इस लेख मे आप भारतीय राष्ट्र गान- जन गण मन का इतिहास व अर्थ (Indian National Anthem – Jana Gana Mana in Hindi) के विषय में हिन्दी में पढ़ेंगे।
जन गण मन (भारतीय राष्ट्र गान) Indian National Anthem – Jana Gana Mana in Hindi
हम भारत के निवासी अपना राष्ट्रगान जन गण मन तब से गाते आ रहे हैं, जब हम स्कूल में हुआ करते थे। राष्ट्रगान एक ऐसा गीत हैं जो किसी भी देश के इतिहास और परंपरा को दर्शाता है, साथ ही उस देश को उसकी पहचान देता है।
जन गण मन को इसके अर्थ की वजह से राष्ट्रगान बनाया गया। इसके कुछ अंशों का अर्थ होता है कि भारत के नागरिक, भारत की जनता अपने मन से आपको भारत का भाग्य विधाता समझती है।
हे अधिनायक तुम्ही भारत के भाग्य विधाता हो। इसके साथ ही इसमें देश के अलग-अलग राज्यों का जिक्र भी किया गया था और उनकी खूबियों के बारे में बताया गया था।
जन गण मन – राष्ट्र गान का इतिहास Jana Gana Mana Song History in Hindi
वन्दे मातरम् को भी राष्ट्रगान बनाने की बात कही जा रही थी, लेकिन उसे राष्ट्रगीत बनाया गया क्योंकि उसकी शुरुआत की चार लाइन ही देश को समर्पित हैं। बाद की लाइनें बंगाली भाषा में थी, जिसमें माँ दुर्गा की स्तुति की गई है।
किसी भी ऐसे गीत को राष्ट्रगान बनाना उचित नहीं समझा गया जिसमें देश का जिक्र न होकर किसी देवी-देवता का जिक्र हो। इसलिए वंदे मातरम को राष्ट्रगान ना बनाकर राष्ट्रगीत बनाया गया।
भारत का राष्ट्रगान मूलतः बंगाली में रविन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा था। यह गीत उन्होंने इंग्लैंड के राजा जार्ज पंचम के स्वागत में अंग्रेज़ो के दबाव में आकर लिखा था। सन् 1911 में जब अंग्रेजों ने भारत की राजधानी को कलकत्ता से हटा कर दिल्ली कर दिया तो पूरे देश मे विद्रोह होने लगा।
तभी अंग्रेजों ने इंग्लैंड के राजा को भारत की जनता को शान्त करने के लिए आमंत्रित किया था। उस समय रविन्द्र नाथ टैगोर का परिवार अंग्रेजों के काफी नजदीक हुआ करता था, उनके परिवार के बहुत से लोग ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए काम किया करते थे।
उनके बड़े भाई अवनींद्र नाथ टैगोर बहुत दिनों तक ईस्ट इंडिया कंपनी के कलकत्ता डिविजन के निदेशक रहे, और खुद रविन्द्र नाथ टैगोर की अंग्रेजों के प्रति बहुत सहानुभूति थी, जिसके कारण उन्हें इसे लिखना पड़ा।
27 दिसम्बर सन् 1911 को राष्ट्रगान पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था। यह काँग्रेस का सत्ताईसवाँ अधिवेशन था, जिसके अध्यक्ष पण्डित बिशननारायण धर थे।
27 दिसंबर सन् 1911 को गाया गया। यह गीत अगले दिन अँग्रेजी अखबारों की सुर्खियों में छाया रहा। संविधान सभा ने जन गण मन के हिन्दी संस्करण भारत के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी सन् 1950 को अपनाया था।
रविंद्र नाथ टैगोर के इस स्तुति गान से खुश होकर सन् 1913 में उन्हें साहित्य के क्षेत्र में ‘गीतांजलि’ के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लेकिन टैगोर ने ख़ुद अपने बहनोई सुरेंद्र नाथ बनर्जी को पत्र लिखकर जन गण मन को राष्ट्रगान बनाए जाने का विरोध किया था। 7 अगस्त सन् 1941 को रविंद्रनाथ टैगोर की मृत्यु के बाद इस पत्र को सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने सार्वजनिक किया था।
हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश के राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ को भी रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा था। वे दुनिया के अकेले ऐसे कवि हैं, जिनकी रचनाओं को दो देशों ने अपना राष्ट्रगान बनाया। दुनिया का सबसे पुराना राष्ट्रगान डच का ‘हेत विलहेलमस’ है, जो सन् 1574 में लिखा गया था।
कनाडा, डेनमार्क और न्यूजीलैंड में दो राष्ट्रगान हैं। दक्षिण अफ्रीका का राष्ट्रगान तो पाँच भाषाओं में है। एक ही राष्ट्रगान को एक्सहोला, जूलू, सोथो, अफ्रीकी और अंग्रेजी भाषाओं में अनुवाद किया गया है, जो वहाँ की राजभाषाएँ हैं।
राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ का अर्थ हिन्दी में Meaning of Jana Gana Mana – Rashtra Gaan in Hindi
जन गण मन अधिनायक जय हे
(हे भारत के जन गण और मन के नायक)
भारत-भाग्य-विधाता
(आप भारत के भाग्य के विधाता हैं)
पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा
(वह भारत जो पंजाब, सिंध, गुजरात, महाराष्ट्र)
द्रविड़, उत्कल, बंग
(तमिलनाडु, उड़ीसा और बंगाल जैसे प्रदेश से मिलकर बना है)
विंध्य, हिमाचल, यमुना, गंगा
(जहाँ विंध्याचल तथा हिमालय जैसे पर्वत है और गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियाँ हैं)
उच्छल जलधि तरंगा
(जिनकी तरंगें बहुत ऊँचाई तक उठती हैं)
तव शुभ नामे जागे
(आपका शुभ नाम लेकर ही हम प्रातः उठते हैं)
तव शुभ आशीष माँगे
(और आपके आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं)
गाहे तव जयगाथा,
(सभी आपकी ही जय की गाथा गायें)
जन-गण-मंगलदायक जय हे,
(हे जनों का मंगल करने वाले आपकी जय हो)
भारत-भाग्य-विधाता
(आप भारत के भाग्य के विधाता हैं)
जय हे, जय हे, जय हे
(आपकी जय हो जय हो जय हो)
जय, जय, जय, जय हे
(जय जय जय जय हे)
जन गण मन का गायन अवधि Singing Timing for Jan Gan Mana Song
राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकंड का समय लगता है। भारत का राष्ट्रगान “जन गण मन” दो रूपों में गाया जाता है। एक पूर्ण रूप में तथा दूसरा संक्षिप्त रूप में। जब पूर्ण राष्ट्रगान गाया जाता है तब इसके लिए 52 सेकंड का समय दिया जाता है जबकि संक्षिप्त रूप 20 सेकंड में गाया जाता है।
संक्षिप्त रूप में राष्ट्रगान की प्रथम व अंतिम पंक्ति गाई जाती है। इसके गायन के लिए विशेष अवसरों पर ही आज्ञा दी जाती है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले समारोहों में तथा राष्ट्र व राष्ट्रपति के सम्मान में पूर्ण राष्ट्रगान गाया जाता है।
भारत में राष्ट्रगान को सिनेमाघरों में बजाए जानें का विवाद पहले सन् 1975 व फिर सन् 2016 में उठा। भारतीय सरकार ने सिनेमाघरों में फ़िल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाना अनिवार्य कर दिया तथा फ़िल्म के शुरू होने से पूर्व खड़ा होकर राष्ट्रीय गान को सम्मान देने का नियम बनाया।
जिसका कुछ लोगों ने विरोध किया और कहा कि सिनेमा घरों में राष्ट्रगान चलाना व खड़ा होकर इसे सम्मान देने पर विवश करना, नागरिकों पर देशभक्ति थोपने जैसा है। देशभक्त होने के लिए देशभक्ति दर्शाना आवश्यक नही होना चाहिए।
वहीं दूसरी तरफ इसके समर्थन में भी लोगों ने अपनी सँख्या दर्ज करवाई। कई बार जब कोई व्यक्ति राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ा होने से मना करता तो उसे लोगों की दबंगई का सामना करना पड़ता। कभी-कभी कोई व्यक्ति वास्तव में खड़ा होने में असमर्थ हो सकता है या विकलांग हो सकता है परन्तु दबंगई पर उतरे लोग इस बारे में ज्यादा ध्यान नही देते तथा मारपीट पर उतारू हो जाते।
इसलिए ऐसी घटनाओं के चलते राष्ट्रगान को सिनेमाघरों में बजाया जाना इसकी गरिमा को ठेस पहुँचाना कहा गया। इससे पूर्व इसी प्रकार के विवादों के चलते सन् 1975 में राष्ट्रगान सिनेमाघरों में बजाना बंद किया गया था, परन्तु 41 वर्ष पश्चात सन् 2016 में शिक्षित समुदाय की बढ़ती सँख्या को देखते हुए इसे फिर से शुरू किया गया।
आशा करते हैं जन गण मन (भारतीय राष्ट्र गान) के विषय मे यह जानकारी आपको अच्छी लागि होगी।
Apne poora arth bataya lekin jai baths kiska hai batane ki krna karo
great
Thanks for this thyori
WOW
Agar national anthem ka arth angrejon ki jaijaikar h to iska matlab bharat ke savi log ye mante h ki angrej humare bhagya vidhata the . Agar aisa h to fir hum azad hi kyu hue .