भारत-चीन युद्ध 1962 का इतिहास व तथ्य India China War 1962 History Facts in Hindi
भारत-चीन युद्ध 1962 का इतिहास व तथ्य India China War 1962 History Facts in Hindi
क्या आप चीन-भारत के बिच लड़ाई का कारण जानते हैं?
क्या आप जानते हैं हमेशा इंडो-चाइना बॉर्डर के मध्य इतना गरमा-गर्मी क्यों बना रहता है?
तो चलिए आज हम आपको बताते है ऐसा क्या कारण है कि चीन और भारत के बिच 1962 में युद्ध हुआ और आज 2017-18 में भी युद्ध होने की संभावना बनी हुई है।
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भारत-चीन युद्ध 1962 का इतिहास व तथ्य India China War 1962 History Facts in Hindi
भारत-चीन के बिच 1962 में युद्ध कैसे हुआ? How India China War Happened in 1962?
यह उस समय की बात है जब भारत को आज़ाद हुए कुछ ही वर्ष हुए थे। भारत पहले से ही आर्थिक स्तिथि से जूझ रहा था। वैसे तो भारत-चीन के बिच तनाव बना हुआ था पर भारत ने कभी-भी नहीं सोचा था की चीन भारत पर आक्रमण कर देगा। परन्तु चीन ने राष्ट्रीय एकता दिवस (National Solidarity Day) अक्टूबर, 1962 को भारत पर बिना कुछ कहे आक्रमण कर दिया। इस चीन-भारत युध्ह को साइनो-इंडिया वार (Sin0-Indian War) के नाम से भी जाना जाता है।
बिना कुछ बोले ही चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया इसीलिए ऐसे समय में भारत की सेना अच्छे से तैयार भी नहीं थी। वह कुछ इस प्रकार का समय था जहाँ 80,000 से भी ज्यादा चीनी सैनिकों के सामने भारतकी तैयार मात्र 10,000 सैनिक तैनात थे। यह युद्ध लगभग एक महीने तक चल और नवम्बर 21, 1962 को ख़त्म हुआ जब चीन ने युद्ध विराम की घोषणा की।
भारत-चीन के बिच 1962 में युद्ध क्यों हुआ ? Why India China War Started on October 20, 1962?
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इस युद्ध के पीछे कुछ मुख्य कारण हैं –
- भारत की आजादी के बाद ही चीन की जनवादी गणराज्य (पीआरसी) People’s Republic of China (PRC) का गठन 1949 किया गया जो ची के साथ साथ सौहार्दपूर्ण संबंध का काम किया करते थे।
- जब चीन ने यह घोषणा किया कि वह तिब्बत पर कब्ज़ा करेगा तो भारत ने चीन को एक चिठ्ठी भेजा जिसमें भारत ने इस बात से इंकार किया। चीन ने अपने बहुत सारे सैनिकों को भी अक्साई चीन बॉर्डर पर तैनात करने लगा था।
- भारत चीन के साथ अपने संबंधों के विषय में इतना चिंतित था की उस समय जापान में होने वाले शांति संधि में चीन को आमंत्रित नहीं किया गया था। भारत ने दुनिया से संबंधित मामलों में चीन का प्रतिनिधि बनने का भी प्रयास किया क्योंकि चीन कई मुद्दों से अलग था।
- साल 1954, में चीन और भारत के बिच शांतिपूर्ण सहयोग के पांच सिद्धांत लाया गया जिसके अनुसार भारत, तिब्बत पर चीन का शासन को स्वीकार करता है। यह उस समय की बात है जब भारत के प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरु थे। नेहरु जी ने दोनों देशों के बिच शांति बनाये रखने के लिए “हिंदी चीनी भाई भाई” का नारा भी उठाया।
- बाद में जुलाई 1954 में जवाहरलाल नेहरु जी ने चीन को भारत के मानचित्र में कुछ गलतियों के बारे में बताया जिसके अनुसार चीन के मानचित्र में कुछ 1,20,000 वर्ग किलोमीटर भारत का दिखा। लेकिन चीन के प्रथम प्रीमियर, ज्होऊ एनलाई ने इस बात से मना कर दिया की ऐसी कोई गलती नहीं है।
- चीन के एक बड़े नेता ने बहुत अपमानित महसूस किया जब दलाई लामा ने चीन को छोड़ा और भारत में रहने लगे। दोनों देशों के बीच तनाव बहुत बढ़ गया जब माओ ने कहा कि तिब्बत में ल्हासा विद्रोह भारतीयों द्वारा किया गया था।
- सही मायने में अगर सोचने तो भारत और चीन के बच युद्ध का कारण तिब्बत बा गया। उसके बाद भारतीय सेना और चीनी सेना के बिच कई सैन्य घटनाएँ हुई।
- उसके बाद जुलाई 10, 1962 को कुल 350 चीनी सैनिक भारतीय पोस्ट चुशूल के पास गए और उन्होंने माइक पर ऐलान किया और गुरखाओं को समझाने की कोशिश की कि उन्हें भारत की ओर से नहीं लड़ना चाहिए।
- लेकिन बाद में चीन ने भारत पर अक्टूबर, 1962 में आक्रमण कर ही दिया जिसके विषय में भारत को पता तक नहीं था।
भारत चीन युद्ध 1962 के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य Important Facts of China India War on October 20, 1962
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- अक्टूबर 20, 1962में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने लदाख क्षेत्र पर आक्रमण किया था।
- युद्ध से पहले भारत की सेना को यह पता ही नहीं था की युद्ध होने वाला है इसलिए भारत ने अपने 2 सेना की टुकड़ियों को ही तनाव वाले क्षेत्र में तैनात किया था परन्तु चीन ने अपने 3 चीनी सेना रेजिमेंट वहां तैनात कर के रखे थे।
- यहाँ तक की चीन के सेना छुपकर भारतीय सेना के फ़ोन लाइन भी काट दिया करते थे ताकि वे अपने मुख्यालय से संपर्क ना कर सकें।
- युद्ध के पहले दिन, चीनी थल सेना ने भी पीछे से हमला शुरू कर दिया था। लगातार नुकसान ने भारतीय सैनिकों को भूटान से पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया था।
- चीनी सेना ने 22 अक्टूबर को एक बड़े झाडी में आग लगा कर भारतीय सैनिकों को भ्रम में रखा और उसकी मदद से 400 से ज्यादा सैनिकों की फौज़ ने भारतीय सेना पर आक्रमण कर दिया था। भारतीय सेना को अपने पहले चीनी आक्रमण को रोकने के लिए मोर्टार की आवश्यकता पड़ी थी जिसमें लगभग 200 से ज्यादा चीनी सैनिकों को मार गिराया गया।
- चीन के आधिकारिक सैन्य इतिहास के अनुसार, युद्ध में अपने पश्चिमी क्षेत्र के सीमाओं को हासिल करने के नीतिगत उद्देश्यों को चीन ने हासिल कर लिया था।
चाहे वह भारत हो या चीन किसी भी देश के लिए युद्ध एक सही रास्ता नहीं होता है। सभी देशों के बिच शांति और मित्रता हमेशा रहना चाहिए। युद्ध से मात्र विनाश ही होता है किसी बात का परिणाम नहीं निकलता है।