आज इस आर्टिकल में हमने हंटर कमीशन के इतिहास के बारे में बताया है History Of Hunter Commission in Hindi
हंटर कमीशन का इतिहास History Of Hunter Commission in Hindi
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हंटर एजुकेशन कमीशन Hunter Education Commission
वर्तमान भारतीय शिक्षा प्रणाली का निर्माण एक दिन में नही हुआ। अपितु यह प्रणाली, शिक्षा में कई वर्षों तक किये गए प्रयासों, परिवर्तनों तथा सुधारों के परिणाम के रूप में सामने आई है।
वर्ष 1857 में प्रशासनिक शक्ति का हस्तांतरण ईस्ट इंडिया कम्पनी से ब्रिटिश महारानी के पास कर दिया गया। इसी कारण से ब्रिटिश भारत में शिक्षा के विकास पर अधिक जोर दिया गया।
ऐसा महसूस किया गया कि वुड के घोषणा पत्र में सम्मिलित अनुदान प्रणाली को भी ठीक से लागू नहीं किया जा रहा था। इसी कारण से लार्ड रिपन द्वारा प्रथम भारतीय शिक्षा आयोग की स्थापना 3 फरवरी ,1882 को की गई।
हंटर एजुकेशन कमीशन की स्थापना 1882 में लार्ड रिपन(1880-1884 ई.) के द्वारा ब्रिटिश शासित भारत में की गई थी। इसे ‘भारतीय शिक्षा आयोग’ भी कहा गया। इस कमीशन की स्थापना चार्ल्स वुड के घोषणा लेख में प्रतिपादित भारतीय शिक्षा प्रणाली के प्रगति-स्तर की समीक्षा करने के लिए विलियम विल्सन हंटर की अध्यक्षता में की गई थी।
इस कमीशन में आठ भारतीयों को भी सदस्य के रूप में शामिल किया गया था। जिनमे प्रमुख रूप से सैयद महमूद, भूदेव मुखर्जी, आनंद मोहन बोस तथा के. टी. तेलंग भी शामिल थे। हंटर कमीशन का उद्देश्य सिर्फ प्राथमिक तथा द्वितीयक स्तर की शिक्षा प्रणाली की समीक्षा करना था।
हंटर कमीशन का कार्य वुड की शिक्षा प्रणाली की असफलताओं के कारण खोजना था। इसके अतिरिक्त इसका कार्य भारत में तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की खामियां खोजकर, उन समस्याओं को दूर करने के तरीके तथा पद्धतियां सुझाना था।
हंटर कमीशन ने कुछ समय तक प्राथमिक तथा द्वितीयक शिक्षा स्थितियों पर गहन विचार-विमर्श तथा जाँच-पड़ताल की। इसी जाँच के आधार पर हंटर आयोग द्वारा भारत के शिक्षा स्तर में सुधार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए।
हंटर कमीशन के कार्य Works of Hunter Commission
हंटर कमीशन के प्रमुख कार्य निम्नलिखित थे:
- प्राथमिक शिक्षा की समीक्षा करना।
- राज्य संस्थाओं की समीक्षा करना।
- द्वितीयक शिक्षा स्तर की समीक्षा करना।
- शिक्षा के क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों के योगदान की समीक्षा करना।
- निजी उद्यम क्षेत्रों के प्रति सरकार के व्यवहार की समीक्षा करना।
- प्राथमिक शिक्षा से जुड़े हंटर आयोग के मुख्य सुझाव निम्नलिखित थे:-
- प्राथमिक शिक्षा को सामूहिक जन शिक्षा के रूप में देखा जाना चाहिए।
- प्राथमिक शिक्षा के द्वारा व्यक्ति में आत्म-निर्भरता के गुणों को रोपित करना चाहिए।
- प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम व्यक्ति की मातृ- भाषा होनी चाहिए।
- शिक्षकों की नियुक्ति जिलाधिकारी द्वारा होनी चाहिए तथा जिन्हें सरकार द्वारा अधिकृत होना चाहिए।
- विद्यालय भवन तथा फर्नीचर सरल तथा किफायती होने चाहिए।
- शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु सामान्य विद्यालयों की स्थापना की जानी चाहिए।
