दिल्ली इंडिया गेट का इतिहास History of India Gate in Hindi

आज के इस लेख मे हमने इंडिया गेट का इतिहास History of India Gate in Hindi के विषय मे बताया है। साथ ही डिजाइन, वास्तुकला, शिलालेख के विषय मे भी हमने बताया है।

इंडिया गेट, दिल्ली का महत्व Importance of India Gate, New Delhi

इंडिया गेट (India Gate) भारत की राजधानी, दिल्ली शहर में स्थित है। यह स्थान राष्ट्रपति भवन से लगभग 2.3 किलोमीटर दूर औपचारिक मुख्य मार्ग, राजपथ के पूर्वी छोर पर है। इंडिया गेटे देखने में बहुत ही सुंदर है जो एक युद्ध स्मारक है।

यह गेट अविभाजित भारतीय सेना के सैनिकों का सम्मान करने के लिए समर्पित है जिनकी 1914 और 1921 के बीच प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मृत्यु हो गई थी। इस प्रकार के युद्ध स्मारक से शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि मिलती है और लोगों को उनके विषय में जानने को मिलता है।

दिल्ली के लोग और पर्यटक शाम के समय प्रतिदिन इंडिया गेट के पास घूमने जाते हैं और इसके आस-पास के सुंदर नज़रों जैसे फव्वारों, लाइट और 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस उठाते हैं। सरकार ने इंडिया गेट के पास ही एक ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ बनाने का सोचा है जिसको खासकर 1947 के सशस्त्र बलों के शहीद सदस्यों के सम्मान के लिए बनाया जायेगा।

दिल्ली इंडिया गेट का इतिहास India Gate History in Hindi

इंडिया गेट का असली नाम अखिल भारतीय युद्ध स्मारक (All India War Memorial) रखा गया था। इसका निर्माण 82000 भारतीय सैनिक को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया था जिन्होंने ब्रिटिश सरकार के लिए प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) और तीसरे एंग्लो-अफ़ग़ान युद्ध (1919) में अपने जीवन का बलिदान दिया। यह 1917 में ब्रिटिश इंपीरियल मैंडेट द्वारा शुरू की इंपीरियल वॉर ग्रेव्स कमीशन (आईडब्ल्यूजीसी) के भाग के रूप में किया गया था।

10 फरवरी, 1921 को शाम 4:30 बजे, कनॉट के ड्यूक के दौरे पर इस जगह पर नींव का पत्थर एक सैन्य समारोह में भारतीय सेना के सदस्यों और इंपीरियल सर्विस टॉप्स के सदस्यों के साथ रखा गया। कमांडर इन चीफ, फ्रेडेरिक थिसीगर, और भारत के प्रथम वायसराय विस्कॉन्ड चेम्सफोर्ड, भी वहां उपस्थित थे।

इस समारोह में 59वें शिंदे राइफल्स (फ्रंटियर फोर्स), तीसरे सेपरर्स और माइनर्स, डेक्कन हॉर्स, 6वें जाट लाइट इन्फैंट्री, 39वीं गढ़वाल राइफल्स, 34वें सिख पायनियर, 117वें मराठा, और 5वें गोरखा राइफल्स (फ्रंटियर फोर्स) को “रॉयल ” खिताब से सम्मानित किया गया उनके महान मुकाबले के लिए।

यह प्रोजेक्ट 10 साल में पूरा हुआ और 12 फरवरी, 1931 को वाइसरॉय, लॉर्ड इरविन ने इंडिया गेट का उदघाटन किया। प्रतिवर्ष 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस को यहाँ राष्ट्रपति भवन से परेड शुरू हो कर पहुंचती है। यह परेड देखने में बहुत सुंदर होते हैं क्योंकि इनमें भारत के नवीनतम रक्षा प्रोद्योगिकी और साथ ही भारत के सांस्कृति को दर्शाने के लिए कई झांकियां प्रस्तुत की जाती है।

