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Home » Festivals & Events » माँ काली की कहानी और महत्व Importance and Story of Maa Kali in Hindi

माँ काली की कहानी और महत्व Importance and Story of Maa Kali in Hindi

Last Modified: April 4, 2019 by बिजय कुमार 2 Comments

माँ काली की कहानी और महत्व Importance and Story of Maa Kali in Hindi

माँ काली की कहानी और महत्व Importance and Story of Maa Kali in Hindi

हिंदू धर्म में मां काली (कालिका) का प्रमुख स्थान है। काली का अर्थ है “समय” और “काल” ऐसा माना जाता है कि इनकी उत्पत्ति समय और काल से पापियों के नाश के लिए हुई थी। समय और काल से कोई भी नहीं बच सकता। यह सभी को निगल जाते हैं।

Table of Content

Toggle
  • माँ काली की कहानी और महत्व Importance and Story of Maa Kali in Hindi
    • माँ काली का संक्षिप्त परिचय About Maa Kali
    • माँ काली की कहानी Story of Maa Kali
    • माता काली के तीन प्रसिद्ध मंदिर 3 Maa Kali Famous Temples
      • कोलकाता का काली मंदिर
      • मां गढ़ कालिका मंदिर
      • पावागढ़ शक्तिपीठ मंदिर
    • माँ काली की पूजा का महत्व Importance of Kali Puja in India

माँ काली की कहानी और महत्व Importance and Story of Maa Kali in Hindi

माँ काली का संक्षिप्त परिचय About Maa Kali

माँ काली के विषय में कुछ मुख्य बातें –

  • नाम : माता कालिका
  • शास्त्र : त्रिशूल और तलवार
  • दिन : अमावस्या
  • वार : शुक्रवार
  • ग्रंथ : कालिका पुराण
  • मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं क्लीम परमेश्वरी कालिके स्वाहा
  • चार रूप : दक्षिणा काली, शमशान काली, मात्र काली और महाकाली काली

भगवान शिव की पत्नी के विभिन्न जन्मों में अनेक नाम थे। देवी पार्वती  ने यह भयानक रूप पापियों के विनाश के लिए अपनाया था। इस रूप में मां का रंग काला  है। वह देखने में भयानक लगती हैं। उनके एक हाथ में कटार और दूसरे हाथ में  खप्पर, और गले में मुंडमाला है। इस रूप में मां का निवास स्थान शमशान है।

भगवान शिव उनके जीवन साथी हैं और इस रूप में मां शव पर सवारी करती हैं। बंगाल और असम में मां काली की पूजा विशेष रूप से की जाती है। मां का यह रूप अत्यधिक भयानक है। इस रूप में वे दानवीय प्रवृति की है जिनके अंदर कोई दयाभाव नहीं है। वह अपने शत्रुओं का नाश करती हैं।

माँ काली की कहानी Story of Maa Kali

एक बार दारुक नाम के पापी असुर ने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या करके प्रसन्न कर लिया। ब्रह्मा से पाए वरदान के कारण दारूक अत्यंत बलवान हो गया। वह देवताओं और ब्राह्मणों को परेशान करने लगा।

उसने सभी धार्मिक अनुष्ठान, हवन, यज्ञ बंद करवा दिए और स्वर्गलोक पर अधिपत्य कर लिया। सभी देवता विचलित होकर ब्रह्मा और विष्णु के पास सहायता के लिए गए। ब्रह्मा जी ने बताया कि दारूक असूर का नाश केवल स्त्री के हाथों हो सकता है। सभी बड़े देवता भी उससे युद्ध में हार चुके थे। अंत में यह निर्णय लिया गया कि भगवान शिव की पत्नी पार्वती दारूक असुर का वध करें ।

भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोलकर भयानक और प्रचंड मां काली को जन्म दिया। उनका शरीर काले रंग का था। मां काली के माथे पर तीसरा नेत्र और चंद्र रेखा थी। उनके हाथों में त्रिशूल और नाना प्रकार के अस्त्र शस्त्र थे।

