भारत का झंडा तिरंगा पर निबंध / भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध Essay on Indian National Flag Tiranga in Hindi
जिस तरह हर देश का झंडा उसकी आन बान और शान होता है, उसी तरह हमारे देश का झंडा “तिरंगा” भी हमारी पहचान है। यह देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है। हम सभी को अपने देश के झंडे का सम्मान करना चाहिये।
आम तौर पर कॉमनवेल्थ, ऐशियन, ओलम्पिक, क्रिकेट वर्ड कप, फ़ुटबाल वर्ड कप जैसे खेलो में सभी देशो के झंडे को लगाया जाता है। जब 2 देशो के खिलाड़ी खेलते है तो उनका स्कोर दिखाने के लिए भी झंडे का इलेक्ट्रनिक लोगो दिखाया जाता है।
विश्व के सभी देशो का अपनी अलग आकृति और रंगो वाला झंडा है। हमारे तिरंगे में 3 समानांतर रंगो वाली केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग की पट्टियाँ हैं। इसकी लम्बाई चौड़ाई का प्रतीक 3:2 है। बीच वाली सफ़ेद पट्टी में नीले रंग का एक चक्र भी होता है जिसमे 24 तीलियाँ होती है। यह खादी कपड़े का बना होता है।
जब विदेशी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उच्च अधिकारी, राजदूत हमारे देश में आते है तो उनकी कारो पर उनके देश के झंडे बने होते है। इसलिए झंडा किसी भी देश की पहचान होता है। हमारे देश में तिरंगा सभी सरकारी इमारतों पर फहराया जाता है। राष्ट्रीय पर्व जैसे गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), गांधी जयंती (2 अक्टूबर) के दिन लोग इसे अपने घरो में भी फहरा सकते हैं।
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भारत का झंडा तिरंगा पर निबंध Essay on Indian National Flag Tiranga in Hindi
Contents
भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास HISTORY OF INDIAN NATIONAL FLAG
पहले राष्ट्रीय ध्वज को स्वामी विवेकानंद की शिष्य भगिनी निवेदिता ने 1904 में डिजायन किया था। दूसरे ध्वज को मैडम कामा और उनके साथी क्रांतिकारियों ने 1907 में बनाया था। तीसरे राष्ट्रीय ध्वज को डॉ ऐनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने 1917 में बनाया था। चौथे राष्ट्रीय ध्वज को आंद्रप्रदेश के युवक पिंगली वेंकैया नामक युवक ने बनाया था।
गांधी जी ने 1921 में सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के लिए झंडे का विचार रखा था। इस झंडे को डिजायन पिंगली वेंकैया ने किया था। इसमें 2 रंग और एक चक्र था। लाल रंग हिंदू धर्म को प्रदर्शित करता था। हरा रंग मुस्लिम धर्म को प्रदर्शित करता था।
बाद में इस झंडे को परिवर्तित कर दिया गया और बीच में एक सफ़ेद पट्टी जोड़ दी गयी जो अन्य धर्मों को प्रदर्शित करती थी। 1947 से कुछ दिन पहले इसी झंडे के चक्र को बदलकर अशोक का चक्र लगा दिया गया। वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने देश के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था।
1968 में भारतीय मानक ब्यूरो ने राष्ट्रीय झंडे के लिए कुछ नियम बनाये थे। केवल खादी या हाथ से बनाये गये खादी कपड़े से ही झंडा बनाया जाता है। बनने के बाद इसे कई बार टेस्ट किया जाता है।
