जलन भावना को कैसे कम करें? How to get rid of Jealousy in Hindi?

जलन भावना को कैसे कम करें? How to get rid of Jealousy in Hindi?

हर व्यक्ति अलग-अलग प्रवृत्ति का होता है। किसी भी विषय पर हर व्यक्ति का अपना अलग ही दृष्टिकोण होता है।  यही दृष्टिकोण हमें एक दूसरे से अलग या जोड़ कर रखता है। एक समय था जब लोग खुद से ज़्यादा दूसरों की खुशी में खुश हुआ करते थे। लेकिन अब ऐसे व्यक्तियों का मिलना बहुत मुश्किल है। ईर्ष्या और जलन जैसी स्वभाविक प्रतिक्रियाओं ने मानव जीवन को उलट पलट कर रख दिया है।  

यदी कोई खुशी का मौका भी आए तो ईर्ष्या और जलन जैसी आदतें उसे जी भर के खुश नहीं होने देती हैं।  बहुत से लोग ईर्ष्या (envy) और जलन (jealousy) को एक समझने की भूल कर बैठते हैं और दोनो शब्दों को एक दूसरे की जगह इस्तेमाल भी करते हैं जो कि सरासर गलत है। 

दोनों के बीच का अंतर दोनों की परिभाषा से पता लगाया जा सकता है:-

ईर्ष्या एक स्वभाविक मानव प्रतिक्रिया या व्यवहार है जो हर व्यक्ति कभी न कभी तो अनुभव करता ही है।  ईर्ष्या का शिकार कोई भी व्यक्ति तब होता है जब वो दूसरे व्यक्ति के पास ऐसा कुछ देखता है जो उसे भी चाहिए हो। साधरण शब्दों में ईर्ष्या केवल उन्ही चीजो़ं के लिए होती है जो उसके पास न हों।  

उदाहरण के लिए मान लीजिए की आप कोई बहुत मंहगी कार खरीदना चाहते हैं या आपका सपना है कोई और वस्तु खरीदना।  जिस क्षण आप वो कार या वस्तु किसी और के पास देखेंगे तो आपको ईर्ष्या महसूस होगी। आपको एसा लगेगा की आपके पास वो क्यूं नहीं है। यदी उसका मालिक आपका कोई दोस्त या जानकार हो तो यह और भी ज़्यादा बढ़ जाती।

ईर्ष्या और जलन में वैसे तो कुछ खास अंतर नहीं है, बस ये समझ लीजिए कि जलन हमे तब होती है जब कोई व्यक्ति या वस्तु जिसका संबंध हम से हो, अगर कोई और उस पर अपना हक जताए तो ऐसे में हम जलन महसूस करते हैं। हर व्यक्ति का स्वभाव अलग होता है तो ज़्यादा या कम जलन महसूस करना भी व्यक्ति पर निर्भर करता है। 

इस प्रकार ये भावना ईर्ष्या से बहुत अलग होती है। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आपकी कोई महिला/पुरूष मित्र है जिस से आपको बहुत स्नेह है। जब कभी आप उसको अपने अलावा किसी और मित्र के साथ देखते हो तो जलन होती है। 

जलन यूं तो स्वभाविक प्रतिक्रिया है लेकिन अगर यह आदत बन जाए तो जीवन को नीरस बना सकती है। जो व्यक्ति हर किसी को देख कर या व्यक्ति विशेष की छोटी-छोटी बातों पर जलन महसूस करे ऐसे व्यक्ति का खुश रह पाना लगभग असंभव है।

ये कोई लाईलाज बीमारी भी नहीं जिस से छुटकारा न पाया जा सके।  ये तो बस एक आदत है जिस पर नियंत्रण किया जा सकता है। लेकिन यदी ये आपको नियंत्रित करने लगे तो सावधान हो जाइए। क्यूं कि कभी-कभी ये बेहद घातक रूप भी ले सकती  जिसके कारण व्यक्ति गलत रास्तों पर भी चल पड़ता है।

जलन से निम्नलिखित उपायों द्वारा छुटकारा पाया जा सकता है-

मन को शांत रखें (Control your mind)

बहुत से लोग छोटी-छोटी बातों को ले कर उत्तेजित हो जाते हैं। हमे अपनी उत्तेजना व उत्साह को नियंत्रण में रखना है।  ऐसे व्यक्ति बहुत जल्दी ही उदास, खुश या गुस्सा हो जाते हैं। हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम कुछ भी देख या सुन कर तुरंत ही कोई विचार धारा न बना लें। 