- पाठ्यक्रम में उपयोगी विषयों जैसे कि कृषि, प्राकृतिक तथा भौतिक विज्ञान तथा अंकगणित एवं माप की स्थानीय पध्दतियाँ आदि को शामिल किया जाना चाहिए।
- विद्यालय में उपयोग किये जाने उपकरण टिकाऊ तथा किफायती होने चाहिए।
- आदिवासी जनजातियों तथा पिछड़ी जातियों के मध्य प्राथमिक शिक्षा का प्रचार- प्रसार सरकार का दायित्व होना चाहिए।
- विद्यार्थियों से विद्यालय की फीस उनकी आर्थिक क्षमता के आधार पर ही ली जानी चाहिए।
अब तक हमने जाना कि हंटर कमीशन ने भारत में प्राथमिक शिक्षा सुधार के लिए उपर्युक्त सुझाव दिए।
यद्यपि हंटर कमीशन द्वारा प्राथमिक शिक्षा में सुधार को राज्य का प्रथम दायित्व माना गया था, परंतु इस आयोग ने द्वितीयक शिक्षा व्यवस्था के उत्थान हेतु भी महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इन सुझावों को दो प्रमुख भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जो निम्नलिखित हैं:-
- प्रशासनिक सुधार Academic Improvisation
- गुणवत्ता में सुधार character Improvisation
i) प्रशासनिक सुधार Academic Improvisation
हंटर कमीशन द्वारा द्वितीयक शिक्षा के विकास हेतु कुछ प्रशासनिक सुधारों को प्रस्तावित किया। यह सुझाव निम्नलिखित हैं:-
- सरकार को द्वितीयक शिक्षा व्यवस्था में किसी भी तरह के हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए।
- सरकार को द्वितीयक शिक्षा के प्रसार का भार निजी संस्थाओं के कंधो
- द्वितीयक शिक्षा के विकास हेतु सरकार को अधिक मात्रा में अनुदान राशि उपलब्ध करवानी चाहिए।
- लोगों के कल्याण हेतु, हर जिले में कम से कम एक मॉडल हाई स्कूल की स्थापना की जानी चाहिए।
- निजी संस्थाओं को बढ़ावा देने के लिए, कमीशन ने सुझाव दिया कि सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रबंधकों को, किसी सरकारी स्कूल की तुलना में, अपने छात्रों से कम फीस लेनी चाहिए।
ii) गुणवत्ता में सुधार Character Improvisation
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु कमीशन द्वारा कुछ अहम सुझाव प्रस्तावित किये गए, जो कि निम्नलिखित हैं:-
- कमीशन ने कहा कि द्वितीय चरण में शिक्षा को दो भागों में वर्गीकृत किया जाना चाहिए, जैसे कि “ए कोर्स” तथा “बी कोर्स”।
- “ए कोर्स” के अंतर्गत उन विद्यार्थियों को शामिल किया जाना चाहिए, जिन्हें उच्च शिक्षा हेतु विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेना हो।
- “बी कोर्स” के अंतर्गत छात्रों को व्यवहारिक शिक्षा का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें उन विद्यार्थियों को शामिल किया जाना चाहिए, जो व्यावसायिक तथा गैर-साहित्यिक शिक्षा तथा उद्योगों से जुड़ना चाहते हैं।
- कमीशन ने हाई स्कूल स्तर पर मातृ- भाषा के प्रयोग को शिक्षा के माध्यम के रूप में वर्जित माना है। उसके अनुसार हाई स्कूली शिक्षा अंग्रेजी भाषा में दी जानी चाहिए।
- कमीशन ने शिक्षा के माध्यम के रूप में मध्यम स्तर स्कूल में भाषा की कोई निश्चित नीति नही बनाई थी।
सारांश Summary Of Hunter Commission
हंटर कमीशन द्वारा प्राथमिक तथा द्वितीयक शिक्षा में सुधारों के लिए अनेक सुझाव दिए गए तथा प्रयास किये गए। परंतु बाद के काल में इन सुझावों का भारत की प्राथमिक शिक्षा पर विपरीत प्रभाव भी पड़ा।
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