इस लेख में महाकवि कालिदास सम्मान की पूरी जानकारी (Kalidas Samman Award in Hindi) के बारे पूरी जानकारी दी गयी है। गत वर्ष 2019 में अंजोली इला मेनन को इस सम्मान से नवाज़ा गया था।
अगर आप जानना चाहते हैं की इस सम्मान की शुरुवात कब हुई और किन क्षेत्रों के लोगों को यह सम्मान दिया जाता है तो इस लेख को पूरा पढ़ें। कालिदास सम्मान से जुड़े प्रश्न स्पर्धात्मक परीक्षाओं में अवश्य पूछा जा सकता है।
कालिदास कौन थे? Who was Kalidas?
महाकवि कालिदास के जीवन से जुड़ी बहुत सी भ्रांतियाँ हैं क्योंकि कई लोगों नें उन्हें उड़ीसा और पश्चिम बंगाल का साबित करने का प्रयास किया तो कईयों नें उनकी कृतियों में उज्जैन के प्रति उनके आकर्षण को देखकर उन्हें उज्जैन का भी बताया हैं।
कालिदास जी ने अपना प्रसिद्द ग्रन्थ “मालविकाग्निमित्रम” राजा शुंग द्वितीय की सहायता से लिखा था और राजा शुंग द्वितीय 170 ईसा पूर्व में राज किया था इस प्रकार कालिदास का जन्म प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व से छठी शताब्दी ईसवी के बीच माना जा सकता है।
उनके दुसरे प्रसिद्द ग्रन्थ “विक्रमोवार्शियम” में सम्राट विक्रमादित्य के बारे में उल्लेख हुआ है जिन्होंने ने ईसा से 57 साल पहले विक्रम संवत चलाया इसलिए इस बात को बल मिलता है की कालिदास उज्जैन के निवासी थे और विक्रमादित्य के नौ रत्नों में से एक थे।
पढ़ें: महाकवि कालिदास की कहानी
कालिदास से जुड़ी रोचक तथ्य Facts about Kalidas
कहा जाता है की व्याकरण के महान ज्ञाता और सौन्दर्य शास्त्र,नाट्यशास्त्र में अग्रणी कालिदास जी को कभी महामूर्ख कहा जाता था। उनका विवाह भी उनके मुर्खता के कारण ही संभव हो पाया था। उनकी पत्नी “विद्योत्मा” जो महा विद्वान् स्त्री थीं और बड़े-बड़े पोंगा-पंडितों को शास्त्रार्थ में धुल चटा दिया करती थीं।
इसलिए कुछ चिढ़े हुए कपटी लोग विद्योत्मा से बदला लेने की ठानी और छल से उनसे वचन ले लिया की जो भी उन्हें शास्त्रार्थ में पराजित कर देगा उससे वो विवाह कर लेंगी। कपटी लोगों ने षड्यंत्र बनाया और महामूर्ख इंसान की खोज में लग गए। ताकि विद्योत्मा से बदला लिया जा सके।
खोज के दौरान उन्हें एक इंसान मिला जो जिस डाल पर बैठा था उसे ही काट रहा था। कपटी लोगों ने उसे निचे उतारा और पहनावा पहनाकर तथा अपना ज्ञानी गुरु बताकर विद्योत्मा के सामने ले आये। शास्त्रार्थ के शुरुवात में विद्योत्मा ने कालिदास को एक उंगली दिखाई जिसका अर्थ था की ब्रम्ह एक है।
लेकिन कालिदास को लगा की वो कह रही है की तेरी एक आँख फोड़ दूंगी, तो कालिदास ने दो अंगुली दिखाया जिसका मतलब था की मै तेरी दोनों आँखे फोड़ दूंगा। कपटी लोगों ने विद्योत्मा को अपने हिसाब से उत्तर बताया की हमारे गुरु बहुत ज्ञानी हैं वे कह रहें हैं की ब्रम्ह दो हैं क्योंकि दुसरे ब्रम्ह (स्वयं) के बिना पहले ब्रम्ह को जानना संभव नहीं है ..वगैरह।
इस तरह विद्योत्मा को लगा की ये कोई महात्मा है और उसने वरमाला पहना दी। लेकिन एक ही रात में कालिदास की पोल खुल गयी और उन्हें धक्के मारकर विद्योत्मा ने घर से निकाल दिया। कालिदास को यह बात चुभ गयी और उन्होंने ज्ञान अर्जन किया और महाकवि बन गए।
कालिदास सम्मान Kalidas Samman
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा महाकवि कालिदास के नाम पर दिया जाने वाला सम्मान सन 1980 में शुरू हुआ, शुरुवात में इसे शास्त्रीय संगीत, शास्त्रीय नृत्य, रंगमंच, रुपंकर कलाओं और रंगकर्म आदि क्षेत्र में दिया जाता था लेकिन बाद में इसे विस्तृत किया गया।
शुरुवात में यह सम्मान बारी-बारी से दिए जाते थे लेकिन 1986-87 में सभी क्षेत्रों के लिए एक साथ सम्मान दिए जाने लगे। कालिदास सम्मान उसे दिया जाता है जिसने उपरोक्त क्षेत्रों में कुछ अनोखा, सृजनात्मक, उत्कृष्टता और दीर्घकालीन साधना किया हो।
कालिदास सम्मान के रूप में सम्मान पत्र तथा दो लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है। इस सम्मान के लिए लोगों का चुनाव मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त पाँच सदस्यीय समिति द्वारा की जाती है जिसमें संगीत नाटक अकैडमी के बेहतरीन कलाकार और कला आलोचक तथा अन्य अधिकारी शामिल होते हैं।
कालिदास सम्मान से सम्मानित लोग Peoples awarded with Kalidas Samman



निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने कालिदास सम्मान हिंदी में पढ़ा जिसमें कालिदास कौन थे तथा उनके जन्म स्थान से जुड़ी जानकारी भी प्राप्त की और अंत में कालिदास सम्मान तथा उसे प्राप्त करने वाले लोगों के बारे में भी जाना आशा है आपको यह जानकारी सुगम व जानकारी से भरपूर लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें।