केदारनाथ मंदिर वास्तुकला, इतिहास Kedarnath Temple History Architecture in Hindi

केदारनाथ मंदिर वास्तुकला, इतिहास Kedarnath Temple History Architecture in Hindi

केदारनाथ मंदिर भारत का एक प्रमुख मंदिर है। यह “बाबा केदारनाथ धाम” के नाम से भी विश्वप्रसिद्ध है। यह चारों धाम की यात्रा में से एक है और हिमालय की गोद में 3593 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ एक भव्य और विशाल मंदिर है।

उत्तराखंड में दो प्रमुख तीर्थ स्थल हैं बद्रीनाथ और केदारनाथ। यह रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। इस मंदिर में प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु पूजा-अर्चना और दर्शन करने के लिए आते हैं।

यह पहाड़ों में अत्यंत ऊंचाई पर बसा हुआ है इसलिए अनुकूल जलवायु में मंदिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही खुलता है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। श्रद्धालुओं के बीच इस मंदिर का महत्व बहुत है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। केदारनाथ मंदिर का दर्शन करने के लिए अक्टूबर का महीना सबसे अच्छा माना जाता है।

केदारनाथ मंदिर वास्तुकला, इतिहास Kedarnath Temple History Architecture in Hindi

इतिहास  History

केदारनाथ मन्दिर के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ का दर्शन करना अधूरा माना जाता है। इसके दर्शन करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और मुक्ति मिलती है। यह मंदिर कब बना इसे लेकर विद्वानों ने अलग-अलग मत दिए हैं।

प्रमुख साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन के अनुसार यह 12वीं- 13वीं शताब्दी में बना होगा। दूसरे मत के अनुसार इस मंदिर को आदि गुरु शंकराचार्य ने 8 वीं शताब्दी में बनवाया था।

ग्वालियर के राजा भोज स्तुति के अनुसार यह मंदिर 1076 – 1099 ई० के दौरान बनाया था। यह मंदिर 400  सालों तक पूरी तरह बर्फ में ढका रहा, उसके बाद यह प्रकाश में आया। यह मंदाकिनी और सरस्वती नदियों के बीच में स्थित है। मंदिर के अंदर प्राचीन काल मैं बनी देवी देवताओं की सुंदर मूर्तियां हैं।

कहानी  Story

इस मंदिर से जुड़ी अनेक कहानियां हैं। मुख्य कथा के अनुसार केदारपर्वत की चोटी पर महातपस्वी नर और नारायण ऋषि भगवान शिव की तपस्या करते थे। उनकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने दर्शन दिए और केदारनाथ ज्योतिर्लिंग में सदैव के लिए वास करने का वरदान दिया।

दूसरी कथा के अनुसार पांडवों ने यह मंदिर बनाया था। अपने ही भाई बंधुओं की युद्ध में हत्या करने के कारण पांडव बहुत ही हताश और आत्मग्लानि से भरे हुए थे। वे भगवान शिव से मिलना चाहते थे जिससे उनको मुक्ति का मार्ग मिल सके।

परंतु महाभारत के युद्ध के कारण भगवान शिव पांडवों से रुष्ट थे और उनसे नहीं मिलना चाहते थे। भगवान शिव की खोज में पांडव काशी गए जहां पर उन्हें दर्शन प्राप्त नहीं हुआ। शिव की खोज करते करते पांडव केदारनाथ पर्वत आ गए। भगवान शिव ने वृषभ बैल का रूप धारण कर लिया।

पांडवों में सबसे बलशाली भीम ने भगवान शिव को खोजने की अनोखी युक्ति निकाली। उन्होंने अपना आकार बड़ा किया और विशाल रूप धारण करके दो पहाड़ों पर पैर रख दिया। भगवान दूसरे जानवरों के साथ बैल रूप में थे। ऐसा होने पर सभी जानवर तो भीम के पैरों के नीचे से निकल गए परंतु भगवान शिव नहीं निकले। भीम समझ गये कि यह बैल कोई और नहीं बल्कि भगवान शिव हैं।