“हुबली” मात्र एक ऐसा संस्थान है जिसके पास झंडा बनाने का लाइसेंस है। यही संस्था पूरे देश की दुकानों पर झंडा की सप्लाई करती है। तिरंगे की कल्पना पिंगली वेंकैया नामक व्यक्ति ने की थी। इसे 22 जुलाई 1947 के दिन अपनाया गया था।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज का महत्व IMPORTANCE OF INDIAN NATONAL FLAG
इसमें केसरिया रंग हिन्दुओं के लिए और हरा रंग मुस्लिमो के लिए है। केसरिया रंग को साहस और शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। सफ़ेद रंग शांति और सत्य का प्रतीक है। हरा रंग ऊर्वरता, हरियाली, वृद्धि, सम्पन्नता और भूमि की पवित्रता को दिखाता है।
अन्य धर्मों के लिए सफ़ेद रंग है। पहले इसमें सफ़ेद धारी में चरखा होता था पर बाद में इसे बदलकर अशोक चक्र कर दिया गया। यह धर्म चक्र है जो सम्राट अशोक द्वारा बनाये गये सारनाथ की लाट से लिया गया है। चक्र में 24 तीलियाँ समय के 24 घंटो को दर्शाती हैं।
राष्ट्रीय झंडे को फहराने के नियम RULES TO HOST INDIAN NATIONAL FLAG
तिरंगे झंडे को फहराने के नियम इस प्रकार है-
- इसे स्कूल, कॉलेज, अन्य शैक्षिक संस्थाओं में सम्मान के साथ फहराया जा सकता है।
- निजी संस्थाये इसे सम्मान के साथ अपनी इमारत और परिसर में फहरा सकती हैं।
- देश के सभी नागरिक अपने घरो और परिसरों में राष्ट्रीय ध्वज सम्मान के साथ फहरा सकतें है।
- तिरंगे झंडे को वस्त्रों, पर्दों, कपड़ों के तौर पर नही इस्तेमाल कर सकतें हैं। इससे किसी भी तरह का साम्प्रदायिक लाभ नही ले सकते हैं।
- इसे सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जा सकता हैं।
- राष्ट्रीय ध्वज को जमीन पर नही रख सकते हैं। इसे घर के कामो में इस्तेमाल नही कर सकतें है, पानी से स्पर्श नही कराना है, रेल, वायुयान, प्राइवेट या सरकारी किसी वाहन पर नही लपेटा जा सकता है।
- 2002 से पूर्व इसे देश की आम जनता सिर्फ राष्ट्रीय पर्वों के दिन फहरा सकती थी।
- झंडे को बुरी और गंदी स्तिथि में लगाना भी मना है। इसका रख रखाव अच्छी तरह से होना चाहिये। दीवार पर लगाने का नियम है कि केसरिया रंग उपर होना चाहिये।
- यदि 2 झंडे एक साथ लगाना है तो उलटी दिशा में लगाना चाहिये।
- देश के झंडे को घर में बंद कमरे में लगा सकते है। किसी मीटिंग या सम्मेलन, कार्यक्रम में घर के अंदर फहरा सकते हैं।
- यदि किसी जुलूस में झंडा लगाया जा रहा है तो बीच में या दाई ओर लगाना चाहिये। इसका हमेशा ही सम्मान होना चाहिये।
- वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज को लगाने की परमीशन दी गयी है। राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मन्त्रीमंडल के सदस्य, सांसद, विधायक, न्यायधीश, जल-थल-वायु सेना के अधिकारी अपने वाहनों/कारों पर राष्ट्रीय ध्वज लगा सकते हैं।
- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की मृत्यु पर झंडा आधा झुका होना चाहिये।
निष्कर्ष Conclusion
यह तिरंगा झंडा हमारे गौरवशाली अतीत को दिखाता है। देश का इतिहास, सभ्यता, स्वतंत्रता संघर्ष, सांस्कृतिक विरासित का प्रतीक है। यह झंडा हमारी आजादी का प्रतीक है। हमे सदैव ही इसका सम्मान करना चाहिये।
कुछ असामाजिक तत्व कई बार राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करके देश को नीचा दिखाने की कोशिश करते है। ऐसे लोगो के खिलाफ दंड का नियम बनाना चाहिये। ये लेख आपको कैसा लगा, हमे जरुर बतायें।
A very good knowledge for all of us