आरंभ में ये कर पाने में मुश्किलें ज़रूर आएँगी। ये भी हो सकता है कि आपकी जलन एक भयंकर गुस्से या प्रति शोध की भावना का रूप ले ले। लेकिन आपको कोशिश करनी ही पडे़गी क्यों कि कोशिश के बगैर तो दुनिया में कुछ संभव ही नहीं है।  

जैसे कि अगर आप अपने मित्र को किसी के साथ देखते हैं तो अपने मन को किसी भी बहाने से जो उस वक्त मन को शांत कर सके को सोच कर शांत करने का प्रयास करें। उसका आपके प्रति व्यवहार इत्यादि सोच कर मन को समझाएं। आपका यह जानना ज़रूरी है कि आप किसी को भी कैद नहीं कर सकते। जिस तरह आप स्वतंत्र हो उसी प्रकार अन्य लोग भी हैं।  

योग करें (Yoga)

जीवन में बहुत से ऐसे अवसर आते हैं जब हमारे स्वभाव में बदलाव होता है। ये बदलाव आने का कारण कोई व्यक्ति, वस्तु या कोई परिस्थिति भी हो सकती है। ध्यान रहे कि कोई विचार हो या भावना, जब तक हम पर वे हावी न हों, तभी तक ठीक हैं।  

जिस पल से ये हमारा जीवन नियंत्रण करने लगें, तभी से मन की शांति का विनाश आरंभ होने लगता है। योग मन को स्थिर रखने और किसी भी भाव को खुद पर हावी होने से रोक देने का सबसे बेहतरीन उपाय है। अगर हर सवेरे नियमित रूप से योग किया जाए तो मन हीं नहीं तन की भी अनेकों बिमारियों का निवारण हो सकता है।  

योग से व्यक्ति की दृणता बढ़ती है और उत्तेजना कम होती है। जल्दी से मायूस या गुस्सा हो जाने वालों को मनोवैज्ञानिक भी योग करने की सलाह देता है। 

अपना ध्यान भटकाएं (Change your mind)

पढ़ें : कैसे करें मन पर काबू?

जलन एक ऐसी भावना है जो एक बार किसी को पकड़ ले तो आदत बन जाती है। किसी भी चीज़ की आदत तो तभी लगती है जब हम उसे बार-बार दोहराएं। अब अगर आप किसी को देख कर जलन महसूस कर रह हैं क्यूं कि आप अपनी आदत से मजबूर हो चुके हैं तो इसका तुरंत उपाय ये है कि आप किसी भी तरह उस वस्तु या व्यक्ति से ध्यान हटाएं।

खुद को इतना व्यस्त रखें की आपको उस विषय पर विचार करने का समय ही न मिले।  ऐसा करने पर आप धीरे-धीरे उस विषय पर सोचना बंद कर देंगे। लेकिन खुद का ध्यान भटकाना उतना भी आसान नहीं जितना सुनने में लगता है। अपना पसंद का कोई काम करना जैसे गाने सुनना, गाना, नाचना या अन्य कोई काम जो आपको बहुत पसंद हो बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। 

तुलना करना छोड़े (Don’t Compare)

तुलना करना तो ईर्ष्या और जलन का मूल कारण है। जब तक आप खुद की तुलना दूसरों से करना नहीं छोड़ देते तब तक जलन जैसी स्वभाविकता से निजात नहीं पा सकते। ज़रा सोच कर देखिए, यदी आप तुलना करना बंद कर दो तो कितनी हद तक ईर्ष्या व जलन को कोई कारण नहीं मिलेगा।

आज कल तो सोशल मीडिया का ज़माना है।  कोई खुश-हाल व्यक्ति आराम से पूरा दिन काम कर के घर पहुंचे, हालांकि वो भी हर तरह से संपन्न हो, लेकिन वो फोन पर जब अपने दोस्त या पडो़सी को उसकी कार से बडी़ और मंहगी कार खरीदता देखे तो जलन महसूस करता है। दरअसल जलन उसकी कार देख कर नहीं बल्कि अपनी कार से उसकी तुलना करने से हुई। 

सकारात्मक उपयोग (Positive Use)

यदी आपको किसी व्यक्ति से जलन हो रही हो और आपने उसे खत्म करने का हर संभव प्रयास कर लिया हो लेकिन फिर भी अच्छा महसूस नहीं कर पा रहे हैं तो इसका फायदा उठाने का एक तरीका है।  सकारात्मक व्यक्ति हर नकारात्मक स्थिति में भी कुछ सकारात्मक खोज ही लेता है।  