भीम उन्हें पकड़ने के लिए आगे बढ़े परंतु भगवान शिव अंतर्ध्यान हो गये। अंत में भीम ने भगवान शिव को खोज लिया। अपनी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने पांडवो को दर्शन दिया और पाप मुक्ति का मार्ग बताया।

मंदिर खुलने का समय Temple opening hours

केदारनाथ मन्दिर सभी भक्तों के लिए सुबह 6:00 बजे खुलता है। दोपहर 3:00 से 5:00 बजे तक विशेष पूजा-अर्चना होती है। मंदिर में पांच मुख वाली भगवान शिव की प्रतिमा है जिसका श्रृंगार शाम को किया जाता है। शाम को 7:30 से 8:30 तक आरती होती है। रात्रि 8:30 पर मन्दिर बंद कर दिया जाता है। सर्दियों में यहां बहुत बर्फबारी होती है इसलिए उपयुक्त समय पर ही मंदिर भक्तों के लिए खोला जाता है।

सामान्यतः 13 14 अप्रैल को यह मंदिर खोला जाता है और 15 नवंबर के दिन बंद कर दिया जाता है। मन्दिर की पूजा को  महाभिषेक पूजा, अभिषेक, लघु रुद्राभिषेक, षोडशोपचार पूजन, अष्टोपचार पूजन, सम्पूर्ण आरती, पाण्डव पूजा, गणेश पूजा, श्री भैरव पूजा, पार्वती जी की पूजा, शिव सहस्त्रनाम जैसी पूजा कार्य्रकम में विभक्त किया गया है।

केदारनाथ मंदिर की बनावट और वास्तुशिल्प Architecture

इस मंदिर का जीर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था। यह मंदिर 6 फुट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। 3593 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है जो अपने आप में एक बहुत बड़ा आश्चर्य है।

इतनी ऊंचाई पर इसे कैसे बनाया गया होगा इस बात की कल्पना करना भी कठिन है। इसे कत्यूरी शैली में बनाया गया है। इसे बनाने में भूरे रंग के बड़े पत्थरों का प्रयोग किया गया है। मंदिर की छत लकड़ी से बनाई गई है।

इस मंदिर का जीर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था। यह मंदिर 6 फुट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। 3593 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है जो अपने आप में एक बहुत बड़ा आश्चर्य है।

इतनी ऊंचाई पर इसे कैसे बनाया गया होगा इस बात की कल्पना करना भी कठिन है। इसे कत्यूरी शैली में बनाया गया है। इसे बनाने में भूरे रंग के बड़े पत्थरों का प्रयोग किया गया है। मंदिर की छत लकड़ी से बनाई गई है।

शिखर पर सोने का कलश रखा हुआ है। मंदिर के बाहरी परिसर में भगवान शिव का सबसे प्रिय नंदी की विशाल प्रतिमा बनी हुई है। यह मंदिर तीन भागों में बटा हुआ है – गर्भ ग्रह, दर्शन मंडप (जहां पर भक्त एक प्रांगण में खड़े होकर पूजा करते हैं) और तीसरा भाग सभामंडप का है जहां पर सभी तीर्थयात्री जमा होते हैं।

कैसे पहुंचे केदारनाथ मन्दिर How to reach Kedarnath Temple?

हवाई मार्ग- केदारनाथ जाने के लिए सबसे पास का हवाई अड्डा जौली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून है। यहां से केदारनाथ मंदिर 239 किलोमीटर दूर है।

सड़क मार्ग– देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार से सड़क मार्ग द्वारा केदारनाथ मंदिर पहुंचा जा सकता है। प्राइवेट साधन जैसे जीप, टैक्सी, कार और दूसरे वाहन भी बुक करवा सकते हैं। ऋषिकेश से केदारनाथ 223 किलोमीटर पर स्थित है। दिल्ली से केदारनाथ 4 58 किलोमीटर पर स्थित है।

रेल मार्ग- हरिद्वार या ऋषिकेश से 4 5 घंटे रेल मार्ग के द्वारा यात्रा करके केदारनाथ धाम पहुंचा जा सकता है। यह रास्ता पहाड़ी और घुमावदार है।

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