कर्नाटक युद्ध का इतिहास History of Carnatic Wars in Hindi
कर्नाटक युद्ध का इतिहास History of Carnatic Wars in Hindi
यह युद्ध भारत में इंग्लैंड और फ्रांस के बीच हुए थे। यह युद्ध 17वी शताब्दी के मध्य में हुए थे अर्थात 1746 से लेकर 1763 तक। यह लड़ाई असल में इंग्लैंड और फ्रांस को अपनी हुकूमत जताने के लिए लड़नी पड़ी थी।
इन्हीं सब मंसूबों के साथ ब्रिटेन तथा फ्रांस ने 4 बार युद्ध किया। इन सभी लड़ाईयों की जगह कर्नाटक रही मतलब सभी युद्ध कर्नाटक में लड़े गए इसलिए इन्हें कर्नाटक युद्ध कहते हैं।
कर्नाटक युद्ध का इतिहास History of Carnatic Wars in Hindi
भारत में मुगलों के शासन के दौरान जब औरंगजेब का निधन हो गया था तब से ही मुगलों की पकड़ भारत में ढीली होने लगी थी। अतः औरंगजेब की मौत के बाद यह कशमकश शुरू हुई कि अब मुख्य शासक कौन बनेगा?
अतः उत्तराधिकार को लेकर जंग होने लगी। इसी बीच ब्रिटेन और फ्रांस की कब्जा करने वाली कंपनियों के लिए यह सुनहरा मौका था ताकि वह मौका को भुना सके और भारत में अपनी घुसपैठ दिखा सके।
1st कर्नाटक युद्ध
उत्तराधिकार को पाने की इस 1746-48 की लड़ाई में पांडिचेरी के गवर्नर डूपले ने नेतृत्व किया तथा उनकी निगरानी में ही फ्रांसीसीयों को जीत हासिल हुई। जीत के बाद फ्रांस के अफसर बुस्सि ने लगभग 7 सालों तक गद्दी पर बैठ कर उत्तरी क्षेत्र नियंत्रित किया।
2nd कर्नाटक युद्ध
पर अफसोस फ्रांस को फिर भी बहुत कम वक्त मिला गद्दी पर बैठने का क्योंकि फौरन ही 1751 में रॉबर्ट क्लाइव के मार्गदर्शन में ब्रिटेन लड़ाकों ने युद्ध की परिस्थितियों को अपने हाथ में ले लिया था। अतः 1 वर्ष बाद ही फ्रांस को बुरी तरह हराकर शासन करने लगे थे।
3rd कर्नाटक युद्ध
तीसरी लड़ाई के दौरान दोनों ही ताकतवर यूरोपीय देश यानी ब्रिटेन तथा फ्रांस के बीच की खटास फिर खुल कर सामने आई। यह 7 वर्षीय युद्ध रहा। इस युद्ध की शुरुआत मद्रास पर हमले से हुई। ब्रिटिश सेनापति ने फ्रांसीसी नेता को लड़ाई में धूल चटा दी और हार का स्वाद चखाया। अतः 1761 में ब्रिटिश शासकों ने पांडिचेरी पर कब्जा कर लिया था अर्थात इस तीसरे युद्ध में फ्रांस को बुरी तरह पराजित कर दिया गया।
तो देखा आपने के यह सभी युद्ध कब कैसे और किन परिस्थितियों में हुए। युद्ध चाहे कैसे भी हो कहीं भी हो हमेशा विनाशकारी ही होते हैं, और कर्नाटक युद्ध तो भारत के लिए बहुत ही हानिकारक साबित हुए थे।
भारत का दक्षिण क्षेत्र काफी बुरी तरीके से नष्ट हो गया था और भारत वासियों को काफी मुश्किलों तथा दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। यह वही युग था, वही दौर था जब हम गुलामी से गुजर रहे थे।
हम लोग, हम भारतवासी उस वक्त कमजोर थे और हमारा मार्गदर्शन करने के लिए कोई नहीं था इसीलिए यह सब युद्ध संभव हो पाते थे और कोई भी देश हमारे देश में घुसपैठ कर पाता था। पर जितने भी युद्ध हुए हैं उन सभी का भारी नुकसान देश की मिट्टी को देश की अर्थव्यवस्था को और देश के अपने लोगों को उठाना पड़ा था।
ब्रिटेन और फ्रांस दोनों ही देशों ने हमारे देश का काफी नुकसान किया था, माली तौर पर भी और लोगों की जान भी ली थी। खासतौर पर ब्रिटिश शासन ने हमारे लोगों को बहुत कमजोर करके रखा और उन पर राज किया।
फिर आगे चलकर काफी समय बाद हम लोगों को मार्गदर्शक मिले नेता मिले जिन लोगों ने हमारा सही ढंग से नेतृत्व किया और उनके राज में ही फिर हम आजाद हो पाए। इन सब कठिन परिस्थितियों से हमारा देश गुजरा है, आज हमें आजाद हुए कितने वर्ष हो चुके हैं और हम इस आजादी का मोल भूल चुके हैं।
हमें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि हमारे देश के लोगों ने, हमारे सैनिकों ने, हमारे पूर्व नेताओं ने, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने, कितनी मुश्किलों का सामना करते हुए हमारे देश को आजादी दिलाई है और आज हम इस लायक है कि एक स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं, खुल कर जी रहे हैं।
अगर उन लोगों का नेतृत्व ना होता तो हम शायद आज भी गुलाम ही रहते, अर्थात हमें हमेशा सभी पूर्वजों का सम्मान करना चाहिए और यह ध्यान रखना चाहिए कि हम भी कभी बंदी थे, हम भी कभी गुलाम थे और कितनी मुश्किलों के बाद अब आजाद हुए हैं, तो इस आजादी का गलत फायदा ना उठाएं।
आज के युग में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि देशवासी अपने ही देश को जाने अनजाने में नुकसान पहुंचा रहे हैं। काफी तरीकों से नुकसान पहुंचा रहे हैं, जैसे कुछ लोग बहुत ज्यादा घोटाले कर के नुकसान पहुंचा रहे हैं, कुछ लोग खराब राजनीति से देश को बर्बाद करना चाहते हैं, कुछ लोग मिलावट से खाद्य पदार्थ बनाकर देश के लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और ना जाने कितने ही घोटाले हैं!! और जीवन के हर पहलू में है!! हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हमें यह देश कितने परेशानियों के बाद आजाद मिला है, हमें इस बात का मूल्य रखना चाहिए और अपने देश की मिट्टी का सम्मान करना चाहिए और ईमानदारी के साथ एक सच्चा भारत वासी होने का सबूत देना चाहिए।