उसी प्रकार जब आप जलन जैसी नकारात्मकता में फस जाएं तो यही नकारात्मकता इस जलन के मूल कारण को ही नष्ट कर सकती है।  यदी आपको अपने दोस्त के कार खरीदने पर जलन हो रही है तो आप इसका कारण जानें।

कारण ये है कि आपके पास कार ही नहीं है।  यहीं से आप लक्ष्य निर्धारित करें कि आपको भी मेहनत कर के एक कार खरीदनी है।  ये जलन उस वक्त आपको प्रेरित करेगी और ज़्यादा मेहनत करने के लिए। 

विचार साझा कीजिए (Share your thoughts)

मन कोई भाव जिस से मन भारी हो रहा हो को दिमाग से बाहर निकालने के लिए उसे किसी के साथ साझा कर लेना चहिए। ऐसा करने से मन को बहुत सुकून प्राप्त होता है और ऐसा लगता है कि इस समस्या में कोई है हमारा साथ देने या सहारा बनने के लिए।  

अगर आप शादीशुदा हैं तो अपने जीवनसाथी से ये बात साझा कीजिए, नहीं तो अन्य कोई भी व्यक्ति जिससे आप बेझिजक कुछ भी बात कर सकते हों से इस विषय पर चर्चा कीजिए। 

लिख दीजिए (Write it down)

वैसे तो हर कोई लिखना नहीं जानता या पसंद नहीं करता। पर आप अगर शर्मीले प्रवृत्ति के हैं और किसी से अपनी बात साझा करने में हिचकिचाते हैं तो अपनी भावनाओं को कागज़ पर उतार देना मन को हल्का करने का सबसे उत्तम उपाय है।

बहुत से लोग अपने फोन में ही कोई डायरी ऐपलीकेशन डाउनलोड कर के फोन में ही रोजाना लिखते हैं।  पर ये उपाय तब लाभदायक बिल्कुल नहीं होगा अगर आप अपने विचारों पर किसी की प्रतिक्रिया की अपेक्षा करते हों।

अनदेखा करना सीखें (Ignore)

बातों को दिल से लगाना बहुत से लोगों का स्वभाव होता है और लोग इस पर ध्यान भी नहीं देते जब तक कोई और व्यक्ति उन्हे ये बता न दे। आपको कभी ऐसा लगता होगा कि आप हर एक बात पर गौर करने लगे हैं जिसकी वजह से आपको दूसरों से छोटी-छोटी पर बर जलन भी होती है। जितना हो सके बातो को अनदेखा करने की कोशिश करें।

जैसे कि अगर किसी ने आप से बडी़ कार खरीदी है तो खुद से कहिए कोई बात नहीं एक दिन मैं भी इस काबिल बनूंगा।  ऐसी कोई भी बात जिस से आपको जलन हो, एक बात मन में ठान लीजिए कि आपको खुद से कहना है कोई बात नहीं जो है वो अच्छा है।

बदलें नज़रिया (Change Point of view)

आधा खाली ग्लास आधा भरा हुआ भी हो सकता है यदी आप अपना नज़रिया बदल लें तो।  क्या बुरा है और क्या अच्छा ये तो हमारे ही नज़रिये पर निर्भर करता है। जिससे आपको जलन होती है, जिसको आप अपना प्रतिस्पर्धी समझते हैं, उसके प्रति अपना नज़रिया बदलिए। 

अगर वो आपका ही दोस्त है और आपको उससे जलन भावना हो रही है किसी बात पर तो उसके साथ अपनी दोस्ती के रिश्ते के बारे में सोचिए। उसके द्वारा आपकी की हुई मदद के बारे में विचार कीजिए। 

चिकित्सक (Medicine)

अगर हर संभव प्रयास के बावजूद आप जलन भावना से छुटकारा नहीं पा रहे हैं तो बेहतर होगा आप किसी मनोवैज्ञानिक या अच्छे चिकित्सक के पास जाएं। सबसे बडा़ रोग,क्या कहेंगे लोग।  ये कहावत बहुत मशहूर है लेकिन आप इसका शिकार खुद को मत होने देना।

जलन की भावना जब हद से बढ़ जाती है तो इंसान किसी दूसरे व्यक्ति या खुद को भी नुकसान पहुंचा सकता है।  बात यहां तक पहुचे उस से पहले ही आप किसी चिकित्सक के पास चले जाएं। 

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