नकारात्मक को सकारात्मक में कैसे बदलें? Take Negative Criticism in Positive Way in Hindi

नकारात्मक आलोचनाओं को सकारात्मक में कैसे बदलें How to take Negative Criticism in Positive Way in Hindi (Educational Moral Story in Hindi)

क्या आपके जीवन में ऐसा होता है जब आपको देख कर लोग कहते है कि आप सफल नहीं हो पाएंगे ? क्या लोगों की नकारात्मक बात सुन कर आपको कभी ऐसा लगा है कि आप अपने लक्ष्य को नहीं पा सकेंगे ? क्या कभी किसी दुसरे की बातों में आकर आप अपने लक्ष्य को खो बैठे हों ?

नकारात्मक को सकारात्मक में कैसे बदलें? Take Negative Criticism in Positive Way in Hindi (Educational Moral Story in Hindi)

अगर हाँ ! तो आज हम आपको इसका सबसे बड़ा राज़ बताते है इसका रास्ता आप हमारे इस पोस्ट के द्वारा पा सकते है : नकारात्मक आलोचनाओं को सकारात्मक में कैसे बदलें How to take Negative Criticism in Positive Way in Hindi

इसका एक मात्र रास्ता यह ही की लोगों की नकारात्मक बातों को सुनते हुए भी ना सुनें। नकारात्मक बातें वही लोग करते हैं जिन्होंने अपने जीवन में कुछ ना किया हो और ऐसे लोग खुद अपने जीवन में कुछ नहीं करते और दूसरों को भी कुछ करने नहीं देते। कभी भी उनकी बातों को ध्यान न दें और अपने लक्ष्य पर ही ध्यान दें।

इसको अच्छे से समझने के लिए निचे लिखे कहानी को पढ़ें –

कहानी शीर्षक : मेंढकों की दौड़ Running of Frogs

एक बार एक जंगल में कुछ मेंढक रहते थे। एक बार जंगल के कुछ जानवरों नें सोचा क्यों ना इन मेंढकों की दौड़ कराई जाये। दौड़ प्रतियोगिता के अनुसार उन्हें एक मीनार (Tower) के ऊपर चढ़ना था जो उस मीनार की चोटी  पर सबसे पहले पहुँचेगा वही विजेता होगा।

मेंढकों की दौड़ प्रतियोगिता के अवसर पर जंगल के सभी जानवर आये। वैसे तो इस दौड़ प्रतियोगिता में किसी भी दर्शक को यह विश्वास नहीं था कि कोई भी मेंढक मीनार की चोटी तक पहुँच पायेगा।

लोगों के मुह से अजीब-अजीब बातें निकलते हुए सब कोई सुन रहे थे। कोई कहता था :

“यह तो असंभव ही लग रहा है”
“कोई भी मीनार की चोटी तक नहीं पहुँच पायेगा”
“यह तरीका बहुत ही मुश्किल तरीका है”

दौड़ शुरू हुई – दर्शक चिल्लाने लगे ! सभी मेंढक मीनार की चोटी की ओर चढ़ने लगे ! कुछ मेंढक तो शुरुआत में ही गिरने लगे! यह देखकर लोग और ज्यादा कहने लगे “अब कोई भी इस प्रतियोगिता में सफल नहीं हो पायेगा”

धीरे-धीरे ऊपर चढ़ते हुए मेंढक थकते गए और हार मान कर एक के बाद एक गिरने लगे ! दर्शक देखकर अचम्भे में पड़ गए कि एक मेंढक दौड़ में ऊपर चढ़ते ही चला जा रहा है ! और बिना हार माने कुछ ही समय में वह मीनार की चोटी तक पहुँच गया।

उस छोटे मेंढक के चोटी पर पहुँचने की बात पर बाकि मेंढक और दर्शक हैरानी में पद गए। उन्होंने उस छोटे मेंढक से प्रश्न किया कि आखिर वह ऐसा करने में सफल कैसे हुआ? इसके बाद जो सबको पता चला वह बहुत ही अजीब बात थी कि उनको पता चला कि वह मेंढक बहरा था।

कहानी से शिक्षा : How to take Negative Criticism in Positive Way in Hindi

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जिस प्रकार दुसरे मेंढकों नें दर्शकों की नकारात्मक बातों को सुनकर अपने लक्ष्य को ना पा सकने का अन्दर से सोचा और वह अपने लक्ष्य को पाने में असफल रहे उसी प्रकार हमें भी किसी की नकारात्मक बातों को सोचकर अपने लक्ष्य को ना पा सकने की भावना जागृत नहीं करना चाहिए। साथ ही हमें भी नकारात्मक सोच और विचार वाले लोगों के सामने अपने दोनों कानों को बंद कर देना चाहिए।

परन्तु वह छोटा मेंढक जो सफल हुआ, जो उस मीनार की चोटी तक पहुँच पाया बिना गिरा उसकी यह खासियत थी कि उसके बहरा होने के कारण वह लोगों की बेकार बातों को सुने बिना अपने लक्ष्य तक पहुँच सका।

इसलिए कहा जाता है ! नकारात्मक सोच और बातें ही आपको नकारात्मक बनाती है इसलिए जितना हो सके नकारात्मक बातों से दूर रहें और अपने जीवन में नकारात्मक आलोचनाओं को सकारात्मक में बदलें “How to take Negative Criticism in Positive Way in Hindi” जिससे की आपके जीवन में हमेशा

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