मां काली के प्रचंड रूप को देखकर सभी देवता थरथर कांपने लगे और वहां से भागने लगे। युद्ध में दारूक असुर मां काली से पराजित हुआ और इस तरह उस दुष्ट का अंत हुआ। मां काली के भयानक रूप से चारों तरफ अग्नि की लपटें उत्पन्न हो गई।

मां काली के क्रोध को सिर्फ भगवान शिव ही रोक सकते थे। इसलिए उन्होंने एक बालक का अवतार लिया। भगवान शिव श्मशान पहुंचे और वहां पर बालक के रूप में लेट कर रोने लगे। छोटे बालक को देख कर मां काली का क्रोध शांत हो गया।

उनके हृदय में वात्सल्य भावना जागृत हो गई। उन्होंने शिव रूपी उस छोटे बालक को उठा लिया और अपने स्तनों से दूध पिलाने लगी इस प्रकार शिव जी ने उनके क्रोध को पी लिया।

इस तरह मां काली का प्रचंड और भयानक क्रोध शांत हुआ। उसके बाद मां काली मूर्छित हो गई। उन्हें होश में लाने के लिए भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया। होश में आने पर वे पुनः देवी पार्वती के रूप में आ चुकी थी।

वह भी भगवान शिव का नृत्य देख कर नृत्य करने लगी जिस कारण उन्हें “योगिनी” भी पुकारा जाता है।  मां काली ने महिषासुर, चंड मुंड, धूम्राक्ष, रक्तबीज, शुंभ निशुंभ जैसे राक्षसों का वध किया। माता कालिका दसमहाविद्या में से एक हैं मां काली।

माता काली के तीन प्रसिद्ध मंदिर 3 Maa Kali Famous Temples

कोलकाता का काली मंदिर

यह मंदिर विश्व प्रसिद्ध है जो कोलकाता के उत्तर में विवेकानंद पुल के पास बना हुआ है। इस क्षेत्र को कालीघाट भी कहते हैं। इस स्थान पर देवी सती के दाहिने पैर की 4 उंगलियां गिरी थी। यह मन्दिर देवी सती के 52 शक्तिपीठों में से एक है।

मां गढ़ कालिका मंदिर

यह प्रसिद्ध मंदिर उज्जैन के कालीघाट में स्थित है। यहां पर प्रसिद्ध कवि कालिदास मां कालिका की पूजा करते थे। यहां आने से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है। यह मन्दिर उज्जैन क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध है।

पावागढ़ शक्तिपीठ मंदिर

यह मन्दिर गुजरात की ऊंची पहाड़ियों में बसा हुआ है। यहां पर मां काली की पूजा महाकाली के रूप में होती है। यहां देवी  सती का वक्ष स्थल गिरा था। यह मंदिर वडोदरा शहर से 50 किलोमीटर दूर है।

माँ काली की पूजा का महत्व Importance of Kali Puja in India

  • मां काली की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। जब भी मां काली के मंदिर आए, जो वादा करें उसे अवश्य पूरा करें। क्योंकि यहां पुरस्कार के साथ दंड भी मिलता है। कुछ लोग मां काली के भयानक रूप से डरते हैं और पूजा करने से कतराते हैं।
  • मां काली की पूजा करने से भक्तों के भय दूर होते हैं। धन वैभव संपदा बढ़ती है। पारिवारिक और मानसिक शांति मिलती है। तांत्रिक क्रिया में सफलता और सिद्धि मिलती है।
  • मां काली की पूजा तांत्रिक और सन्यासी करते हैं। शुक्रवार के दिन एक स्वच्छ आसन पर बैठकर मां काली की पूजा करनी चाहिए।
  • ऊं क्रीं कालिकायै नमः और ऊं कपालिन्यै नमः मंत्र का 108 बार जप करना चाहिये।

Filed Under: Festivals & Events Tagged With: काली की पूजा का महत्व, माँ काली की कहानी

About बिजय कुमार

नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

Reader Interactions

Comments

  1. abhi gurjar says

    November 4, 2018 at 7:03 pm

    gjb

    Reply
  2. DR SK DESHWAL says

    November 4, 2018 at 8:28 pm

    ALL THE INFORMATION ABOUT MAA KALI ARE FULL OF KNOWLEDGE JAY MAA KALI

    Reply

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