बकरीद पर निबंध (ईद उल-अज़हा) EId Ul Adha – Bakrid Festival in Hindi

इस लेख मे हमने बकरीद पर निबंध (ईद उल-अज़हा) EId Ul Adha – Bakrid Festival in Hindi हिन्दी मे लिखा है। इसमे आप इस्लाम धर्म के इस पर्व के विषय मे पूरी जानकारी पढ़ सकते हैं।

क्या आप ईद उल-अज़हा (बकरीद) त्यौहार के महत्व, इतिहास के विषय में जानना चाहते हैं?
यह दिन इस्लाम धर्म में इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

बकरीद पर निबंध (ईद उल-अज़हा) Eid Ul Adha – Bakrid Festival in Hindi

हमारे देश में विभिन्न जाति – धर्म के लोग निवास करते हैं। पूरे वर्ष भर विभिन्न त्योहारों को हम सब बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मिल – जुल कर मनाते हैं। उन्ही त्योहारों में से एक है, ईद उल-अज़हा। जिसे हम विभिन्न नामों से भी जानते हैं – ईद-उल-जुहा, ईद उल-अज़हा और बकरीद (Eid-Ul-Adha, Eid-Al-Adha, Bakrid)।

यह इस्लाम धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जिसे पूरी दुनिया भर के लोग मनाते हैं। यह त्योहार विशेष तौर पर अभिवादन करने, लोगों से मिलने – जुलने और प्रार्थना करने का त्योहार है। आइये दोस्तों इस विषय पर हम आपको विस्तार से जानकारी देते हैं।

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बकरीद में ‘ईद उल-अज़हा’ से तात्पर्य Meaning of Eid Ul-Adha

यह एक अरबी भाषा का शब्द है और इससे तात्पर्य “कुर्बानी” से है। यानी की “कुर्बानी की ईद”। यह त्योहार रमज़ान के पवित्र महीने के अंत से लगभग 70 दिनों के बाद मनाया जाता है। अरब देशों में इसे ईद उल जुहा नाम से जाना जाता है और भारतीय उप महादीप में इसे बकरीद के नाम से जाना जाता है।

लोगों का मानना है कि इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है इसीलिए इसे बकरीद कहते हैं। बकरे या किसी जानवर की कुर्बानी देना इस्लाम में बलिदान का प्रतीक माना गया है। जिसके पीछे हज़रत इब्राहिम और उनके बेटे इस्माइल की बलिदान की कहानी है। जिसे हम विस्तार से जानते हैं। 

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क्यों मनाते हैं ईद उल-अज़हा या बकरीद? Why people from Muslim religion celebrate Bakrid?

इस त्योहार से जुडी हुई एक कहानी है। एक बार की बात है हज़रत इब्राहिम अलैय सलाम को सपना आया जिसमें अल्लाह की तरफ से उन्हें हुक्म मिला कि वे अपने प्रिय पुत्र हज़रत इस्माइल (जो बाद में पैगम्बर बने ) को अल्लाह के लिए कुर्बान कर दें। यह अल्लाह का हुक्म इब्राहिम के लिए इम्तिहान बन गया और वे अल्लाह की बात को टाल न सके। एक तरफ प्रिय पुत्र की कुर्बानी और दूसरी तरफ अल्लाह का हुक्म।

अल्लाह का हुक्म इब्राहिम के लिए सर्वोपरि था इसीलिए अंत में वे बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए। लेकिन अल्लाह इब्राहिम के ह्रदय को समझ गए और जैसे ही इब्राहिम ने अपने बेटे को मारने के लिए छुरी उठायी तभी अल्लाह के फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन ने इब्राहिम के बेटे इस्माइल को उस छुरी के नीचे से तुरंत हटा लिया और उसके नीचे एक मेमना रख दिया।

इस प्रकार मेमने की कुर्बानी हुई और उनका बेटा बच गया। तब जिब्रील अमीन ने इब्राहिम को ख़ुशख़बरी सुनाई कि अल्लाह ने आपकी कुर्बानी कबूल कर ली है।

बकरीद का महत्व Importance of Bakrid Festival

तभी से हर साल इस दिन किसी न किसी जानवर की कुर्बानी दी जाती है। इस्लाम में लोगों की सेवा करने के लिए जान की कुर्बानी देने का महत्त्व है। इस्लाम में कुर्बानी देने का मतलब किसी अच्छे कार्य के लिए बलिदान देने से है।

लेकिन जानवरों की कुर्बानी देना सिर्फ एक प्रतीक है। असल में बकरीद शब्द में अरबी भाषा के अनुसार ‘बकर’ का अर्थ है बड़ा जानवर। इसी शब्द को लोगों ने बकरा ईद बना दिया और बकरों की कुर्बानी देनी शुरू कर दी। 