डिजाइन और वास्तुकला Design & Architecture

इंडिया गेट देखने में बहुत ही सुंदर है। इस स्मारक को डिज़ाइन सर एडविन लुटयेंस जो की एक युद्ध स्मारक के डिज़ाइनर थे उन्होंने किया था। वह उस समय IWGC के सदस्य होने के कारण यूरोप में 66 युद्ध स्मारक का डिजाईन किया था।

इंडिया गेट की संरचना पेरिस, फ्रांस के ‘आर्क डि ट्रायम्फ’ के जैसा है। यह एक षट्कोणीय जगह के बीचों बिच है जिसका व्यास 625 मीटर है, क्षेत्र फल 360,000 वर्ग मीटर, ऊंचाई 42 मीटर और चौड़ाई 9.1 मीटर है।

डिया गेट की संरचना पेरिस, फ्रांस के ‘आर्क डि ट्रायम्फ’ के जैसा है। यह एक षट्कोणीय जगह के बीचों बिच है जिसका व्यास 625 मीटर है, क्षेत्र फल 360,000 वर्ग मीटर, ऊंचाई 42 मीटर और चौड़ाई 9.1 मीटर है।

इसकी दीवारों को खासकर लाल और पीले पत्थरों से बनाया गया है जिन्हें खासकर भरतपुर से लाया गया था। स्मारक के सामने एक खाली छत भी है जिसमें एक बार अपने राज्याभिषेक के समय, इंपीरियल स्टेट क्राउन, ब्रिटिश ग्लोबस क्रूसीगर और राजदण्ड में जॉर्ज वी की मूर्ति कड़ी थी। उस प्रतिमा को बाद में 1960 में कोरोनेशन पार्क में स्थानांतरित कर दिया गया था और जो मात्र भारत से ब्रिटिश की वापसी का प्रतीक है। इंडिया गेट के सबसे ऊपर एक गुंबद सा बना हुआ है।

इंडिया गेट के शिलालेख Inscriptions on India Gate

इंडिया गेट के ऊपरी भाग में खोद कर शिलालेख लिखे गए हैं जो ब्रिटिश इंपीरियल कॉलोनी का प्रतिक हैं। शिलालेख में यह लिखा हुआ है-

TO THE DEAD OF THE INDIAN ARMIES WHO FELL AND ARE HONOURED IN FRANCE AND FLANDERS MESOPOTAMIA AND PERSIA EAST AFRICA GALLIPOLI AND ELSEWHERE IN THE NEAR AND THE FAR-EAST AND IN SACRED MEMORY ALSO OF THOSE WHOSE NAMES ARE HERE RECORDED AND WHO FELL IN INDIA OR THE NORTH-WEST FRONTIER AND DURING THE THIRD AFGHAN WAR

दूसरी ओर ले शिलालेख में 13,218 युद्ध में शहीद सैनिकों, और सेना के महिला स्टाफ नर्स का नाम भी है जो 1917 में शहीद हुए थे।

अमर जवान ज्योति Amar Jawan Jyoti

यह इंडिया गेट के नीचे स्तिथ है। इस जगह पर बीचों बिच L1A1 स्व-लोडिंग राइफल को उल्टा लगाया है और युद्ध के हेलमेट का डिजाईन बंदूख के साथ जोड़ा गया है। यह काले मार्बल पत्थर के ऊपर बनया गया है। इसके सामने ‘अमर जवान’ लिखा गया है और इसके चरों ओर गैस की मदद से हमेशा ज्यतो जलती रहती है।

इस पावन स्मारक का उद्घाटन प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी द्वारा 26, जनवरी, 1972 को किया था। 26 जनवरी, विजय दिवा और इन्फैन्ट्री डे पर भारत के प्रधानमंत्री और भारतीय सशस्त्र बलों के प्रमुख अमर जवान ज्योति में पुष्पांजलि प्रदान करते हैं।

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