हैदर अली का इतिहास History of Haider Ali in Hindi

इस लेख में हमने हैदर अली का इतिहास बताया है Biography and History of Haider Ali in Hindi

हैदर अली दक्षिण भारत के मैसूर राज्य के सुल्तान थे। उनका जन्म 1722 ई० में बुदीकोट, मैसूर (भारत) में हुआ था। उनका पूरा नाम सुल्तान हैदर अली खान बहादुर था।

उन्हें तमिल, मराठी, कन्नड़, हिंदी, फारसी, तेलुगू भाषाओं का ज्ञान था। उनकी पत्नी का नाम फातिमा बेगम था जो फख्र-उन-निशा के नाम से भी जानी जाती थी।

हैदर अली का इतिहास History of Haider Ali in Hindi

पारिवारिक पृष्ठभूमि

हैदर अली के पुत्र का नाम टीपू सुल्तान था जिन्होंने अंग्रेजों के साथ कई लड़ाइयां लड़ी और देश का नाम रोशन किया। हैदर अली का जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम फतह मुहम्मद था जो एक सिपाही थे। वे जन्म से ही एक साहसी योद्धा और एक कुशल रणनीतिकार भी है।

मैसूर की सत्ता कैसे मिली

हैदर अली के पिता की मृत्यु के बाद वह अपने भाई के साथ सेना में शामिल हो गए। शुरू के कुछ साल वे मैसूर की सेना में एक छोटे अधिकारी थे जो निजाम के लिए काम करते थे। दोनों भाई आरकोट के सुल्तान के लिए काम करते थे। धीरे धीरे हैदर अली का स्थान बढ़ता चला गया। वे 2000 सैनिकों और 100 घुड़सवार सैनिकों के मुखिया बन गए।

हैदराबाद के निजाम कमर उद्दीन खान आसिफ प्रथम की मृत्यु 1748 ई० में हो गई। उसकी गद्दी को पाने के लिए भीषण संघर्ष शुरू हो गया जिसमें हैदर अली ने सैन्य बल के द्वारा सत्ता हासिल कर ली।

1755 ई० में वह बहुत शक्तिशाली हो गए और उनके पास 3000 पैदल सेना और 1500 घुड़सवार सैनिकों की सेना थी। आने वाले समय में उनकी महत्वाकांक्षा बढ़ती गई और उन्होंने मैसूर के सुल्तान को हटा दिया। खुद मैसूर की गद्दी पर बैठ गए।

1761 ई० में हैदर अली ने खुद को मैसूर का असली सुल्तान घोषित कर दिया। उसके बाद वे बड़नौर, कनारा को जीतने की योजना बनाने लगे। हैदर अली ने मैसूर की सल्तनत की स्थापना की। वह अपने राज्य का विस्तार करना चाहते थे। उन्होंने मराठों से सीरा और बड़नौर का राज्य भी छीन लिया। मंगलोर राज्य भी अब हैदर अली जीत चुके थे। इन छोटे-छोटे बंदरगाहों का इस्तेमाल उन्होंने जल सेना बनाने के लिए किया।

1760 ई० में अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की और भारत में प्रवेश कर दिया। 1767 ई० में हैदर अली का युद्ध अंग्रेजो से हुआ। 2 साल तक भीषण लड़ाई चलती रही। युद्ध को समाप्त करने के लिए अंग्रेजों ने मद्रास की संधि कर ली जिस पर हस्ताक्षर 29 मार्च 1769 ई० को हुए।

1770 ई० में हैदर अली मराठों के साथ युद्ध कर रहे थे तब अंग्रेजों ने मद्रास की संधि का उल्लंघन किया। हैदर अली का युद्ध में साथ नहीं दिया। इससे क्रोधित होकर हैदर अली ने मराठों के साथ समझौता कर लिया और ब्रिटिश के खिलाफ हो गए।

इससे मैसूर और अंग्रेजो के बीच दूसरा युद्ध 1780 ई० में हुआ। युद्ध में हैदर अली ने फ्रेंच सेना की मदद ली। अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध में शुरू में उन्हें कामयाबी मिली और युद्ध होता रहा। 1784 ई० में मैसूर और अंग्रेजो के बीच मंगलौर की संधि हुई। कुछ दिनों बाद हैदर अली का देहांत हो गया।

हैदर अली द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध

प्रथम आंग्ल- मैसूर युद्ध (1767- 1769 ई०) ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ा गया था। हैदर अली को आंशिक सफलता प्राप्त हुई थी। मद्रास की संधि के बाद यह युद्ध खत्म हो गया। इसमें समझौता हुआ कि जरूरत पड़ने पर अंग्रेज हैदर अली की मदद करेंगे।

दूसरा आंग्ल- मैसूर युद्ध (1780- 1784 ई०) लड़ते हुए 1782 में हैदर अली की मृत्यु हो गई। उसके बेटे टीपू सुल्तान ने यह युद्ध जारी रखा।

पोर्टो नोवो में टीपू सुल्तान का अंग्रेजों से युद्ध हुआ था। यह युद्ध 1782 में कोलेरुन नदी के तट पर हुआ था। टीपू सुल्तान ने 400 फ्रांसीसी सैनिकों की मदद से अंग्रेजों के 1900 सिपाहियों को पराजित किया था।

हैदर अली की मृत्यु

उनकी मृत्यु 6 दिसम्बर 1782 को चित्तूर, आन्ध्र प्रदेश में हुई। उन्हें पीठ पर कैंसर हो गया था। यही उनकी मृत्यु का कारण बना। उन्हें श्रीरंगपट्टनम (कर्नाटक) में दफन किया गया। टीपू सुलतान उनका उत्तराधिकारी बना।

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