लिए 60% सदस्यों के मत चाहिए थे।
ब्रिटिश सरकार की वास्तविक मंशा
ब्रिटिश सरकार स्वयं चाहती थी कि क्रिप्स मिशन सफल ना हो। वह भारतीयों को सत्ता का हस्तांतरण नहीं करना चाहती थी। ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल, विदेश मंत्री एमरी, वायसराय लिनलिथगो, और कमांडर इन चीफ वेवेल स्वयं चाहते थे कि क्रिप्स मिशन असफल हो जाए। वायसराय के वीटो के मुद्दे पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं और स्टैफोर्ड क्रिप्स के बीच बातचीत टूट गई और क्रिप्स मिशन असफल हो गया।
महात्मा गांधी ने क्रिप्स मिशन के बारे में क्या कहा?
महात्मा गांधी ने क्रिप्स मिशन के बारे में कहा कि “यह आगे की तारीख का चेक था जिसका बैंक नष्ट होने वाला था”
जवाहरलाल नेहरू ने क्रिप्स मिशन के बारे में क्या कहा?
जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि “क्रिप्स योजना को स्वीकार करना भारत को अनिश्चित खंडों में विभाजित करने के लिए मार्ग प्रशस्त करना था”
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