ईद की नमाज Namaz of Eid

मस्जिद में लोग प्रार्थना करते हैं। सूर्य उगने के बाद नमाज़ अदा कर सकते हैं। प्रार्थनाओं और उपदेशों के समापन पर, मुसलमान एक दूसरे के साथ गले मिलते हैं और एक दूसरे को बधाई देते हैं (ईद मुबारक), उपहार देते हैं।

बहुत से मुसलमान अपने ईद त्योहारों पर अपने गैर-मुस्लिम दोस्तों, पड़ोसियों, सहकर्मियों और सहपाठियों को इस्लाम और मुस्लिम संस्कृति के बारे में बेहतर तरीके से परिचित कराने के लिए इस अवसर पर आमंत्रित करते हैं। सभी जगह हर्ष और उल्लास का माहौल देखने को मिलता है। 

ईद उल-अज़हा या बकरीद की परंपराएँ और प्रथाएँ Traditions and Practices done in Bakrid

पुरुषों, महिलाओं और बच्चों से अपेक्षा की जाती है कि वे ईदगाह या मस्जिद नामक एक खुली वक्फ (“रोक”) मैदान में एक बड़ी सभा में ईद की नमाज़ अदा करने के लिए अपने बेहतरीन कपड़ों में तैयार हों।

संपन्न मुसलमान अपने सबसे अच्छे हलाल घरेलू पशुओं (गाय, लेकिन क्षेत्र के आधार पर ऊंट, बकरी, भेड़  भी हो सकते हैं) को इब्राहीम की इच्छा के प्रतीक के रूप में उनके इकलौते बेटे की बलि चढ़ाने का प्रतीक मान सकते हैं। पाकिस्तान में लगभग दस मिलियन जानवरों का वध ईद के दिन किया जाता है, जिनकी लागत $ 2.0 बिलियन से अधिक है। 

कुर्बानी वाले जानवर के मांस को तीन भागों में विभाजित किया जाता है। परिवार में एक तिहाई हिस्सा रहता है; एक और तीसरा रिश्तेदारों, दोस्तों, और पड़ोसियों को दिया जाता है; और शेष तीसरा हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों को दिया जाता है।

महिलाएं विशेष तरह के पकवान इत्यादि बनाती हैं, जिसमें विभिन्न तरह के कुकीज़ शामिल हैं। सभी एक दूसरे को वितरित करते हैं, उपहार देते हैं और  बच्चों को ईदी भी दी जाती है। सभी इस त्योहार को बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। 

यह त्योहार हिजरी के आखिरी महीने जल हिज्ज में मनाया जाता है। इस महीने में दुनिया भर के मुस्लिम हज की यात्रा में जाते हैं। इस दौरान हज की यात्रा पर जाना बहुत ही शुभ माना जाता है। वास्तव में यह मुस्लिम को भाव – विभोर कर देने वाला दिन है।

हज़रत इब्राहिम के स्वप्न और कुर्बानी की घटना के बाद उन्होंने अपने बेटे और पत्नी हाजरा को मक्का में लाने का निर्णय लिया था। लेकिन उस समय मक्का सिर्फ एक रेगिस्तान था। हज़रत इब्राहिम ने अपने बेटे और पत्नी को वहां बसाया और सेवा के कार्यों के लिए वहां से चल पड़े। उस समय रेगिस्तान में अपने परिवार को बसाना इब्राहिम के लिए कुर्बानी के समान था।

जब इब्राहिम के पुत्र इस्माइल बड़े हुए तो वहां से एक काफिला गुजर रहा था। उसमें एक युवती थी। उस युवती से इस्माइल का विवाह करवा दिया गया। फिर एक वंश का निर्माण हुआ जिसे इश्माइलिट्स, या वनु इस्माइल कहा जाता है। इसी वंश में हज़रत मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था। ईद उल जुहा के विशेष तौर पर दो सन्देश हैं – परिवार के सदस्य को निःस्वार्थ हो जाना चाहिए व दूसरों की सेवा में लग जाना चाहिए। 

ईद उल जुहा के लिए इंडोनेशिया, जॉर्डन, मलेशिया, तुर्की और संयुक्त अरब एमिरेट्स जैसे स्थानों में सार्वजनिक अवकाश घोषित होता है जबकि  ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम या संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों के लिए सार्वजनिक अवकाश नहीं होता है। 

निष्कर्ष Conclusion

वास्तव में ईद उल-अज़हा (बकरीद) त्योहार बलिदान का प्रतीक है जिसमें मुस्लिमों की भावनाएं समाहित हैं। मुस्लिमों के मुख्य त्योहारों में से यह त्योहार लोगों की सेवा करने की तरफ प्रेरित करता है। जैसा की इब्राहिम ने किया था। 

आशा करते हैं बकरीद त्यौहार पर निबंध (ईद उल-अज़हा) Bakrid Festival in Hindi हिन्दी में आपको पसंद आया होगा।

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